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गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा

गुरु का ताल आगरा -आगरा गुरुद्वारा गुरु का ताल हिस्ट्री इन हिन्दी

आगरा भारत के शेरशाह सूरी मार्ग पर उत्तर दक्षिण की तरफ यमुना किनारे वृज भूमि में बसा हुआ एक पुरातन शहर है। पहले पहल इस शहर को द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण जी के नाना व कंस के पिता हिन्दू राजा उग्रसेन जो बहुत धार्मिक व प्रभु भक्त ने बसाया था। उस समय इसका नाम अग्रवन था। अकबर बादशाह ने इसको बदलकर अकबराबाद रख…

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गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ

नाका गुरुद्वारा – गुरुद्वारा सिंह सभा नाका हिण्डोला लखनऊ हिस्ट्री इन हिन्दी

नाका गुरुद्वारा, यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा नाका हिण्डोला लखनऊ में स्थित है। नाका गुरुद्वारा साहिब के बारे में कहा जाता है कि राय बहादुर सरदार सालिगराम सिंह जी ने सन् 1898 में नाका गुरुद्वारा साहिब की स्थापना की, आप ही उसके मुख्य सेवादार बने और लगातार उम्र के आखरी समय तक सेवा करते रहे। नाका गुरुद्वारा हिस्ट्री इन हिन्दी एक सवाल उठा…

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लखनऊ गुरुद्वारा गुरु तेगबहादुर साहिब

लखनऊ गुरुद्वारा गुरु तेगबहादुर साहिब हिस्ट्री इन हिन्दी – लखनऊ का गुरुद्वारा इतिहास

उत्तर प्रदेश की की राजधानी लखनऊ के जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यहियागंज के बाजार में स्थापित लखनऊ गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यहियागंज बाजार लखनऊ का जनरल मर्चेंट, पटाखा, रेडीमेड, होजरी, ऊन एवं बर्तनों का थोक बाजार है। इस बाजार में पूर्वांचल के दस पंद्रह जिलो के व्यापारी माल खरीदने आते है। यह बाजार लगभग दो किलोमीटर…

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देवगढ़ के सुंदर दृश्य

देवगढ़ का इतिहास – दशावतार मंदिर, जैन मंदिर, किला कि जानकारी हिन्दी में

देवगढ़ उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यह ललितपुर से दक्षिण पश्चिम में 31 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां तक पक्की सड़क जाती है। प्रतिदिन बसे जाती है। ललितपुर से देवगढ़ जाने का मार्ग इस प्रकार है-- ललितपुर से जीरौन 16 किलोमीटर वहां से जाखलौन 6 किलोमीटर वहां से सैपुरा 3 किलोमीटर सेपुरा से देवगढ़ 6 किलोमीटर। मार्ग…

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अहिच्छत्र जैन तीर्थ के सुंदर दृश्य

अहिच्छत्र जैन मंदिर – जैन तीर्थ अहिच्छत्र का इतिहास

अहिच्छत्र उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की आंवला तहसील में स्थित है। आंवला स्टेशन से अहिच्छत्र क्षेत्र सडक मार्ग द्वारा 18 किमी है। अहिच्छत्र क्या है? अहिच्छत्र स्थान एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। यह क्षेत्र जैन मान्यता के अनुसार एक कल्याणक और अतिशय स्थान है। जिसका जैन धर्म मे विशेष महत्व है। अहिच्छत्र जैन मंदिर पर बडी संख्या में जैन श्रृद्धालुओं का जमावडा लगा है।…

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कम्पिल का जैन मंदिर

कम्पिल का इतिहास – कंपिल का मंदिर – कम्पिल फेयर इन उत्तर प्रदेश

कम्पिला या कम्पिल उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले की कायमगंज तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह उत्तर रेलवे की अछनेरा - कानपुर शाखा के कायमगंज स्टेशन से 8 किमी दूर है। स्टेशन से गांव तक पक्की सड़क है। बस, तांगे, आटो आदि आसानी से मिल जाते है। कंपिल एक जैन तीर्थ स्थल है। कंपिल 13वें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ का जन्म स्थान, तप स्थान,…

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आगरा जैन मंदिर

आगरा जैन मंदिर – आगरा के टॉप 3 जैन मंदिर की जानकारी इन हिन्दी

आगरा एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है। मुख्य रूप से यह दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल के लिए जाना जाता है। आगरा धर्म का भी आतिशय क्षेत्र रहा है। मुगलकाल से पूर्व और मुगलकाल में भी यहां जैनों का प्रभाव रहा है। अकबर के दरबारी रत्नों मे एक जैन समाज के ही थे। आगरा में अनेक जैन मंदिर है। इस समय आगरा जैन मंदिर और धर्मशालाओं की…

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चन्द्रवाड़ दिगंबर जैन मंदिर

चन्द्रवाड़ अतिशय क्षेत्र प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर – चन्दवार का प्रसिद्ध युद्ध, इतिहास

चन्द्रवाड़ प्राचीन जैन मंदिर फिरोजाबाद से चार मील दूर दक्षिण में यमुना नदी के बांये किनारे पर आगरा जिले में अवस्थित है। यह एक ऐतिहासिक नगर रहा है। आज भी इसके चारों ओर मिलों तक खंडहर दिखाई पडते है। यह एक जैन अतिशय क्षेत्र है। तथा प्राचीन समय में जैन धर्म का मुख्य केंद्र भी रहा है। चन्द्रवाड़ का इतिहास - हिस्ट्री ऑफ…

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पारसनाथ का किला

पारसनाथ का किला बढ़ापुर का ऐतिहासिक जैन तीर्थ स्थल माना जाता है

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में नगीना रेलवे स्टेशन से उत्तर पूर्व की ओर बढ़ापुर नामक एक कस्बा है। वहां से चार मिल पूर्व की कुछ प्राचीन अवशेष दिखाई पड़ते है। इन्हें पारसनाथ का किला कहते है। इस स्थान का नामकरण तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के नाम पर हुआ लगता है। पारसनाथ किले का इतिहास पारसनाथ के इस किले के संबंध में अनेक जनश्रुतियां…

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संकिसा के दर्शनीय स्थल

संकिसा का प्राचीन इतिहास – संकिसा बौद्ध तीर्थ स्थल

बौद्ध अष्ट महास्थानों में संकिसा महायान शाखा के बौद्धों का प्रधान तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थल पर अपनी स्वर्गीय माता महामाया को उपदेश देकर महात्मा बुद्ध पृथ्वी पर उतरे थे।सरभमिग जातक में यह कथा अत्यंत रोचक ढंग व विस्तारपूर्वक दी हुई है। महात्मा बुद्ध को जन्म देने के सातवें दिन ही महामाया का स्वर्गवास हो गया था। अतः वे अपने…

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