राजा महेन्द्र के बाद उनके पुत्र कालभोज, (बप्पा रावल का मूल नाम) जो बप्पा रावल के नाम से प्रसिद्ध हैं, राज्यासीन हुए। यह बड़े प्रतापी और पराक्रमी थे। इनके सोने के सिक्के चलते थे।अनेक संस्कृत शिलालेखों तथा पुस्तकों में बप, बैप्पक' बप्प' बप्पक' बाप! बप्पाक' बापा' आदि मिलते हैं। बप्पा रावल के समय का जो स्वर्ण-सिक्का मिला है उससे एक ऐतिहासिक रहस्य का उद्घाटन…