शिवपुराण में वर्णित है कि भूतभावन भगवान शंकर प्राणियो के कल्याण के लिए तीर्थ स्थानो में लिंग रूप में वास करते है। जिस जिस पुण्य स्थान में भक्तजनो ने उनकी अर्चना की उसी उसी स्थान में वे आविर्भूत हुए। साथ ही वे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए अवस्थित हो गए। यू तो शिवलिंग असंख्य है फिर भी इनमें द्वादश ज्योतिर्लिंग सर्वप्रधान है।…