उत्तराखण्ड का पौडी गढवाल जिला क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तरांचल का तीसरा सबसे बडा जिला है । pouri gardhwal tourist place पौडीगढवाल जिले का क्षेत्रफल 5399 वर्ग किलोमीटर है। इस जिले मै पौडी, श्रीनगर, कोटद्धार, लैंसडाउन, दुगड्डा, देवप्रयाग जैसे प्रमुख शहर आते है। पौडीगढवाल जिले का मुख्यालय पौडी शहर है यह जिला केदारनाथ व
पौडी गढवाल जिले के अन्तर्गत कुछ सुंदर दृश्यबद्रीनाथ यात्रा का प्रवेशद्धार भी माना जाता है। तथा सौंदर्य की दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण जिला है। पौडी गढवाल में पर्यटन तथा धार्मिक स्थलो की कोई कमी नही है। पौडीगढवाल जिले की सीमा उत्तराखण्ड के टिहरीगढवाल,रूद्रप्रयाग,चमोली,अल्मोडा,नैनीताल,देहरादून,हरिद्धार तथा उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की सीमा से मिली हुई है।
(पौडी शहर)
इस मनोरम स्थल से हिमशिखर के सुंदर नजारे पर्यटकों को आकर्षित करते है।
कांडोलिया:-
पौडी से 2 किमी की दूरी पर लैंसडाउन मार्ग पर स्थित यह स्थान कांनडोलिया देवता मंदिर के लिए प्रसिद है।
चौखंबा व्यूप्वाइंट:-
यहाम से चौखंबा पर्वत शिखर एंव इदवाल घाटी के सुंदर दृश्य दिखाई पडते हैै। यह स्थान पौडी से 4 किमी की दूरी पर स्थित है।
क्यूकालेश्वर महादेव:-
यहां 8वी शताब्दी में निर्मित भगवान शिव का प्राचीन मंदिर स्थित है। मंदिर से हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओ के दृश्य देखने योग्य है।
अद्धानी:-
पौडी से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह एक पिकनिक स्पॉट है।
खिरसु:-
इस प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थल से हिमालय की बर्फीली चोटियो का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। खिरसु प्राचीन घंडियाल देवता के मंदिर के लिए भी जाना जाता है। निकट में देवदार के घने जंगल और सेबो के बागीचे भी पर्यटको को आकर्षित करते है। पौडी से खिरसु की दूरी 19किमी है।
ज्वालादेवी मंदिर:-
यह पवित्र तीर्थ स्थल पौडी कोटद्धार मार्ग पर स्थित है। नवरात्रो के समय यहां पर भारी संख्या में तीर्थ यात्री मंदिर में दर्शन के लिए आते है।पौडी से ज्वाला देवी की दूरी 34 किमी है।
ताराकुंड:-
इस मनोरम स्थल पर सुंदर झील और प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां पर तीज का त्यौहार भी मनाया जाता है।
देहरादून जिले के पर्यटन स्थल
टिहरी जिले के पर्यटन स्थल
अल्मोडा जिले के पर्यटन स्थल
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पौडी गढवाल के प्रर्यटन स्थल
पौडी गढवाल के प्रमुख मंदिर
कोटद्धार:-
कोटद्धार पौडी से 108 किमी तथा उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। तथा रेल व सडक मार्ग से जुडा हुआ है।
सिद्धबली मंदिर:-
यह प्रसिद हनुमान जी का मंदिर का मंदिर तीर्थ यात्रियो को आकर्षित करता है। सिद्धबली मंदिर की कोटद्धार से दूरी 4 किमी है।
दुर्गादेवी मंदिर:- Pouri gardhwal tourist place
यह कोटद्धार नगर का दूसरा प्रमुख मंदिर है।
भारत नगर:- Pouri gardhwal tourist place
कोटद्धार से भारत नगर की दूरी 22 किमी है। यहां से गंगा पर स्थित बालावाली पुल कालागढ बांध और कोटद्धार के सुंदर नजारे दिखाई पडते है।
कालागढ:- Pouri gardhwal
कोटद्धार से 48 किमी की दूरी पर कालागढ स्थित है। यह प्राकृतिक सुंदरता और राम गंगा नदी पर स्थित बांध के लिए जाना जाता है। यहा स्थित बांध देखने योग्य है।
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कोटद्धार पर्यटन स्थल
कांवाश्रम:- माना जाता है कि यहा ऋषि विश्वामित्र कठोर तपस्या कर रहे थे। तब भगवान इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए अप्सरा मेनका को भेजा था कोटद्धार से कांवाश्रम की दूरी 14 किमी है।
श्री कोटेश्वर महादेव:-
यहां कोटेश्वर महादेव की स्थिति अनादिकाल से मानी जाती है। इस स्थान पर शंकराचार्य तथा त्रोटकाचार्य की कोई स्मृति न देखकर स्वामी गिरीशानंद जी ने मंदिर और आश्रम की स्थापना की थी। इस मंदिर में गर्भगृह के बीच में प्राकृतिक शिवलिंग है। इस पर सर्प के फन की छाया की गई है। लिंग के चारो ओर पंचदेव सूर्य, विष्णु, हनुमान, गणेश तथा पार्वती की मूर्तियां है। गर्भगृह के चारो ओर परिक्रमा रूप बरांडा है। यह स्थल कावाश्रम के करीब ही स्थित है।
मेदनपुरी देवी:-
यह पवित्र स्थल ऋषिकेश से 37 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ स्थित माता मेदनपुरी देवी का मंदिर एक सिद्धपीठ है। यहां नवरात्रो में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।
ताडकेशवर महादेव:-
यहां स्थित भगवान शिव का मंदिर देवदार और चीड के घने वनो से घिरा हुआ है। शिवरात्री पर यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
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लैंसडाउन:-
यह प्रसिद पर्वतीय स्थान पौडी से 81 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां का शांत और सुंदर वातावरण पर्यटको को अनायास ही ओर आकर्षित करता है।
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श्रीनगर व आस पास के पर्यटन स्थल
श्रीनगर:-
केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा के मार्ग में श्रीनगर एक मुख्य स्थान है। प्राचीन समय में यह नगर गढवाल की राजधानी रहा है। यह अलकनंदा नदी के बांए तट पर स्थित है। ऋषिकेश से श्रीनगर की दूरी 108 किलोमीटर उत्तर पूर्व दिशा में है। गढवाल के राजाओ ने इसको अपनी राजधानी बनाया था। वर्तमान समय में भी इसका महत्व अधिक हो गया है। गढवाल का केन्द्रीय स्थान होने के कारण श्रीनगर को सभी प्रमुख स्थानो से मोटर मार्ग दारा जोडा गया है। इसके बारे में पौराणिक कथा प्रसिद है। कि सत्यसंध नामक राजा ने कोलासुुर को पराजित करने के लिए एक पाषाण शिला पर श्रीविधा यंत्र की स्थापना की थी।
केशोराय मठ:-
कमलेश्वर पीठ से उत्तर पूर्व दिशा मे अलकनंदा के तट पर केशोराय मठ है। इस मंदिर की रचना राजा महीपतिशा के समय केशोराय ने कराई थी।
कमलेश्वर मंदिर:-
कमलेश्वर को शिव का अति महत्वशाली पीठ माना जाता है। यह श्रीनगर का सबसे प्रसिद महत्वपूर्ण और लोकप्रीय मंदिर है।
शंकर मठ:-
यह श्रीनगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। वैष्णवी शिला के कुछ ऊपर शंकर मठ नामक प्राचीन मठ है। पुराणो मे इसको अश्वतीर्थ कहा गया है। लक्ष्मी के साथ विष्णु यहां सदैव निवास करते है। प्राचीन समय में शंकराचार्य की प्रेरणा से इस मंदिर की स्थापना हुई थी।
देवलगढ:-
श्रीनगर से 19 किलोमीटर की दूरी पर है। देवलगढ को श्रीनगर की सीमाओ के अंदर माना जाता है। प्राचीन समय में यह स्थान श्रीनगर से बद्रीनाथ की पैदल यात्रा के मार्ग में पडता था।
Pouri gardhwal पौडी गढवाल कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग- पौडी से निकतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट 155 किलोमीटर की दूरी पर है।
रेल मार्ग- पौडी से निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्धार 108 किमी दूर है।
सडक मार्ग- पौडी सडक मार्ग से जुडा है।
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उत्तर प्रदेश के
लखीमपुर खीरी जनपद के पलिया नगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दुधवा नेशनल पार्क है।
पीरान
कलियर शरीफ उतराखंड के रूडकी से 4किमी तथा हरिद्वार से 20 किमी की दूरी पर स्थित पीरान कलियर
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राधा कुंड :- उत्तर प्रदेश के
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