19 वीं शताब्दी के मध्य से भारत मे "स्वदेशी" की भावना पनपने लगी थी। कांग्रेस की स्थापना, गोखले और तिलक की राजनीति, भगत सिह और चंद्रशेखर आजाद की क्रांतिकारी कार्यवाहियां, गांधी जी का सत्याग्रह और आखिर में 1942 के "भारत छोडों आदोलन" ने इस भावना को एक विचारधारा का रूप देते हुए क्रमशः पूर्ण आजादी की मंजिल तक पहुचाया। असंख्य लोगो ने कुर्बानियां दी,…