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लोहंदी महावीर मंदिर

लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

श्रावण मास के प्रत्येक शनिवार को लोहंदी महावीर का मेला लगता है। वैसे प्रत्येक मगलवार को भी सैकडो दर्शनार्थी भक्तगण लोहंदी महावीर जी के दर्शन के लिए जाते है। प्रत्येक रविवार को वदी के दिन भी तफरी के लिए सेठ-साहुकार तथा भावुकजन लोहंदी महावीर मंदिर जाकर लिट्टी-बाटी का आयोजन करते है। यह स्थान मिर्जापुर जिला मुख्यालय नगर से दक्षिण मे लगभग पांच किमी पड़ता…

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कजरी तीज

कजरी तीज कब मनाते हैं – कजरी के गीत – कजरी का मेला

कजरी तीज पूर्वांचल का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है, कजरी पर्व के अवसर मिर्जापुर और आसपास के जिलों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कजरी तीज के अवसर पर जगह जगह मेले भरते है। कला जीवन की अनिवार्यता है तो लोककला लोकजीवन की। चौसठ कलाओ में अधिकतर लोककलाए ही है। काव्यकला ललित होने के कारण उत्तम कला है। कजरी लोक-काव्य-कला है। इसमे साहित्य, संगीत…

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ओझला पुल

ओझला मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश – ओझला पुल

ओझला पुण्यजला का बिगड़ा हुआ रूप है। यह एक नाला है जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर नगर से पश्चिम विंध्याचल से एक किमी, पूर्व स्थित है। इसका जलस्त्रोत विंध्य की पहाडियां है। यही पर इसकी धारा गंगा जी में उत्तर वाहिनी होकर विलीन हो जाती है। गंगा जी मे मिलने के कारण इसका नाम पुण्यजला हो गया है। इसके बारे में कहा…

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सुरियावां का मेला

सुरियावां का मेला – भोरी महजूदा का कजरहवा मेला

सुरियावां उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही जिले में एक नगर है। यहां भोरी महजूदा में हल षष्ठी व्रत के अवसर पर सावन में कजरी के बाद वाले गुरुवार को यह मेला लगता है। आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व घिनहू शर्मा नामक व्यक्ति अपने घर हमहा-हडिया से अपनी ससुराल भोरी आया। गांव की कुमारियों ने उसे कजरी गाकर सुनाने को कहा।उसने असमर्थता व्यक्त की, लेकिन…

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देवलास मंदिर

देवलास का मेला – देवलास धाम में उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद में लगने वाला देवलास का मेला बहुत मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि देवलास नामक स्थान पर देवल मुनि ने तपस्या की थी। यह भी जनश्रुति है कि महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम जब अयोध्या से जा रहे थे तो यही महर्षि देवल के आश्रम पर विश्राम किया था। इस तरह इस मेले का पौराणिक महत्व हो जाता है।…

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सेमराध नाथ का मेला

सेमराध नाथ का मेला – सेमराध धाम मंदिर भदोही

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में जगीगंज-शेरशाह सूरी मार्ग से गंगा-घाट पर सेमराध नाथ का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इसी सेमराध नाथ मंदिर पर शिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है। जिसे सेमराध नाथ का मेला कहां जाता है, जिसमें भक्तों की काफी भीड़ होती है। सेमराध नाथ मंदिर का महत्व …

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मगहर का मेला

मगहर का मेला कब लगता है – कबीर समाधि मगहर

संत कबीरदास के बारे मे जनश्रुति है कि वे अपनी भक्ति पर अटूट विश्वास के फलस्वरूप काशी छोड़ कर मगहर चले गये थे और कहा था- जो कबिरा काशी मरे, रामहि कवन निहोर।” यह वहीं मगहर है। कबीरदास की अंतिम साधना-स्थली भी यही है। यहां संत कबीर दास का आश्रम है, मंदिर है, समाधि है, जो कबीर पंथियो के लिए तीर्थ है। कबीर हिन्दू-मुसलमान…

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भदेश्वर नाथ मंदिर

भदेश्वर नाथ मंदिर का महत्व और भदेश्वर नाथ का मेला

बस्ती , गोरखपुर, देवरिया तीनो एक स्वभाव के शहर है। यहां की सांस्कृतिक परपराए महत्वपूर्ण और अक्षुण्ण रही हैं। सरयू नदी का प्रभाव-क्षेत्र होने के कारण यहां भी सभ्यताओं का उदय-अस्त हुआ है। यहा के मेले और त्यौहार प्राय धार्मिक भावभूमि पर आधारित हैं। पूरा पूर्वाचल आरभ से ही काशी के प्रभाव-क्षेत्र में होने के कारण शिव-साधना का और विन्ध्यांचल के कारण शक्ति-साधना का…

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कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर

सिकंदरपुर का मेला – कल्पा जल्पा देवी मंदिर सिकंदरपुर

सिकंदरपुर उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया जिले में एक नगर पंचायत व तहसील है। इस नगर को सिकंदर लोदी ने बसाया था जिसके नाम पर इसका नाम सिकंदरपुर पडा है। बलिया से सिकंदरपुर की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। यह नगर यहां स्थित प्रसिद्ध कल्पा जल्पा देवी मंदिर के लिए भी जाना जाता है। सिकंदरपुर में स्थित कल्पा जल्पा देवी मंदिर पर सिकंदरपुर का मेला…

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रसड़ा का मेला और नाथ बाबा मंदिर रसड़ा बलिया

बलिया जिले का रसड़ा एक प्रमुख स्थान है। यहा नाथ संप्रदाय का प्रभाव है, जिसके कारण यहां नाथ बाबा का मंदिर बना हुआ है जहां क्वार दशमी के दिन मेला लगता है। रामलीला का यह मेला बडा प्रसिद्ध है जिसमें 25-30 हजार का जन-समूह उमड पडता है। गांव-देहात के लोग भी आते है। मनोरजन के साधनों में गीत, नाट्य, मदारी का खेल, जादू, कठपुतली…

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