Dakor temple history in hindi – डाकोर धाम गुजरात Naeem Ahmad, June 13, 2018February 21, 2023 डाकोर धाम गुजरात का प्रमुख तीर्थ है। प्रत्येक पूर्णिमा को यहाँ यात्रियों की काफी भीड होती है। शरदपूर्णिमा के महोत्सव के समय तो यहाँ इतनी भीड़ होती हैं, कि स्पेशल गाड़ियां डाकोर जी के लिए चलाई जाती है। आज के अपने इस लेख मे हम डाकोर दर्शन, डाकोर का इतिहास, ” dakor temple history in hindi, डाकोर के मंदिर के बारे मे विस्तार से जानेंगे। Contents1 Dakor temple history in hindi2 डाकोर मंदिर का इतिहास3 डाकोर दर्शन – डाकोर के दर्शनीय स्थल Dakor temple history in hindi डाकोर मंदिर का इतिहास डाकोर धाम गुजरात, यहां पर सुप्रसिद्ध रणछोड़जी का मंदिर है। यह स्थान आनंद से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। गुजरात मे श्री वल्लभ और स्वामी नारायण आदि कई वैष्णव संप्रदायो के मंदिर है। परंतु डाकोर के रणछोड़ जी के मंदिर की यह विशेषता है, कि सभी संप्रदाय उसकी समान रूप से भक्ति करते है। Damor temple history in hindi, डोकोर धाम की धार्मिक पृष्ठभूमि श्री रणछोड़ जी द्वारकाधीश है। द्वारका के मुख्य मंदिर मैं यही श्री विग्रह था। डाकोर के अनन्य भक्त श्री विजयसिंह बोडाणा और उनकी पत्नी गंगाबाई वर्ष मे दो बार दाहिने हाथ मैं तुलसी लेकर द्वारका जाते थे। वही तुलसी द्वारका मैं श्री रणछोड़ जी को चढाते थे। 72 वर्ष की आयु तक वे इसी प्रकार करते रहे। बाद मे जब उनके चलने की शक्ति क्षीण हो गई, तब भगवान ने कहा– अब तुम्हें आने की आवश्यकता नहीं है। मैं स्वयं तुम्हारे पास यहां आऊंगा। श्री रणछोड़ जी के आदेश से बोडाणा बैलगाड़ी लेकर द्वारका गए। श्री रणछोडराय गाडी मे विराज गए। इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा सं. 1212 को रणछोड़ जी डाकोर पधारे। बोडाणा ने मूर्ति को पहले गोमती सरोवर मे छिपा दिया। द्वारका के पुजारी मूर्ति न देख डाकोर आए। परन्तु यहां लोभ मे आकर मूर्ति के बराबर स्वर्ग लेकर लौटने को राजी हो गए। मूर्ति तोली गई। बोडाणा की पत्नी की नाक की नथ और एक तुलसीदल के बराबर मूर्ति हो गई। उधर स्वप्न मैं प्रभु ने पुजारियों को आदेश दिया– अब लौट जाओ। वहां द्वारका मे छः महीने बाद श्री वर्धिनी बावली से मेरी मूर्ति निकलेगी। इस समय द्वारका मैं वही बावली से निकली मूर्ति प्रतिष्ठित हैं। डाकोर दर्शन – डाकोर के दर्शनीय स्थल Dakor temple history in hindi डाकोर के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य Dakor temple history in hindi गोमती तालाब श्रीरणछोड़ जी के मंदिर के सामने गोमती तालाब है। यह एक फर्लांग लंबा और एक फर्लांग चौडा है। इसके घाट पक्के बने है। तालाब मे एक ओर कुछ दूर तक पुल बंधा है। उसके किनारे एक ओर छोटे से मंदिर मैं रणछोड़राय की चरण पादुकाएं है। यही फर श्री रणछोडजी की तुला का स्थान है। श्रीरणछोड़ जी का मंदिर यही डाकोर का मुख्य मंदिर है। मंदिर विशाल है। मुख्यद्वार से अंदर जाने पर चारो ओर खुला चौक है। बीच मे ऊंचे अहाते पर मंदिर है। मंदिर मे मुख्य पीठ पर श्री रणछोडजी की चतुभुर्ज मूर्ति विराजमान है। मंदिर के दक्षिण मे शयनगृह है। इस खंड मे गोपाल लालजी और लक्ष्मी जी की मूर्तियां है। माखणियो आरो गोमती सरोवर के किनारे यह स्थान है। रणछोडजी जब डाकोर पधारे, तब उन्होने यहाँ भक्त बोडाणा की पत्नी के हाथ से मक्खन मिश्री का भोग लिया था। तब से रथ यात्रा के दिन गोपाल लालजी यहा रूकते है। तथा मक्खन मिश्री का नैवेद्य ग्रहण करते है। लक्ष्मी मंदिर यह मंदिर भी गोमती सरोवर के किनारे है। श्रीरणछोड़ रायजी पहले इसी मे थे। नवीन मंदिर मे श्रीरणछोड़ जी के पधारने के बाद यहाँ लक्ष्मी जी की मूर्ति प्रतिष्ठित कि गई। विशेष पर्वों पर शोभायात्रा में गोपाल लालजी यहा पधारते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढे:– सोमनाथ मंदिर का इतिहास नाथद्वारा दर्शन अहमदाबाद के दर्शनीय स्थल वडोदरा के दर्शनीय स्थल गांधीनगर दर्शनीय स्थल नागेश्वर महादेव मंदिर डाकोर के दर्शनीय स्थलों के सुंदर दृश्य dakor temple history in hindi अभी तक के अपने लेख मैं हमने dokar temple history in hindi, डोकार का इतिहास, डोकार धाम दर्शन, डोकार मंदिर दर्शन के बारे मैं विस्तार से जाना। आगे के अपने इस लेख fikar temple history in hindi मैं हम डोकार के आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे मैं विस्तार से जानेंगे। उमरेठ कहा जाता है कि प्रभु स्वयं बोडाणा को सोने के लिए कहकर बैलगाड़ी यहां तक लाए थे। यहां पहुंचने पर प्रभु ने बोडाणा को जगाया। यह गांव डाकोर के पास है। यहां सिद्धनाथ महादेव का मंदिर है। प्रभु जहाँ खडे थे, वहा छोटे से मंदिर मैं चरणपादुका है। सीमलज यह गांव भी डाकोर के पास है। बोडाणा की बैलगाड़ी के यहा पहुचने पर प्रभु ने नीम की एक डाल पकडकर खडे हो गए। पूरे नीम की पत्तीयाँ आज भी कडवी है। परंतु प्रभु ने जिस डाल को पकड रखा था। उस डाल की पत्तीयाँ आज भी मिठी है। लसुंद्रा डाकोर से यह स्थान 7 मील दूर है। यहां ठंडे और गर्म पानी के कुंड है। गलतेश्वर डाकोर से 10 मील दूर अंगाडी स्टेशन हैं। यहा से लगभग दो मील दूर गलतेश्वर जी का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता हैं कि यही पर भक्त चंद्रहास की राजधानी थी। मंदिर के पास वैष्णव साधुओं का स्थान है। आसपास खेत तथा वन है। टूवा डाकोर से 21 मील दूर टूवा स्टेशन है। यहा पर शीतल और गर्म पानी के कई कुंड है। किसी मे जल खोलता है। किसी मे जल समशीतोष्ण है। कुंड के आसपास कई देव मंदिर है। कैसे पहुंचे पश्चिम रेलवे की आनंद- गोधरा लाइन पर आनंद से तीस किलोमीटर दूर डाकोर नगर का स्टेशन है। स्टेशन से डाकोर लगभग डेढ किलोमीटर दूर पडता है। वहा पहुचने के लिए वाहन उपलब्ध रहते है। कहा ठहरे डाकोर मे होटल और धर्मशाला की अच्छी सुविधाएं है। स्टेशन से डाकोर तक होटल व धर्मशाला फैली हुई हैं। जिनमे अच्छी सुविधाओं के साथ ठहरा जा सकता हैं। Dakor temple history in hindi, डोकार के दर्शनीय स्थल, डोकार का इतिहास, डोकार मंदिर का इतिहास, डोकार दर्शन, डोकार तीर्थ यात्रा आदि शीर्षक पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है। भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल गुजरात के पर्यटन स्थलगुजरात दर्शनगुजरात धार्मिक स्थलगुजरात पर्यटनगुजरात भ्रमणगुजरात यात्रा