उत्तरांचल राज्य का चम्पावत जिला अपनी खूबसुरती अनुपम सुंदरता और मंदिरो की भव्यता के लिए जाना जाता है। ( champawat tourist place ) चम्पावत जिला क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तराखण्ड का सबसे छोटा जिला है। चम्पावत जिले का क्षेत्रफल 1781 वर्ग किलोमीटर है। तथा देवीधूरा, लोहाघाट, टनकपुर चम्पावत जिले के प्रमुख शहर है। तथा चम्पावत जिले का मुख्यालय भी चम्पावत शहर है।
चम्पावत जिले के अन्तर्गत कुछ सुंदर दृश्यचम्पावत:-
लोहाघाट से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह नगर पूर्व में चंदवंशीय राजाओ की राजधानी था। पुराने महल व किले के अवशेष आज भी यहा पर मौजूद है। यहां के मंदिरो को देखने पर ऐसा लगता है। कि मानो वे वास्तुकला के जीवंत उदाहरण है। इन मंदिरो में विशेषतया बालेश्वर व नागनाथ मंदिर आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। जिनकी भव्यता व बनावट देखते ही बनती है। चम्पावत की घाटी भी बेहद सुंदर है।
Champawat tourist place
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Tample in champawat
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चम्पावत के प्रसिद मंदिर
चम्पावत के पर्यटन स्थल
बालेश्वर मंदिर:-
यह मंदिर इस जिले का सबसे भव्य व विशाल मंदिर है। यह वास्तुकला का एक जीवंत उदाहरण है। इसकी बनावट इतनी सुंदर है कि इसको देखते रहने का दिल करता है।
नागनाथ मंदिर:-
कुमाँयू की वास्तुकला का यह एक ओर अनोखा व अदभुत नजारा है। यह विशाल मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद है।
एकहथियानौला:-
यहां पर निर्मित एक जल बांवड्री की दीवारो पर एक हाथ वाले कारीगर ने अपनी कलाकारी से जादू फूंक दिया था इस कारण इस जगह का नाम एकहथियानौला रखा गया।
कण्टेश्वर महादेव:-
चम्पावत के पूर्व दिशा में पहाडी पर स्थित भगवान शिव का यह एक भव्य मंदिर है। जिसे कणदेव के नाम से जाना जाता है।
Lohaghat in champawat
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टूरिस्ट प्लेस लैहाघाट
लौहाघाट के पर्यटन स्थल
लौहाघाट और आसपास के पर्यटन स्थल
लोहाघाट:-
कुमाँयू के सुंदर सलौने पर्वतीय आंचल में बसा रमणीक प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है। लोहाघाट चम्पावत से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का वातावरण बहुत ही शांत है। और प्राकृतिक सौंदर्य चित्ताकर्षक है। देवदार वृक्षों मखमली घास और फूलो से ढके रास्ते चितचोर है। अंग्रेजों के शासनकाल में यह उनका सबसे प्रिय स्थान था। उन्होनें यहां कई बडे बडे मकान बनवाए थे। यहां पर ठहरने के लिए सुविधाजनक होटल विश्रामगृह गेस्ट हाउस आदि तथा स्थानीय भोजनालय भी उपलब्ध है। इसके पास से लोहावटी नदी बहती है।
मायावती अद्धैता आश्रम:-
मायावती अद्धैता आश्रम की लोहाघाट से दूरी 9 किलोमीटर के लगभग है। घने जंगलो से घिरा यह मनोरम स्थल असीम सौंदर्य से भरा पडा है। यहां रामकृष्ण आश्रम व अद्धैत आश्रम स्थापित है। आश्रम का अपना आधुनिक अस्पताल भी है। जहां क्षेत्रिय ग्रामीण लोगो का निशुल्क इलाज किया जाता है।
एवट मांउट:-
भव्य हिमालय दर्शन प्राकृतिक सुषमा व स्वास्थ्य वर्धक जलवायु के कारण लोहाघाट का यह क्षेत्र अंग्रेजों को अत्यधिक पसंद था। उन्होने यहां चाय के बागान लगाए तथा रहने के लिए सुंदर मकान भी बनाए जो आज भी सुरक्षित है। उन्होने ही यहां की एक ऊंची पर्वत चोटी का नाम अपने साथी एवट के नाम पर रखा था। यहां चारो तरफ हरियाली है। एवट मांउट की दूरी लोहाघाट से 8 किलोमीटर है।
देवीधूरा:-
लोहाघाट से देवीधूरा की दूरी 45 किलोमीटर है। यह प्राचीन मंदिरो की नगरी विचित्र पत्थर मार मेले के कारण प्रसिद है। यह मेला वाराही देवी मंदिर के पास प्रत्येक साल रक्षाबंधन के दिन भरता है। इस पाषाण युद्ध को देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग यहां आते है। इस दिन देवी की मूर्ति को एक पीतल के बक्से मे बंद कर देते है। रक्षाबंधन के दिन यह बक्सा ले जाया जाता है जहां आंखो पर पट्टी बांधकर पुजारी मूर्ति को नहलाने के बाद दुबारा बक्से में रख देता है। देवी पूजा दो दिन तक चलती है इस दिन मेला लगता है जिसे बगलवाल मेला कहते है।
पंचेश्वर:-
पंचेश्वर की लोहाघाट से दूरी 40 किमी है। यह स्थान नेपाल सीमा पर काली तथा सरयू नदी के किनारे स्थित है। यहां पर भगवान शिव का विख्यात मंदिर है। यहां पर कई ओर देवताओ के भी मंदिर है। यह हिमालय की पहाडियों मे बसा एक बहुत ही सुंदर
वाणासुर का किला:-
लोहावटी नदी के पास में स्थित यह स्थान वाणासुर नामक राजा के अधीन था। उसने यहा एक भव्य किले का निर्माण करवाया था।
Champawat tourist place meetha reetha sahib
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मीठा-रीठा साहिब:-
यह एक प्रमुख सिख तीर्थ स्थल है तथा यहां पर स्थित रीठा साहिब गुरूदारा प्रसिद है। यहां पर दर्शनार्थियो तांता लगा रहता है। यह पर्यटन की दृश्टि से भी अच्छा स्थान है। तथा यहां पर्यटक बहुत संख्या में आते है। यहां का वातावरण शांत व सौम्य है। यह गुरूद्धारा लोधिया व राठिया नदी के बीच देयुरी गांव के पास स्थित है।
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Champawat tourist place poornageeri
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उत्तराखण्ड पर्यटन स्थल पूर्णागिरी
(पूर्णागिरि)
टनकपुर शहर से एक मार्ग प्रसिद तीर्थ स्थल पूर्णागिरी को जाता है। धरातल से लगभग 3000 मीटर की ऊचाँई पर स्थित इस प्रख्यात सिद्धपीठ में वर्ष भर यात्रियो का आवागमन रहता है। यहा पहुचने के लिए टनकपुर से ठुलीगाड तक बस दारा यात्रा करने के उपरांत करीब 12 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पडती है।
श्यामलाताल:-
लोहाघाट से 66 किमी की दूरी पर सूखीढांग नामक जगह है। यहां से दूसरे रास्ते पर जाने पर लगभग 5 किमी चलने पर एक मोहक स्थल दिखाई देता है। यही श्यामलाताल है। यह झील बरबस ही पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके एक तरफ बर्फीली चोटियां है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश का मैदानी भाग है। champawat tourist place
चम्पावत कैसे पहुँचे:-
हवाई मार्ग- चम्पावत से निकटतम हवाई अड्डा पिथौरागढ 80 किमी दूर है। रेल मार्ग- निकतम रेलवे स्टेशन टनकपुर 75 किमी दूर है। सडक मार्ग-चम्पावत सडक मार्ग से भलिभाती जुडा है। नैनीताल 233 किमी, हल्द्धवानी 193 किमी तथा टनकपुर 75 किलोमीटर दूर है।
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