Lotus tample history in hindi कमल मंदिर एशिया का एक मात्र बहाई मंदिर Naeem Ahmad, April 9, 2017February 17, 2023 भारत की राजधानी के नेहरू प्लेस के पास स्थित एक बहाई उपासना स्थल है। यह उपासना स्थल हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आदि सभी धर्मों के एकता का प्रतीक के रूप जाना व माना जाता है। यहाँ सभी धर्मों के लोग उपासना करते है।( lotus Temple ) इसी कारण इसे एक अलग पहचान मिली हुई है। इस स्थल के अंदर न कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म कांड किया जाता है। यहाँ लोग सिर्फ भगवान को मन में याद करके तथा धार्मिक ग्रन्थों को पढकर पूजा करते है। यह उपासना स्थल मूर्ति पूजा में नहीं अपितु ईश्वर की उपस्थिति में विशवास करता है। विश्व में इस तरह के अभी तक कुल सात ऐसे उपासना स्थल है। एशिया का यह एक मात्र पहला उपासना स्थल है। अब तो आप समझ गये होगें हम किस स्थल की बात कर रहे है। जी हाँ। हम बात कर रहे है। Lotus tample (कमल मंदिर) अथवा बहाई मंदिर की। पिछली पोस्ट में हमने कुतुबमीनार के बारे में जाना और उसकी सैर की थी इस पोस्ट में हम Lotus tample (कमल मंदिर) के बारे में जानेगें और सैर करेंकमल मंदिर के सुंदर दृश्यइसकी गिनती दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थलों में की जाती है तथा 20 शताब्दी में नयी दिल्ली में पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बना है। वर्ष 2001 में सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार कमल मंदिर एक ऐसी इमारत है जिसको देखने के लिए दुनियाभर से बहुत से लोग आते है। मंदिर को देखने के लिए वर्ष भर लगभग 4 मिलियन से भी अधिक यानि प्रति दिन लगभग दस हजार से ज्यादा लोग आते है। कमल मंदिर Lotus tample बहाई धर्म को समर्पित मंदिर है। बहाई धर्म की स्थापना बहाउल्लाह ने की थी। जो तेहरान के पर्शियन अमीर थे। बहाई धर्म के अनुसार भगवान केवल एक ही है। इसीलिए इस मंदिर को कमल के फूल के आकार में बनाया गया है क्योंकि कमल को सभी धर्मों में पूजनीय व पवित्र माना जाता है। कमल के फूल के आकार में बनी इस सुंदर इमारत को फरीबर्ज सहबा ने डिज़ाइन किया है। जिसकों कई आर्किटेक्चर अवार्ड प्राप्त हो चुके है। दस साल की लम्बी अवधि में बनकर तैयार हुए इस मंदिर को 13 नवम्बर 1986 को जनता के लिए खोल दिया गया था।जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहासदिल्ली लाल किले का इतिहासकुतुबमीनार का इतिहासहुमायुँ का मकबराLotus tample (कमल मंदिर) संरचनाकमल मंदिर को बनाने में सफेद मारबल के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह पत्थर ग्रीस से मंगवाया गया था जो अपनी खास किस्म और खुबसूरती के लिए जाना जाता है। कमल के आकार में बनीं इस इमारत की कुल 27 पंखुड़ियां है जिन्हें 3 और 9 के आकार में बनाया गया है। मंदिर के कुल 9 द्वार है जोकि लगभग 40 मीटर के है। मंदिर के मुख्य गुम्बद के निचे बडा हाल है जिसमें एक साथ 2400 लोग प्राथना कर सकते। मंदिर लगभग 40 मीटर लम्बा है। इसके चारों ओर 9 तालाब बनाये गए है जो मंदिर के हाल को ठंडा रखने के साथ साथ इसकी शोभा भी बढाते है। तालाब के आसपास के मैदान में हरी मखमली घास व पेड़ पौधे लगाये गये है जो पर्यटकों को खुब पसंद आते है। कमल मंदिर अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है इसलिए यहाँ शोर मचाना वर्जित है। कमल मंदिर में हर घंटे पांच मिनट के लिए विशेष प्राथनाएं आयोजित की जाती है।Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंदिल्ली पर्यटन