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संत तुकाराम जी

संत तुकाराम का जीवन परिचय और जन्म

एक दिन एक किसान अपने खेत से गन्ने कमर पर लाद कर चला। मार्ग में बालकों की भीड़ उसके साथ हो ली। किसान चलता जाता था और बच्चों को गन्ने बाटता जाता था। जब वह घर पहुंचा तो उसके पास केवल एक गन्ना बचा। घरवाली अपने पति के हाथ में सिर्फ एक गन्ना देख भड़क उठी और उसने बिचारे से गन्ना छीन उसकी कमर…

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संत तुलसीदास जी

संत तुलसीदास का जीवन परिचय, वाणी और कहानी

भारतीय संस्कृति के प्राण और विश्व साहित्य के कल्पतरू संत तुलसीदास इस लोक के सुख और परलोक के दीपक हैं। उनके उदय ने धर्म को जीवन दिया, समाज को चेथना प्रदान की, जीवन को सत्य दिये और साहित्य में चार चांद जड़े। संत तुलसीदास जी का जन्म अब से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व श्रावण शुक्ल सप्तमी सम्वत्‌ 1598 में हुआ था और श्रावण…

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भक्त नरसी मेहता जी

भक्त नरसी मेहता की कथा – नरसी मेहता की कहानी

पुण्यभूमि आर्यवर्त के सौराष्ट-प्रान्त (गुजरात) में जीर्ण दुर्ग नामक एक अत्यन्त प्राचीन ऐतिहासिक नगर है, जिसे आजकज जूनागढ़ कहते है। भक्त नरसी मेहता का जन्म लगभग संवत् 1470 में इसी जूनागढ़ में एक प्रतिष्ठित नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कुछ लोगों का मत है कि जूनागढ़ के पास ही तलाजा नामक गांव में भक्त नरसी मेहता का जन्म हुआ था। और बाद में उनका…

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संत हरिदास जी निरंजनी

संत हरिदास का जीवन परिचय – निरंजनी

संत हरिदास एक भारतीय संत और कवि थे, और इन्हें निरंजनी संप्रदाय के संस्थापक के रूप में जाना जाता है,इनका काल जीवन काल सोहलवीं शताब्दी के मध्य से सत्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ तक माना जाता है, यह अपने समय के बड़े प्रतापी साध संत माने जाते हैं, अपने इस लेख में हम इसी महान आत्मा संत हरिदास के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से…

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संत सूरदास जी

संत सूरदास का जीवन परिचय हिंदी में

संत सूरदास जी एक परम कृष्ण भक्त, कवि और साध शिरोमणि 16 वें शतक में हुए जो 31 बरस तक गुसाईं तुलसीदास जी के समकालीन थे। इनको उद्धवजी का अवतार कहते हैं और यह बाल-साध थे। आठ बरस की अवस्था में अपने माता पिता के साथ मथुरा को गये और फिर वहीं एक साथू के पास रह गये। मथुरा से वह गऊघाट आये जो आगरा…

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संत सदना जी प्रतीकात्मक चित्र

संत सदना जी का परिचय

संत सदना जी का समय पंद्रहवीं शताब्दी के आखरी भाग रहा है। संत सदना जी जाति के कसाई थे। यह यद्यपि जाति के कसाई थे। परंतु जीवहिंसा नहीं करते थे मांस इकट्ठा मोल लेकर फुटकर बेचते थे, तराजू के बाट की जगह शालिग्राम की एक बटिया थी उसी से तोला करते थे चाहे कोई पाव भर ले चाहे पांच सैर। एक दिन एक वैष्णव ने…

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दयाबाई का जीवन परिचय और रचनाएं

दयाबाई का जीवन परिचय और रचनाएं

महिला संत दयाबाई जी महात्मा संत चरणदास जी की शिष्य और संत सहजोबाई जी की गुर-बहिन थी। संत चरण दास जी और संत सहजोबाई जी का जीवन परिचय हम अपने पिछले लेखों में लिख चुके हैं। संत दयाबाई मेवात राजस्थान के डेहरा नामी गांव में पैदा हुई जहां कि इनके गुरु महराज ने अवतार धरा था और फिर गुरू जी के साथ दिल्ली जाकर…

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संत सहजोबाई जी

सहजोबाई का जीवन परिचय और रचनाएं

महिला संत सहजोबाई जी राजपूताना के एक प्रतिष्ठित ढूसर कुल की स्त्री थी जो परम भक्त हुई और संत मत के अनुसार साध गति को प्राप्त हुई। संत सहजोबाई का जीवन परिचय हमने भक्तमाल और उस प्रकार की कई पुस्तकों में ढूंढ़ा परन्तु कहीं कुछ प्रमाणिक वृत्तांत नहीं मिलता है। सहजोबाई की वाणी से इतना निश्चय होता है कि वह सम्वत्‌ 1800 में वर्तमान थीं…

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भक्त मीराबाई

मीराबाई का जीवन परिचय और कहानी

मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत और कावित्रि हैं, जिनका सबकुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। मीरा का कृष्ण प्रेम ऐसा था कि वह उन्हें अपना पति मान बैठी थीं। भक्ति की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है। अपने इस लेख में हम इसी परम भक्त मीराबाई का जीवन परिचय और कहानी को जानेंगे मीराबाई का जन्म स्थान, माता पिता…

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बाबा धरनीदास जी

बाबा धरनीदास का जीवन परिचय हिंदी में

बाबा धरनीदास जी जाति के श्रीवास्तव कायस्थ एक बड़े महात्मा थे। इनका जन्म जिला छपरा बिहार राज्य के मांझी नामक गांव में संवत्‌ 1713 विक्रमी में हुआ पर चोला छोड़ने का समय ठीक मालूम नहीं होता। मांझी गाँव सरयू नदी के तट पर उत्तर की ओर बसा है जहां अब एक बड़ा पुल रेलवे का बना है। बाबा धरनीदास का जीवन परिचय हिंदी में…

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संत बुल्ला साहब का जीवन परिचय

संत बुल्ला साहब का जीवन परिचय हिंदी में

संत बुल्ला साहब, संत यारी साहब के गुरुमुख चेले और संत जगजीवन साहब व संत गुलाल साहब के गुरू थे। यह जाति के कुनबी थे और असल नाम इनका बुलाकीराम था। इन्होंने भुरकुंडा गांव जिला गाजीपुर में अपना सतसंग चालू किया जहां इनके बाद संत गुलाल साहब और संत भीखा दास जी भी सतसंग कराते रहे और अब तक वहां तीनों की समाधि भी मौजूद…

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संत यारी साहब का जीवन परिचय

संत यारी साहब का जीवन परिचय हिंदी में

संत यारी साहब के जीवन का परिचय बहुत खोज करने पर भी कुछ अधिक नहीं मिलता है, सिवाय इसके कि वह जाति के मुसलमान थे और दिल्ली में अपने गुरू बीरू साहब की सेवा में रहते थे और उनके चोला छोड़ने पर उसी जगह बने रहकर अपना सतसंग कराने लगे। संत बीरू साहब, संत बाबरी साहब के शिष्य थे और यारी साहब के दादागुरु थे।…

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बाबा मलूकदास जी की प्रतिमा

बाबा मलूकदास का जीवन परिचय, जन्म,गुरू चमत्कार

बाबा मलूकदास जी जिला इलाहाबाद के कड़ा नामक गांव में बैसाख वदी 5 सम्वत्‌ 1631 विक्रमी में लाला सुंदरदास खत्री कक्कड़ के घर प्रकट हुए। जब पांच बरस के हुए तो मकान से बाहर गली में खेला करते थे और खेल के दर्मियान जो कुछ कांटा कुडा करकट गली में पड़ा होता था उसे उठाकर एक कोने में डाल देते कि किसी के पांव…

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संत गुलाल साहब जी

संत गुलाल साहब का जीवन परिचय हिंदी में

संत गुलाल साहब जाति के छत्री थे, और संत बुल्ला साहब के गुरूमुख शिष्य, तथा संत जगजीवन साहब के गुरु भाई, और संत भीखा दास के गुरु थे जैसा कि नीचे दी गई वंशावली से प्रगट होता। इनके जीवन का कुछ हाल नहीं मिलता यद्यपि इनके स्थान सुरकुड़ा जिला गाजीपुर और दूसरी जगहों में खोज की गईं। लेकिन जोकि यह संत जगजीवन साहब के…

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संत भीखा दास जी की प्रतिमा

संत भीखा दास का जीवन परिचय हिंदी में

संत भीखा दास जिनका घरेलू नाम भीखानंद था जाति के ब्राह्मण चौबे थे। जिला आजमगढ़ के खानपुर बोहना नाम के गांव में उन्होंने जन्म लिया उनके जन्म का सही वर्ष अज्ञात है, हां जब उन्होंने परलोक सिधार किया जब उनकी उम्र लगभग पचास वर्ष थी। संत भीखा दास का जीवन परिचय हिंदी में बाल अवस्था ही से उन को परमार्थ और साध…

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संत दरिया साहब मारवाड़ वाले की वाणी

संत दरिया साहब मारवाड़ वाले का जीवन परिचय

संत दरिया साहब मारवाड़ वाले का जन्म मारवाड़ के जैतारण नामक गांव में भादों वदी अष्टमी संवत्‌ 1733 विक्रमी के दिन एक मुसलमान कुल में जन्म हुआ और अगहन सुदी पूनो संवत् 1815 को 82 बरस से अधिक अवस्था में परलोक को सिधारे। उस समय महाराज बख्तसिंह जी मारवाड़ के राजा थे। संत दरिया साहब के बाप माँ जाति के धुनियां थे जैसा कि…

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संत दरिया साहब बिहार वाले

संत दरिया साहब बिहार वाले का जीवन परिचय

परम भक्त सतगुरु संत दरिया साहब जिनकी महिमा जगत प्रसिद्ध है पीरनशाह के बेटे थे। पीरनशाह बड़े प्रतिष्ठित उज्जैन के क्षत्री थे जिनके पुरखा बक्सर के पास जगदीशपुर में राज करते थे। संत दरिया साहब का जन्म मुकाम धरकंधा जिला आरा बिहार में जो डुंमराव से सात कोस दक्षिण है और जहां उनका ननिहाल था हुआ था। संत दरिया साहब के जन्म का साल इनके…

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संत रैदास जी

संत रैदास जी का जीवन परिचय, जन्म, मृत्यु, गुरू आदि जानकारी

संत रैदास जी जाति के चमार एक भारी भक्त थे जिनका नाम हिन्दुस्तान ही नहीं वरन् ओर देशों में भी प्रसिद्ध हैं। यह संत कबीरदास के समय में वर्तमान थे और इस हिसाब से इनका जमाना ईस्वी सन् की चौद॒हवीं सदी ( शतक ) ठहरता हैं। यह महात्मा भी कबीर दास की तरह काशी में पैदा हुए। कहते हैं कि संत कबीर दास के…

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संत गरीबदास जी

संत गरीबदास का जीवन परिचय, गुरु, चमत्कार

महात्मा संत गरीबदास जी का जन्म मौजा छुड़ानी, तहसील झज्जर, ज़िला रोहतक हरियाणा में वैसाख सुदी पूनो संवत् 1774 वि० मुताबिक ईसवी सन्‌ 1717 को हुआ था। वह जाति के जाट धनखड़े या दलाल गोत्र के थे और पेशा जमींदारी का करते थे। अपने घर मौजा छुड़ानी ही में सतसंग खड़ा करके जीवों को चेताते रहे ओर सारी उमर गृहस्थ में रह कर 61…

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संत चरणदास जी

संत चरणदास जी का जीवन परिचय, समाधि, चमत्कार

महात्मा संत चरणदास जी का जन्म राजपूताना के मेवात प्रदेश के डेहरा नामी गांव में एक प्रसिद्ध ढूसर कुल में हुआ था, जन्म का दिन भादों सुदी 3 मंगलवार सम्वत्‌ 1760 विक्रमी मुताबिक सन्‌ 1703 ईसवी के था ओर 79 बरस की उमर तक प्रेमाभक्ति का सदावर्त चलाकर सम्वत्‌ 1839 में दिल्ली में चोला छोड़ा जहां संत चरणदास जी कि समाधि अब तक बनी हुई…

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संत दूलनदास जी महाराज

संत दूलनदास का जीवन परिचय हिंदी में

महात्मा संत दूलनदास जी के जीवन का प्रमाणिक वृत्तान्त भी कितने ही प्रसिद्ध संतो और भक्तों की भांति नहीं मिलता। यह संत जगजीवन दास के गुरुमुख शिष्य थे जो थोड़े बरस 18वी शताब्दी विक्रमी के आखरी भाग में और विशेष काल तक 19वीं शताब्दी के प्रारंभ भाग में वर्तमान थे। संत दूलनदास का जीवन परिचय संत दूलनदास जाति के सोम-वंशी ठाकुर थे जिनका जन्म…

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संत सुंदरदास जी

संत सुंदरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, वाणी

संत सुंदरदास जी के जन्म से संबंधित एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार पिछले समय में प्रचलन था कि साधू लोग अपना वस्त्र बुनने के लिये जब जरूरत पड़ती थी तो सूत मांग लाया करते थे ऐसे ही एक दिन संत दादू दयाल के प्रेमी शिष्य जग्गा जी आमेर नगर में सूत मांग रहे थे और अपनी उमंग में यह आवाज लगाते थे “दे…

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संत दादू दयाल जी

संत दादू दयाल की जीवनी और परिचय

संत दादू दयाल जी का जन्म फागुन सुदी अष्टमी बृहस्पतिवार विक्रमी सम्वत 1601 को मुताबिक ईसवी सन्‌ 1544 के हुआ था अर्थात कबीर दास के गुप्त होने के छब्बीस बरस पीछे। इसमें सब की सम्मति हैं। संत दादू दयाल का जन्म स्थान संत दादू दयाल का जन्म स्थान दादू पंथी गुजरात प्रदेश के अहमदाबाद नगर की बतलाते हैं और यही पंडित चन्द्रिका प्रसाद त्रिपाठी और…

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संत कबीर दास जी

कबीर दास का जीवन परिचय – संत कबीरदास की जीवनी

संसार का कुछ ऐसा नियम सदा से चला आया है कि किसी महापुरुष के जीवन समय में बहुत कम लोग इस बात को जानने की परवाह करते हें कि वे कहाँ पैदा हुए, कैसी उनकी रहनी गहनी है, क्या उनमें विशेष गुण है और क्‍या गुप्त भेद मालिक और रचना का प्रकाश करने और परमार्थ का लाभ देने के लिये उन्होंने जीवन धारण किया…

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महाराजा भूपेन्द्र सिंह पटियाला

महाराजा भूपेन्द्र सिंह का जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा राजेन्द्र सिंह जी के देहान्त के समय महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी नाबालिग थे। अतएव आप पटियाला की राज-गद्दी पर बिठाये गये और राजकार्य चलाने के लिये एक कौंसिल स्थापित की गई। महाराजा भूपेन्द्र सिंह जी का जन्म सन् 1891 में हुआ था। लाहौर के एटकिन्सन चीफ कॉलेज में आपने शिक्षा पाई। आपकी नाबालिगी में रिजेंसी कौन्सिल द्वारा राज्य कार्य चलता रहा। सन् 1903 के…

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महाराजा महेन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा महेन्द्र सिंह और महाराजा राजेन्द्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा नरेंद्र सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्‌ आपके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा महेन्द्र सिंह जी 10 वर्ष की अवस्था में पटियाला की राजगद्दी पर बैठे। आपका 26 वर्ष का उम्र में देहान्त हो गया। आपके शासन-काल में सरहिन्द नामक नहर निकालने का काम शुरू हुआ। आपने इस नहर के बनवाने में 12300000 रुपये प्रदान किय थे। कूका- विद्रोह दमन करने में आपने ब्रिटिश सरकार को…

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महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला रियासत

महाराजा नरेंद्र सिंह पटियाला परिचय और इतिहास

महाराजा करम सिंह के पश्चात्‌ आपके पुत्र महाराजा नरेंद्र सिंह जी पटियाला रियासत पर राज्यासन हुए। आपने ब्रटिश सरकार के साथ दृढ़ मित्रभाव रखा। द्वितीय सिक्ख-युद्ध में आपने ब्रिटिश सरकार को 3000000 रुपया कर्ज दिया था। आपने अपनी सेना भी युद्ध में भेजने का अभिवचन दिया था, किन्तु ब्रिटिश सरकार को उसकी आवश्यकता न हुई। सन् 1857-58 में आपने ब्रिटिश सरकार को जितनी सहायता दी थी,…

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महाराजा करम सिंह

महाराजा करम सिंह पटियाला का परिचय और इतिहास

महाराजा साहिब सिंह जी की मृत्यु के पश्चात्‌ महाराजा करम सिंह जी पटियाला रियासत के राज्यासन पर बैठे। उन्होंने सन् 1798 से सन् 1845 तक पटियाला राज्य पर शासन किया। श्रीमान महाराजा करम सिंह पटियाला रियासत के चौथे महाराजा थे। वे बड़े वीर बुद्धिमान और सहासी नरेश थे। राजा करम सिंह का विवाह कुरूक्षेत्र के सिख सरदार भांगा सिंह की पुत्री से हुआ था, जिनका…

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महाराजा साहिब सिंह पटियाला

महाराजा साहिब सिंह पटियाला जीवन परिचय और इतिहास

राजा अमरसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र महाराजा साहिब सिंह जी पटियाला रियासत की गद्दी पर बैठे। इस समय उनकी उम्र 6 वर्ष की थी। महाराजा साहिब सिंह जी के गददीनशीन होने पर सम्राट शाहआलम ने आपको “महाराजा” का खिताब बख्शा। दीवान नन्‍नूमल ने साहिब सिंह जी की नाबालिगी में कुछ दिनों तक बढ़ी चतुराई से राज्य कार्य किया। इनका जनता पर बड़ा प्रभाव…

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महाराजा अमरसिंह पटियाला

महाराजा अमरसिंह पटियाला का परिचय और इतिहास

राजा आला सिंह के बाद उनके पौत्र महाराजा अमरसिंह पटियाला रियासत की गद्दी पर बिराजे। आपमें एक योग्य शासक और वीर सिपाही के गुण विद्यमान थे। सन् 1767 में जब अहमदशाह अब्दाली अंतिम बार पंजाब में आया तब उसने राजा अमरसिंह जी को राज्य राजवान की पदवी प्रदान की। सन् 1766 में राजा अमरसिंह ने मालेरकोटला के नरेश पायल और इशरू नामक स्थान जीत लिए।…

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राजा आला सिंह पटियाला रियासत

राजा आला सिंह का जीवन परिचय और इतिहास

पटियाला रियासत की स्थापना 18 शताब्दी हुई थी। पटियाला रियासत के संस्थापक राजा आला सिंह जी थे। इस राजवंश के मूल पुरुष की उत्पत्ति जैसलमेर राजवंश से हुई थी। उन्होंने दिल्ली के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय में जैसलमेर छोड़कर हिसार, सिरसा और भटनेर के आसपास के प्रदेश में पर्दापण किया। कुछ शताब्दियां बीत जाने पर उनके खेवा नामक एक वंशज ने…

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महाराजा गंगा सिंह

महाराजा गंगा सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद महाराजा गंगा सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजे। महाराजा गंगा सिंह का जन्म सन्‌ 1880 की 3 अक्टूबर को हुआ था। आप राठौड़ राजपूत थे तथा स्वर्गीय महाराजा डूंगरसिंह जी के ग्रहीत पुत्र थे। महाराजा गंगा सिंह तथा स्वर्गीय महाराजा भाई भाई थे। आप महाराज लाल सिंह के पुत्र थे। सन्‌ 1887 की 31 वीं अगस्त…

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महाराजा डूंगर सिंह बीकानेर राज्य

महाराजा डूंगर सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा सरदार सिंह जी की पुत्रहीन अवस्था में मृत्यु होने से बीकानेर का राज्य-सिंहासन सूना हो गया। इसी कारण से ब्रिटिश गवनमेंंट की आज्ञानुसार मंत्रि-मण्डल की सृष्टि करके उसके हाथों में शासन का भार सोंपा गया। प्रधान राजनैतिक कर्मचारी इस मंत्रि-मण्डल के सभापति होकर राज्य करने लगे। इस प्रकार कुछ काल तक राज्य-कार्य चलने के पश्चात्‌ राजरानी और सामन्तों ने नवीन महाराज नियुक्त करने…

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महाराजा सरदार सिंह बीकानेर

महाराजा सरदार सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास

महाराजा रत्नसिंह जी के स्वर्गवासी हो जाने पर सन् 1852 में उनके पुत्र महाराजा सरदार सिंह जी बीकानेर राज्य के सिंहासन पर विराजमान हुए। महाराजा सरदारसिंह ने सन् 1852 से सन् 1872 तक बीकानेर राज्य पर शासन किया। आपके राज्याभिषेक के समय से बीकानेर की राज्य-शक्ति मानो क्रमश: हीन होने लगी थी। जो बल, विक्रम, शूरता, साहस आदि गुण राठौर राजाओं के भूषण थे, वे…

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महाराजा रत्नसिंह बीकानेर

महाराजा रत्नसिंह बीकानेर का परिचय और इतिहास

महाराजा सूरत सिंह जी के परलोकवासी होने पर उनके पुत्र महाराजा रत्नसिंह जी बीकानेर राजसिंहासन पर विराजमान हुए। आपके सिंहासन पर बेठने के साथ ही बीकानेर राज्य के सामन्‍त और समस्त प्रजा के मन का भाव भी सहसा बदल गया। महाराज सूरत सिंह जी की मृत्यु के पहले राज्य में जिस प्रकार अशान्ति, उत्पीड़न और अत्याचारों की वृद्धि हो रही थी, चोर डाकुओं के उपद्रव…

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महाराजा सूरत सिंह बीकानेर राज्य

महाराजा सूरत सिंह बीकानेर जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा राजसिंह के दो पुत्र थे। महाराजा सूरत सिंह की माता की इच्छा राजसिंह के प्राण हरण कर अपने पुत्र को बीकानेर राज्य के सिंहासन पर बैठाने की थी। किन्तु सूरत सिंह ने देखा कि वीर सामन्‍त तथा कार्य कुशल अमात्यगणों के सम्मुख इस शोचनीय हत्या काण्ड के पश्चात्‌ सिंहासन पर बैठना महा विपत्ति-कारक है। अतएव प्रकट रूप में अपने सौतेले भाई की मृत्यु पर…

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महाराजा अनूप सिंह

महाराजा अनूप सिंह का इतिहास

महाराजा कर्ण सिंह जी के तीन पुत्रों की मृत्यु तो उपरोक्त लेख में बतलाये मुताबिक हो ही चुकी थी। केवल चौथे पुत्र महाराजा अनूप सिंह जी बच गये थे। अतएव सन् 1764 में राजा की उपाधि धारण कर आप राज सिंहासन पर बेठे। आप एक महावीर ओर असीम साहसी पुरुष थे। बादशाह ने आपको पाँच हज़ार अश्वारोही सेना की मनसब तथा बीजापुर और औरंगाबाद…

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महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर

महाराजा कर्ण सिंह बीकानेर परिचय और इतिहास

महाराजा रायसिंह के स्वर्गवासी हो जाने घर उनके एक मात्र पुत्र महाराजा कर्ण सिंह जी पिता के सिंहासन पर विराजमान हुए। अपने पिता की जीवित अवस्था में ही सम्राट की अधीनता में महाराजा कर्ण सिंह दौलताबाद के शासन-कर्ता के पद पर नियक्त हुए थे। महाराजा कर्ण सिंह दाराशिकोह के विशेष अनुगत थे और आपने उसको बादशाह के दरबार में प्रवेश करने के लिये विशेष…

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महाराजा रायसिंह बीकानेर

महाराजा रायसिंह बीकानेर का परिचय

स्वर्गीय कल्याणमल जी के पश्चात उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा रायसिंह जी बीकानेर राज्य के राज सिंहासन पर बैठे। आपके शासन-काल से बीकानेर राज्य के गौरव की सीमा बढ़ने लगी। आपके राजपद पर अभिषिक्त होने के पहले बीकानेर राज्य एक छोटा सा राज्य गिना जाता था। यद्यपि एक के बाद एक वीर एवं साहसी राजाओं ने इस राज्य की सीमा को दूर दूर तक फेलाया था,…

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राव बीका जी जोधपुर राज्य के संस्थापक

राव बीका जी का इतिहास और जीवन परिचय

बीकानेर राज्य के शासक उस पराक्रमी और सुप्रिसिद्ध राठौड़ वंश के है, जिसके शौर्य साहस और रणकौशल का वर्णन हम अपने अन्य लेखों में भी कर चुके हैं। ये उन्हीं शक्तिशाली राव जोधा जी के वंशज हैं जिनका उल्लेख हम अपने जोधपुर राज्य का इतिहास नामक लेख में कर चुके हैं। बीकानेर राज्य के मूल संस्थापक मारवाड़ के राजकुमार राव बीका जी थे। ये मारवाड़ के…

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महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत

महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत

भरतपुर के महाराजा श्री विजेन्द्र सवाई महाराजा किशन सिंह जी बहादुर थे। आपको लेफ्टनेट कर्नल की उपाधि प्राप्त थी। आपका जन्म सन् 1899 की 4 अक्तूबर को हुआ था। आपके पिता महाराजा रामसिंह जी सन् 1900 की 27 वीं अगस्त को राज्य कार्य से अलग हुए। उस समय आपकी आयु लगभग एक वर्ष की थी। अतएवं आपके बालिग होने तक भरतपुर राज्य शासन पोलिटिकल…

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महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर रियासत

महाराजा जसवंत सिंह भरतपुर का जीवन परिचय और इतिहास

महाराजा बलवन्त सिंह जी के बाद उनके पुत्र महाराजा जसवंत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर बिराजे। इस समय आप नाबालिग थे, अतएवं आगरा के कमिश्नर मि० टेलर ने राज्य के शासन-सूत्र को संचालित करने के लिए राज्य के सरदारों और माजी साहिबा की सलाह से धाऊ घासीराम जी को रिजेन्ट नियुक्त किया। अंग्रेजी सरकार ने इस नियुक्ति का समर्थन किया। हाँ,…

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महाराजा रणजीत सिंह भरतपुर राज्य

महाराजा रणजीत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय

महाराजा केहरी सिंह जी के बाद महाराजा रणजीत सिंह जी भरतपुर राज्य के राज्य सिंहासन पर अधिष्ठित हुए। इनके समय में राजनैतिक दृष्टि से कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई, अतएवं उन पर थोड़ा सा प्रकाश डालना आवश्यक है। जिस समय महाराजा रणजीत सिंह जी राज्य-सिंहासन पर बैठे थे, उस समय अंग्रेज भारत में अपनी सत्ता मजबूत करने के काम में लगे हुए थे। कहने की आवश्यकता…

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गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले का जीवन परिचय

गांधी जी के राजनैतिक गुरु श्री गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म भारतीय इतिहास के एक ऐसे युग में हुआ जिसने उनका निर्माण किया, और जिसका अपने जीवन काल में, स्वयं उन्होंने भी बहुत सीमा तक निर्माण किया। उनका जन्म 1857 की उस महानक्रांति के नौ वर्ष बाद हुआ, जिसे भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम भी कहा जाता है। गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई,…

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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय और विचार

स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा” के उद्घोषक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का स्थान स्व॒राज्य के पथ-गामियों मे अग्रणीय है। उनकी दृढता का महामंत्र देश-विदेश में विद्युत की तीव्रगति की तरह गूंजा और दलितों एवं पीड़ितों के लिए अमर संदेश बन गया। स्वतंत्र भारत का बच्चा-बच्चा इस बात से परिचित है कि उपर्युक्त मंत्र को फूंकने वाले तिलक ही…

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मलिका किश्वर

मलिका किश्वर का इतिहास – मलिका किश्वर की कहानी

मलिका किश्वर साहिबा अवध के चौथे बादशाह सुरैयाजाहु नवाब अमजद अली शाह की खास महल नवाब ताजआरा बेगम कालपी के नवाब हसीमुद्दीन खाँ की बेटी थीं और मलिका किश्वर उनका खिताब था। नवाबी दौर में मलिका किश्वर जैसी शर्मदार और सलीक़ामन्द बेगम का जवाब नहीं मिलता है। मिर्जा कैसर जमां नवाब वाजिद अली शाह उन्हीं की सन्तान थे। मलिका किश्वर का इतिहास और कहानी…

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बेगम कुदसिया महल

कुदसिया महल गरीबों की मसीहा

लखनऊ के इलाक़ाए छतर मंजिल में रहने वाली बेगमों में कुदसिया महल जेसी गरीब परवर और दिलदार बेगम दूसरी नहीं हुई। लखनऊ के नवाब नसीरुद्दीन हैदर की इस महबूब मलिका की सखावत के डंके सारे शहर में बजते थे। उनके दरे-दौलत से कोई कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। इस दरियादिली की एक वजह यह भी थी कि बेगम एक मामूली घर की लड़की थी और…

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बेगम अख्तर

बेगम अख्तर का जीवन परिचय – बेगम अख्तर कौन थी

बेगम अख्तर याद आती हैं तो याद आता है एक जमाना। ये नवम्बर, सन्‌ 1974 की बात है जब भारतीय रजत पट के सुप्रसिद्ध संगीत निर्देशक मदन मोहन लखनऊ के पसन्द बाग में बेगम अख्तर की कब्र पर पहुँचे थे, बेगम साहबा के पति बेगम साहिबा को गुज़रे अभी चार दिन ही बीते थे इसलिये कब्र कच्ची थी। जड़ाऊ फलों की चादर से मदन…

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सआदत खां बुर्हानुलमुल्क

सआदत खां बुर्हानुलमुल्क उर्फ मीर मुहम्मद अमीन लखनऊ के प्रथम नवाब

सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ सआदत खां बुर्हानुलमुल्क अवध के प्रथम नवाब थे। सन्‌ 1720 ई० में दिल्ली के मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने सैय्यद मुहम्मद अमी उर्फ नवाब सआदत खां प्रथम को आगरा का सूबेदार बना कर भेजा। इस प्रकार मुहम्मद अमी अवध के पहले नवाब हुए। मुहम्मद अमी निशापुर के ईरानी सौदागर थे। बादशाह मुहम्मद शाह से अच्छी दोस्ती होने के कारण दिल्‍ली दरबार में…

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नवाब सफदरजंग

नवाब सफदरजंग लखनऊ के दूसरे नवाब

नवाब सफदरजंग अवध के द्वितीय नवाब थे। लखनऊ के नवाब के रूप में उन्होंने सन् 1739 से सन् 1756 तक शासन किया। इनका पूरा नाम नवाब अलमंसूर खां सफदरजंग था। इनके वालिद जाफरबेग खां थे। इनका जन्म 1708 ई में हुआ था। इनके शासन काल में लखनऊ ने नई बुलंदियों को छूआ। नवाब सफदरजंग कौन थे? नवाब अलमंसूर खां सफदरजंग का…

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