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असेगा का मेला

असेगा का मेला – शोकहरण महादेव मंदिर असेगा बलिया

असेगा एक स्थान का नाम है जो बलिया जिले के सुखपुरा थानान्तर्गत पड़ता है। असेगा में शिवरात्रि के अवसर पर सात दिन का मेला लगता है, किन्तु शिवरात्रि के दिन लाखो की भीड उमड पडती है। असेगा में भगवान शिव का बडा और पुराना मंदिर है। असेगा में स्थापित महादेव को 'शोकहरण महादेव" कहकर पुकारा जाता है। यहां रूद्राभिषेक होता है। श्रद्धालु बेलपत्र, अक्षत, जल…

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ददरी का मेला

ददरी का मेला कहां लगता है और ददरी मेले का इतिहास

सरयू का तट पर स्थित बलिया जनपद अपनी अखंडता, निर्भीकता, बौद्धिकता, सांस्कृतिक एकता तथा साहित्य साधना के लिए प्रसिद्ध है। इसका ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व है। बलिया शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर ददरी का प्रसिद्ध मेला लगता है। ददरी के मेले के बारे में कहा जाता है कि ददरी मेला भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है। बलिया ददरी का…

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बरहज का मेला

बरहज का मेला कब लगता है और मेले का महत्व

बरहज देवरिया का एक प्रमुख स्थान है जो पवित्र सरयू जी के तट पर स्थित है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत बड़ा मेला लगता है। जो बरहज का मेला कहलाता है। जिसमे लगभग एक लाख तक दर्शनार्थी एकत्र हो जाते है। कहते है कि अनन्त महाप्रभु ने बरहज में ही तपस्या की थी। बरहज का मेला कार्तिक पूर्णिमा के अतिरिक्त अनन्त चतुर्दशीतथा प्रत्येक अवामस्या…

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बांसी का मेला

बांसी का मेला कब लगता है – बांसी मेले का इतिहास

बांसी एक नदी का नाम है जिस के तट पर क्वार माह की पूर्णिमा को मेला लगता है। इस मेले मे भी दूर-दूर से श्रद्धालु आकर स्नान, भजन, पूजन, कीर्तन में सम्मिलित होते है। देवरिया जनपद का यह भी बडा प्रसिद्ध मेला है। इसमे ग्राम्य जीवन की झाकी देखने योग्य होती है। गांव की महिलाएं झुंड के झुंड टोलियां बनाकर यहां मंगल-गीत गाती हुई आती…

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कुलकुला धाम मेला

कुलकुला देवी मंदिर कहां है – कुलकुला धाम मेला

कुलकुला देवी मंदिर कुशीनगर जनपद मे कसया नामक तहसील के एक कुडवा दीलीपनगर गांव है। यहा से चार किलोमीटर पूरब की ओर कुलकुला देवी का प्रसिद्ध धाम है, यहां चैत्र रामनवमी के अवसर पर कुलकुला देवी का मेला लगता है। कसया से देवी धाम की दूरी 14 किलोमीटर है, कुशीनगर जिला मुख्यालय से कुलकुला देवी मंदिर की दूरी 18 किलोमीटर है। फाजिलनगर से 13 किलोमीटर…

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दुग्धेश्वर नाथ मंदिर

दुग्धेश्वर नाथ मंदिर रूद्रपुर – दुग्धेश्वर नाथ का मेला

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रूद्रपुर नामक एक नगर पंचायत है। रूद्रपुर बाबा दुग्धेश्वर नाथ मंदिर के लिए जाना जाता है।दुग्धेश्वर नाथ भगवान शिवजी का एक नाम है, क्योकि उन्हे दुग्ध स्नान कराया जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां कई हजार श्रद्धालु एकत्र होकर बेलपत्र, दूध, फूल, माला चढ़ाकर भजन-पूजन, दर्शन करते है। इस अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेला लगता है। इसके…

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सोहनाग परशुराम धाम

सोहनाग परशुराम धाम मंदिर और सोहनाग का मेला

देवरिया महावीर स्वामी और गौतमबुद्ध की जन्म अथवा कर्मभूमि है। यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी है, अत कला और संस्कृति का यह जनपद केन्द्र रहा है। यहां कई मेलों का आयोजन समय समय पर होता रहता है। उसी में एक प्रसिद्ध मेला है सोहनाग का मेला। यह मेला देवरिया जनपद मे सलेमपुर थानान्तर्गत सोहनाग नामक स्थान पर लगता है। यहां भगवान परशुराम धाम है,…

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तरकुलहा का मेला

तरकुलहा का मेला – तरकुलहा देवी मंदिर गोरखपुर

गोरखपुर जिला मुख्यालय से 15 किमी0 दूर देवरिया मार्ग पर एक स्थान है तरकुलहा। यहां प्रसिद्ध तरकुलहा माता का तरकुलहा देवी मंदिर स्थित है। जहां तरकुलहा का मेला लगता है। इस स्थान की यहां के लोगों में बहुत मान्यता है। तरकुलहा का मेला और उसका महत्व कहते हैं कि यहां तरकुल के एक विशाल वृक्ष के नीचे माँ का…

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गोरखनाथ का मेला

गोरखनाथ का मेला गोरखपुर उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश का गोरखपुर बाबा गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना जाता है। नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक तथा प्रथम साधु गुरु गोरखनाथ ने यही रहकर नाथ सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार किया था। वहा नगर के समीप आज भी विशाल मंदिर, पार्श्व मे तालाब बना हुआ है जहा विभिन्‍न अवसरों पर वैसे भी मेला का सा दृश्य उपस्थित हो जाता है। तब भी मकर संक्राति (खिचडी) के…

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शेख शाह सम्मन मजार

शेख शाह सम्मन का मजार व उर्स सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश

गाजीपुर जिले मे सैदपुर एक प्रमुख स्थान है। यहा शेख शाह सम्मन की मजार है। मार्च और अप्रैल में यहां बहुत बडा उर्स मेला लगता है जो तीन दिन तक चलता है। इस मेले में हिन्दू-मुस॒लमान दोनों समुदाय के लोगदूर-दूर से आकर चादरे चढाते है। कव्वाली का भव्य आयोजन होता है। नृत्य, सगींत के कार्यक्रम भी होते है। शेख शाह सम्मन मजार गंगा जमुनी…

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