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महाराजा भूपेन्द्र सिंह पटियाला

महाराजा भूपेन्द्र सिंह का जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा राजेन्द्र सिंह जी के देहान्त के समय महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी नाबालिग थे। अतएव आप पटियाला की राज-गद्दी पर बिठाये गये और राजकार्य चलाने के लिये एक कौंसिल स्थापित की गई। महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी का जन्म सन् 1891 में हुआ था। लाहौर के एटकिन्सन चीफ कॉलेज में आपने शिक्षा पाई। आपकी नाबालिगी में रिजेंसी कौन्सिल द्वारा राज्य कार्य चलता रहा। सन् 1903 के…

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महाराजा महेन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा महेन्द्र सिंह और महाराजा राजेन्द्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा नरेंद्र सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्‌ आपके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा महेन्द्र सिंह जी 10 वर्ष की अवस्था में पटियाला की राजगद्दी पर बैठे। आपका 26 वर्ष का उम्र में देहान्त हो गया। आपके शासन-काल में सरहिन्द नामक नहर निकालने का काम शुरू हुआ। आपने इस नहर के बनवाने में 12300000 रुपये प्रदान किय थे। कूका- विद्रोह दमन करने में आपने ब्रिटिश सरकार को…

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महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला परिचय और इतिहास

महाराजा करम सिंह के पश्चात्‌ आपके पुत्र महाराजा नरेंद्र सिंह जी पटियाला रियासत पर राज्यासन हुए। आपने ब्रटिश सरकार के साथ दृढ़ मित्रभाव रखा। द्वितीय सिक्ख-युद्ध में आपने ब्रिटिश सरकार को 3000000 रुपया कर्ज दिया था। आपने अपनी सेना भी युद्ध में भेजने का अभिवचन दिया था, किन्तु ब्रिटिश सरकार को उसकी आवश्यकता न हुई। सन् 1857-58 में आपने ब्रिटिश सरकार को जितनी सहायता दी थी,…

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महाराजा करम सिंह

महाराजा करम सिंह पटियाला का परिचय और इतिहास

महाराजा साहिब सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्‌ महाराजा करम सिंह जी पटियाला रियासत के राज्यासन पर बैठे। उन्होंने सन् 1798 से सन् 1845 तक पटियाला राज्य पर शासन किया। श्रीमान महाराजा करम सिंह पटियाला रियासत के चौथे महाराजा थे। वे बड़े वीर बुद्धिमान और सहासी नरेश थे। राजा करम सिंह का विवाह कुरूक्षेत्र के सिख सरदार भांगा सिंह की पुत्री से हुआ था, जिनका…

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महाराजा साहिब सिंह पटियाला

महाराजा साहिब सिंह पटियाला जीवन परिचय और इतिहास

राजा अमरसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र महाराजा साहिब सिंह जी पटियाला रियासत की गद्दी पर बैठे। इस समय उनकी उम्र 6 वर्ष की थी। महाराजा साहिब सिंह जी के गददीनशीन होने पर सम्राट शाहआलम ने आपको “महाराजा” का खिताब बख्शा। दीवान नन्‍नूमल ने साहिब सिंह जी की नाबालिगी में कुछ दिनों तक बढ़ी चतुराई से राज्य कार्य किया। इनका जनता पर बड़ा प्रभाव…

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महाराजा अमरसिंह पटियाला

महाराजा अमरसिंह पटियाला का परिचय और इतिहास

राजा आला सिंह के बाद उनके पौत्र महाराजा अमरसिंह पटियाला रियासत की गद्दी पर बिराजे। आपमें एक योग्य शासक और वीर सिपाही के गुण विद्यमान थे। सन् 1767 में जब अहमदशाह अब्दाली अंतिम बार पंजाब में आया तब उसने राजा अमरसिंह जी को राज्य राजवान की पदवी प्रदान की। सन् 1766 में राजा अमरसिंह ने मालेरकोटला के नरेश पायल और इशरू नामक स्थान जीत लिए।…

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राजा आला सिंह पटियाला रियासत

राजा आला सिंह का जीवन परिचय और इतिहास

पटियाला रियासत की स्थापना 18 शताब्दी हुई थी। पटियाला रियासत के संस्थापक राजा आला सिंह जी थे। इस राजवंश के मूल पुरुष की उत्पत्ति जैसलमेर राजवंश से हुई थी। उन्होंने दिल्ली के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय में जैसलमेर छोड़कर हिसार, सिरसा और भटनेर के आसपास के प्रदेश में पर्दापण किया। कुछ शताब्दियां बीत जाने पर उनके खेवा नामक एक वंशज ने…

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महाराजा गंगा सिंह

महाराजा गंगा सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजे। महाराजा गंगा सिंह का जन्म सन्‌ 1880 की 3 अक्टूबर को हुआ था। आप राठौड़ राजपूत थे तथा स्वर्गीय महाराजा डूंगरसिंह जी के ग्रहीत पुत्र थे। महाराजा गंगा सिंह तथा स्वर्गीय महाराजा भाई भाई थे। आप महाराज लाल सिंह के पुत्र थे। सन्‌ 1887 की 31 वीं अगस्त…

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महाराजा डूंगर सिंह बीकानेर राज्य

महाराजा डूंगर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा सरदार सिंह जी की पुत्रहीन अवस्था में मृत्यु होने से बीकानेर का राज्य-सिंहासन सूना हो गया। इसी कारण से ब्रिटिश गवनमेंंट की आज्ञानुसार मंत्रि-मण्डल की सृष्टि करके उसके हाथों में शासन का भार सोंपा गया। प्रधान राजनैतिक कर्मचारी इस मंत्रि-मण्डल के सभापति होकर राज्य करने लगे। इस प्रकार कुछ काल तक राज्य-कार्य चलने के पश्चात्‌ राजरानी और सामन्तों ने नवीन महाराज नियुक्त करने…

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महाराजा सरदार सिंह बीकानेर

महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास

महाराजा रत्नसिंह जी के स्वर्गवासी हो जाने पर सन् 1852 में उनके पुत्र महाराजा सरदार सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजमान हुए। महाराजा सरदारसिंह ने सन् 1852 से सन् 1872 तक बीकानेर राज्य पर शासन किया। आपके राज्याभिषेक के समय से बीकानेर की राज्य-शक्ति मानो क्रमश: हीन होने लगी थी। जो बल, विक्रम, शूरता, साहस आदि गुण राठौर राजाओं के भूषण थे, वे…

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