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मीरान शाह बाबा दरगाह विजयगढ़

मीरान शाह बाबा दरगाह – मीरान शाह बाबा का उर्स

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद का विजयगढ एक परगना है। यहां एक ऊची पहाडी के ऊपर विजयगढ का किला बना है। किला लगभग 400 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। कहते है, यह किला पांचवी शताब्दी मे कोल राजाओं द्वारा बनवाया गया था। तब से आज तक यह किला रहस्य और रोमांच के साथ-साथ इतिहास पुरातत्व और संस्कृति, त्रिकोणीय संस्कृति का कन्द्र भी बना हुआ…

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काशी के मेले

काशी का मेला – काशी विश्वनाथ के मेले

काशी ()(वाराणसी) पूर्वांचल की सबसे बडी सांस्कृतिक नगरी है। कहते है यह शिवजी के त्रिशूल पर बसी है तथा अक्षय है। यह महातीर्थ है। यहां मरने पर मुक्ति मिलती है- “काश्या मरणा मुक्ति”।गंगा-तट पर स्थित अब यह महानगरी है। विद्या का केन्द्र है। अतः यहां अगणित तीर्थ मंदिर तथा पवित्र स्थल है। यहां समय-समय पर तीर्थ यात्रियों की भारी भीड एकत्र हो जाती है,…

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चुनार शरीफ दरगाह

चुनार शरीफ का उर्स दरगाह शाह कासिम सुलेमानी

मिर्जापुर कंतित शरीफ का उर्स और दरगाह शरीफ का उर्स हिन्दुस्तान भर मे प्रसिद्ध है। दरगाह शरीफ चुनार के किले में स्थित है। इसलिए यहां के उर्स को चुनार का उर्स कहा जाता है। और दरगाह को चुनार शरीफ दरगाह के नाम से जाना जाता है। यहां देश भर के लोग अपनी मनोकामना-पूर्ति तथा भक्ति-भाव से आते है। दरगाह शरीफ का मेला चैत्र मास…

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कंतित शरीफ

कंतित शरीफ का उर्स व दरगाह मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

साम्प्रदायिक सद्भाव, हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विंध्याचल के समीप ओझला से पश्चिम कंतित मे ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की मजार है। जिसे कंतित शरीफ कहा जाता है। यहां पर आठ नवम्बर को प्रतिवर्ष कंतित शरीफ उर्स मेले का आयोजन किया जाता है। यह बहुत पुराना मेला है। तीन दिन के इस मेले में दो लाख से अधिक हिन्दू, मुसलमान नर-नारी,…

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शिवपुर धाम मिर्जापुर

शिवपुर का मेला और तारकेश्वर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विंध्याचल धाम से एक किमी पश्चिम मे शिवपुर नामक स्थान है। जिसके बारे मे कहा जाता है कि एक बार वशिष्ठ मुनि ने पृथ्वी पर भ्रमण करने वाले नारद जी से पूछा कि पृथ्वी पर सबसे उत्तम क्षेत्र कौन सा है ? तो नारद जी ने कहा कि इस ब्रह्माण्ड मे विंध्य क्षेत्र सर्वोत्तम है। इसी विंध्य क्षेत्र के…

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विंध्याचल नवरात्र मेला

विंध्याचल नवरात्र मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

विंध्याचल नवरात्र मेला यह जगत प्रसिद्ध मेला मां विंध्यवासिनी धाम मिर्जापुर जिले में लगता है। यूं तो नवरात्र के अवसर पर देश और प्रदेश भर में कई जगह मेले लगते हैं। परंतु विंध्याचल नवरात्र मेला अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विंध्याचल नवरात्र मेला पूरे नवरात्र भर बड़ी धूमधाम से चलता है। विंध्याचल नवरात्र मेला मिर्जापुर भारतीय धर्म-साधना मे दुर्गा पूजन का…

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पक्का घाट मिर्जापुर

पक्का घाट का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

गंगा-तट पर जितने नगर बसे है, उन सबमे मिर्जापुर का पक्का घाट और घण्टाघर बेजोड है।ये दोनो वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने है। मिर्जापुर नगर पालिका के एक सौ पांच वर्ष में उल्लिखित विवरण के अनुसार 1867-68 में यहां का टाउन हाल तथा घण्टाघर निर्मित हुआ था। इसमे गुलाबी, हरे तथा लाल रंग के पत्थरों पर भीतर, बाहर, नीचे से ऊपर तक नक्काशी, पच्चीकारी की गयी…

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लोहंदी महावीर मंदिर

लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

श्रावण मास के प्रत्येक शनिवार को लोहंदी महावीर का मेला लगता है। वैसे प्रत्येक मगलवार को भी सैकडो दर्शनार्थी भक्तगण लोहंदी महावीर जी के दर्शन के लिए जाते है। प्रत्येक रविवार को वदी के दिन भी तफरी के लिए सेठ-साहुकार तथा भावुकजन लोहंदी महावीर मंदिर जाकर लिट्टी-बाटी का आयोजन करते है। यह स्थान मिर्जापुर जिला मुख्यालय नगर से दक्षिण मे लगभग पांच किमी पड़ता…

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कजरी तीज

कजरी तीज कब मनाते हैं – कजरी के गीत – कजरी का मेला

कजरी तीज पूर्वांचल का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है, कजरी पर्व के अवसर मिर्जापुर और आसपास के जिलों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज के अवसर पर जगह जगह मेले भरते है। कला जीवन की अनिवार्यता है तो लोककला लोकजीवन की। चौसठ कलाओ में अधिकतर लोककलाए ही है। काव्यकला ललित होने के कारण उत्तम कला है। कजरी लोक-काव्य-कला है। इसमे साहित्य, संगीत…

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ओझला पुल

ओझला मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश – ओझला पुल

ओझला पुण्यजला का बिगड़ा हुआ रूप है। यह एक नाला है जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नगर से पश्चिम विंध्याचल से एक किमी, पूर्व स्थित है। इसका जलस्त्रोत विंध्य की पहाडियां है। यही पर इसकी धारा गंगा जी में उत्तर वाहिनी होकर विलीन हो जाती है। गंगा जी मे मिलने के कारण इसका नाम पुण्यजला हो गया है। इसके बारे में कहा…

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सुरियावां का मेला

सुरियावां का मेला – भोरी महजूदा का कजरहवा मेला

सुरियावां उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही जिले में एक नगर है। यहां भोरी महजूदा में हल षष्ठी व्रत के अवसर पर सावन में कजरी के बाद वाले गुरुवार को यह मेला लगता है। आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व घिनहू शर्मा नामक व्यक्ति अपने घर हमहा-हडिया से अपनी ससुराल भोरी आया। गांव की कुमारियों ने उसे कजरी गाकर सुनाने को कहा।उसने असमर्थता व्यक्त की, लेकिन…

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देवलास मंदिर

देवलास का मेला – देवलास धाम में उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में लगने वाला देवलास का मेला बहुत मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि देवलास नामक स्थान पर देवल मुनि ने तपस्या की थी। यह भी जनश्रुति है कि महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम जब अयोध्या से जा रहे थे तो यही महर्षि देवल के आश्रम पर विश्राम किया था। इस तरह इस मेले का पौराणिक महत्व हो जाता है।…

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सेमराध नाथ का मेला

सेमराध नाथ का मेला – सेमराध धाम मंदिर भदोही

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में जगीगंज-शेरशाह सूरी मार्ग से गंगा-घाट पर सेमराध नाथ का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इसी सेमराध नाथ मंदिर पर शिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है। जिसे सेमराध नाथ का मेला कहां जाता है, जिसमें भक्तों की काफी भीड़ होती है। सेमराध नाथ मंदिर का महत्व …

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मगहर का मेला

मगहर का मेला कब लगता है – कबीर समाधि मगहर

संत कबीरदास के बारे मे जनश्रुति है कि वे अपनी भक्ति पर अटूट विश्वास के फलस्वरूप काशी छोड़ कर मगहर चले गये थे और कहा था- जो कबिरा काशी मरे, रामहि कवन निहोर।” यह वहीं मगहर है। कबीरदास की अंतिम साधना-स्थली भी यही है। यहां संत कबीर दास का आश्रम है, मंदिर है, समाधि है, जो कबीर पंथियो के लिए तीर्थ है। कबीर हिन्दू-मुसलमान…

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भदेश्वर नाथ मंदिर

भदेश्वर नाथ मंदिर का महत्व और भदेश्वर नाथ का मेला

बस्ती , गोरखपुर, देवरिया तीनो एक स्वभाव के शहर है। यहां की सांस्कृतिक परपराए महत्वपूर्ण और अक्षुण्ण रही हैं। सरयू नदी का प्रभाव-क्षेत्र होने के कारण यहां भी सभ्यताओं का उदय-अस्त हुआ है। यहा के मेले और त्यौहार प्राय धार्मिक भावभूमि पर आधारित हैं। पूरा पूर्वाचल आरभ से ही काशी के प्रभाव-क्षेत्र में होने के कारण शिव-साधना का और विन्ध्यांचल के कारण शक्ति-साधना का…

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कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर

सिकंदरपुर का मेला – कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर

सिकंदरपुर उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले में एक नगर पंचायत व तहसील है। इस नगर को सिकंदर लोदी ने बसाया था जिसके नाम पर इसका नाम सिकंदरपुर पडा है। बलिया से सिकंदरपुर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। यह नगर यहां स्थित प्रसिद्ध कल्पा जल्पा देवी मंदिर के लिए भी जाना जाता है। सिकंदरपुर में स्थित कल्पा जल्पा देवी मंदिर पर सिकंदरपुर का मेला…

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रसड़ा का मेला और नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलिया

बलिया जिले का रसड़ा एक प्रमुख स्थान है। यहा नाथ संप्रदाय का प्रभाव है, जिसके कारण यहां नाथ बाबा का मंदिर बना हुआ है जहां क्वार दशमी के दिन मेला लगता है। रामलीला का यह मेला बडा प्रसिद्ध है जिसमें 25-30 हजार का जन-समूह उमड पडता है। गांव-देहात के लोग भी आते है। मनोरजन के साधनों में गीत, नाट्य, मदारी का खेल, जादू, कठपुतली…

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असेगा का मेला

असेगा का मेला – शोकहरण महादेव मंदिर असेगा बलिया

असेगा एक स्थान का नाम है जो बलिया जिले के सुखपुरा थानान्तर्गत पड़ता है। असेगा में शिवरात्रि के अवसर पर सात दिन का मेला लगता है, किन्तु शिवरात्रि के दिन लाखो की भीड उमड पडती है। असेगा में भगवान शिव का बडा और पुराना मंदिर है। असेगा में स्थापित महादेव को 'शोकहरण महादेव" कहकर पुकारा जाता है। यहां रूद्राभिषेक होता है। श्रद्धालु बेलपत्र, अक्षत, जल…

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ददरी का मेला

ददरी का मेला कहां लगता है और ददरी मेले का इतिहास

सरयू का तट पर स्थित बलिया जनपद अपनी अखंडता, निर्भीकता, बौद्धिकता, सांस्कृतिक एकता तथा साहित्य साधना के लिए प्रसिद्ध है। इसका ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व है। बलिया शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर ददरी का प्रसिद्ध मेला लगता है। ददरी के मेले के बारे में कहा जाता है कि ददरी मेला भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है। बलिया ददरी का…

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बरहज का मेला

बरहज का मेला कब लगता है और मेले का महत्व

बरहज देवरिया का एक प्रमुख स्थान है जो पवित्र सरयू जी के तट पर स्थित है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है। जो बरहज का मेला कहलाता है। जिसमे लगभग एक लाख तक दर्शनार्थी एकत्र हो जाते है। कहते है कि अनन्त महाप्रभु ने बरहज में ही तपस्या की थी। बरहज का मेला कार्तिक पूर्णिमा के अतिरिक्त अनन्त चतुर्दशीतथा प्रत्येक अवामस्या…

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बांसी का मेला

बांसी का मेला कब लगता है – बांसी मेले का इतिहास

बांसी एक नदी का नाम है जिस के तट पर क्वार माह की पूर्णिमा को मेला लगता है। इस मेले मे भी दूर-दूर से श्रद्धालु आकर स्नान, भजन, पूजन, कीर्तन में सम्मिलित होते है। देवरिया जनपद का यह भी बडा प्रसिद्ध मेला है। इसमे ग्राम्य जीवन की झाकी देखने योग्य होती है। गांव की महिलाएं झुंड के झुंड टोलियां बनाकर यहां मंगल-गीत गाती हुई आती…

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कुलकुला धाम मेला

कुलकुला देवी मंदिर कहां है – कुलकुला धाम मेला

कुलकुला देवी मंदिर कुशीनगर जनपद मे कसया नामक तहसील के एक कुडवा दीलीपनगर गांव है। यहा से चार किलोमीटर पूरब की ओर कुलकुला देवी का प्रसिद्ध धाम है, यहां चैत्र रामनवमी के अवसर पर कुलकुला देवी का मेला लगता है। कसया से देवी धाम की दूरी 14 किलोमीटर है, कुशीनगर जिला मुख्यालय से कुलकुला देवी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर है। फाजिलनगर से 13 किलोमीटर…

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दुग्धेश्वर नाथ मंदिर

दुग्धेश्वर नाथ मंदिर रूद्रपुर – दुग्धेश्वर नाथ का मेला

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रूद्रपुर नामक एक नगर पंचायत है। रूद्रपुर बाबा दुग्धेश्वर नाथ मंदिर के लिए जाना जाता है।दुग्धेश्वर नाथ भगवान शिवजी का एक नाम है, क्योकि उन्हे दुग्ध स्नान कराया जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां कई हजार श्रद्धालु एकत्र होकर बेलपत्र, दूध, फूल, माला चढ़ाकर भजन-पूजन, दर्शन करते है। इस अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेला लगता है। इसके…

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सोहनाग परशुराम धाम

सोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला

देवरिया महावीर स्वामी और गौतमबुद्ध की जन्म अथवा कर्मभूमि है। यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी है, अत कला और संस्कृति का यह जनपद केन्द्र रहा है। यहां कई मेलों का आयोजन समय समय पर होता रहता है। उसी में एक प्रसिद्ध मेला है सोहनाग का मेला। यह मेला देवरिया जनपद मे सलेमपुर थानान्तर्गत सोहनाग नामक स्थान पर लगता है। यहां भगवान परशुराम धाम है,…

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लेहड़ा देवी मंदिर

लेहड़ा देवी मंदिर कहां है – लेहड़ा देवी का मेला कब लगता है

उत्तर प्रदेश राज्य में एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर जिसे लेहड़ा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है और इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुई है। इस लेहड़ा देवी मंदिर पर लेहड़ा देवी का मेला भी लगता है। इस प्रवित्र वह मनोकामना पूर्ण स्थान के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि लेहड़ा देवी मंदिर कहां है। लेहड़ा देवी…

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बांसगांव का मेला

बांसगांव का मेला कब लगता है – बांसगांव का इतिहास

बांसगांव भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर जिले का एक कस्बा और नगर पंचायत है। यह नगर यहां बसे श्रीनेत वंशीय राजपूतों के लिए जाना जाता है। मूल रूप से यह कहा जाता है, इस स्थान पर श्रीनेत वंशीय राजपूतों का कब्जा था, जो अभी भी अभी भी अपनी कुलदेवी मां दुर्गा के प्राचीन मंदिर में बलिदान (रक्त) चढ़ाने के लिए अश्विन के महीने…

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तरकुलहा का मेला

तरकुलहा का मेला – तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर

गोरखपुर जिला मुख्यालय से 15 किमी0 दूर देवरिया मार्ग पर एक स्थान है तरकुलहा। यहां प्रसिद्ध तरकुलहा माता का तरकुलहा देवी मंदिर स्थित है। जहां तरकुलहा का मेला लगता है। इस स्थान की यहां के लोगों में बहुत मान्यता है। तरकुलहा का मेला और उसका महत्व कहते हैं कि यहां तरकुल के एक विशाल वृक्ष के नीचे माँ का…

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गोरखनाथ का मेला

गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश का गोरखपुर बाबा गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना जाता है। नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक तथा प्रथम साधु गुरु गोरखनाथ ने यही रहकर नाथ सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार किया था। वहा नगर के समीप आज भी विशाल मंदिर, पार्श्व मे तालाब बना हुआ है जहा विभिन्‍न अवसरों पर वैसे भी मेला का सा दृश्य उपस्थित हो जाता है। तब भी मकर संक्राति (खिचडी) के…

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शेख शाह सम्मन मजार

शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश

गाजीपुर जिले मे सैदपुर एक प्रमुख स्थान है। यहा शेख शाह सम्मन की मजार है। मार्च और अप्रैल में यहां बहुत बडा उर्स मेला लगता है जो तीन दिन तक चलता है। इस मेले में हिन्दू-मुस॒लमान दोनों समुदाय के लोगदूर-दूर से आकर चादरे चढाते है। कव्वाली का भव्य आयोजन होता है। नृत्य, सगींत के कार्यक्रम भी होते है। शेख शाह सम्मन मजार गंगा जमुनी…

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जमदग्नि आश्रम मेला

जमदग्नि आश्रम मेला जमानियां गाजीपुर उत्तर प्रदेश

गाजीपुर जिले में जमानिया एक तहसील है जिसका नामकरण जमदग्नि ऋषि के नाम पर यहा उनका आश्रम होने के कारण किया गया है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जमदग्नि आश्रम मेला लगता है। यहां परशुरामजी का भव्य मंदिर भी है जहां अक्षय तृतीया को मेला लगता है। इस प्रकार यहां दो भव्य मेले लगते है। लोग इसे जमनिया का मेला भी कहते है। …

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कामाख्या देवी मेला

कामाख्या देवी मेला गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश

गाजीपुर जिला वाराणसी के प्रभाव-क्षेत्र में आता है। बलिया, आजमगढ़ उसके समीपवर्ती जनपद है।अतः गाजीपुर की सांस्कृतिक परंपरा भी बड़ी समृद्ध है। गंगा तट पर स्थित होने के कारण यहां अनेक पौराणिक अनुष्ठान भी होते रहे हैं। विभिन्‍न अवसरों पर मेलो का आयोजन होता रहा है। ऐसा ही एक स्थान गाजीपुर जिले में गहमर बहुत बडा गांव है वहा कामाख्या धाम है। जहां मां…

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बाबा गोविंद साहब का मेला

बाबा गोविंद साहब का मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ नगर से लगभग 50 किमी. पश्चिम फैजाबाद मार्ग पर बाबा गोविंद साहब धाम है। जहां बाबा गोविंद साहब का मेला लगता है। यह मेला खिचडी (मकर संक्राति) के अवसर पर 15 दिनो का लगता है। इसे गन्ने वाला मेला भी कहा जाता है, क्योकि यहां गन्ना बहुत पैदा होता है और मेले मे लाखो रूपये का गन्ना बिक जाता है। यहाँ लाल रंग…

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भैरव जी मेला महराजगंज

भैरव जी मेला महराजगंज आजमगढ़ उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ जिला मुख्यालय से 22 किमी0 उत्तर-पश्चिम की ओर महराजगंज के पास एक स्थान है। जहां भैरव जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। जहा महाशिवरात्रि ज्येष्ठ दशहरा तथा प्रत्येक माह की पूर्णिमा पर मेला लगता है। जिसको भैरव जी मेला कहां जाता है। यहां एक पुराना बडा तालाब है जिसके तट पर मेले के दिन भारी भीड एकत्र हो जाती है। शिवरात्रि पर लगभग…

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दुर्वासा धाम मेला

दुर्वासा धाम मेला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ बहुत पुराना नगर नही है, किंतु तमसा के तट पर स्थित होने के कारण सांस्कूतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। काशी के संत-महात्मा यहां आते रहे है। यह भूमि तपस्या के लिए उपयोगी रही है। तमसा गोमती की तरह गहरी नदी है जिसके तट पर अनेक यज्ञानुष्ठान होते रहे है। उन्ही स्मृतियों को स्थायित्व प्रदान करने के लिए यहां मेलो का आयोजन किया…

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