हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्थित प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर (naina devi tample bilaspur) भारत भर में अपने श्रृद्धालुओ में काफी प्रसिद्ध है तथा हिमाचल प्रदेश के धार्मिक स्थलो में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह स्थान पंजाब की सीमा से काफी करीब है। श्री शिवपुराण की कथानुसार सती पार्वती के शव को लेकर जब भगवान शिव तीनो लोको का भ्रमण कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने उनका मोह दूर करने के लिए सती के शव को चक्र से काट काटकर गिरा दिया था।
जिन जिन स्थानो पर अंग गिरे वहा वहा शक्ति पीठ माने गए कुल 51 शक्ति पीठो में नौ देवीयो के मंदिरो की भी गणना है। जिनमे ज्वालाजी, चामुण्डा देवी, कालिका देवी, वैष्णो देवी, चिन्तपूर्णी, वज्रेश्वरी देवी, मनसा देवी, शाकुम्भरी देवी, तथा नैना देवी है। अपनी इस पोस्ट में हम जिस नैना देवी मंदिर ( naina devi tample) मंदिर की बात कर रहे है उसके बारे में कहा जाता है की इस स्थान पर सती के दोनो नेत्र गिरे थे। जिससे इसकी गणना प्रमुख शक्ति पीठो में होती है। यहा मंदिर में भगवती नैना देवी के दर्शनपिण्डी के रूप में होते है। श्रावण मास की अष्टमी तथा नवरात्रो में यहा बहुत अधिक संख्या में श्रृद्धालु यहा दर्शन हेतु आते है। इसके अलावा बाकी के समय में भी यहा श्रृद्धालुओ की संख्या काफी रहती है।
नैना देवी के सुंदर दृश्यNaina devi tample history
नैना दैवी मंदिर धार्मिक पृष्ठभूमि – नैना देवी की कथा
इस मंदिर के निर्माण तथा उत्पत्ति के विषय में कई दंतकथाए प्रचलित है। परंतु निम्नलिखित कथा प्रामाणिक समझी जाती है। इस पहाडी के समीप के इलाको में कुछ गुजरो की आबादी रहती थी। उनमे नैना नैना नाम का गूजर देवी का परम भक्त था। वह अपने गाय भैंस आदि पशुओ को चराने के लिए इस पहाडी पर आया करता था। यहा पर पीपल का वृक्ष जो अब भी यहा मौजूद है उसके नीचे आकर नैना गूजर की एक अनब्याही गाय पीपल के वृक्ष के नीचे आकर खडी हो जाती और उसके स्तनो से अपने आप दूध निकलने लगता था। नैना गूजर ने यह दृश्य कई बार देखा यह देखकर वह सोच विचार में डूब जाया करता था। कि एक बिन बियाई गाय के स्तनो में इस पीपल के पेड के निचे आते ही दूध क्यो आ जाता है? अत: एक बार उसने उस पीपल के पेड के नीचे आकर जहा गाय का दूध गिरता था। वहा पडे हुए सुखे पत्तो के ढेर को हटाना शुरू कर दिया। पत्ते हटाने के बाद उसमे दबी हुई पिण्डी के रूप में भगवती की प्रतीमा दिखाई दी। नैना गूजर ने दिन पिण्डी के दर्शन किये उसी दिन रात रात को माता ने स्वप्न में उसे दर्शन दिये और कहा कि मैं आदिशक्ति दूर्गा हूँ।
तू इसी पीपल के नीचे मेरा स्थान बनवा दे में तेरे ही नाम से प्रसिद्ध हो जाऊँगी। नैना गूजर माँ भगववती का परम भक्त था। उसने प्रात: काल उठते ही देवी माँ के आदेशनुसार उसी दीन मंदिर की नीव रख दी। शीघ्र ही इस स्थान की महीमा चारो ओर फैल गई। श्रृद्धालु भक्त यहा दूर दूर से आने लगे। भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी। धीरे धीरे यहा भक्तो ने माँ भगवती का विशाल तथा भव्य मंदिर बनवा दिया और यह स्थान तीर्थ नैना देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। यहा मंदिर के समीप ही एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा कहते है। इस गुफा के दर्शन भी शुभ माने जाते है।
नैना देवी के दर्शन naina devi tample darshan
इस तीर्थ पर माता माता के मंदिर के अतिरिक्त तीन और महत्तववपूर्ण स्थल है।
हवन कुंड
शाक्त सम्प्रदाय में हवन करने का विशेष फल बताया गया है। नवरात्रो में लगातार नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने के उपरांत होम करके कन्या पूजन से दुर्गा की पूजा समाप्त करने का विधान है। इसी उददेश्य से सभी शक्ति पीठो पर हवन कुंड निर्मित किये गए है। इस विषय में माता भवानी ने स्वयं कहा है कि जो लोग मेरे दानव वध के प्रसंगों को सुनेगें उन्हें सब प्रकार के सुख प्राप्त होगें। नवरात्रो के महोत्असवव में जो व्यक्ति मेरे चरित्र का पाठ करेगा या सुनेगा और फिर महा पूजा करके होम करेगा उसकी सभी बाधाएं निवृत हो जाएगीं। और वह धन धान्य संतान आदि से संयुक्त हो जाएगा। नैना देवी तीर्थ पर इस हवन कुंड का महत्व इसलिए भी अधिक माना जाता है। क्योकि गुरु गोविंद सिंह जैसे इतिहास पुरूष ने इस हवन कुंड में हवन किया था।
ब्रह्मकपाली कुंड
नैना देवी मंदिर के समीप ही एक सुंदर सरोवर है जिसे ब्रह्मकपाली कुंड कहा जाता है। कपाली भगवान शिव का ही एक नाम है। संभवत: इस सरोवर का संबंध भगवान शिव के साथ है। माना जाता है कि कपाली कुंड में स्नान करने से अनेक प्रकार के पाप दूर होते है।
शाकुम्भरी देवी सहारनपुर
वैष्णो देवी यात्रा
प्राचीन गुफा
कपाली कुंड के कुछ ही अंतर पर एक प्राचीन गुफा है। जिस प्रकार माता वैष्णो की गुफा अत्यंत प्राचीन मानी जाती है उसी प्रकार प्रकृतिक निर्मित यह गुफा कितनी पुरानी है इसके बारे में निश्चयपूर्वक कुछ नही कहा जा सकता है। जबसे स्वामी कृष्णानंदजी ने इस गुफा में अपना निवास स्थान बनाया है। तबसेइस गुफा की शोभा और महत्व में वृद्धि हुई है। गुफा के अंदर स्वामीजी द्वारा की जाने वाली माँ नैना देवी की तपस्याऔर पूजा ने इस गुफा को इस तीर्थ स्थान का महत्वपूर्ण अंग बना दिया।
नैना देवी मंदिर पर ठहरने के लिए कई सरकारी धर्मशालाए है जिनमे अच्छी सुविधाए है। खाना बनाने के लिए यहा धर्मशालाओ में बर्तन भी मिल जाते है।
नैना देवी कैसै पहुँचे naina devi tample
उत्तरी भारत के पंजाब राज्य में भाखडा नंगल लाइन पर आंनदपुर साहिब प्रसिद्ध स्टेशन है। इस स्थान से उत्तर की दिशा की ओर शिवालिक पर्वत के शिखर पर नैना देवी naina devi tample का मंदिर बना है। नैना देवी के लिए नंगल से बस सेवा उपलब्ध रहती है। यहा से बस द्वारा नैना देवी का लगभग तीन घंटे का समय लगता है। बस स्टैड से नैना देवी मंदिर पहुचने के लिए लगभग दो किलो मीटर का पैदल पहाडी मार्ग का सफर तय करना पडता है।
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