City place Jaipur history in hindi – सिटी प्लेस जयपुर का इतिहास – सिटी प्लेस जयपुर का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल Naeem Ahmad, May 15, 2017February 17, 2023 प्रिय पाठकों पिछली पोस्ट में हमने जयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हवा महल की सैर की थी और उसके बारे में विस्तार से जाना था। इस पोस्ट में हम जयपुर के ही एक ओर प्रमुख पर्यटन स्थल सिटी प्लेस ( city place Jaipur ) यानि सिटी महल की सैर करेंगे और उसके बारे में विस्तार से जानेगें और सिटी प्लेस का नाम सुनते ही आपके जहन में आ रहे अनेक सवालों के जवाब जानने की आपकी उत्सुकता भी बढ गई होगी तो चलिये हम आपकी इस उत्सुकता को ओर इन्तजार नहीं करने देगें।सिटी प्लेस क्या है? और यह कहाँ स्थित है? :-सिटी प्लेस भारत के राज्य राजस्थान की पिंक सिटी के नाम से प्रसिद्ध शहर जयपुर में स्थित है। सिटी प्लेस जयपुर शहर के बीचोंबीच स्थित है। सिटी प्लेस एक खुबसूरत महल परिसर और इमारत है। ओर इस खुबसुरत परिसर के अंदर कई और इमारतें विशाल आंगन और आकर्षक बाग़ है। जो इसके राजसी इतिहास की निशानी है।सिटी प्लेस जयपुर के सुंदर दृश्यसिटी प्लेस का नाम सिटी प्लेस क्यों पड़ा?सिटी प्लेस जयपुर सिटी के मध्य में स्थित है इसीलिए इसे सिटी प्लेस (city place Jaipur) या सिटी महल ( city mahal ) के नाम से जाना जाता है।सिटी महल का निर्माण कब हुआ और किसने करवाया?सिटी महल city place jaipur का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह जो आमेर के शासक थे ने सन 1729 में इस महल का निर्माण शुरू करवाया था जो तीन साल चला और 1732 तक वह इस महल की बाहरी दीवारों का निर्माण करा सके और बाकी संरचनाओं का निर्माण 20 वी सदी तक के निरंतर शासकों ने करवाया।जल महल जयपुरहवा महल का इतिहासजंतर मंतर जयपुरसिटी महल का निर्माण क्यों कराया गया?महाराजा जय सिंह अपनी राजधानी आमेर से शासन करते थे। जो जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उन्होंने अपनी राजधानी को सन 1727 में आमेर से जयपुर स्थानान्तिरत कर लिया जिसका कारण बढती हुई जनसंख्या और बढती हुई पानी की किल्लत थी उन्होंने जयपुर को छ: बलॉक में पृथक करने की योजना बनाईं जो वास्तु शास्त्र के मूलभूत सिद्धान्तों पर और विधाधर भटाचार्य की वास्तुकला सम्बन्धी मार्ग दर्शन पर आधारित था।सिटी महल के वास्तुकार कौन थे। व किस वास्तुकला में बनाया गया है?इस भव्य महल को मुग़ल शिल्पशास्त्र और यूरोपीय शैली की वास्तुकला के मेल से बनाया गया है। इस महल के कोने कोने में आप रंग डिज़ाइन कला और संस्कृति का सही मेल देख सकते है। इस सुंदर कला के वास्तुकार विधाधर भट्टाचार्य और अंग्रेज शिल्पकार सर सैमुअल स्विटंन जैकब थे।सिटी महल city place jaipur में कितने प्रवेश द्वार हैइस भव्य परिसर की सबसे बड़ी विशेषता इसके भव्य रूप से सजाएं गए दरवाजे है। इस परिसर में प्रवेश के लिए तीन मुख्य प्रवेश द्वार है उदय पोल द्वार विरेन्द्र पोल द्वार त्रिपोलिया गेटदर्शकों तथा पर्यटकों के लिए प्रवेश उदय पोल और विरेन्द्र पोल द्वार से होता है। जबकि शाही परिवार के सदस्य त्रिपोलिया गेट का इस्तेमाल करतें है।City place jaipur सिटी महल में क्या क्या देखेंवैसे तो सिटी प्लेस पूरी इमारत ही एक खूबसूरती का नमूना है कई एकड में फैलीं इस भव्य इमारत में अनेक परिसर बनाएं गये है जिनमें से कुछ प्रमुख है। जैसे:- मुबारक महल चन्द्र महल प्रीतम निवास चैक दीवान-ए-खास दीवान-ए-आम महारानी महल बग्गी खानामुबारक महल:-इस्लामी राजपूत और यूरोपीय निर्माण शैली के मिश्रण से बना दो मंजिला मुबारक महल दरअसल एक स्वागत केन्द्र के तौर पर बनवाया गया था। इसे स्वागत महल के नाम से भी जाना जाता है। और 19वी शताब्दी के अंत में महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने इसे बनवाया था। वर्तमान में इसका उपयोग एक वस्त्र संग्रहालय के रूप में किया जाता है। जिसमें कई प्रकार के कपड़े जैसे:- सांगानेरी, ब्लॉक प्रिंट, कश्मीरी पश्मीना और शाही वस्त्रों का बहतरीन संग्रह है। इस संग्रहालय में रखी गई वस्तुओं में महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम के विशाल कपड़ो का संग्रह है। उनका वजन लगभग 250 किलोग्राम था। और उनकी 108 पत्नियां थी।चन्द्र महल:-चन्द्र महल जिसे चन्द्र निवास के नाम से भी जाना जाता है। सिटी प्लेस परिसर के पश्चिमी छोर पर खुबसूरत बाग़ और झील के बीच स्थित सात मंजिला इमारत है। इस भवन की हर मंजिल को एक नाम दिया गया है। जैसे:- प्रीतम निवास, रंग मंदिर, सुख निवास, श्री निवास, मुकुट महल और चाबी निवास। इस भवन की दीवारों को विशिष्ट चित्रकारी शानदार आरसी के काम और फूलों से सजाया गया है। हालांकि पर्यटकों को केवल भूतल पर ही जाने की अनुमति है। जहाँ पाडुलिपिया कालीन और शाही खजाने की कुछ ओर वस्तुए संग्रह करके रखीँ गई है। बाक़ी की मंजिलों पर शाही परिवार के वंशज निवास करते है। पर्यटक इस महल में एक खुबसुरत मोर द्वार से प्रवेश करते है। इस भवन की ऊपर की मंजिल में बालकनिया और एक मंडप है। जहाँ से पूरे शहर का मनोरम दृश्य दिखाई पडता है। साथ ही महल के शीर्ष पर एक झंडा लगा है। जो महल में शाही परिवार की मौजूदगी की सूचना देता है।महारानी महल:-जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है । इस महल में शाही महारानियाँ रहतीं थी। इसे रानी महल के नाम से भी पुकारा जाता है। वर्तमान इस महल का भी उपयोग एक संग्रहालय के रूप में होता है। इस संग्रहालय में राजवंश के अस्त्र शस्त्र प्रदर्शित है। इस संग्रहालय की छत किमती पत्थरों और रत्नों से बनाई गई है। इस संग्रहालय में उस समय का सबसे खतरनाक हथियार कैंची भी प्रदर्शित है।दीवान-ए-खास:-संंगमरमर के फर्श वाला यह हॉल आर्ट गैलरी और शस्त्रागार के बीच में स्थित है। यह एक चारों ओर से खुला मंडप है। इस हॉल में 1.6 मीटर ऊचें शुद्ध चांदी के बर्तन है जिनका घनफल 4000 लीटर और भार 340 किलोग्राम हैं। दो बर्तनों का नाम दुनिया के सबसें बड़े चांदी के बर्तन होने के कारण गिनीज़ बुक आफ वर्ड रिकार्ड में दर्ज है। इनका निर्माण महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा कराया गया था। इनका निर्माण 14000 चांदी के सिक्कों को गलाकर बिना टांका लगाएं किया गया था। इन बर्तनों का निर्माण गंगा जल रखने के लिए किया गया था । इससें इनका नाम गंगाजली पड गया। इन दो बर्तनों को राजा अपने साथ सन 1901 में इंग्लैंड ले गये थे जिससे वहाँ का पानी पीने की धार्मिक भूल ना कर सके ।दीवान-ए-आम:-दीवान-ए-आम या स भShare this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंजयपुर पर्यटनराजस्थान धरोहरराजस्थान पर्यटन