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दौलताबाद का किला

दौलताबाद का किला – दौलताबाद का इतिहास

दौलताबाद यह स्थान महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद के निकट है। पहले इसे देवगिरि के नाम से जाना जाता था। दौलताबाद एक ऐतिहासिक नगर है। यह नगर यहां स्थित दौलताबाद किले के लिए भी जाना जाता है। यह किला 190 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है। दौलताबाद किले का निर्माण शुरू में 1187 के आसपास पहले यादव राजा भिल्लामा पंचम द्वारा किया गया था। …

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हेलियोडोरस स्तंभ बेसनगर

हेलियोडोरस स्तंभ – हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख

हेलियोडोरस स्तंभ भारत के मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में आधुनिक बेसनगर के पास स्थित पत्थर से निर्मित प्राचीन स्तम्भ है। इसका निर्माण ११० ईसा पूर्व हेलिओडोरस ने कराया था।हेलियोडोरस प्राचीन भारत का यूनानी राजनयिक था। वह पांचवें शुंग राजा काशीपुत भागभद्र के राज्य काल के चौदहवें वर्ष में तक्षशिला के यवन राजा एण्टिआल्कीडस (140-130 ई.पू.) का दूत बनकर विदिशा आया था। हेलियोडोरस यवन होते…

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धार के दर्शनीय स्थल

धार का इतिहास और धार के दर्शनीय स्थल

धार मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर और जिला है। यह शहर मालवा क्षेत्र में है। इसकी स्थापना परमार राजपूतों द्वारा की गई थी। धार में परमार वंश की नींव उपेंद्र कृष्णराज ने नौंवीं शताब्दी के आरंभ में डाली थी। उसके बाद वैरी सिंह सियक प्रथम, वाकपति प्रथम, वैरी सिंह द्वितीय और हर्ष सिंह सियक राजा बने। हर्ष सिंध सियक ने हुणों तथा 972…

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हेलिबिड मंदिर के सुंदर दृश्य

हेलिबिड का मंदिर – हेलिबिड का इतिहास

हेलिबिड शहर कर्नाटक राज्य में बेलूर से 47 किमी दूर है। हेलीबिड का पुराना नाम द्वारसमुद्र है। द्वारसमुद्र होयसल राजपूतों की राजधानी थी। इस वंश का पहला शासक नृपकाम था। उसने 1022 से 1047 तक राज्य किया। उसके बाद विनयादित्य (1047-1101) राजा बना। वह चालुक्य राजा विक्रमादित्य षष्ठ को अपना अधिपति मानता था। हेलिबिड का इतिहास उसके उत्तराधिकारी बल्‍लाल (1101-06) ने पांड्य राज्य…

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विजयनगर साम्राज्य का इतिहास

विजयनगर साम्राज्य का इतिहास, स्थापना और पतन

विजयनगर यह स्थान कर्नाटक में हम्पी के निकट तुभभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर है। इसकी स्थापना मुहम्मद तुगलक के काल में 1336 ई० में संगम के पुत्रों हरिहर और बुक्काराय ने अपने गुरु विद्यारण्य की सहायता से की थी। हरिहर प्रथम ने 1343 ई० में इसे अपनी राजधानी बनाया। उन दिनों इसे हस्तिनावती कहा जाता था। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना सन् 1325 में…

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मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल

मसूलीपट्टम के दर्शनीय स्थल – मछलीपट्टनम पर्यटन स्थल

मसूलीपट्टम जिसका वर्तमान नाम मछलीपट्टनम है। मसूलीपट्टम की स्थापना अरब के व्यापारियों द्वारा 14वीं शताब्दी में की गई थी। मसूलीपट्टम यह स्थान आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा क्षेत्र में है। तथा कृष्णा जिले में है। इसका प्राचीन नाम मसालिया है। यहाँ अंग्रेजों ने 1613 ई० में एक कारखाना लगाया था। मसूलीपट्टम का इतिहास दिसंबर, 1669 में फ्रांसीसियों ने भी यहाँ अपना दूसरा कारखाना स्थापित किया था।…

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पेनुकोंडा का किला

पेनुकोंडा का इतिहास और पेनुकोंडा का किला

पेनुकोंडा ( Penukonda )आंध्र प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक नगर है, जो यहां स्थित ऐतिहासिक पेनुकोंडा का किला के लिए जाना जाता है। पहले यह आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में था सन् 2022 में जिले का विभाजन हुआ और पेनुकोंडा नवनिर्मित जिला श्री सत्य साईं में आ गया। पर्यटकों के लिए पेनुकोंडा की स्वप्न के कम नहीं है। यहां की ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को…

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बिजय मंडल किला महरौली

बिजय मंडल किला का इतिहास

कुतुब सड़क पर हौज़ खास के मोड़ के कुछ आगे एक लम्बा चौकोर स्तम्भ सा दिखाई पड़ता है। इसी स्तम्भ से मिला हुआ एक भवन है। यही बिजय मंडल है। बिजय मंडल मोहम्मद तुगलक़ का महल है। अपने पिता फीरोज़ की मृत्यु के पश्चात्‌ 1325 ई० में मोहम्मद गद्दी पर बैठा। उसे तुगलकाबाद नगर पसंद नहीं था इस कारण वह प्राचीन दिल्‍ली लौट आना…

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लालकोट का किला

लालकोट का किला – किला राय पिथौरा

लालकोट का किला दिल्ली महरौली पहाड़ी पर स्थित है। वर्तमान में इस किले मात्र भग्नावशेष ही शेष है। इस पहाड़ी के सिरे पर पहुँच कर यदि हम ध्यान पूर्वक सड़क के दोनों ओर देखें तो प्रतीत होगा कि कुछ पत्थर ओर मिट्टी खुदी हुई है। अधिक ध्यान देने पर प्रतीत होगा कि यह पत्थर किसी दीवार के भाग हैं ओर वह दीवार नगर की…

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तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला इतिहास इन हिन्दी

तुगलकाबाद किला दिल्ली स्थित तुगलकाबाद में स्थित है। शब्द तुग़लकाबाद का संकेत तुग़लक़ वंश की ओर है। हम अपने पिछले लेखों में वर्णन कर चुके है कि ग्यासुद्दीन तुगलक़ ने इसे बसाया था। यह नगर दिल्‍ली के समीप स्थित था। वर्तमान में यह नई दिल्ली के अंदर ही है। यहां पहुँचने के लिये बदरपुर बॉर्डर से जाया जा सकता है, दूसरा मार्ग दिल्‍ली से मथुरा…

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जंतर मंतर दिल्ली

जंतर मंतर दिल्ली इन हिन्दी – जंतर मंतर दिल्ली हिस्ट्री

दिल्ली में स्थित जंतर मंतर दिल्ली एक खगोलीय वैधशाला है। जंतर मंतर अथवा दिल्‍ली आवज़स्वेट्री दिल्‍ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट (सड़क ) पर स्थित है। यह आकाश-लोचन यंत्र-मंत्र महाराज जयपुर ने बनवाया था। इस पर कभी महाराज जयपुर की ध्वजा- पताका फहरा करती थी। जंतर मंतर का निर्माण कार्य 1710 ई० में हुआ था। इसे जयपुर महाराज जयसिंह ने बनवाया था। महाराज जयसिंह एक बड़े ज्योतिषी थे…

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सीरी किला दिल्ली

सीरी किला का इतिहास:- दिल्ली

दिल्ली में हौज़ खास के मोड़ से कुछ आगे बढ़ने पर एक नई सड़क बाई ओर घूमती है। वहीं पर एक साइन बोर्ड सीरी किला जाने वाले मार्ग पर लगा है। लगभग आध मील चलने के पश्चात सीरी नगर की दीवारें मिलनी आरम्भ हो जाती हैं। कुतुब सड़क से ही सीरी फोर्ट की दीवारें दृष्टिगोचर होने लगती हैं। सीरी का किला किसने…

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हौज खास दिल्ली

हौज खास का इतिहास – हौज खास क्या है और कहां है

हौज खास राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक गांव है यह गांव यहां स्थित ऐतिहासिक हौज खास झील और और उसके किनारे स्थित ऐतिहासिक स्मारक भवन के लिए जाना जाता है। दिल्ली के महरौली क्षेत्र में कुतुब सड़क पर सफदर जंग मक़बरे से दो तीन मील की दूरी पर मक़बरों का एक समूह है यहीं से हौज़ खास को दाई' ओर सड़क घूमती है। प्रधान सड़क…

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कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद दिल्ली

कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद दिल्ली

दिल्ली में विश्व प्रसिद्ध कुतुबमीनार स्तम्भ के समीप ही कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद है। इसे कुव्वतुल-इस्लाम मसजिद (इस्लाम की ताक़त वाली) अथवा बड़ी मस्जिद कहते हैं। कुतुब मीनार से मिला हुआ डाक बंगला है। डाक बंगला होकर बड़ी मसजिद में जाने के लिये मार्ग है। मस्जिद के तीन भाग हैं। कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद को कुतुबउद्दीन ऐबक ने 1191 ई० में बनवाना आरम्भ किया था। उसके पास…

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सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली

सिकंदर लोदी का मकबरा किसने बनवाया था

सफदरजंग के मकबरे के समीप सिकंदर लोदी का मकबरा स्थित है। यह आज कल नई दिल्ली में विलिंगटन पार्क में पृथ्वीराज सड़क के समीप स्थित है। यहां मोटर मार्ग अजमेर द्वार से सफदरगंज होकर जाता है ओर दूसरा मार्ग दिल्ली द्वार से हार्डिज अवेन्यू ओर प्रथ्वी राज सड़क होता हुआ साउथ एंड सड़क पर जाता है। इसी सड़क से सिकंदर लोदी का मकबरा के प्रधान…

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सफदरजंग का मकबरा

सफदरजंग का मकबरा किसने बनवाया और इतिहास

दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में सफदरजंग का मकबरा या सफदरजंग की समाधि अपना एक अलग महत्व रखता है। मुगलकालीन स्मारकों में सफदरजंग का मकबरा सबसे अंतिम काल का बना हुआ है। यह हुमायूं की समाधि की भांति ही बड़ा है पर उतना सुन्दर नहीं है इसके दो कारण हैं एक तो यह कि इसमें हुमायूं के मकबरे की अपेक्षा मध्यम श्रेणी का सामान लगाया…

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पुराना किला दिल्ली

पुराना किला कहा स्थित है – पुराना किला दिल्ली

पुराना किला इन्द्रप्रस्थ नामक प्राचीन नगर के राज-महल के स्थान पर बना है। इन्द्रप्रस्थ प्रथम दिल्ली नगर था। यहाँ कौरवों और पांडवों की राजधानी थी। द्वापर युग में यह नगर सर्व प्रथम बसाया गया था। इससे सिद्ध है कि दिल्ली नगर की सर्व प्रथम नीव द्वापर में पड़ी थीं। महाभारत काल के दूसरे पाण्डव नगर बागपत, सोनीपत, तिलपत ओर पानीपत का पता तो है पर…

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फिरोज शाह कोटला किला

फिरोज शाह कोटला किला किसने बनवाया था

देश राजधानी दिल्ली में स्थित फिरोज शाह कोटला किला एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो दिल्ली के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग है, फिरोज शाह कोटला का किला दिल्ली में स्थित विश्व प्रसिद्ध फिरोज शाह कोटला स्टेडियम के समीप स्थित है, फिरोज शाह कोटला किले के नाम पर ही इस स्टेडियम का नाम रखा गया था। फिरोज शाह कोटला किला तुग़लक़ वंश के अंतिम शासक फिरोज…

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ग्यारसपुर अठखंम्भा मंदिर

ग्यारसपुर अठखंम्भा मंदिर और इतिहास

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा जिले में में ग्यारसपुर नामक नगर है। यह स्थान अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। ग्यारसपुर में खुदाई के दौरान प्राचीन और ऐतिहासिक खंडहर निकले है। जो ग्यारसपुर का इतिहास और यहां के महत्व का उल्लेख करते हैं। यहां खुदाई में आठ खंम्भे (स्तंभ) निकले है, जिन पर सन् 982 (विक्रमी संवत 1039) का अभिलेख उत्कीर्ण…

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मांडू का किला

मांडू का किला किसने बनवाया था

भारत के मध्य प्रदेश राज्य में धार जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांडव नामक नगर एक ऐतिहासिक नगर है। यह शहर यहां स्थित ऐतिहासिक किले के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक किले को मांडू का किला के नाम से जाना जाता है, मांडू का किला मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर से लगभग 100 किलों मीटर की दूरी पर स्थित…

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बारह खंभा कोंच

बारह खंभा कोंच – बारह खंभा का इतिहास

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में कोंच नगर के मुहल्ला भगत सिंह नगर में यह बारह खंभा भवन स्थित हैं तथा इसके बगल में एक राम तलइया स्थित हैं और राम तलइया के बगल में मुहाल आराजी लाइन में आठ खंभा स्थित हैं। बारभ खंभा एक ऐतिहासिक इमारत है। बारह खंभा का इतिहास दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान सिरसागढ़़ में मलखान को…

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चौरासी गुंबद कालपी

चौरासी गुंबद कालपी – चौरासी गुंबद का इतिहास

चौरासी गुंबद यह नाम एक ऐतिहासिक इमारत का है। यह भव्य भवन उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर बसी कालपी नगरी के दक्षिणी किनारे पर कालपी उरई रोड पर स्थित है। यह चौरासी गुंबद अत्यन्त प्राचीन है। चौरासी गुंबद कालपी की ऐतिहासिक इमारतों में से एक उल्लेखनीय इमारत है। चौरासी गुंबद का इतिहास चौरासी…

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रंग महल कालपी

रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल

उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो आज भी बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बादशाह बीरबल की न्याय प्रियता व विनोदी स्वभाव की स्मृति दिलाता है। बीरबल का रंग महल कालपी के ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इसे बीरबल का किला या बीरबल का महल के नाम से…

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गोपालपुरा का किला जालौन

गोपालपुरा का किला जालौन – गोपालपुरा का इतिहास

गोपालपुरा जागीर की अतुलनीय पुरातात्विक धरोहर गोपालपुरा का किला अपने तमाम गौरवमयी अतीत को अपने आंचल में संजोये, वर्तमान जालौन जनपद की कोंच तहसील में स्थित है। जनपद के उत्तरी पश्चिमी कोने पर पहूज नदी के किनारे अपनी अपूर्व-छटा बिखेरता हुआ यह किला जनपद मुख्यालय उरई से पश्चिम की ओर जनपद के वृहदतम ग्राम बंगरा से होते हुए मात्र 44कि०मी० की दूरी पर अपने भग्नावशेषों…

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रामपुरा का किला

रामपुरा का किला और रामपुरा का इतिहास

जालौन जिला मुख्यालय से रामपुरा का किला 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 46 गांवों की जागीर का मुख्य केन्द्र रामपुरा में स्थित यह रामपुरा फोर्ट निश्चित ही एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहर है। जो आज तक क्षत्रियों के राजवंशीय कछवाहा जो रामदेव के समकालीन थे, के संघर्ष साहस शौर्य का प्रतीक है तथा तत्कालीन भवन निर्माण कलाका उत्कृष्ट नमूना प्रदर्शित करता है। …

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जगम्मनपुर का किला

जगम्मनपुर का किला – जगम्मनपुर का इतिहास

उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले में यमुना के दक्षिणी किनारे से लगभग 4 किलोमीटर दूर बसे जगम्मनपुर ग्राम में यह किला स्थित है जोकि जगम्मनपुर का किला के नाम से जाना जाती है। जगम्मनपुर का इतिहास देखें तो पता चलता है कि यह किला राजा जगम्मनशाह द्वारा 1593 ई० में उस समय बनवाया गया था जब उनका कनार स्थित किला ध्वस्त हो गया था।…

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इलाहाबाद का किला

प्रयागराज का किला – इलाहाबाद का किला किसने बनवाया

इलाहाबाद का किला जो यमुना तट पर स्थित है, इस किले साथ अकबर के समय से लेकर अंग्रेज़ों के पतन तक का इतिहास ही सीमित नहीं है, किन्तु इसका सम्बन्ध बौद्ध कालीन संस्कृति के साथ भी जुडा हुआ है। इतिहास से प्रकट होता है कि ह्वेनसांग नाम के एक चीनी यात्री ने सन् 643 ई० में प्रयागराज की यात्रा की थी। उसने अपनी यात्रा…

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हजरत निजामुद्दीन दरगाह

हजरत निजामुद्दीन दरगाह – हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह का उर्स

भारत शुरू ही से सूफी, संतों, ऋषियों और दरवेशों का देश रहा है। इन साधु संतों ने धर्म के कट्टरपन से हट कर मानवता और भाईचारे और हर संप्रदाय को एक दूसरे के साथ अमन से जिंदा रहने का प्रचार किया। ख्वाजा हजरत निजामुद्दीन भारत के एक ऐसे ही प्रसिद्ध सूफी थे जिन्होंने बादशाहों के बदले गरीबों को सदा पसंद किया। और दुनिया के…

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तालबहेट का किला

तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी

तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील दूर है तथा इस स्थल में एक रेलवे स्टेशन भी है इसका नामकरण ताल अथवा सरोवर के नाम हुआ है। यहाँ पर झील की आकृति का एक सरोवर है इस सरोवर से गाँव के लोग सिचाई किया करते है। इस क्षेत्र के लोग गौंडवानी…

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कुलपहाड़ का किला

कुलपहाड़ का किला – कुलपहाड़ का इतिहास इन हिन्दी कुलपहाड़ सेनापति महल

कुलपहाड़ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक ऐतिहासिक शहर है। 11 फरवरी 1995 से पहले कुलपहाड़ हमीरपुर जिले की एक तहसील थी। 11 फरवरी 1995 को महोबा जिले को हमीरपुर से अलग कर बनाया गया था, और कुलपहाड़ अब महोबा जिले का एक हिस्सा है। कुलपहाड़ भी एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है तथा…

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पथरीगढ़ का किला

पथरीगढ़ का किला किसने बनवाया – पाथर कछार का किला का इतिहास इन हिन्दी

पथरीगढ़ का किला चन्देलकालीन दुर्ग है यह दुर्ग फतहगंज से कुछ दूरी पर सतना जनपद में स्थित है इस दुर्ग के सन्दर्भ में जगनिक द्वारा रचित अल्हाखण्ड में षिद वर्णन उपलब्ध होता है। पथरीगढ़ का किला एक छोटी सी पहाडी पर है और परकोटे से घिरा हुआ है तथा इसमें प्रवेश करने के लिये कई प्रवेश द्वार है, तथा दुर्ग के अंदर अनेक आवासीय महल…

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धमौनी का किला

धमौनी का किला किसने बनवाया – धमौनी का युद्ध कब हुआ और उसका इतिहास

विशाल धमौनी का किला मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। यह 52 गढ़ों में से 29वां था। इस क्षेत्र की भूमि बहुत उपजाऊ है। किले के पूर्व में एक भयानक खाड़ी है। किले की दीवारें बहुत आकर्षक और अच्छी स्थिति में हैं। पूरे किले के घेरे के अंदर कुछ न कुछ अनोखा देखने को मिलता है। इस जगह की सुंदरता का आनंद लेने…

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बिजावर का किला

बिजावर का किला किसने बनवाया – बिजावर का इतिहास इन हिन्दी

बिजावर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित एक गांव है। यह गांव एक ऐतिहासिक गांव है। बिजावर का इतिहास गौंडों और बुंदेलों की शौर्यपूर्ण गाथा साक्षी रहा है। बिजावर में एक किला देखने को मिलता है। जिसे बिजावर का किला या जटाशंकर का किला भी कहते है। किले के समीप स्थित प्राचीन जटाशंकर मंदिर के कारण जटाशंकर का किला नाम पड़ गया…

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बटियागढ़ का किला

बटियागढ़ का किला किसने बनवाया – बटियागढ़ का इतिहास इन हिन्दी

बटियागढ़ का किला तुर्कों के युग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह किला छतरपुर से दमोह और जबलपुर जाने वाले मार्ग पर स्थित है। वर्तमान समय में बटियागढ़ दुर्ग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, किन्तु उसके भग्नावशेष यहाँ आज भी मौजूद है। जो पिकनिक और इतिहास में रूची रखने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। बटियागढ़ का किला - बटियागढ़ किले का इतिहास…

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राजनगर का किला

राजनगर का किला किसने बनवाया – राजनगर मध्यप्रदेश का इतिहास इन हिन्दी

राजनगर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में खुजराहों के विश्व धरोहर स्थल से केवल 3 किमी उत्तर में एक छोटा सा गाँव है। छतरपुर रियासत के तहत अठारहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान गांव एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र था। यह पन्ना के पास और महोबा खुजराहो मार्ग से जुड़ा हुआ है। हमहराज पुल मलहरा और बारीगढ़ से इस किले तक पहुंचा जा सकता है। …

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पन्ना का किला

पन्ना का इतिहास – पन्ना का किला – पन्ना के दर्शनीय स्थलों की जानकारी हिन्दी में

पन्ना का किला भी भारतीय मध्यकालीन किलों की श्रेणी में आता है। महाराजा छत्रसाल ने विक्रमी संवत् 1738 में पन्‍ना को अपने राज्य की राजधानी बनाया और यहीं पर एक किले का निर्माण किया। पन्‍ना का प्राचीन नाम "परना" है। पन्‍ना नगर के पश्चिम में किल-किला नदी दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। इस नदी के बाये तट पर श्री पदमा देवी…

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सिंगौरगढ़ का किला

सिंगौरगढ़ का किला किसने बनवाया – सिंगौरगढ़ का इतिहास इन हिन्दी

मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के दमोह जिले में सिंगौरगढ़ का किला स्थित हैं, यह किला गढ़ा साम्राज्य का एक पहाड़ी किला है, जो एक वन क्षेत्र की पहाड़ियों में फैला हुआ है। यह जबलपुर शहर से लगभग 45 किमी दूर दमोह शहर के रास्ते में है। यह एक शानदार और ऐतिहासिक किला मध्य भारत के गौंड शासकों का निवास स्थान था, जो…

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छतरपुर का किला

छतरपुर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – छतरपुर का इतिहास की जानकारी हिन्दी में

छतरपुर का किला मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अठारहवीं शताब्दी का किला है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह बुंदेली वास्तुकला शैली में निर्मित है। यह एक निवास के रूप में इस्तेमाल किया गया था और साथ ही, एक रक्षात्मक किले के रूप में भी इस्तेमाल किया गया था। ब्रिटिश राज के तहत, किले का उपयोग स्थानीय प्रशासनिक मुख्यालय के रूप…

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चंदेरी का किला

चंदेरी का किला किसने बनवाया – चंदेरी का इतिहास इन हिन्दी व दर्शनीय स्थल

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के चंदेरी में स्थित चंदेरी का किला शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर से 37 किमी और ईसागढ़ से लगभग 45 किमी और मुंगोली से 38 किमी की दूरी पर स्थित है। यह बेतवा नदी के दक्षिण-पश्चिम में एक पहाड़ी पर स्थित है। बड़ी संख्या में यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। …

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ग्वालियर का किला

ग्वालियर का किला हिस्ट्री इन हिन्दी – ग्वालियर का इतिहास व दर्शनीय स्थल

ग्वालियर का किला उत्तर प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस किले का अस्तित्व गुप्त साम्राज्य में भी था। दुर्ग परिक्षेत्र में उपलब्ध जैन तीर्थाकंरों की प्रतिमाये इस बात को सिद्ध करती है, कि ग्वालियर का धार्मिक महत्व अति प्राचीन है। पहले यह क्षेत्र गुप्तों के अधिकार में था बाद में यह क्षेत्र हर्ष वर्धन और कछवाहों के अधिकार में आ गया। कछवाहा नरेशो…

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बड़ौनी का किला

बड़ौनी का किला किसने बनवाया – बड़ौनी का इतिहास व दर्शनीय स्थल

बड़ौनी का किला,यह स्थान छोटी बड़ौनी के नाम जाना जाता है जो दतिया से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यंहा पर बहुत ही प्रसिद्ध हवेली है जंहा बुन्देलखण्ड के प्रतापी राजा वीर सिंह जू देव का राज्याभिषेक हुया था यहां बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित गुप्तकालीन मंदिर बने हुए हैं। साथ ही यह स्थान बुन्देली शैली में बने किले और हवेलियों के…

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दतिया महल या दतिया का किला

दतिया का इतिहास – दतिया महल या दतिया का किला किसने बनवाया था

दतिया जनपद मध्य प्रदेश का एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक जिला है इसकी सीमाए उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद से मिलती है। यहां एक किला तथा उसके कुछ भग्नावशेष देखने को मिलते है। जिसे दतिया का किला या दतिया महल के नाम से स्थानीय लोगों द्वारा पुकारा जाता है। दतिया का इतिहास जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि यहाँ पहले बक्रदन्त नामक दैत्य…

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चौरासी खंभा कालपी का किला

कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी

कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई से कालपी की दूरी 35 किलोमीटर है, तथा यहाँ रेलवे स्टेशन भी है। यह स्थल जालौन राठ हमीरपुर से सडक मार्ग पर जुड़ा हुआ है तथा यह यमुना नदी के तट पर बसा है। कालपी का इतिहास प्रचलित जन कथाओं के अनुसार…

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उरई का किला और माहिल तालाब

उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी

उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। कानपुर से यह 109 किलोमीटर की दूरी पर और झाँसी से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस नगर में दक्षिणी किनारे की एक पहाडी पर नई बस्ती स्थित है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक प्राचीन सरोवर और नहरे है।…

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एरच का किला

एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में

उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या स्थल झाँसी से 46 मील उत्तर पूर्व और गरौठा से 22 मील दूर है। यह स्थल गरौठा से पुन्छ मार्ग पर स्थित है यहाँ पर एक प्राचीन दुर्ग है जिसका पुरातात्कि महत्व है। जिसको एरच का किला के नाम से जाना जाता है। वर्तमान…

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चिरगाँव का किला

चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास

चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील दूर झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। इसी चिरगांव में यह किला स्थित है, जिसे चिरगांव का किला कहा जाता है। चिरगांव का किला का इतिहास बुन्देलो के शासन काल में यह प्रशासन का मुख्यालय था, और बुन्देलों को इस समय…

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गढ़कुंडार का किला

गढ़कुंडार का किला का इतिहास – गढ़कुंडार का किला किसने बनवाया

गढ़कुण्डार का किला मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में गढ़कुंडार नामक एक छोटे से गांव मे स्थित है। गढ़कुंडार का किला बीच जंगल में काले पत्थरों से निर्मित है। तथा किला एक पहाडी पर है यह किला बहुत सुदृढ़ है और एक चौकोर पहाड़ी पर स्थित है। किले के ऊपर से मैदानी भाग का दृश्य बहुत सुन्दर दिखलाई देता है। अक्सर इस किले में यात्रीगण और…

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बरूआ सागर का किला

बरूआ सागर का किला – बरूआसागर झील का निर्माण किसने और कब करवाया

बरूआ सागर झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह मानिकपुर झांसी मार्ग पर है। तथा दक्षिण पूर्व दिशा पर स्थित हैं। झांसी से बरूआसागर की दूरी 19 किलोमीटर है। बरूआ सागर रेलवे स्टेशन से बरूआ सागर का किला दो मील दूर है। बरूआसागर का इतिहास बरूआ सागर एक ऐतिहासिक स्थल है। इस स्थल पर सन्‌ 1744 में पेशवा की सेनाओं का…

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मनियागढ़ का किला

मनियागढ़ का किला – मनियागढ़ का किला किसने बनवाया था तथा कहाँ है

मनियागढ़ का किला मध्यप्रदेश के छतरपुर जनपद मे स्थित है। सामरिक दृष्टि से इस दुर्ग का विशेष महत्व है। सुप्रसिद्ध ग्रन्थ आल्हाखण्ड में मनियागढ़ किले का विस्तृत वर्णन मिलता है। मनियागढ़ दुर्ग चन्देल कालीन है। और केन नदी के तट पर एक पहाडी पर बना हुआ है। इसी दुर्ग पर चन्देलों की कुल देवी मनिया देवी का मन्दिर बना हुआ है। तथा सामरिक दृष्टि से…

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मंगलगढ़ का किला

मंगलगढ़ का किला किसने बनवाया था – मंगलगढ़ का इतिहास हिन्दी में

मंगलगढ़ का किला चरखारी के एक पहाड़ी पर बना हुआ है। तथा इसके के आसपास अनेक ऐतिहासिक इमारते है। यह हमीरपुर से 106 किलोमीटर दूर और महोबा से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यह स्थान मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत आता है। मंगलगढ़ दुर्ग के नीचे पहाड़ी की तलहटी में बसी बस्ती चरखारी के नाम से विख्यात है इसका पुराना नाम महराज नगर था। मंगलगढ़…

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