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चौरासी गुंबद कालपी

चौरासी गुंबद कालपी – चौरासी गुंबद का इतिहास

चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर बसी कालपी नगरी के दक्षिणी किनारे पर कालपी उरई रोड पर स्थित है। यह चौरासी गुंबद अत्यन्त प्राचीन है। चौरासी गुंबद कालपी की ऐतिहासिक इमारतों में से एक उल्लेखनीय इमारत है। चौरासी गुंबद का इतिहास चौरासी…

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श्री दरवाजा कालपी

श्री दरवाजा कालपी – श्री दरवाजे का इतिहास

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में कालपी एक ऐतिहासिक नगर है, कालपी स्थित बड़े बाजार की पूर्वी सीमा पर यह श्री दरवाजा स्थित है। यह दरवाजा अपना एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। राजा श्रीचन्द्र की शहादत में बना यह श्री दरवाजा दर्शनार्थियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है। श्री दरवाजा का इतिहास श्री दरवाजा का इतिहास स्पष्ट…

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रंग महल कालपी

रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल

उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो आज भी बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बादशाह बीरबल की न्याय प्रियता व विनोदी स्वभाव की स्मृति दिलाता है। बीरबल का रंग महल कालपी के ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इसे बीरबल का किला या बीरबल का महल के नाम से…

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गोपालपुरा का किला जालौन

गोपालपुरा का किला जालौन – गोपालपुरा का इतिहास

गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद की कोंच तहसील में स्थित है। जनपद के उत्तरी पश्चिमी कोने पर पहूज नदी के किनारे अपनी अपूर्व-छटा बिखेरता हुआ यह किला जनपद मुख्यालय उरई से पश्चिम की ओर जनपद के वृहदतम ग्राम बंगरा से होते हुए मात्र 44कि०मी० की दूरी पर अपने भग्नावशेषों…

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रामपुरा का किला

रामपुरा का किला और रामपुरा का इतिहास

जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य केन्द्र रामपुरा में स्थित यह रामपुरा फोर्ट निश्चित ही एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहर है। जो आज तक क्षत्रियों के राजवंशीय कछवाहा जो रामदेव के समकालीन थे, के संघर्ष साहस शौर्य का प्रतीक है तथा तत्कालीन भवन निर्माण कलाका उत्कृष्ट नमूना प्रदर्शित करता है। …

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जगम्मनपुर का किला

जगम्मनपुर का किला – जगम्मनपुर का इतिहास

उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह किला स्थित है जोकि जगम्मनपुर का किला के नाम से जाना जाती है। जगम्मनपुर का इतिहास देखें तो पता चलता है कि यह किला राजा जगम्मनशाह द्वारा 1593 ई० में उस समय बनवाया गया था जब उनका कनार स्थित किला ध्वस्त हो गया था।…

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तालबहेट का किला

तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी

तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील दूर है तथा इस स्थल में एक रेलवे स्टेशन भी है इसका नामकरण ताल अथवा सरोवर के नाम हुआ है। यहाँ पर झील की आकृति का एक सरोवर है इस सरोवर से गाँव के लोग सिचाई किया करते है। इस क्षेत्र के लोग गौंडवानी…

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कुलपहाड़ का किला

कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल

कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक शहर है। 11 फरवरी 1995 से पहले कुलपहाड़ हमीरपुर जिले की एक तहसील थी। 11 फरवरी 1995 को महोबा जिले को हमीरपुर से अलग कर बनाया गया था, और कुलपहाड़ अब महोबा जिले का एक हिस्सा है। कुलपहाड़ भी एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है तथा…

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पथरीगढ़ का किला

पथरीगढ़ का किला किसने बनवाया – पाथर कछार का किला का इतिहास इन हिन्दी

पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के सन्दर्भ में जगनिक द्वारा रचित अल्हाखण्ड में षिद वर्णन उपलब्ध होता है। पथरीगढ़ का किला एक छोटी सी पहाडी पर है और परकोटे से घिरा हुआ है तथा इसमें प्रवेश करने के लिये कई प्रवेश द्वार है, तथा दुर्ग के अंदर अनेक आवासीय महल…

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धमौनी का किला

धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास

विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र की भूमि बहुत उपजाऊ है। किले के पूर्व में एक भयानक खाड़ी है। किले की दीवारें बहुत आकर्षक और अच्छी स्थिति में हैं। पूरे किले के घेरे के अंदर कुछ न कुछ अनोखा देखने को मिलता है। इस जगह की सुंदरता का आनंद लेने…

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बिजावर का किला

बिजावर का किला किसने बनवाया – बिजावर का इतिहास इन हिन्दी

बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का इतिहास गौंडों और बुंदेलों की शौर्यपूर्ण गाथा साक्षी रहा है। बिजावर में एक किला देखने को मिलता है। जिसे बिजावर का किला या जटाशंकर का किला भी कहते है। किले के समीप स्थित प्राचीन जटाशंकर मंदिर के कारण जटाशंकर का किला नाम पड़ गया…

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बटियागढ़ का किला

बटियागढ़ का किला किसने बनवाया – बटियागढ़ का इतिहास इन हिन्दी

बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। वर्तमान समय में बटियागढ़ दुर्ग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, किन्तु उसके भग्नावशेष यहाँ आज भी मौजूद है। जो पिकनिक और इतिहास में रूची रखने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। बटियागढ़ का किला - बटियागढ़ किले का इतिहास…

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राजनगर का किला

राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी

राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा गाँव है। छतरपुर रियासत के तहत अठारहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान गांव एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र था। यह पन्ना के पास और महोबा खुजराहो मार्ग से जुड़ा हुआ है। हमहराज पुल मलहरा और बारीगढ़ से इस किले तक पहुंचा जा सकता है। …

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पन्ना का किला

पन्ना का इतिहास – पन्ना का किला – पन्ना के दर्शनीय स्थलों की जानकारी हिन्दी में

पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्‍ना को अपने राज्य की राजधानी बनाया और यहीं पर एक किले का निर्माण किया। पन्‍ना का प्राचीन नाम "परना" है। पन्‍ना नगर के पश्चिम में किल-किला नदी दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। इस नदी के बाये तट पर श्री पदमा देवी…

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सिंगौरगढ़ का किला

सिंगौरगढ़ का किला किसने बनवाया – सिंगौरगढ़ का इतिहास इन हिन्दी

मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का एक पहाड़ी किला है, जो एक वन क्षेत्र की पहाड़ियों में फैला हुआ है। यह जबलपुर शहर से लगभग 45 किमी दूर दमोह शहर के रास्ते में है। यह एक शानदार और ऐतिहासिक किला मध्य भारत के गौंड शासकों का निवास स्थान था, जो…

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छतरपुर का किला

छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – छतरपुर का इतिहास की जानकारी हिन्दी में

छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह बुंदेली वास्तुकला शैली में निर्मित है। यह एक निवास के रूप में इस्तेमाल किया गया था और साथ ही, एक रक्षात्मक किले के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था। ब्रिटिश राज के तहत, किले का उपयोग स्थानीय प्रशासनिक मुख्यालय के रूप…

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चंदेरी का किला

चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर से 37 किमी और ईसागढ़ से लगभग 45 किमी और मुंगोली से 38 किमी की दूरी पर स्थित है। यह बेतवा नदी के दक्षिण-पश्चिम में एक पहाड़ी पर स्थित है। बड़ी संख्या में यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। …

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ग्वालियर का किला

ग्वालियर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – ग्वालियर का इतिहास व दर्शनीय स्थल

ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग परिक्षेत्र में उपलब्ध जैन तीर्थाकंरों की प्रतिमाये इस बात को सिद्ध करती है, कि ग्वालियर का धार्मिक महत्व अति प्राचीन है। पहले यह क्षेत्र गुप्तों के अधिकार में था बाद में यह क्षेत्र हर्ष वर्धन और कछवाहों के अधिकार में आ गया। कछवाहा नरेशो…

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बड़ौनी का किला

बड़ौनी का किला किसने बनवाया – बड़ौनी का इतिहास व दर्शनीय स्थल

बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जो दतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यंहा पर बहुत ही प्रसिद्ध हवेली है जंहा बुन्देलखण्ड के प्रतापी राजा वीर सिंह जू देव का राज्याभिषेक हुया था यहां बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित गुप्तकालीन मंदिर बने हुए हैं। साथ ही यह स्थान बुन्देली शैली में बने किले और हवेलियों के…

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दतिया महल या दतिया का किला

दतिया का इतिहास – दतिया महल या दतिया का किला किसने बनवाया था

दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां एक किला तथा उसके कुछ भग्नावशेष देखने को मिलते है। जिसे दतिया का किला या दतिया महल के नाम से स्थानीय लोगों द्वारा पुकारा जाता है। दतिया का इतिहास जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि यहाँ पहले बक्रदन्त नामक दैत्य…

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चौरासी खंभा कालपी का किला

कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी

कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई से कालपी की दूरी 35 किलोमीटर है, तथा यहाँ रेलवे स्टेशन भी है। यह स्थल जालौन राठ हमीरपुर से सडक मार्ग पर जुड़ा हुआ है तथा यह यमुना नदी के तट पर बसा है। कालपी का इतिहास प्रचलित जन कथाओं के अनुसार…

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उरई का किला और माहिल तालाब

उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी

उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। कानपुर से यह 109 किलोमीटर की दूरी पर और झाँसी से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस नगर में दक्षिणी किनारे की एक पहाडी पर नई बस्ती स्थित है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक प्राचीन सरोवर और नहरे है।…

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एरच का किला

एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में

उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या स्थल झाँसी से 46 मील उत्तर पूर्व और गरौठा से 22 मील दूर है। यह स्थल गरौठा से पुन्छ मार्ग पर स्थित है यहाँ पर एक प्राचीन दुर्ग है जिसका पुरातात्कि महत्व है। जिसको एरच का किला के नाम से जाना जाता है। वर्तमान…

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चिरगाँव का किला

चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास

चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील दूर झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। इसी चिरगांव में यह किला स्थित है, जिसे चिरगांव का किला कहा जाता है। चिरगांव का किला का इतिहास बुन्देलो के शासन काल में यह प्रशासन का मुख्यालय था, और बुन्देलों को इस समय…

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गढ़कुंडार का किला

गढ़कुंडार का किला का इतिहास – गढ़कुंडार का किला किसने बनवाया

गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच जंगल में काले पत्थरों से निर्मित है। तथा किला एक पहाडी पर है यह किला बहुत सुदृढ़ है और एक चौकोर पहाड़ी पर स्थित है। किले के ऊपर से मैदानी भाग का दृश्य बहुत सुन्दर दिखलाई देता है। अक्सर इस किले में यात्रीगण और…

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बरूआ सागर का किला

बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया

बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर स्थित हैं। झांसी से बरूआसागर की दूरी 19 किलोमीटर है। बरूआ सागर रेलवे स्टेशन से बरूआ सागर का किला दो मील दूर है। बरूआसागर का इतिहास बरूआ सागर एक ऐतिहासिक स्थल है। इस स्थल पर सन्‌ 1744 में पेशवा की सेनाओं का…

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मनियागढ़ का किला

मनियागढ़ का किला – मनियागढ़ का किला किसने बनवाया था तथा कहाँ है

मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ आल्हाखण्ड में मनियागढ़ किले का विस्तृत वर्णन मिलता है। मनियागढ़ दुर्ग चन्देल कालीन है। और केन नदी के तट पर एक पहाडी पर बना हुआ है। इसी दुर्ग पर चन्देलों की कुल देवी मनिया देवी का मन्दिर बना हुआ है। तथा सामरिक दृष्टि से…

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मंगलगढ़ का किला

मंगलगढ़ का किला किसने बनवाया था – मंगलगढ़ का इतिहास हिन्दी में

मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यह हमीरपुर से 106 किलोमीटर दूर और महोबा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यह स्थान मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत आता है। मंगलगढ़ दुर्ग के नीचे पहाड़ी की तलहटी में बसी बस्ती चरखारी के नाम से विख्यात है इसका पुराना नाम महराज नगर था। मंगलगढ़…

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जैतपुर का किला या बेलाताल का किला

जैतपुर का किला या बेलाताल का किला या बेलासागर झील हिस्ट्री इन हिन्दी,

जैतपुर का किला उत्तर प्रदेश के महोबा हरपालपुर मार्ग पर कुलपहाड से 11 किलोमीटर दूर तथा महोबा से 32 किलोमीटर दूर और हमीरपुर से 117 किलोमीटर दूर है। यहाँ झाँसी मानिकपुर मार्ग पर एक रेलवे स्टेशन भी है। जिसे बेलाताल के नाम से जाना जाता है। यह जैतपुर से 3 किलोमीटर दूर है। जैतपुर किले को बेलाताल का किला या बेलासागर का किला के नाम…

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सिरसागढ़ का किला

सिरसागढ़ का किला – बहादुर मलखान सिंह का किला व इतिहास हिन्दी में

सिरसागढ़ का किला कहाँ है? सिरसागढ़ का किला महोबा राठ मार्ग पर उरई के पास स्थित है। तथा किसी युग में यह दुर्ग चन्देल शासकों के अधिकार में था। किन्तु जब पृथ्वीराज चौहान ने महोबा क्षेत्र पर विजय प्राप्त कर ली उस समय सिरसागढ़ पृथ्वीराज चौहान के हाथो में चला गया। इस दुर्ग की रक्षा के लिये मलखान सिंह नाम का एक बहादुर सैनिक रहा…

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महोबा का किला

महोबा का किला – महोबा दुर्ग का इतिहास – आल्हा उदल का महल

महोबा का किला महोबा जनपद में एक सुप्रसिद्ध दुर्ग है। यह दुर्ग चन्देल कालीन है इस दुर्ग में कई अभिलेख भी उपलब्ध होते है। इन अभिलेखो में चन्देलवशांवली नन्‍नुक देव से लेकर परमार्दिदेव तक की उपलब्धि होती है। अभी तक यह सुनिश्चित नहीं हो पाया कि इस दुर्ग का वास्तविक निर्माणकर्ता कौन था। यह दुर्ग मानिकपुर झाँसी मार्ग पर महोबा मुख्यालय से कुछ दूर विजय…

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Read more about the article कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास
कल्याणगढ़ का किला मंदिर व बावली

कल्याणगढ़ का किला मानिकपुर चित्रकूट उत्तर प्रदेश, कल्याणगढ़ दुर्ग का इतिहास

कल्याणगढ़ का किला, बुंदेलखंड में अनगिनत ऐसे ऐतिहासिक स्थल है। जिन्हें सहेजकर उन्हें पर्यटन की मुख्य धारा से जोडा जा सकता है। चाहे गुप्तकाल हो, चंदेलकाल हो या फिर मुगलकाल सभी से जुडे हुए ऐतिहासिक स्थल इस इलाके में मौजूद है। ऐसे ही कई स्थल है श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में। फिलहाल इन स्थानों के बारेमें ना तो किसी इतिहासकार ने ठीक ढंग लिखा है…

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भूरागढ़ का किला

भूरागढ़ का किला – भूरागढ़ दुर्ग का इतिहास – भूरागढ़ जहां लगता है आशिकों का मेला

भूरागढ़ का किला बांदा शहर के केन नदी के तट पर स्थित है। पहले यह किला महत्वपूर्ण प्रशासनिक स्थल था। वर्तमान समय में इसका विध्वंश हो चुका है। महाराजा छत्रसाल के शासनकाल से लेकर 1857 की क्रान्ति तक इस दुर्ग का ऐतिहासिक महत्व रहा है। बाँदा का यह दुर्ग बाँदा महोबा मार्ग पर स्थिति है। भूरागढ़ का किला का इतिहास इन हिन्दी …

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Read more about the article रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग
रनगढ़ दुर्ग या जल दुर्ग

रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग

रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग के सन्दर्भ में यह उल्लेख प्राप्त नही होता कि रनगढ़ दुर्ग का निर्माता कौन था। तथा किस शासन काल में इस दुर्ग का निर्माण हुआ। रनगढ़ का किला बांदा जनपद की नरैनी तहसील से मऊ रिसौरा गाँव की सीमा से काफी चलकर केन नदी के…

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Read more about the article खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास
खत्री पहाड़ का दुर्ग व मंदिर

खत्री पहाड़ विंध्यवासिनी देवी मंदिर तथा शेरपुर सेवड़ा दुर्ग व इतिहास

उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में शेरपुर सेवड़ा नामक एक गांव है। यह गांव खत्री पहाड़ के नाम से विख्यात है। जहां विंध्यवासिनी देवी का मंदिर है। इसके अलावा शेरपुर सेवडा में एक प्राचीन दुर्ग भी है। इसका महत्व अति प्राचीनकाल से है महाभारतकाल में यह चेदि देश की राजधानी थी तथा इसका प्राचीन नाम शुक्ति मती नगरी था तथा यहाँ के नरेश का…

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मड़फा दुर्ग

मड़फा दुर्ग के रहस्य – जहां तानसेन और बीरबल ने निवास किया था

मड़फा दुर्ग भी एक चन्देल कालीन किला है यह दुर्ग चित्रकूट के समीप चित्रकूट से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भरतकूप मार्ग पर बरिया मानपुर के समीप दुर्ग एक पहाड़ी पर है। चन्देल शासन काल में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण स्थान था। तथा दुर्ग के भग्नावशेष यहाँ आज भी उपलब्ध होते है। सुरक्षा की दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व था। तथा…

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रसिन का किला

रसिन का किला प्राकृतिक सुंदरता के बीच बिखरे इतिहास के अनमोल मोती

रसिन का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले मे अतर्रा तहसील के रसिन गांव में स्थित है। यह जिला मुख्यालय बांदा से 48 किलोमीटर की दूरी पर है। तथा बांदा कर्बी मार्ग पर यह रसिन फोर्ट बदौसा के निकट कल्याणपुर मार्ग पर स्थित है। चंदेलों के युग में यहां एक बड़ा नगर था क्योंकि यहां पर अनेक भवनों के भग्नावशेष मिलते तथा अनेक तालाब भी…

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अजयगढ़ का किला

अजयगढ़ का किला किसने बनवाया था व उसका इतिहास अजयगढ़ की घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य

अजयगढ़ का किला महोबा के दक्षिण पूर्व में कालिंजर के दक्षिण पश्चिम में और खुजराहों के उत्तर पूर्व में मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थित है जो बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह किला चंदेल राज्य के अतंर्गत रहा है। तथा प्राचीन काल में यह क्षेत्र चेंदि जनपद का एक भाग था। इस क्षेत्र का विस्तार पश्चिम में बेतवा नदी तक पूर्व मे विंध्याचल…

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कालिंजर का किला

कालिंजर का किला – कालिंजर का युद्ध – कालिंजर का इतिहास इन हिन्दी

कालिंजर का किला या कालिंजर दुर्ग कहा स्थित है?:--- यह दुर्ग बांदा जिला उत्तर प्रदेश मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर बांदा-सतना रोड़ पर कालिंजर पहाड़ी पर स्थित है। यह भारत का प्राचीन किला है। इस किले की प्रसिद्धि हर युग मे रही है। सतयुग में यह रत्नकूट, त्रेता युग में महागिरि, द्वापरयुग में पिंगलगिरि, तथा कलयुग में यह क्षेत्र कालिंजर के नाम से प्रसिद्ध हुआ…

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ओरछा दर्शनीय स्थलो के सुंदर दृश्य

ओरछा का किला – ओरछा दर्शनीय स्थल – ओरछा के टॉप 10 पर्यटन स्थल

शक्तिशाली बुंदेला राजपूत राजाओं की राजधानी ओरछा शहर के हर हिस्से में लगभग इतिहास का जादू फैला हुआ है। ओरछा दर्शनीय स्थल व स्मारक पर्यटकों को अपने समृद्ध अतीत में अंतर्दृष्टि देने के लिए ऐतिहासिक स्पर्श बनाए रखते हैं। ओरछा शहर जहां बसा हुआ है वह स्थान पहाड़ियों और सुन्दर हरियाली के साथ सुरम्य छटा बिखेरता है जो इसे ओरछा पर्यटन को सही बनाने…

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