उत्तराखण्ड राज्य का रूद्रप्रयाग जिला धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। रूद्रप्रयाग जिला क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तराखण्ड का दूसरा सबसे छोटा जिला है। ( tourist place near rudrapiryag ) रूद्रप्रयाग जिले का क्षेत्रफल 1890 वर्ग किलोमीटर है। रूद्रप्रयाग जिले में कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल व शहर है जो इस जिले को पर्यटको के लिए खास बनाते है। केदारनाथ, रूद्रप्रयाग, ऊखीमठ, गुप्तकाशी, मदमहेश्वर जैसे प्रमुख स्थान भी इसी जिले का गौरव बढाते है।

(रूद्रप्रयाग)
यह तीर्थ स्थल अलकनंदा और मंदाकिनी नदियो के संगम पर स्थित है। तथा इसे उत्तरांचल के पवित्र पंचप्रयाग में से एक माना जाता है। यहां के प्राचीन शिव मंदिर में भगवान शिव की रूद्र रूप में आराधना की जाती है।
कोटेश्वर:-
रूद्रप्रयाग से कोटेश्वर की दूरी 3 किलोमीटर है। यहां श्रीकोट मार्ग के नीचे की ओर एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर बहुत ही छोटा है परन्तु यहां पर माहात्म्यशाली है। पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार यहां पर करोडों ब्रहम्- राक्षसों ने ब्राहम्णों के शाप से मुक्ति पायी थी।
गुप्तकाशी:-
यहां प्राचीन शिव-पार्वती मंदिर है जो दर्शनीय है। और यहां से चौखम्भा शिखर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। गुप्तकाशी से एक मार्ग प्रसिद सिद्धपीठ कालीमठ के लिए जाता है। यहां रहने व खाने पीने की पर्याप्त सुविधाएं है। रूद्रप्रयाग से गुप्तकाशी की दूरी 39 किलोमीटर है।

ऊखीमठ:-
रूद्रप्रयाग से ऊखीमठ की दूरी 40 किलोमीटर है। यहां का शिव मंदिर प्राचीन मंदिरो मे से है जो केदारेश्वर भगवान का गद्दी स्थान है। अत्यधिक शीत के कारण छ: माह के लिए भगवान केदारेश्वर को यहां स्थापित किया जाता है। और मंदिर के रावल उनकी पूजा अर्चना करते है। इसिलिए यह केदीरेश्वर की चल प्रतिमा के रूप में जानी जाती है।

गौरीकुंड:-
यहां एक छोटा सा माँ गौरी का मंदिर है। सोनप्रयाग जाने से पहले यहां यात्री दर्शन करने आते है। ऐसी मान्यता है की पार्वती ने यही पर भगवान शिव को पाने के लिए आराधना की थी। रूद्रप्रयाग से गैरीकुंड की दूरी 72 किलोमीटर है। गौरीकुंड से पीछे सोनप्रयाग से एक दूसरा मोटर मार्ग त्रियुगीनारायण के लिए जाता है। करीब 6 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद त्रियुगीनारायण नामक सुरम्य स्थल है। यहां पर केदारनाथ शैली का शिव मंदिर है।
उधमसिंह नगर जिले के पर्यटन स्थल
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केदारनाथ मार्ग के पर्यटन स्थल
पंचकेदार:-
उत्तरांचल की पंचकेदार मंदिर श्रृखंला प्रसिद प्राचीन मंदिरो में गिनी जाती है। रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ, मद महेश्वर और चमोली जिले में स्थित तंगुनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर है। दुर्गम सफर के कारण भले ही पर्यटक यहां सीमित संख्या में आते है। पर जो भी इस स्वर्गिक क्षेत्र में आता है वह अनमोल जादुई सौंदर्य को देखकर अभीभूत हो जाता है।
केदारनाथ:-
हिमालय प्रकृति का महामंदिर है तथा यहां निश्चय ही संसार के सर्वोत्कृष्ट सौंदर्यपूर्ण और महत्वपूर्ण स्थल है। यहां मनुष्य ने हजारो वर्ष पहले प्राकृतिक सौंदर्य से चमत्कृत होकर तीर्थो की स्थापना की। ऐसे स्थलो मे केदारनाथ तीर्थ पूरे उत्तरांचल का महत्वपूर्ण स्थल है। चार धाम में पहले स्थान पर आने वाले बद्री-केदारनाथ धाम की छठा ही निराली है। अनुपम प्राकृतिक दृश्यो टेढे मेढे और खतरनाक रास्तो, घाटी और पर्वतो के संगम पर स्थित केदारनाथ भगवान शिव का धाम है। यहां जाने पर ऐसा प्रतीत होता है। मानो पैरो के नीचे से हिमराशि खिसक रही हो और हिम के पास ही अत्यंत मादक सुगंध वाले ढेर के ढेर हल्के गुलाबी रंग वाले औरिकुला तथा पीले प्रिमरोज के पुष्प छिटके मिलते है। घने बांझ के वन जहां खत्म होते है वही से गुलाब और सिरंगा पुष्पकुंज मिलने लगते है। इनके समाप्त होने पर हरी बुग्याल मिलती है। इसके बाद केदारनाथ का हिमनद और उससे निकलने वाली मंनदाकिनी नदी अपने में असंख्य पाषाण खंडो को फोडकर निकले झरने और फव्वारो के जल को समेटे उद्दाम गति से प्रवाहित होती दिखाई देती है। हरिद्धार से केदारनाथ की दूरी 247 किलोमीटर है।
केदारनाथ मंदिर:-
केदारनाथ तीर्थ पूरे उत्तरांचल का महत्वपूरण स्थान है। केदारनाथ का 6940 मीटर ऊँचा हिमशिखर ऐसा दिखाई देता है कि मानो यह स्वर्ग में रहने वाले देवताओ का मृत्युलोक में झांकने का झरोखा अथवा मंडप स्थल हो। यह भव्य और अति प्राचीन शिव का धाम रूद्र हिमालय की श्रेणी में स्थित है। हजारो साल पुराने इस मंदिर को एक विशाल चट्टान काटकर बनाया गया है। गर्भगृह में एक चकौर चबुतरे पर ग्रेनाइट की त्रिभुजाकार विशाल शिला को सदा शिव के रूप में पूजा जाता है। गर्भगृह की दीवारो और सीढीयों पर पाली भाषा में संदेश खुदे हुए है। साथ में पौराणीक कथाएं व देवताओ का चित्रांकन भी मिलता है। मंदिर के मुख्य दरवाजे के बाहर नंदी बैल की भीमकाय प्रतिमा पहरेदार के रूप में खडी है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का पुनरूद्धार 8वी शताब्दी पूर्व मे आदि शंकराचार्य ने करवाया था।
बद्री-केदार उत्सव:- Tourist place near rudrapiryag
बद्रीनाथ और केदारनाथ मे जून माह में यह उत्सव बडी धूमधाम से मनाया जाता है। उत्सव यहां आठ दिनों तक चलता है। इस दौरान देश के सभी भागो से लोग यहां आते है।
रूद्रप्रयाग जिले के पर्यटन स्थलो की यात्रा
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वासु की ताल:-
6 किमी विकट चढाई के बाद अनुपम सौंदर्य से घिरा एक स्थल जिसे वासु की ताल के नाम से जाना जाता है।
मद महेश्वर:- Tourist place near rudrapiryag
इस प्राचीन मंदिर मे नाभि की आकृति वाला शिवलिंग है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव की नाभि प्रतिष्ठित हुई थी। यहा पहुचने के लिए ऊखीमठ से जाया जाता है।
तंगुनाथ:- Tourist place near rudrapiryag
तंगुनाथ से अधिक ऊचाई पर कोई हिन्दू मंदिर नही है। यहां की खंडित मूर्तिया बतलाती है कि यह प्राचीन स्थान है। मंदिर में शिवलिंग है जिसके पिछे पद्मामनस्य कुंडलधारी भक्त मूर्ति है। तंगुनाथ हिमालय के गर्भ में है इसके ऊपर चारो ओर हिम शिखरो की पंक्तियां चली गई है। और नीचे हजारो पहाड मानो हिम शिखरो की ओर ध्यान लगाए एक टक देख रहे हो।
रूद्रप्रयाग कैसे पहुचे:-
हवाई मार्ग- रूद्रप्रयाग से निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट 159 किलोमीटर की दूरी पर है।
रेल मार्ग- रूद्रप्रयाग से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 142 किलोमीटर दूर है।
सडक मार्ग- रूद्रप्रयाग सडक मार्ग से भलिभांति जुडा है।
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