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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति का महत्व – मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं

सभी भारतीय त्यौहार धर्म और जीवनदर्शन पर आधारित है। जीवन मनुष्य का हो अथवा किसी अन्य प्राणी का, उसके लिए प्रकृति की शक्तियां कार्यरत हैं। हमारे ऋषियों-मुनियों ने जीवन को सुखी बनाने के लिए अपने अनुभवों के आधार पर कुछ नियम बनाये हैं, जिनके अनुपालन के लिए त्यौहारों, कर्मकाण्डो की कल्पना की गयी है। कर्मकाण्ड, जिन्हें हम अब अन्धविश्वास कहने लगे है। जीवन को सुखी,…

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भाई दूज

भाई दूज की कहानी – भाई दूज का पर्व क्यों मनाया जाता है

लोक में भाई-बहन के प्रेम को अप्रतिम बनाने के लिए रक्षाबंधन और भाई दूज दो पर्व बनाये गये है। रक्षाबंधन आवणी पूर्णिमा को होता है, तो भाई दूज चैत्र मास मे होलिका दहन के बाद चैत्रवदी द्वितीया को और फिर दीपावली के बाद कार्तिक वदी द्वितीया को व्रतोत्सव के साथ सम्पन्न होता है। इस अवसर पर बहिनें भाईयों को बुलाकर उनको तिलक लगाती, मिठाई…

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पितृ पूजा

पितृ पूजा कैसे करें – पितृ पूजा का महत्व

हमारा देश पुनर्जन्म मे विश्वास करता है, इसीलिए हम प्रार्थना करते है कि इस जन्‍म मे जो माता-पिता हमे प्राप्त हुए है वे अगले जन्म मे भी प्राप्त हो। इसी को पितृ पूजा कहते हैं। कितने सात्विक और उदार विचार है ये कि चाहे जैसे भी माता-पिता रहे हो, हम उन्ही को अगले जन्म मे भी पाने अथवा उन्हे मोक्ष दिलाने की कामना करते…

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काशी के मेले

काशी का मेला – काशी विश्वनाथ के मेले

काशी ()(वाराणसी) पूर्वांचल की सबसे बडी सांस्कृतिक नगरी है। कहते है यह शिवजी के त्रिशूल पर बसी है तथा अक्षय है। यह महातीर्थ है। यहां मरने पर मुक्ति मिलती है- “काश्या मरणा मुक्ति”।गंगा-तट पर स्थित अब यह महानगरी है। विद्या का केन्द्र है। अतः यहां अगणित तीर्थ मंदिर तथा पवित्र स्थल है। यहां समय-समय पर तीर्थ यात्रियों की भारी भीड एकत्र हो जाती है,…

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लोहंदी महावीर मंदिर

लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

श्रावण मास के प्रत्येक शनिवार को लोहंदी महावीर का मेला लगता है। वैसे प्रत्येक मगलवार को भी सैकडो दर्शनार्थी भक्तगण लोहंदी महावीर जी के दर्शन के लिए जाते है। प्रत्येक रविवार को वदी के दिन भी तफरी के लिए सेठ-साहुकार तथा भावुकजन लोहंदी महावीर मंदिर जाकर लिट्टी-बाटी का आयोजन करते है। यह स्थान मिर्जापुर जिला मुख्यालय नगर से दक्षिण मे लगभग पांच किमी पड़ता…

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कजरी तीज

कजरी तीज कब मनाते हैं – कजरी के गीत – कजरी का मेला

कजरी तीज पूर्वांचल का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है, कजरी पर्व के अवसर मिर्जापुर और आसपास के जिलों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज के अवसर पर जगह जगह मेले भरते है। कला जीवन की अनिवार्यता है तो लोककला लोकजीवन की। चौसठ कलाओ में अधिकतर लोककलाए ही है। काव्यकला ललित होने के कारण उत्तम कला है। कजरी लोक-काव्य-कला है। इसमे साहित्य, संगीत…

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ओझला पुल

ओझला मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश – ओझला पुल

ओझला पुण्यजला का बिगड़ा हुआ रूप है। यह एक नाला है जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नगर से पश्चिम विंध्याचल से एक किमी, पूर्व स्थित है। इसका जलस्त्रोत विंध्य की पहाडियां है। यही पर इसकी धारा गंगा जी में उत्तर वाहिनी होकर विलीन हो जाती है। गंगा जी मे मिलने के कारण इसका नाम पुण्यजला हो गया है। इसके बारे में कहा…

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सुरियावां का मेला

सुरियावां का मेला – भोरी महजूदा का कजरहवा मेला

सुरियावां उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही जिले में एक नगर है। यहां भोरी महजूदा में हल षष्ठी व्रत के अवसर पर सावन में कजरी के बाद वाले गुरुवार को यह मेला लगता है। आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व घिनहू शर्मा नामक व्यक्ति अपने घर हमहा-हडिया से अपनी ससुराल भोरी आया। गांव की कुमारियों ने उसे कजरी गाकर सुनाने को कहा।उसने असमर्थता व्यक्त की, लेकिन…

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देवलास मंदिर

देवलास का मेला – देवलास धाम में उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में लगने वाला देवलास का मेला बहुत मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि देवलास नामक स्थान पर देवल मुनि ने तपस्या की थी। यह भी जनश्रुति है कि महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम जब अयोध्या से जा रहे थे तो यही महर्षि देवल के आश्रम पर विश्राम किया था। इस तरह इस मेले का पौराणिक महत्व हो जाता है।…

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सेमराध नाथ का मेला

सेमराध नाथ का मेला – सेमराध धाम मंदिर भदोही

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में जगीगंज-शेरशाह सूरी मार्ग से गंगा-घाट पर सेमराध नाथ का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इसी सेमराध नाथ मंदिर पर शिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है। जिसे सेमराध नाथ का मेला कहां जाता है, जिसमें भक्तों की काफी भीड़ होती है। सेमराध नाथ मंदिर का महत्व …

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