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जेके मंदिर

जेके मंदिर कहां है? – जेके मंदिर का निर्माण किसने करवाया

किसी भी अन्य भारतीय शहर की तरह, कानपुर में कई मंदिर हैं जो कानपुर शहर के लोगों के धार्मिक झुकाव का प्रतीक हैं। इनमें से राधाकृष्ण मंदिर को सुरुचिपूर्ण ढंग से डिजाइन किया गया है जिसे लगभग 54 साल पहले जेके ट्रस्ट द्वारा बनाया गया था। कानपुर के प्रसिद्ध सिंघानिया परिवार ने राधाकृष्ण मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर को आमतौर पर जेके मंदिर के रूप…

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नैमिषारण्य तीर्थ

नैमिषारण्य का इतिहास – नैमिषारण्य तीर्थ का महत्व

लखनऊ शहर में मुगल और नवाबी प्रभुत्व का इतिहास रहा है जो मुख्यतः मुस्लिम था। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि अवध के नवाबों ने भी, धर्मनिरपेक्ष मुगल बादशाह अकबर की शैली का अनुसरण किया, ताकि वे अपने साम्राज्य की ठोस नींव के लिए हिंदुओं पर भरोसा कर सकें। कहा जाता है कि नवाबों ने कई हिंदुओं को अधिकार के पदों पर खड़ा किया…

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बिठूर दर्शनीय स्थल

बिठूर आकर्षक स्थल जहां हुआ था लव और कुश का जन्म

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर बिठूर की यात्रा के बिना आपकी लखनऊ की यात्रा पूरी नहीं होगी। बिठूर एक सुरम्य नगर है, जो गंगा नदी के तट पर स्थित है, जो राजधानी लखनऊ से 18 किलोमीटर की दूरी पर कन्नौज रोड पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस पवित्र बस्ती को भगवान विष्णु द्वारा आकाशगंगा के पुनर्निर्माण के दौरान भगवान ब्रह्मा…

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चंद्रिका देवी मंदिर

चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ – चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास

चंद्रिका देवी मंदिर-- लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है और यह शहर अपनी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के लिए जाना जाता है जिसे नवाबों द्वारा शहर में पेश और प्रचारित किया गया था। शहर की संस्कृति और विरासत हर लखनवी का गौरव रही है और शहर के लोगों को सभी धार्मिक त्योहारों को समान उत्साह के साथ मनाते देखा जा सकता है।…

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टीले वाली मस्जिद

टीले वाली मस्जिद यह है लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिद

लक्ष्मण टीले वाली मस्जिद लखनऊ की प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है। बड़े इमामबाड़े के सामने मौजूद ऊंचा टीला लक्ष्मण टीले के नाम से मशहूर है। इतिहास को अपने दामन में संजोये तमाम पुरातात्विक अवशेष आज भी इस विशाल टीले के नीचे दफन हैं। लखनऊ गज़ेंटियर' में इसे शहर का केन्द्र बताया गया है। कहा जाता है कि यहां काफी ऊंचाई पर एक मन्दिर…

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तालबहेट का किला

तालबहेट का किला किसने बनवाया – तालबहेट फोर्ट हिस्ट्री इन हिन्दी

तालबहेट का किला ललितपुर जनपद मे है। यह स्थान झाँसी - सागर मार्ग पर स्थित है तथा झांसी से 34 मील दूर है तथा इस स्थल में एक रेलवे स्टेशन भी है इसका नामकरण ताल अथवा सरोवर के नाम हुआ है। यहाँ पर झील की आकृति का एक सरोवर है इस सरोवर से गाँव के लोग सिचाई किया करते है। इस क्षेत्र के लोग गौंडवानी…

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चौरासी खंभा कालपी का किला

कालपी का इतिहास – कालपी का किला – चौरासी खंभा हिस्ट्री इन हिंदी

कालपी का किला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति प्राचीन स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है उरई से कालपी की दूरी 35 किलोमीटर है, तथा यहाँ रेलवे स्टेशन भी है। यह स्थल जालौन राठ हमीरपुर से सडक मार्ग पर जुड़ा हुआ है तथा यह यमुना नदी के तट पर बसा है। कालपी का इतिहास प्रचलित जन कथाओं के अनुसार…

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उरई का किला और माहिल तालाब

उरई का किला किसने बनवाया – माहिल तालाब का इतिहास इन हिन्दी

उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद मे स्थित उरई नगर अति प्राचीन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। कानपुर से यह 109 किलोमीटर की दूरी पर और झाँसी से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस नगर में दक्षिणी किनारे की एक पहाडी पर नई बस्ती स्थित है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक प्राचीन सरोवर और नहरे है।…

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एरच का किला

एरच का किला किसने बनवाया था – एरच के किले का इतिहास हिन्दी में

उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद में एरच एक छोटा सा कस्बा है। जो बेतवा नदी के तट पर बसा है, या स्थल झाँसी से 46 मील उत्तर पूर्व और गरौठा से 22 मील दूर है। यह स्थल गरौठा से पुन्छ मार्ग पर स्थित है यहाँ पर एक प्राचीन दुर्ग है जिसका पुरातात्कि महत्व है। जिसको एरच का किला के नाम से जाना जाता है। वर्तमान…

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चिरगाँव का किला

चिरगांव का किला किसने बनवाया – चिरगांव किले का इतिहास का इतिहास

चिरगाँव झाँसी जनपद का एक छोटा से कस्बा है। यह झाँसी से 48 मील दूर तथा मोड से 44 मील दूर झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। इसी चिरगांव में यह किला स्थित है, जिसे चिरगांव का किला कहा जाता है। चिरगांव का किला का इतिहास बुन्देलो के शासन काल में यह प्रशासन का मुख्यालय था, और बुन्देलों को इस समय…

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