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महाराजा गंगा सिंह

महाराजा गंगा सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजे। महाराजा गंगा सिंह का जन्म सन्‌ 1880 की 3 अक्टूबर को हुआ था। आप राठौड़ राजपूत थे तथा स्वर्गीय महाराजा डूंगरसिंह जी के ग्रहीत पुत्र थे। महाराजा गंगा सिंह तथा स्वर्गीय महाराजा भाई भाई थे। आप महाराज लाल सिंह के पुत्र थे। सन्‌ 1887 की 31 वीं अगस्त…

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महाराजा डूंगर सिंह बीकानेर राज्य

महाराजा डूंगर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा सरदार सिंह जी की पुत्रहीन अवस्था में मृत्यु होने से बीकानेर का राज्य-सिंहासन सूना हो गया। इसी कारण से ब्रिटिश गवनमेंंट की आज्ञानुसार मंत्रि-मण्डल की सृष्टि करके उसके हाथों में शासन का भार सोंपा गया। प्रधान राजनैतिक कर्मचारी इस मंत्रि-मण्डल के सभापति होकर राज्य करने लगे। इस प्रकार कुछ काल तक राज्य-कार्य चलने के पश्चात्‌ राजरानी और सामन्तों ने नवीन महाराज नियुक्त करने…

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महाराजा सरदार सिंह बीकानेर

महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास

महाराजा रत्नसिंह जी के स्वर्गवासी हो जाने पर सन् 1852 में उनके पुत्र महाराजा सरदार सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजमान हुए। महाराजा सरदारसिंह ने सन् 1852 से सन् 1872 तक बीकानेर राज्य पर शासन किया। आपके राज्याभिषेक के समय से बीकानेर की राज्य-शक्ति मानो क्रमश: हीन होने लगी थी। जो बल, विक्रम, शूरता, साहस आदि गुण राठौर राजाओं के भूषण थे, वे…

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महाराजा रत्नसिंह बीकानेर

महाराजा रत्नसिंह बीकानेर का परिचय और इतिहास

महाराजा सूरत सिंह जी के परलोकवासी होने पर उनके पुत्र महाराजा रत्नसिंह जी बीकानेर राजसिंहासन पर विराजमान हुए। आपके सिंहासन पर बेठने के साथ ही बीकानेर राज्य के सामन्‍त और समस्त प्रजा के मन का भाव भी सहसा बदल गया। महाराज सूरत सिंह जी की मृत्यु के पहले राज्य में जिस प्रकार अशान्ति, उत्पीड़न और अत्याचारों की वृद्धि हो रही थी, चोर डाकुओं के उपद्रव…

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महाराजा सूरत सिंह बीकानेर राज्य

महाराजा सूरत सिंह बीकानेर जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा राजसिंह के दो पुत्र थे। महाराजा सूरत सिंह की माता की इच्छा राजसिंह के प्राण हरण कर अपने पुत्र को बीकानेर राज्य के सिंहासन पर बैठाने की थी। किन्तु सूरत सिंह ने देखा कि वीर सामन्‍त तथा कार्य कुशल अमात्यगणों के सम्मुख इस शोचनीय हत्या काण्ड के पश्चात्‌ सिंहासन पर बैठना महा विपत्ति-कारक है। अतएव प्रकट रूप में अपने सौतेले भाई की मृत्यु पर…

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महाराजा अनूप सिंह

महाराजा अनूप सिंह का इतिहास

महाराजा कर्ण सिंह जी के तीन पुत्रों की मृत्यु तो उपरोक्त लेख में बतलाये मुताबिक हो ही चुकी थी। केवल चौथे पुत्र महाराजा अनूप सिंह जी बच गये थे। अतएव सन् 1764 में राजा की उपाधि धारण कर आप राज सिंहासन पर बेठे। आप एक महावीर ओर असीम साहसी पुरुष थे। बादशाह ने आपको पाँच हज़ार अश्वारोही सेना की मनसब तथा बीजापुर और औरंगाबाद…

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महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर

महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास

महाराजा रायसिंह के स्वर्गवासी हो जाने घर उनके एक मात्र पुत्र महाराजा कर्ण सिंह जी पिता के सिंहासन पर विराजमान हुए। अपने पिता की जीवित अवस्था में ही सम्राट की अधीनता में महाराजा कर्ण सिंह दौलताबाद के शासन-कर्ता के पद पर नियक्त हुए थे। महाराजा कर्ण सिंह दाराशिकोह के विशेष अनुगत थे और आपने उसको बादशाह के दरबार में प्रवेश करने के लिये विशेष…

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महाराजा रायसिंह बीकानेर

महाराजा रायसिंह बीकानेर का परिचय

स्वर्गीय कल्याणमल जी के पश्चात उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा रायसिंह जी बीकानेर राज्य के राज सिंहासन पर बैठे। आपके शासन-काल से बीकानेर राज्य के गौरव की सीमा बढ़ने लगी। आपके राजपद पर अभिषिक्त होने के पहले बीकानेर राज्य एक छोटा सा राज्य गिना जाता था। यद्यपि एक के बाद एक वीर एवं साहसी राजाओं ने इस राज्य की सीमा को दूर दूर तक फेलाया था,…

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राव बीका जी जोधपुर राज्य के संस्थापक

राव बीका जी का इतिहास और जीवन परिचय

बीकानेर राज्य के शासक उस पराक्रमी और सुप्रिसिद्ध राठौड़ वंश के है, जिसके शौर्य साहस और रणकौशल का वर्णन हम अपने अन्य लेखों में भी कर चुके हैं। ये उन्हीं शक्तिशाली राव जोधा जी के वंशज हैं जिनका उल्लेख हम अपने जोधपुर राज्य का इतिहास नामक लेख में कर चुके हैं। बीकानेर राज्य के मूल संस्थापक मारवाड़ के राजकुमार राव बीका जी थे। ये मारवाड़ के…

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महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत

महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत

भरतपुर के महाराजा श्री विजेन्द्र सवाई महाराजा किशन सिंह जी बहादुर थे। आपको लेफ्टनेट कर्नल की उपाधि प्राप्त थी। आपका जन्म सन् 1899 की 4 अक्तूबर को हुआ था। आपके पिता महाराजा रामसिंह जी सन् 1900 की 27 वीं अगस्त को राज्य कार्य से अलग हुए। उस समय आपकी आयु लगभग एक वर्ष की थी। अतएवं आपके बालिग होने तक भरतपुर राज्य शासन पोलिटिकल…

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महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर रियासत

महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर का जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा बलवन्त सिंह जी के बाद उनके पुत्र महाराजा जसवंत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर बिराजे। इस समय आप नाबालिग थे, अतएवं आगरा के कमिश्नर मि० टेलर ने राज्य के शासन-सूत्र को संचालित करने के लिए राज्य के सरदारों और माजी साहिबा की सलाह से धाऊ घासीराम जी को रिजेन्ट नियुक्त किया। अंग्रेजी सरकार ने इस नियुक्ति का समर्थन किया। हाँ,…

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महाराजा रणजीत सिंह भरतपुर राज्य

महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा केहरी सिंह जी के बाद महाराजा रणजीत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर अधिष्ठित हुए। इनके समय में राजनैतिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई, अतएवं उन पर थोड़ा सा प्रकाश डालना आवश्यक है। जिस समय महाराजा रणजीत सिंह जी राज्य-सिंहासन पर बैठे थे, उस समय अंग्रेज भारत में अपनी सत्ता मजबूत करने के काम में लगे हुए थे। कहने की आवश्यकता…

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राजा जवाहर सिंह भरतपुर राज्य

महाराजा जवाहर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

स्वर्गीय राजा सूरजमल जी के पाँच पुत्र थे, यथा:- जवाहर सिंह, ताहर सिंह, रतन सिंह, नवल सिंह, और रणजीत सिंह। इनमें सब से बड़े पुत्र जवाहर सिंह भरतपुर राज्य के सिंहासन पर आसीन हुए। महाराजा जवाहर सिंह जी बड़े पराक्रमी वीर थे। पर साथ ही वे बड़े दुराग्रही और हठी स्वभाव के थे। आपने अपने पिता का राज्य उनकी जीवित अवस्था ही में खूब…

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राजा सूरजमल भरतपुर राज्य

राजा सूरजमल का इतिहास और जीवन परिचय

राजा सूरजमल का जन्म सन् 1707 में भरतपुर में हुआ था। राजा बदन सिंह की मृत्यु के बाद राजा सूरजमल जी भरतपुर राज्य के सिंहासन पर विराजे। ये महान और वीर राजनीतिज्ञ दूरदर्शी और प्रतिभा संपन्न महानुभाव थे। इनका नाम न केवल भरतपुर राज्य के इतिहास में नहीं वरन् भारत के इतिहास में अपना विशेष महत्व रखता है। ये भारत के एक ऐतिहासिक महापुरुष…

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राजा बदन सिंह

राजा बदन सिंह का इतिहास भरतपुर राज्य

ठाकुर बदन सिंह चूडामन जाट के भतीजे थे। ये आमेर जयपुर के सवाई राजा जयसिंहजी के पास बतौर ( Feudatory cheif) रहे थे। सवाई महाराजा जयसिंहजी ने इन्हें सम्राट महम्मदशाह के जमाने में चुड़ामन जाट की जमीन और उपाधियाँ प्रदान की थीं। ये बड़े सत्य और शान्ति-प्रिय थे। लुटेरे सरीखा जीवन व्यतीत करना इनके स्वभाव के विरुद्ध था। इन्होंने एक नियमबद्ध शासक की तरह राज्य…

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महाराजा उम्मेद सिंह जोधपुर

महाराजा उम्मेद सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा सुमेर सिंह जी के कोई पुत्र न था अतएवं आपके भाई महाराजा उम्मेद सिंह जी जोधपुर की गद्दी पर सिंहासनारूढ़ हुए। सिंहासन पर बैठते समय आपकी भी अवस्था केवल 16 वर्ष की थी। अतएवं फिर तीसरी वक्त कौन्सिल आफ़ रीजेन्सी की स्थापना हुई। फिर भी महाराजा प्रताप सिंह जी ही कौन्सिल के प्रेसिडेन्ट मुक़़र्र हुए। महाराजा उम्मेद सिंह का इतिहास महाराजा उम्मेद सिंह…

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महाराजा सुमेर सिंह जोधपुर

महाराजा सुमेर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा सरदार सिंह जी के स्वर्गवासी होने के पश्चात्‌ महाराजा सुमेर सिंह जी जोधपुर के राज्यासन पर बिराजे। जिस समय आप गद्दीनशीन हुए उस समय आपकी अवस्था केवल 14 वर्ष की थी, अतएव मारवाड़ राज्य में फिर दुबारा रिजेंसी बैठने का अवसर आया। इस रिजेंसी के प्रेसिडेन्ड महाराजा प्रताप सिंह जी नियुक्त हुए। महाराजा सुमेर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय महाराजा सुमेर…

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महाराजा मानसिंह जोधपुर

महाराजा मानसिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा भीम सिंह जी के बाद सन् 1804 में महाराजा मान सिंह जी गद्दी पर बिराजे। आप महाराजा भीम सिंह जी के भतीजे थे। युवावस्था में आपको अनेक विपत्तियों का सामना करना पड़ा था । एक समय तो भीम सिंह जी के भय से मारवाड छोड़ने की नौबत आई थी। जिस समय आप गद्दी पर बिराजे उप समय महाराजा भीम सिंह जी की एक…

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महाराजा अभय सिंह जोधपुर

महाराजा अभय सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

सन् 1724 में अभय सिंह जी जोधपुर राज्य की गद्दी पर बिराजे। गद्दी पर बैठते समय आपको बादशाह महमदशाह की ओर से राज राजेश्वर की पदवी मिली। नागोर की जागीर इस समय अमर सिंह जी के पौत्र इन्द्र सिंह जी के अधिकार में थी। पर इस समय से वह भी बादशाह ने अभय सिंह जी को दे दी। महाराजा अभय सिंह जी ने नागोर बखत…

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महाराजा अजीत सिंह राठौड़ मारवाड़

महाराजा अजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा जसवंत सिंह जी की मृत्यु के समय उनकी जादमजी ओर नारुकीजी नामक दो रानियाँ गर्भवती थीं। अतएव कुछ समय बाद उक्त दोनों रानियों से क्रमशः अजीत सिंह जी और दलथम्भन सिंह जी नामक पुत्रों का जन्म हुआ। पर औरंगजेब ने यह कहकर कि उक्त राजपुत्र राज्य के वास्तविक अधिकारी नहीं हैं। मारवाड़ की रियासत को जब्त कर इसके प्रतिवाद-स्वरूप राठौड़ सरदारों ने काबुल…

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महाराजा जसवंत सिंह राठौड़ मारवाड़

महाराजा जसवंत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

सन् 1638 में महाराजा जसवंत सिंह जी मारवाड की गददी पर विराजे। आपका जन्म सन् 1626 में बुरहानपुर नामक नगर में हुआ था। राज्य-गद्दी पर बैठने के समय आपकी उम्र 12 वर्ष की थी। सम्राट आप पर बड़ा अनुग्रह करते थे। गद्दी पर बैठ जाने के बाद पांच हजारी मनसबदार की इज्जत आपको मिली। काबुल के युद्ध में सम्राट आपको साथ ले गये थे।…

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राव उदय सिंह राठौड़ मारवाड़

राव उदय सिंह राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय

राव उदय सिंह राठौड मारवाड़ के राजा थे, इनका जन्म 13 जनवरी 1538 को जोधपुर में हुआ था। यह राव मालदेव के पुत्र और राव गंगा जी के पौत्र थे। राव मालदेवजी का स्वर्गवास हो जाने पर चन्द्रसिंह जी मारवाड़ की गद्दी पर बिराजे। इनके बाद सन् 1584 में राव उदय सिंह राठौड़ जी सिंहासनारूढ़़ हुए। आपने अपनी लड़की का विवाह शाहज़ादा सलीम से और…

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राव रणमल राठौड़

राव रणमल का इतिहास और जीवन परिचय

राव रणमल जी, राव चूडाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। एक समय राव चूडाजी ने इनसे कह दिया था कि 'मेरे बाद मंडोर कान्ह के अधिकार में रहना चाहिये। कान्ह चूडाजी के छोटे पुत्र थे। अपने पिता को आज्ञानुसार रणमलजी मंडोर को अपने छोटे भाई के हाथ सौंप है और आप चित्तौड़ चल गये। चित्तौड़ की गद्दी पर इस समय राणा लाखा जी आसीन थे। इन्होंने…

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राव जोधा जी राठौड़

राव जोधा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय

राव रणमल जी के 26 पुत्र थे। इन सब में राव जोधा जी बड़े थे। राव जोधा जी बड़े वीर और पराक्रमी राजा थे। काहुनी नामक स्थान से मन्डोर को प्राप्त करने के लिये आपने उस पर कई आक्रमण किये पर सब विफल हुए। इसी बीच एक समय रावजी किसी जाट के मकान में चले गये। जाट वहां न था। जोधा जी ने उसकी…

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राव सातल देव राठौड़

राव सातल देव का इतिहास और जीवन परिचय

राव सातल देव जी राठौड़ मारवाड़ के राजा थे। ये वीर महाराजा राव जोधा जी के पुत्र थे। इनकी माता महारानी हाथी जसमदेजी थी। इनकी पत्नी रानी भटियानी फूल कवर थी, इनके बाद राव सुजा जी राठौड़ मारवाड़ की गद्दी पर विराजे, राव सातल जी के बाद राव सुजा जी सन् 1491 में गद्दी पर बिराजे। सुजा जी को नाराजी नामक पुत्र सातलजी द्वारा…

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राव सुजा जी राठौड़ का चित्र उपलब्ध नहीं

राव सुजा राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय

राव सातल जी के याद राव सुजा जी सन् 1491 में गद्दी पर बिराजे। सुजा जी को नाराजी नामक पुत्र सातलजी द्वारा दत्तक लिये गये थे। पर सातलजी का स्वर्गवास होते ही सुजा जी ने राज्य पर अधिकार कर लिया। नाराजी की सिर्फ पोकरन और फलोदी के जिले दे दिये गये। इस समय फलोदी एक छोटा सा गांव था। पोकरन मल्लिनाथ जी के पोत्र…

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राव मालदेव राठौड़

राव मालदेव का इतिहास और जीवन परिचय

राव मालदेव राठौड़ का जन्म 5 दिसंबर सन् 1511 को जोधपुर में हुआ था। 9 भी सन् 1532 को यह जोधपुर राज्य की गद्दी पर विराजे। इनके पिता राव गांगाजी थे उन के स्वर्गवासी होने के पश्चात्‌ उनके पुत्र राव मालदेव जी राज्यगद्दी पर आसीन हुए। ये बढ़े शक्तिशाली नरेश हो गये है। इन के पास 80000 सेना थी । इनके समय में जोधपुर राज्य…

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सवाई माधोसिंह द्वितीय

सवाई माधोसिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय

सवाई माधोसिंह द्वितीय जयपुर के राजा थे। सवाई माधोसिंह द्वितीय का जन्म 29 अगस्त सन् 1861 को हुआ था। इन्होंने 1880 से 1922 तक जयपुर राज्य पर शासन किया। इनके शासन काल में जयपुर राज्य ने बहुत उन्नति की। यह महाराज सवाई रामसिंह के दत्तक पुत्र थे। सवाई माधोसिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय मृत्यु होने के कुछ ही…

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सवाई रामसिंह द्वितीय

सवाई रामसिंह द्वितीय का इतिहास और परिचय

सवाई जयसिंह जी तृतीय के बाद उनके पुत्र सवाई रामसिंह जी जयपुर की गद्दी पर बिराजे। इस समय सवाई रामसिंह जी की आयु बहुत ही कम थी अतएव वे पोलिटिकल एजेंट की निगरानी में रख दिये गये। शासन-सूत्र को संचालित करने के लिये पाँच बड़े बड़े सरदारों की एक रिजेन्सी कौन्सिल नियुक्त की गई। फौज कम कर दी गई और राज्य के प्रत्येक विभाग में…

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महाराजा सवाई जगत सिंह जी

सवाई जगत सिंह का इतिहास और परिचय

सवाई प्रताप सिंह जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जगत सिंह जी जयपुर राज्य की गद्दी पर गद्दी नशीन हुए। आपने 16 वर्ष राज्य किया। आपका चरित्र बड़ा निर्बल था, आपका सारा जीवन दुर्गुणों से भरा हुआ था। विषय-वासना के फेर में पड़कर आपने कई कुकृत्य किये। मेवाड़ के राणा भीम सिंह जी के कृष्णा कुमारी नामक एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी। इस कन्या…

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महाराज सवाई प्रताप सिंह जी

सवाई प्रताप सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

सवाई प्रताप सिंह जी जयपुर राज्य के महाराजा थे। महाराजा सवाई प्रताप सिंह का जन्म 2 दिसंबर सन् 1764 ईस्वी को राजस्थान के जयपुर शहर में हुआ था। सवाई प्रताप सिंह जी के पिता सवाई माधोसिंह प्रथम थे। सन् 1778 में ये आमेर की राजगद्दी पर बिराजमान हुए। मात्र 14 वर्ष की आयु में ही यह महाराजा बन गए थे। इन्होंने सन् 1778 से सन् 1803 तक जयपुर…

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सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय

सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय का इतिहास और जीवन परिचय

सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय जयपुर के राजा थे, महाराजा पृथ्वी सिंह जी का जीवन काल 1762 से 1778 बहुत ही अल्प अवधि तक रहा। सवाई पृथ्वी सिंह द्वितीय का जन्म 1762 में हुआ था, सन् 1768 में आप जयपुर राज्य की राजगद्दी पर बिराजे। महाराज पृथ्वी सिंह जी पांच वर्ष की बहुत ही कम उम्र में आप महाराज हो गये थे। आपने सन् 1768 से…

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सवाई माधोसिंह प्रथम

सवाई माधोसिंह का इतिहास और जीवन परिचय

सवाई माधोसिंह जी जयपुर के महाराज थे, इनको सवाई माधोसिंह प्रथम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि आगे चलकर इसी नाम से एक और महाराज जयपुर की गद्दी पर बिराजे, उन्हें सवाई माधोसिंह द्वितीय के नाम से जाना जाता है। सवाई माधोसिंह प्रथम का जन्म दिसंबर 1728 को आमेर में हुआ था। इनके पिता सवाई जयसिंह द्वितीय थे। इनकी माता चंद्रकुंवर थी। सवाई…

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महाराज सवाई जयसिंह जी

सवाई जयसिंह का इतिहास और जीवन परिचय

भारत में ऐसे कई परम-कीर्तिशाली नृपति हो गये है जिन्होंने मनुष्य-जाति के ज्ञान के विकास में-विविध प्रकार के विज्ञान के अभ्युदय में-बड़ी सहायता पहुँचाई है। इन्होंने न केवल युद्ध-क्षेत्रों और राजनैतिक-क्षेत्रों ही में अपनी असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया था, वरन विश्व के अगाध ज्ञान समुद्र में-प्रकृति की विविध सूक्ष्मताओं में-गहरा गोता लगाया था। ऐसे नृपतियों की सम्माननीय पंक्ति में जयपुर के महाराज सवाई…

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महाराजा जयसिंह जी

महाराजा जयसिंह का इतिहास (प्रथम) आमेर

महासिंह जी के बाद महाराजा जयसिंह जी आमेर के सिंहासन पर बिराजे। इन्होंने आमेर के लुप्त गौरव को फिर प्रकाशमान किया। जिस प्रकार महाराजा मानसिंह जी ने अकबर के शासन-काल में राज्य का विस्तार, सामर्थ्य और सम्मान बढ़ाया था, ठीक उसी प्रकार राजा जयसिंहजी ने दुर्दान्त औरंगजेब के शासन में अपने अपूर्व बाहुबल और अद्वितीय राजनीतिज्ञता का परिचय दिया। हाँ, यहाँ यह बात अवश्य…

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राजा मानसिंह जी

राजा मानसिंह का इतिहास – आमेर के राजा का इतिहास

राजा मानसिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत राजा थे। उन्हें 'मानसिंह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है। राजा भगवन्तदास इनके पिता थे। वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे। उन्होने आमेर के मुख्य महल का निर्माण कराया। राजा मानसिंह का जन्म 21 दिसंबर 1550 को आमेर में हुआ था। बिहारीमल जी के बाद उनके पुत्र भगवान दास जी आमेर की गद्दी पर बिराजे।…

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महाराणा फतह सिंह जी

महाराणा फतह सिंह जी का परिचय

महाराणा सज्जन सिंह जी के बाद महाराणा फतह सिंह जी सन 1885 में उदयपुर राज्य के राजसिहासन पर बिराजे। आपका जन्म 16 दिसंबर सन् 1849 को हुआ था। इस्वी सन्‌ 1887 में जी० सी० एस० आई० की उपाधि से विभूषित किये गये। इसी साल आपने अफीम को छोड़ कर तमाम जावक माल का महसूल माफ कर दिया। आपके समय में चित्तौड़ से लगा कर उदयपुर…

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महाराणा प्रताप सिंह

महाराणा प्रताप सिंह का इतिहास – महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई

सन्‌ 1572 में महाराणा प्रताप सिंह जी मेवाड़ के महाराणा हुए। इस समय महाराणा के पास न तो पुरानी राजधानी ही थी न पुराना सैन्य दल और न कोष ही था। महाराणा प्रताप सिंह रात दिन इसी चिन्ता में रहने लगे कि चितौड़ का उद्धार किस तरह किया जाय। ये इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि सम्राट अकबर की सेना और शक्ति…

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महाराणा विक्रमादित्य

महाराणा विक्रमादित्य का इतिहास

महाराणा विक्रमादित्य महाराणा सांगा के पुत्र थे, और महाराणा रतन सिंह द्वितीय के भाई थे, महाराणा रतन सिंह द्वितीय की मृत्यु के पश्चात और अपने पुत्र को फांसी पर चढ़ाने के बाद महाराणा रतन सिंह द्वितीय के अब कोई पुत्र न बचा था, अतएवं उनके भाई महाराणा विक्रमादित्य सन् 1531 में राज्य सिंहासन पर बैठे। इस समय इनकी उम्र 14 वर्ष थी। इनके शासन-काल…

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महाराणा रतन सिंह द्वितीय

महाराणा रतन सिंह द्वितीय का इतिहास

महाराणा संग्रामसिंह (सांगा) के बाद उनके पुत्र महाराणा रतन सिंह द्वितीय राज्य-सिंहासन पर बैठे। आपमें अपने पराक्रमी पिता की तरह वीरोचित गुण भरे पड़े थे। रणक्षेत्र ही को आप अपनी प्रिय वस्तु समझते थे। आपने चित्तौड़गढ़ के दरवाजे खुले रखकर लड़ने का प्रण किया था। इन्होंने आमेर के राजा पृथ्वीराज की पुत्री के साथ गुप्त विवाह किया था। स्वयं पृथ्वीराज को यह बात मालूम…

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महाराणा सांगा

महाराणा सांगा का इतिहास – राणा सांगा का जीवन परिचय

महाराणा सांगा का इतिहास जानने से पहले तत्कालीन परिस्थिति जान ले जरूरी है:-- अजमेर के चौहानों, कन्नौज के गहरवालों और गुजरात के सोलंकियों का पतन होते ही मेवाड़ में गुहिलोत और मारवाड़ में राठोड़ हिन्दुस्तान के राजनैतिक गगन पर चमकने लगे। इनके चमकने से सारी राजपूत जाति में पुनः नवजीवन का संचार होने लगा। इधर दिल्ली में अफगानों की शक्ति दिन प्रति दिन घटने…

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महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा का इतिहास और जीवन परिचय

राणा मोकल के बाद उनके पुत्र महाराणा कुम्भा ने मेवाड़ के गौरवशाली राज्य-सिंहासन को सुशोभित किया। मेवाड़ के जिन महापराक्रमी राणाओं ने अपने अपूर्व वीरत्व, अद्वितीय स्वार्थत्याग आदि दिव्यगुणों से भारतवर्ष के इतिहास को उज्ज्वल किया है, उनमें महाराणा कुम्भाका आसन सर्वोपरि है। उन्होंने जो जो महान विजय प्राप्त की हैं, उनका न केवल मेवाड़ के इतिहास में, वरन भारतवर्ष के इतिहास में बड़ा…

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रावल जैत्रसिंह

रावल जैत्रसिंह का इतिहास और जीवन परिचय

रावल जैत्रसिंह मेवाड़ के राजा मंथनसिंह के पौत्र और पद्मसिंह के पुत्र थे। प्राचीन शिलालेखों में जैत्रसिंह के स्थान पर जयतल, जयसल, जयसिंह और जयतसिंह आदि इनके नाम भी मिलते हैं। भाटों की ख्यातों में उनका नाम जैतसी या जैतसिंह मिलता है। वे बड़े प्रतापी राजा हुए। उन्होंने अपने आस-पास के हिन्दू राजाओं तथा मुसलमानों से कई युद्ध किये। उनके समय के वि० सं०…

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सरदार चूड़ावत

सरदार चूड़ावत की वीरता और बलिदान की कहानी

मेवाड़ के महाराणा राजसिंह के वीर सेनापति सरदार चूड़ावत की वीरता से कौन परिचित नहीं। उनका त्याग, बलिदान और वीरता भरी कहानी राजस्थान में विख्यात है। उन्होंने अपने जीवन में दूसरों की सेवा, सहायता व बलिदान को अपने सुखों की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण समझा । वे हमेशा कांटों के मार्गे पर चलने को तत्पर रहते थे। दु:खों से आलिंगन करने में आनन्द समझते थे। …

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वीर दुर्गादास राठौड़

वीर दुर्गादास राठौड़ का परिचय और वीरता की कहानी

वीर दुर्गादास राठौड़ कोई बादशाह या महाराजा पद पर आसीन नहीं थे। वे तो मारवाड़ के एक साधारण जागीरदार थे। वे अपनी वीरता, त्याग और कुशलता के बल पर इतिहास में प्रसिद्ध हो गये तथा यवन शासकों पर अमिट छाप छोड़ दी। उन दिनों महाराज यशवन्त सिंह मारवाड़ के शासक थे। वीर दुर्गादास इन्हीं महाराजा के कुशल सेनापति थे। महाराज की सेवा में रहकर…

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अमरसिंह राठौर

अमरसिंह राठौर का निशान न चूकता तो शाहजहां ताजमहल नहीं बना पाता

तलवार के धनी अमरसिंह राठौर को आज कौन नहीं जानता ? इन्होंने अपनी वीरता की धाक मुगल बादशाह पर पूरी तरह से, स्थायी रूप से जमा दी थी। आज भी देश के नवयुवक कलाकार रंगमंच पर वीर अमरसिंह राठौर की याद ताजा कर देते है। यद्यपि वे शाहजहां के दरबारी थे । कन्तु स्वाभिमानी व्यक्ति थे अपना अपमान कभी सहन नहीं कर पाते थे।…

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महाराणा अमरसिंह

महाराणा अमरसिंह की वीरता और साहस की कहानी

जिस प्रकार मातृभूमि के सपूत स्वतन्त्रता के महान पुजारी आजादी के दीवाने महाराणा प्रताप ने जीवन पर्यन्त अकबर बादशाह से लोहा लिया और मेवाड़ को स्वतन्त्र कराने दृढ़ प्रतिज्ञा की उसी प्रकार अपने पिता की भांति दृढ़ प्रतिज्ञ महाराणा अमरसिंह ने जहांगीर से डटकर मुकाबला किया। ऐसी राजपूत वीरों की कहानियां जब पढ़ने या सुनने को मिलती है तो बलिदान, त्याग और वीरता से…

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई और वीरता की कहानी

पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के सूर्य जिन्होंने अपनी वीरता व पौरुष के बल पर अजमेर से दिल्ली तक विजय-पताका को फहराया। कहा जाता है कि चौहान अग्निवंशीय क्षत्रिय है, जिनकी उत्पत्ति राक्षसों को नष्ट करने के लिये वशिष्ठ॒ जी के अग्निकुण्ड से हुई थी। महाराजा पृथ्वीराज चौहान के पिता का नाम सोमेश्वर था। महाराजा सोमेश्वर अपने समय के बड़े प्रतापी राजाओं में से थे।…

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महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप की वीरता और साहस की कहानी

“जिस राज़पूत ने मुगल के हाथ में अपनी बहन को दिया है, उस मुगल के साथ उसने भोजन भी किया होगा, सूर्यवंशीय बप्पा रावल का वंशधर उसके साथ भोजन नहीं कर सकता।” ये शब्द थे राजा मान सिंह को महाराणा प्रताप के। राजा मान इस अपमान को सहन नहीं कर सके। वे तुरन्त दिल्ली की ओर चल पड़े और उन्होंने बादशाह अकबर से महाराणा प्रताप…

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महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा की वीरता और साहस की कहानी

“आइये, हम सब स्वदेश और स्वधर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बाजी पर लगा दें। हमें राजपूत रमरिणयों के दूध की परीक्षा देनी है। भगवान एकलिंग का आशीर्वाद हमारे साथ है।” महाराणा कुम्भा ने गुजरात व मालवे के सामूहिक आक्रमण का मुकाबला करने के लिये भेवाड़ के वीरों इन शब्दों से प्रोत्साहित किया था। महाराणा कुम्भा की गणना मेवाड़ के महान शासकों…

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