मौसम में थोडी सी गर्मी आते ही जिंदगी शिथिल होने लगती है। मन धूल भरी गर्म हवाओ और तन मन को झुलसा देने वाली तपिश में शीतलता भरी शांति की तलाश करता है। और ऊपर से बच्चो का ग्रीष्मकालीन अवकाश हमें प्रेरित करने लगता है कि कही ऐसी जगह चलें जहां ठंडी हवाओ के झोंके हमारे तन मन को शीतल कर दे निरंतर बहते झरने हमारे अं९र नई शक्ति भर दें बर्फ से ढकी चोटीया हमारे मन में ठंडक भर दे जहा का हरा भरा वातावरण हमारी सासों में खुशबू भर दे अगर आप किसी ऐसी ही जगह की तलाश कर रहे है। तो हम आप को बता दे कि हिमाचल प्रदेश के डलहौजी ( dalhousie ) से अच्छी जगह आपको कही ओर नही मिलेगी वहा आपको वो सब मिलेगा जिसकी परिकल्पना आपके मन में है। तो दोस्तो आज हम अपनी इस पोस्ट में हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलो में प्रमुख स्थान रखने वाले हिल्स स्टेशन डलहौजी की सैर करेगें। और जानेगें कि इसका नाम डलहौजी कैसे पडा, डलहौजी का इतिहास, डलहौजी के दर्शनीय स्थल, डलहौजी के पर्यटन स्थल, डलहौजी के देखने योग्य स्थल, आदि के बारे में विस्तार से जानेगें।
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डलहौजी और उसका
इतिहास
डलहौजी हिमाचल प्रदेश का एक खुबसूरत शहर है। यह शहर समुन्द्र तल से लगभग 2036 मीटर की ऊचाई पर बसा है। इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का श्रेय अंग्रेजों को जाता है। अंग्रेज यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर मुग्ध हो उठे थे। लॉर्ड डलहौजी को भी यह स्थान बहुत पसंद था और उन्ही के नाम पर इसका नाम डलहौजी पडा। आजादी के वीर सिपाही सुभाष चंद्र बोस ने आजादू के आंदोलन के समय डलहौजी मे कुछ समय गुजारा था। इसके अलावा प्रसिद्ध कवि व गुरूवर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने भी यहा कुछ वक्त रहकर अपनी कई कविताओ की रचना की थी। ब्रिटिश गवर्नर लॉड माओ, सर चार्लस एचिसन, वायसरायऔर लेडी कर्जन जैसी हस्तीयो ने यहा की खुबसूरती से प्रभावित होकर यहा वक्त गुजारा था।

डलहौजी को हिमाचल प्रदेश की चम्बा घाटी का प्रवेशद्धार माना जाता है। यहां कदम रखते ही सैलानी यहां के वातावरण मे रम जाता है। यहां आने वाले पर्यटको को कभी गगनचुंबी पर्वत आकर्षित करते है तो कभी यहा घाटिया और उन पर मकान अपनी ओर आकर्षित करते है। कभी झरनो का संगीत मदमस्त कर देता है। तो कभी शीतल हवाओ के झोंके सासों मे ताजगी भर देते है। पंजपुला, डायना कुंड, कालाटोप, सतधारा, झंदरीघाट और खजियार जैसे प्रमुख दर्शनीय स्थल यहा की सुंदरता मे चार चांद लगा देते है। और पर्यटको को यहा आने पर मजबूर कर देते है।
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डायना कुंड dalhousie :-यह स्थान शहर की सबसे अधिक ऊचाई पर स्थित एक खुबसूरत पर्यटन स्थल है। यहा से रावी, व्यास और चिनाव नदी का सुंदर दृश्य दिखाई पडता है। यह स्थल शहर में सबसे अधिक ऊचाई पर होने के करण आस पास के पहाड यहा से बौने दिखाई पडते है । और ऐसा लगता है कि आज हम पहाडो से भी ऊचे हो गये है।
शाकुम्भरी देवी मंदिर सहारनपुर
सतधारा dalhousie :-यह एक वाटर फाल यानि जलप्रपात है। यह डलहौजी पंजपुला मार्ग पर स्थित खुबसूरत झरना है। यहां छोटी छोटी सात धाराए गिरती है। जिसके कारण इंसका नाम सतधारा पडा।


पंजपुला :-पांच छोटे पुलो के नीचे बहती जलधारा के कारण इसका नाम पंजपुला पडा। यह डलहौजी के अजीत सिंह रोड पर स्थित है। यहां एक खुबसूरत प्राकृतिक जल कुंड है। इसके अलावा यहां क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की समाधिं भी जो देखने योग्य है।
झंदरी घाट dalhousie :-पुराने महलो खंडरो और पुरानी इमारतो मे रूची रखने वालो के लिए यह स्थल उपयुक्त स्थान है। यह स्थल पिकनिक के लिए भी अच्छा माना जाता है।
कालाटोप :-यह स्थल समुंदर तल से लगभग 2440 मीटर की ऊचाई पर बसा बांस चीड व देवदार के घने वृक्षों के मध्य स्थित एक खुबसूरत पर्यटन स्थल है। यह स्थल मुख्य डाकघर से 9 किमी की दूरी पर स्थित है।
खजियार dalhousie :-डलहौजी से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल डलहौजी का मिनी स्विजरलैंड व मिनी गुलमर्ग के नाम से भी जाना जाता है। यहां प्राकृतिक अपने पूरे शबाब पर दिखाई देती है। यह एक तश्रीनुमा झील है जो ढेड किलोमीटर लम्बी है। सर्द्रियो मे जब यहा चारो ओर बर्फ होती है। तो यहा का सौंदर्य और निखर जाता है। यहां झील के किनारे एक नागदेवता का मंदिर भी है ।
Dalhousie डलहौजी कैसे पहुँचे
यहा से नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है जो यहा से लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहा से बस टैक्सी द्धारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहां के लिए पठानकोट जम्मू और पंजाब और हिमाचल के प्रमुख शहरो से सीधी बस सेवाए है।