Read more about the article उरैयूर का इतिहास और पंचवर्णस्वामी मंदिर
उरैयूर का मंदिर

उरैयूर का इतिहास और पंचवर्णस्वामी मंदिर

उरैयूर ( Uraiyur/Woraiyur)भारत के तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली शहर का एक पॉश इलाका है। उरैयूर तिरुचिरापल्ली शहर का प्राचीन नाम था। अब, यह त्रिची शहर का सबसे व्यस्त क्षेत्र बन गया है। यह प्रारंभिक चोलों की राजधानी थी, जो प्राचीन तमिल देश के तीन प्रमुख राज्यों में से एक थे। उरैयूर का इतिहास और प्रमुख पंचवर्णस्वामी मंदिर अशोक के काल में चोलों का एक स्वतंत्र…

Continue Readingउरैयूर का इतिहास और पंचवर्णस्वामी मंदिर
Read more about the article करूर का इतिहास और दर्शनीय स्थल
करूर के दर्शनीय स्थल

करूर का इतिहास और दर्शनीय स्थल

करूर (karur) भारत के तमिलनाडु राज्य में एक प्रमुख नगर और जिला मुख्यालय है। करूर यह वन्नी नदी के किनारे स्थित है। इसका प्राचीन नाम वंजी है। दूसरी और तीसरी शताब्दी में करूर चेर राजाओं की दूसरी शाखा की राजधानी थी। इस शाखा के राजा केरल में मरंदाई की मुख्य शाखा के समकालीन थे। इसका प्रथम ज्ञात राजा अंडुवन था। वह एक विद्वान था।…

Continue Readingकरूर का इतिहास और दर्शनीय स्थल
Read more about the article कांचीपुरम का इतिहास और दर्शनीय स्थल
कांचीपुरम

कांचीपुरम का इतिहास और दर्शनीय स्थल

कांची यह शहर मद्रास के पास आधुनिक कांचीपुरम है। यह तमिलनाडु राज्य का प्रमुख शहर है। तीसरी चौथी शताब्दी में कांचीपुरम में पल्लव शासकों का राज्य था। ये राजा पहले सातवाहनों को अपना अधिपति मानते थे और बाद में स्वतंत्र हो गए थे। सबसे पहला स्वतंत्र राजा सिंहवर्मा प्रथम (275-300) था। उसका एक लेख गुंदूर जिले के पलनाद तालुके में मिला है। यह प्राकृत में…

Continue Readingकांचीपुरम का इतिहास और दर्शनीय स्थल
Read more about the article अर्काट का इतिहास – अर्कोट कहा है
अर्काट का इतिहास

अर्काट का इतिहास – अर्कोट कहा है

सतरहवीं-अट्ठारहवीं शताब्दी में कर्नाटक दक्खन (हैदराबाद) के निजाम का एक सूबा था, जिसकी राजधानी अर्काट थी। इसका प्रशासनिक मुखिया सूबेदार होता था। उसे नवाब कहा जाता था। औरंगजेब ने 1690 ई० में जुल्फीकार अली खाँ को यहाँ का सबसे पहला नवाब बनाया था। उसने 1703 ई० तक शासन किया। उसके बाद दाउद खाँ (1703-10), मुहम्मद सैयद सआदत उल्ला खाँ (1710-32) और दोस्त अली (1732-40) यहां…

Continue Readingअर्काट का इतिहास – अर्कोट कहा है
Read more about the article बड़ौदा के दर्शनीय स्थल – बड़ौदा का इतिहास
बड़ौदा के दर्शनीय स्थल

बड़ौदा के दर्शनीय स्थल – बड़ौदा का इतिहास

बड़ौदा गुजरात राज्य का प्रमुख शहर है। बड़ौदा से अभिप्राय है बड़ के पेड़ों के बीच स्थित, इसका आधुनिक नाम वडोदरा है। सन् 119-24 तक यहाँ शक क्षत्रप नहपान का शासन था। ताराबाई ने इसे 1706 ई० में अपने अधीन किया था। उस समय वह अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय की संरक्षिका के रूप में शासन कर रही थी। यहाँ का शासक दामाजी गायकवाड़ पेशवा के…

Continue Readingबड़ौदा के दर्शनीय स्थल – बड़ौदा का इतिहास
Read more about the article जूनागढ़ का इतिहास – गिरनार पर्वत जूनागढ़
गिरनार पर्वत जूनागढ़

जूनागढ़ का इतिहास – गिरनार पर्वत जूनागढ़

गिरिनगर गिरनार पर्वत की तलहटी में बसे इस शहर का आधुनिक नाम गिरनार है। यह गुजरात राज्य का प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसे जूनागढ़ भी कहा जाता है। मौर्य काल में यह सौराष्ट्र प्रांत की राजधानी थी। उस समय पुण्यगुप्त यहां चंद्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था। तुषाष्फ और पर्णदत्त भी गिरिनगर के राज्यपाल रहे थे। वल्लभी वंश के पतन के बाद यहां का राज्यपाल स्वतंत्र…

Continue Readingजूनागढ़ का इतिहास – गिरनार पर्वत जूनागढ़
Read more about the article पालिताना का इतिहास और दर्शनीय स्थल
पालिताना दर्शनीय स्थल

पालिताना का इतिहास और दर्शनीय स्थल

पालिताना यह स्थान गुजरात के भावनगर के दक्षिण-पश्चिम में है। यह शत्रुंजय पहाड़ी का प्रवेश द्वार है। यह पहाड़ी इसी नाम की नदी के किनारे है। पहाड़ी लगभग एक हजार जैन मंदिरों से ढकी हुई है। जैन धर्मावलंबियों द्वारा जैन मंदिरों से आच्छादित पाँच पहाड़ियों में से शत्रुंजय पहाड़ी सबसे पवित्र मानी जाती है। पहाड़ी पर सबसे पहले आदिनाथ का मंदिर 960 ई० में…

Continue Readingपालिताना का इतिहास और दर्शनीय स्थल
Read more about the article भड़ौच का इतिहास और भड़ौच के दर्शनीय स्थल
भड़ौच के पर्यटन स्थल

भड़ौच का इतिहास और भड़ौच के दर्शनीय स्थल

भरूकच्छ यह गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, इसका आधुनिक नाम भड़ौच है। इसका प्राचीन नाम भृंगुकच्छ भी था, जो भृंगु ऋषि के नाम पर पड़ा था। इसे बेरीगाजा भी कहा जाता था। ऐसा माना जाता है कि बाली ने यहां एक यज्ञ किया था। भड़ौच का इतिहास सन् 119 से 124 ई० तक भड़ौच शक क्षत्रप नहपान के अधीन…

Continue Readingभड़ौच का इतिहास और भड़ौच के दर्शनीय स्थल
Read more about the article लोथल की खोज किसने की और कब हुई
लोथल आर्कियोलॉजिकल साइट

लोथल की खोज किसने की और कब हुई

लोथल यह स्थल सौराष्ट्र क्षेत्र में अहमदाबाद से 87 किमी दूर भोगवा नदी के किनारे धोलका तालुका के सरागवाला गांव के पास स्थित है। यह एक आर्कियोलॉजिकल साइट है। पुरातत्वविद एस. आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर 1954 से 1963 के बीच कई हड़प्पा स्थलों की खोज की, जिनमें में बंदरगाह शहर लोथल भी शामिल है। पुरातत्व में रूची रखने वाले पर्यटक…

Continue Readingलोथल की खोज किसने की और कब हुई
Read more about the article वल्लभी का इतिहास – वल्लभीपुर का इतिहास
वल्लभी का इतिहास

वल्लभी का इतिहास – वल्लभीपुर का इतिहास

वल्लभी या वल्लभीपुर यह स्थान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में हुआ करता था। आजकल यह गुजरात राज्य के भावनगर जिले का एक ऐतिहासिक नगर है, और घेला नदी के किनारे बसा हुआ है। इसका नामकरण वल्लभ वंश पर पड़ा। वल्लभी कभी प्राचीन मैत्रक वंश की राजधानी हुआ करता था। वल्लभीपुर शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र था, यहां कई बौद्ध मठ भी थे। वल्लभी का इतिहास…

Continue Readingवल्लभी का इतिहास – वल्लभीपुर का इतिहास