Chamunda devi tample – चामुण्डा देवी का मंदिर कांगडा हिमाचल प्रदेश Naeem Ahmad, December 26, 2017April 7, 2024 श्री महापुराण की कथा के अनुसार सती पार्वती के शव को लेकर जब भगवान शिव तीनो लोको का भ्रमण कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने उनका मोह दूर करने के लिए सती के शव को अपने सुदर्शन चक्र से काट काटकर गिरा दिया था जिन जिन स्थानो पर देवी सती के अंग गिरे थे वहा वहा शक्तिपीठ माने गए है। कुल 51 शक्तिपीठ में नौ देवियो के मंदिरो की भी गणना कि जाती है उनही नौ देवियो में से एक है चामुण्डा देवी का मंदिर ( chamunda devi tample kangra ) ऐसी मान्यता है कि यहा देेेेवी सती के चरण गिरे थे अपनी ईस पोस्ट में हम इसी प्रसिद्ध चामुण्डा देवी की यात्रा और दर्शन करेगें बाकि आठ देवियो की यात्रा और दर्शन हम अपनी पिछली कुछ पोस्टो में कर चुके है अगर आप उनकी भी यात्रा करना चाहते है या उनके बारे में जानना चाहते है तो उनकी लिस्ट में आप के साथ साझा करता हूँ जिनपर क्लिक करके आप उन शक्तिपीठ देवियो के बारे में जान सकते हैनैना देवी मंदिर बिलासपुरचिन्तपूर्णी देवी मंदिर हिमाचलज्वाला देवी मंदिर कांगडा हिमाचलवज्रेश्वरी देवी कांगडा हिमाचल प्रदेशमनसा देवी मंदिर पंचकुलाशाकुम्भरी देवी सहारनपुरवैष्णो देवी मंदिर जम्मूकालिका देवीChamunda devi tample – चामुण्डा देवी का मंदिरभारत के राज्य हिमाचल प्रदेश जिसको देव भूमी के नाम से भी जाना जाता है के जिला कांगडा से 24 किलोमीटर की दूरी तथा प्रमुख शहर धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर मां चामुण्डा देवी का मंदिर chamunda devi tample स्थित हैचामुण्डा देवी मंदिर के सुंदर दृश्ययह शिव और शक्ति का स्थान है जिसको चामुंडा नंदकेश्वर धाम से जाना जाता है। बाण गंगा नदी के तट पर स्थित यह उग्र सिद्धपीठ प्राचीन काल से ही तप: सम्भूत योगियो, साधको व तांत्रिको के लिए एकांत, शांत और प्राकृतिक शोभा से युक्त स्थान है। बाइस ग्रामो की श्मशान भूमि महाकाली चामुण्डा के रूप में मंत्र विद्या और सिद्धि का वरदायी क्षेत्र माना गया है। जहा भूतभावन भगवान आशुतोष शिवशंकर – मृत्यु, विनाश और शवहारी विसर्जन का रूप लिए – साक्षात मां चामुण्डा के साथ बैठे है। इस पवित्र स्थल पर भक्तजन शिव+शक्ति मंत्रो से पूजन, दान और श्राद्ध पिण्डदान आदि करते है। यहा पर बाण गंगा में स्नान करके शतचंडी पाठ सुनना तथा सुनाना श्रेष्ठ समझा जाता है। पहले यहा बलि भी दी जाती थी। इसके अतिरिक्त कुमारी पूजन किया जाता है तथा रूद्राभिषेक करके गंगा लहरी से शंकर जी की स्तुति करते है।धार्मिक पृष्ठभूमिश्री चामुण्डा का पौराणिक कथानक एंव इतिहास दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय में स्पष्ट हुआ है। मंदिर की प्राचीन परम्परा एंव भौगोलिक स्थिति से स्पष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहा चण्ड-मुण्ड राक्षस देवी से युद्ध करने आए और काली रूप धारण कर देवी ने उनका वध किया। अम्बिका की भृकुटि से प्रादुभूर्त कालिका ने जब चण्ड और मुण्ड के सिर उसको उपहारस्वरूप भेंट किए तो अम्बा ने प्रसन्न होकर वर दिया कि तुमने चण्ड और मुण्ड का वध किया है, अत: संसार में तुम चामुण्डा नाम से विख्यात हो जाओगी।चामुण्डा देवी की कहानी – chamunda devi tample story in Hindiमां चामुण्डा देवी की प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक समय धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो का राज था। इन दोनो राक्षसो ने स्वर्ग लोक और देव लोक को भी पराजित कर धरती और स्वर्ग वासियो पर अत्याचार करने लगे देवता मारे मारे इधर उधर भटकने लगे। जिसके कारण मनुष्य और देवतागण दोनो ही बहुत परेशान थे। इस समस्या के निवारण हेतु वे भगवान शिव की शरण में गए और भगवान शिव से राक्षसो से रक्षा विनती करने लगे। तब भगवान शंकर ने उनहे देवी दुर्गा मां की अराधना कर प्रसन्न करने की युक्ति सुझाई। तब तब मनुष्य और देवताओ ने देवी मां दुर्गा की अराधना कर देवी मां को प्रसन्न किया। तब देवी दुर्गा ने उन सभी को वरदान दिया कि वह अवश्य ही उन दोनो दैत्यो से उनकी रक्षा करेगी। इसके पश्चात देवी दुर्गा ने कोशिकी नाम से एक सुंदर स्त्री के रूप में अवतार ग्रहण किया। इसी अवतार के साथ मा दुर्गा का एक नाम कोशिकी पड गया।कुलकुला देवी मंदिर कहां है – कुलकुला धाम मेलामाता कोशिकी को शुम्भ और निशुम्भ राक्षसो के दूतो ने देख लिया और जाकर अपने महाराज शुम्भ और निशुम्भ से कहा महाराज आप तीनो लोको के राजा है। आपके यहा सभी अमूल्य रत्न सुशोभित है। यहा तक के इंद्र का ऐरावत हाथी भी आपके पास है। इस कारण आपके पास ऐसी सुंदर और आकर्षक नारी भी होनी चाहिए जो तीनो लोको में सबसे अधिक सुंदर हो। अपने दूतो द्वारा मां कोशिकी के रूप की व्याखना सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने इस सुंदर स्त्री को अपनी रानी बनाने का मन बना लिया। और अपना एक दूत के हाथ संदेशा भेजा कि उस स्त्री से जाकर कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनो लोको के राजा है। बडे बलशाली और पराक्रमी है और वो तुम्है अपनी रानी बनाना चाहते है। दूत ने जाकर शुम्भ और निशुम्भ राक्षसो का प्रस्ताव जाकर मां कोशिकी को सुनाया। शुम्भ और निशुम्भ का प्रस्ताव सुनकर माता कोशिकी ने उनके सामने भी एक प्रस्ताव रखा और कहा कि – मै प्रण ले चूकि हूँ कि जो व्यक्ति मुझे युद्ध में पराजित करेगा मै उसी व्यक्ति से विवाह करूंगी। माता के प्रस्ताव को जब दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को सुनाया तो वह इसे अपने बल और पराक्रम का अपमान जान क्रोध से आग बबुला हो गए और कहा उस तुछ नारी का यह दुस्साहस की वह युद्ध के लिए तीनो लोको के राजा को ललकारे।गुस्से से क्रोधित शुम्भ और निशुम्भ ने अपने दो बलशाली राक्षसो चण्ड और मुण्ड को माता कोशिकी को बंदी बनाकर अपने समक्ष पेश करने का आदेश दिया। चण्ड और मुण्ड राक्षस जब देवी को बंदी बनाने पहुंचे तो तब देवी मां ने अपना काली रूप धारण कर चण्ड और मुण्ड का सर धड से अलग कर यमलोक पहुंचा दिया। इन दोनो राक्षसो के वध के कारण ही माता का नाम चामुण्डा पड गयाचामुण्डा देवी मंदिर के सुंदर दृश्यChamunda devi tample – चामुण्डा देवी के अन्य दर्शनीय स्थलनंदिकेश्वरपौराणिक मान्यता के अनुसार जहा जहा देवी सती के अंग गिरे थे वहा वहा देवी किसी न किसी रूप में स्थित और देवी के साथ वहा वहा एक एक भैरव अपने अपने रूपो में स्थित है। यहा देवी के साथ भैरव नंदिकेश्वर के रूप में स्थित है। देवी के साथ साथ भैरव की आराधना का बहुत बडा महत्व माना जाता है।संजय घाटमाता चामुण्डा और नंदिकेश्वर महादेव के मंदिर के अतिरिक्त इस तीर्थ पर नवनिर्मित संजय घाट भी है। बाणगंगा की जल धारा को नियंत्रित करके उसे घाट की सीढियो के मध्य से प्रवाहित किया गया है। ताकि इस तीर्थ पर आने वाले यात्रियो को स्नान की उत्तम सुविधा प्राप्त हो सके। इस विशाल घाट के दोनो ओर सात सात लम्बी सीढिया है। यहा पुरूषो और स्त्रियो के लिए स्नान करने का अलग अलग प्रबंध है। इस बाण गंगा के पवित्र जल में स्नान करके देवी दर्शन करने का महत्व माना जाता है।पुस्तकालयचामुण्डा देवी मंदिर के करीब स्थित इस पुस्तकालय में आपको कई पुरानी पांडुलिपियां, ज्योतिष किताबे, मंत्र किताबे, वेद, पुराण और रामायण जैसी धार्मिक पुस्तके देखने को मिल जाएंगीकैसे पहुंचेChamunda devi tample चामुण्डा देवी मंदिर पहुंचने के लिए पठानकोट से रेल की छोटी लाइन जो पपरोला जाती है उस रेल में बैठकर यात्री चामुण्डा रेलवे स्टेशन पर उतर सकते है। यहा से मंदिर लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर है। दूसरा आप कांगडा या धर्मशाला से बस या कार द्वारा आसानी से चामुंडा देवी पहुंच सकते है।कहां ठहरेइस तीर्थ स्थल पर ठहरने के लिए अच्छी सरकारी और गैर सरकारी धर्मशालाए है। यात्री इसमे तीन दिन तक रह सकते है। धर्मशालाओ की ओर से भोजन बनाने को बर्तन भी मिलते है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:——[post_grid id=”7745″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल हिमाचल पर्यटन