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नागपुर के दर्शनीय स्थल

नागपुर का इतिहास और टॉप 10 दर्शनीय स्थल

नागपुर जो ओरेंज सिटी के नाम से प्रसिद्ध है, महाराष्ट्र राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। देश के भौगोलिक केंद्र में स्थित, यह सुरम्य शहर इतिहास प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों को समान रूप से आकर्षित करता है। दुनिया के इस हिस्से में मानव का अस्तित्व 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है। नागपुर भारत के शीर्ष हरित शहरों में शुमार है। यहां के पार्कों और…

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दौलताबाद का किला

दौलताबाद का किला – दौलताबाद का इतिहास

दौलताबाद यह स्थान महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद के निकट है। पहले इसे देवगिरि के नाम से जाना जाता था। दौलताबाद एक ऐतिहासिक नगर है। यह नगर यहां स्थित दौलताबाद किले के लिए भी जाना जाता है। यह किला 190 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है। दौलताबाद किले का निर्माण शुरू में 1187 के आसपास पहले यादव राजा भिल्लामा पंचम द्वारा किया गया था। …

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अगा खान पैलेस कल्याणी नगर

कल्याणी नगर का इतिहास और अगा खान पैलेस

कल्याणी नगर पूणे महाराष्ट्र में नर्मदा नदी के दक्षिण में है। यह नगर एक ऐतिहासिक नगर है। समुंद्री किनारे पर होने के कारण सातवाहनों के शासन के समय कल्याणी सबसे बड़ी निर्यात बंदरगाह थी। कन्हेरी और जुनार लेखों में इसका एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में उल्लेख है। कल्याणी नगर 19वीं सदी के आगा खान महल के लिए भी जाना जाता है। यह महल…

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कन्हेरी गुफाएं

कन्हेरी गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है तथा कितनी है

कन्हेरी गुफाएं यह स्थान महाराष्ट्र राज्य में मुंबई के निकट बोरीवली से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कन्हेरी की गुफाएं लगभग 100 ईसा पूर्व से 50 ईसा पूर्व तक बनाई गई 109 गुफाएँ हैं, तथा इन प्राचीन गुफाओं में बौद्ध धर्म के लेख पाए गए हैं। ये प्राचीन कन्हेरी की गुफाएं प्रारंभिक बौद्ध काल की हैं। कन्हेरी गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है तथा…

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एलिफेंटा की गुफाएं

एलिफेंटा की गुफाएं किसने बनवाई और कहां स्थित है

ऐलीफेंटा महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुंबई के निकट अरब सागर में एक छोटा सा टापू है। यह टापू यहां स्थित एलिफेंटा की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। यद्यपि इस टापू पर अभी भी लोग ज्यादा संख्या में नहीं रहते और यह मुख्य रूप से पर्वतीय तथा निर्जन वन क्षेत्र ही है, फिर भी इस टापू पर मानव जाति के छठी शताब्दी ई० में ही पहुँच…

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सांची स्तूप

सांची स्तूप किसने बनवाया, इतिहास और महत्व

सांची विदिशा के सांस्कृतिक, कलात्मक व धार्मिक अस्तित्व का मेरूदण्ड है, जहां लगभग 1500 वर्षो तक बौद्ध धर्म की पताका फहराती रही। सांची स्तूप संसार के प्रसिद्ध स्तूपों में से एक है, भारतवर्ष के प्राचीनतम स्मारकों का अद्वितीय अक्षुण्य उदाहरण है। बौद्ध धर्म की जातक कथाओं के चित्रण के अतिरिक्त, समसामयिक जीवन की झांकी व राजनैतिक परिवर्तनों का प्रभाव जितना सुस्पष्ट यहां दर्शनीय है,…

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उदयेश्वर नीलकंठेश्वर मंदिर

उदयेश्वर नीलकंठेश्वर मंदिर विदिशा मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण स्थानों में उदयपुर (विदिशा) एक विशेष आकर्षण है, यह राजस्थान वाला उदयपुर नहीं है यह मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक नगर है। जहां देश- विदेश के पर्यटक व विद्वान बहुत बड़ी संख्या में प्रति वर्ष पहुँचते है । यह विदिशा नगर से 34 मील उत्तर में है तथा बरेठ रेलवे स्टेशन से 3 मील व…

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विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा के पर्यटन स्थल – विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा मध्य प्रदेश के सम्पन्न जिलों नें गिना जाता है । इसके उत्तर में गुना, पूर्व में सागर, दक्षिण में रायसेन तथा पश्चिम में राजगढ़ जिले हैं। यह दिल्ली-बम्बई लाईन पर सेन्ट्रल रेलवे का एक स्टेशन हैं, जहां पर सभी गाड़ियां रुकती हैं। यहां से भोपाल, इन्दौर, अशोक नगर, गुना, सागर, खजुराहो आदि शहरों को वें जाती हैं। जिले का हेडक्वार्टर होने के कारण यहां…

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गडरमल मंदिर विदिशा

गडरमल मंदिर विदिशा – गड़रिया का बनाया हुआ मंदिर

मध्य प्रदेश के विदिशा के बडोह गांव में नवी शताब्दी का गडरमल मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक गडरिये ने बनवाया था, इसी वजह से इस मंदिर को गडरमल मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की छत के दोनों तरफ नौ देवियां बनी हुई हैं, यह उसी तरह है जैसे कि पंचकूला के देवी मंदिर में हैं या फिर ग्वालियर किले…

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लोहांगी पहाड़ी विदिशा

लोहांगी पहाड़ी विदिशा – लोहांगी पीर विदिशा

मध्य प्रदेश के विदिशा में रेलवे स्टेशन के निकट 200 फीट ऊँची एक छोटी सी पहाड़ी है, जिसे लोहांगी पहाड़ी या लोहांगी पीर कहते है, इस पहाड़ी जिसका ऊपरी आधा भाग सीधी कतार है किन्तु उसके ऊपर समतल है। यही कारण है कि यहां लगभग 100 मीटर के व्यास के भीतर मंदिर, मस्जिद आदि स्मारक है। इनके अतिरिक्त शुगकालीन स्तम्भ शीर्ष भी किसी अन्य…

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हेलियोडोरस स्तंभ बेसनगर

हेलियोडोरस स्तंभ – हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख

हेलियोडोरस स्तंभ भारत के मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में आधुनिक बेसनगर के पास स्थित पत्थर से निर्मित प्राचीन स्तम्भ है। इसका निर्माण ११० ईसा पूर्व हेलिओडोरस ने कराया था।हेलियोडोरस प्राचीन भारत का यूनानी राजनयिक था। वह पांचवें शुंग राजा काशीपुत भागभद्र के राज्य काल के चौदहवें वर्ष में तक्षशिला के यवन राजा एण्टिआल्कीडस (140-130 ई.पू.) का दूत बनकर विदिशा आया था। हेलियोडोरस यवन होते…

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नवादा टोली आर्कियोलॉजिकल साइट

नवादा टोली आर्कियोलॉजिकल साइट मध्य प्रदेश

नावदा टोली यह स्थान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में नर्मदा घाटी में इंदौर के दक्षिण में 90 किमी दूर है। नवादा टोली एक पुरातात्विक महत्त्व वाला स्थान है। नवदाटोली मध्य भारत में मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर स्थित एक आधुनिक गांव और ताम्रपाषाण युग की बस्ती दोनों को संदर्भित करता है। प्राचीन गांव मिट्टी के बर्तनों के प्रकार द्वारा परिभाषित चार चरणों के…

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धार के दर्शनीय स्थल

धार का इतिहास और धार के दर्शनीय स्थल

धार मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर और जिला है। यह शहर मालवा क्षेत्र में है। इसकी स्थापना परमार राजपूतों द्वारा की गई थी। धार में परमार वंश की नींव उपेंद्र कृष्णराज ने नौंवीं शताब्दी के आरंभ में डाली थी। उसके बाद वैरी सिंह सियक प्रथम, वाकपति प्रथम, वैरी सिंह द्वितीय और हर्ष सिंह सियक राजा बने। हर्ष सिंध सियक ने हुणों तथा 972…

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बहराइच आकर्षक स्थलों के सुंदर दृश्य

बहराइच का इतिहास – बहराइच जिले के आकर्षक, पर्यटन, धार्मिक स्थल

बहराइच जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख जिलों में से एक है, और बहराइच शहर जिले का मुख्यालय है। बहराइच जिला देवीपाटन मंडल का एक हिस्सा है। बहराइच ऐतिहासिक अवध क्षेत्र में है। यह जिला उत्तर और उत्तर-पूर्व में नेपाल से अपनी सीमाएं साझा करता है। बहराइच जिले का शेष भाग उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से घिरा हुआ है। पश्चिम में…

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उज्जैन के दर्शनीय स्थल

उज्जैन का इतिहास और उज्जैन के दर्शनीय स्थल

उज्जैन मध्य प्रदेश राज्य का एक प्राचीन, ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है। उज्जैन शहर क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है। उज्जैन को भारत की सांस्कृतिक काया का मणिपुर-चक्र और भारत की मोक्ष दायिका सात प्राचीन पुरियों में से एक माना गया है। प्राचीन विश्व की याम्योत्तर (शून्य देशांतर) रेखा यहीं से गुजरती थी। पुराणों में उज्जयिनी, अवंतिका, अमरावती, प्रतिकल्पा, कुमुद्बती आदि नामों से इसकी महिमा…

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तामलुक दर्शनीय स्थल

तामलुक कहां है इतिहास और दर्शनीय स्थल

तामलुक पश्चिम बंगाल में गंगा के पूर्व-पश्चिमी डेल्टा पर स्थित है। यह पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में स्थित एक नगर है, तथा यह पूर्व मेदिनीपुर जिले का मुख्यालय भी है। इसे ताम्रलिप्त भी कहा जाता है। मौर्य पूर्व और मौर्य काल के दौरान यह एक बंदरगाह थी। यहां से दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, बर्मा, जावा, सुमात्रा, कम्बोडिया और रोम के साथ व्यापार किया जाता…

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दीघा बीच

दीघा बीच कहां है – दीघा बीच की जानकारी हिंदी में

दीघा कलकत्ता से 183 किमी की दूरी पर एक खूबसूरत समुंद्री तट है। प्राकतिक संपदा से भरपूर और छह किमी लंबा यह तट संसार के लंबे समुंद्री तटों में गिना जाता है। यह पश्चिम बंगाल का सबसे लोकप्रिय तट भी है। दीघा बीच के पास दादनपात्र में नमक बनाया जाता है। यहां से लगभग आठ किमी दूर चंदनेश्वर में एक प्राचीन शिव मंदिर है। दस…

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कूच बिहार के दर्शनीय स्थल

कूच बिहार का इतिहास – कूच बिहार के दर्शनीय स्थल

कूच बिहार पश्चिम बंगाल राज्य का एक प्रमुख नगर और जिला है, यह जिला मुख्यालय भी है। कूच बिहार यह स्थान न्यू जलपाईगुड़ी के पूर्व में है। पहले इसे कोच बिहार कहा जाता है। सन् 1515 में यहां कोच जन-जाति के विश्वा सिन्हा ने एक शक्तिशाली शासन की स्थापना की थी। वह कामत राज्य का राजा था। उसके बाद उसके पुत्र नर नारायण के काल…

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बैरकपुर के दर्शनीय स्थल

बैरकपुर छावनी कहां है – बैरकपुर दर्शनीय स्थल

बैरकपुर पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह नगर हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह कोलकाता महानगर क्षेत्र के अंतर्गत भी आता है। कोलकाता से बैरकपुर 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बैरकपुर में अंग्रेजी सेना की छावनी हुआ करती थी। 1857 की क्रांति का सर्वप्रथम बिगुल यही से वीर शहीद मंगल पांडे…

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नादिया के दर्शनीय स्थल

नादिया के दर्शनीय स्थल – कृष्णानगर पर्यटन स्थल

नादिया पश्चिम बंगाल का एक जिला है जिसका जिला मुख्यालय कृष्णानगर है। नादिया सेन राजपूतों की राजधानी थी। मुहम्मद गौरी के सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी ने नादिया पर 1197 ई० में घोड़ों के सौदागर के रूप में उस समय आक्रमण कर दिया, जिस समय यहां का राजा लक्षमण सेन युद्ध के लिए तैयार न था। फलस्वरूप वह यहां से भाग खड़ा हुआ। गौरी ने बंगाल…

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पांडुआ के दर्शनीय स्थल

पांडुआ का इतिहास – पांडुआ के दर्शनीय स्थल

पांडुआ यह स्थान गोलपाड़ा के निकट है। मध्य काल में यह बंगाल प्रांत का एक हिस्सा हुआ करता था। आजकल पांडुआ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली ज़िले में स्थित एक शहर है। इसके गौरवशाली इतिहास के कारण यहां कई ऐतिहासिक स्मारक और भवन जो पांडुआ के पर्यटन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पांडुआ का इतिहास - पांडुआ हिस्ट्री इन हिन्दी मुहम्मद…

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मुर्शिदाबाद के दर्शनीय स्थल

मुर्शिदाबाद का इतिहास – मुर्शिदाबाद के दर्शनीय स्थल

मुर्शिदाबाद यह शहर कलकत्ता से 224 किमी दूर है। और पश्चिम बंगाल राज्य के प्रमुख शहरों में आता है। मुर्शिदाबाद का इतिहास देखने से पता चलता है कि औरंगजेब के समय में आजिम यहां का सूबेदार था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद वह अपने दीवान और नाएब सूबेदार मुर्शीद कुली जाफर खाँ को शासन-भार सौंपकर दिल्‍ली चला गया। 1713 में फरुखसियार ने मुर्शीद कुली जाफर…

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गौड़ के दर्शनीय स्थल

गौड़ का इतिहास – गौड़ मालदा के दर्शनीय स्थल

गौड़ या गौर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के मालदा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। किसी समय गौड़ राज्य हुआ करता था। सातवीं शताब्दी में यहां शशांक का राज्य था। हर्षवर्धन ने उसे कामरूप (आधुनिक असम) के राजा भास्कर वर्मन की सहायता से हरा दिया था। इसके बाद बंगाल के पूर्वी भाग, जिसमें गौड़ पड़ता था, को भास्कर वर्मन ने और पश्चिमी भाग…

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महाबलीपुरम मंदिर और दर्शनीय स्थल

महाबलीपुरम का इतिहास – महाबलीपुरम दर्शनीय स्थल

महाबलीपुरम यह स्थान तमिलनाडु में मद्रास (चेन्नई) के दक्षिण में 50 किमी दूर है। इसका निर्माण पल्‍लव राजा मम्मल नरसिंह वर्मन प्रथम (630-638 ई०) ने कराया था। प्रारंभ इसे मम्मलपुरम कहा जाता है। यह कभी पल्‍लव राजाओं की प्रमुख बंदरगाह होती थी। यह स्थान यहां स्थित महाबलीपुरम रथ मंदिर के लिए भी जाना जाता है। महाबलीपुरम का इतिहास महाबलीपुरम में मम्मल शैली…

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वेल्लोर के पर्यटन स्थल

वेल्लोर का इतिहास – महालक्ष्मी गोल्डन टेंपल वेल्लोर के दर्शनीय स्थल

वेल्लोर यह शहर तमिलनाडु में कांचीपुरम के लगभग 60 किमी पश्चिम में है। यह पालर नदी के किनारे स्थित है। वेल्लोर एक ऐतिहासिक शहर है यह शहर यहां स्थित वेल्लोर महालक्ष्मी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, महालक्ष्मी मंदिर को गोल्डन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर 10 जुलाई सन् 1806 के वेल्लोर विद्रोह के लिए भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में…

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तंजौर का मंदिर

तंजौर का इतिहास – तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर

तंजौर जिसे तंजावुर के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु का प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है। तंजौर का वृहदेश्वर मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, जिसके लिए इसे जाना जाता है। तंजौर दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक चोल शासकों की राजधानी रही। चोल राजा विजयालय ने पांड्य राजा से 850 ई० में तंजौर दूसरी बार छीनकर इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने यहाँ चोल…

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मदुरई मीनाक्षी मंदिर के सुंदर दृश्य

मदुरई का इतिहास – मदुरई के दर्शनीय स्थल

मदुरई या मदुरै यह शहर भारत के तमिलनाडु राज्य में वैगान नदी के किनारे स्थित है। यह दो ओर से यन्नई मलाई (हाथी पहाड़ी) और नाग मलाई (नाग पहाड़ी) से घिरा हुआ है। यन्नई मलाई 8 किमी लंबी है और एक लेटे हुए हाथी जैसी लगती है। मदुरई मथुरा का ही तमिल रूप है। मदुरै से तात्पर्य है मधुर शहर, ऐसा माना जाता है कि…

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करूर के दर्शनीय स्थल

करूर का इतिहास और दर्शनीय स्थल

करूर (karur) भारत के तमिलनाडु राज्य में एक प्रमुख नगर और जिला मुख्यालय है। करूर यह वन्नी नदी के किनारे स्थित है। इसका प्राचीन नाम वंजी है। दूसरी और तीसरी शताब्दी में करूर चेर राजाओं की दूसरी शाखा की राजधानी थी। इस शाखा के राजा केरल में मरंदाई की मुख्य शाखा के समकालीन थे। इसका प्रथम ज्ञात राजा अंडुवन था। वह एक विद्वान था।…

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कांचीपुरम

कांचीपुरम का इतिहास और दर्शनीय स्थल

कांची यह शहर मद्रास के पास आधुनिक कांचीपुरम है। यह तमिलनाडु राज्य का प्रमुख शहर है। तीसरी चौथी शताब्दी में कांचीपुरम में पल्लव शासकों का राज्य था। ये राजा पहले सातवाहनों को अपना अधिपति मानते थे और बाद में स्वतंत्र हो गए थे। सबसे पहला स्वतंत्र राजा सिंहवर्मा प्रथम (275-300) था। उसका एक लेख गुंदूर जिले के पलनाद तालुके में मिला है। यह प्राकृत में…

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बड़ौदा के दर्शनीय स्थल

बड़ौदा के दर्शनीय स्थल – बड़ौदा का इतिहास

बड़ौदा गुजरात राज्य का प्रमुख शहर है। बड़ौदा से अभिप्राय है बड़ के पेड़ों के बीच स्थित, इसका आधुनिक नाम वडोदरा है। सन् 119-24 तक यहाँ शक क्षत्रप नहपान का शासन था। ताराबाई ने इसे 1706 ई० में अपने अधीन किया था। उस समय वह अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय की संरक्षिका के रूप में शासन कर रही थी। यहाँ का शासक दामाजी गायकवाड़ पेशवा के…

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भड़ौच के पर्यटन स्थल

भड़ौच का इतिहास और भड़ौच के दर्शनीय स्थल

भरूकच्छ यह गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, इसका आधुनिक नाम भड़ौच है। इसका प्राचीन नाम भृंगुकच्छ भी था, जो भृंगु ऋषि के नाम पर पड़ा था। इसे बेरीगाजा भी कहा जाता था। ऐसा माना जाता है कि बाली ने यहां एक यज्ञ किया था। भड़ौच का इतिहास सन् 119 से 124 ई० तक भड़ौच शक क्षत्रप नहपान के अधीन…

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लोथल आर्कियोलॉजिकल साइट

लोथल की खोज किसने की और कब हुई

लोथल यह स्थल सौराष्ट्र क्षेत्र में अहमदाबाद से 87 किमी दूर भोगवा नदी के किनारे धोलका तालुका के सरागवाला गांव के पास स्थित है। यह एक आर्कियोलॉजिकल साइट है। पुरातत्वविद एस. आर. राव की अगुवाई में कई टीमों ने मिलकर 1954 से 1963 के बीच कई हड़प्पा स्थलों की खोज की, जिनमें में बंदरगाह शहर लोथल भी शामिल है। पुरातत्व में रूची रखने वाले पर्यटक…

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कच्छ के दर्शनीय स्थल

कच्छ का इतिहास और कच्छ के दर्शनीय स्थल

कच्छ गुजरात राज्य का एक जिला है, जिसका मुख्यालय भुज है। कच्छ एक प्राचीन नगर है, कच्छ का पुराना नाम ओडुंबर था। तथा प्राचीन काल में कच्छेश्वर अथवा कोटेश्वर इसकी राजधानी थी। कच्छ के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि सन् 130 से 150 ई० तक यहाँ उज्जयिनी के शक क्षत्रप रूद्रदामा का शासन था। कच्छ का इतिहास चालुक्य राजा मूलराज…

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पाटण के दर्शनीय स्थल

पाटण का इतिहास और पर्यटन – अन्हिलवाड़ा कहां है

पाटण भारत के गुजरात राज्य में एक ऐतिहासिक नगर और जिला मुख्यालय है। यह एक प्राचीन नगर है। पाटण का प्राचीन नाम अन्हिलवाड़ा था। गुजरात में स्थित यह शहर प्राचीन गुजरात तथा चालुक्य राजाओं की राजधानी थी। यह आजकल पाटण कहलाता है। अन्हिलवाड़ा व्यापारियों के लिए भी एक अच्छा स्थान था। पाटण का इतिहास - अन्हिलवाड़ा कहां है चावड़ा वंश के जयशेखर के…

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हेलिबिड मंदिर के सुंदर दृश्य

हेलिबिड का मंदिर – हेलिबिड का इतिहास

हेलिबिड शहर कर्नाटक राज्य में बेलूर से 47 किमी दूर है। हेलीबिड का पुराना नाम द्वारसमुद्र है। द्वारसमुद्र होयसल राजपूतों की राजधानी थी। इस वंश का पहला शासक नृपकाम था। उसने 1022 से 1047 तक राज्य किया। उसके बाद विनयादित्य (1047-1101) राजा बना। वह चालुक्य राजा विक्रमादित्य षष्ठ को अपना अधिपति मानता था। हेलिबिड का इतिहास उसके उत्तराधिकारी बल्‍लाल (1101-06) ने पांड्य राज्य…

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बेलूर के दर्शनीय स्थल

बेलूर के दर्शनीय स्थल की जानकारी हिंदी में

बेलूर. यह स्थान बैंगलोर से 222 किमी और हेलिबिड से 47 किमी दूर स्थित है। बेलूर होयसल राजाओं की कला, मठों और मंदिरों का प्रसिद्ध केंद्र रहा है। इसलिए यह दक्क्न वाराणसी के रूप में भी जाना जाता है। होयसल राजा विष्णुवर्धन (विटिग्ग) ने यहां 1117 ई० में होयसल शैली में चेन्नाकेशव मंदिर बनवाया था। इस मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं और उनके अवतारों, शिकारियों,…

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मालखेड़ा का किला

मालखेड़ा का इतिहास – मालखेड़ा का किला

मालखेड़ा भारत के कर्नाटक राज्य के गुलबर्ग ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक गाँव है। पहले इसका नाम मान्यखेट था। इसका आधुनिक नाम मालखेड़ा है। आठवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मान्यखेड़ में चालुक्यों का शासन था। इस शताब्दी के उत्तरार्ध में यहाँ राष्ट्रकूट शासकों ने अपना आधिपत्य कर लिया था। राष्ट्रकूट शासक पहले चालुक्य शासकों के सामंत थे। राष्ट्रकूट वंश के शासन की स्थापना करने वाला…

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रायचूर के दर्शनीय स्थल

रायचूर का इतिहास – रायचूर के पर्यटन स्थल

रायचूर भारत के कर्नाटक राज्य का एक प्रमुख नगर और जिला मुख्यालय है। यह एक ऐतिहासिक नगर है। रायचूर नगर कृष्णा- तुंगभद्रा दोआब में है और विजयनगर तथा बहमनी साम्राज्यों के मध्य कई युद्धों का कारण और स्थान रहा है। इन साम्राज्यों के मध्य संघर्ष के कई कारण रहे हैं। इस दोआब में स्थित किले इन दोनों साम्राज्यों के संयुक्त अधिकार में थे। दूसरे, बहमनी…

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विजयनगर साम्राज्य का इतिहास

विजयनगर साम्राज्य का इतिहास, स्थापना और पतन

विजयनगर यह स्थान कर्नाटक में हम्पी के निकट तुभभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर है। इसकी स्थापना मुहम्मद तुगलक के काल में 1336 ई० में संगम के पुत्रों हरिहर और बुक्काराय ने अपने गुरु विद्यारण्य की सहायता से की थी। हरिहर प्रथम ने 1343 ई० में इसे अपनी राजधानी बनाया। उन दिनों इसे हस्तिनावती कहा जाता था। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना सन् 1325 में…

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भुवनेश्वर के दर्शनीय स्थल

भुवनेश्वर के दर्शनीय स्थल – भुवनेश्वर के पर्यटन स्थल

भुवनेश्वर 1950 से आधुनिक उड़ीसा की राजधानी है। प्राचीन काल में भुवनेश्वर केसरी वंश के शैव शासकों की राजधानी थी। भुवनेश्वर शहर नागर शैली में बने मंदिरों का विशेष केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी बिंदुसागर झील के चारों ओर कभी 7000 मंदिर हुआ करते थे। अब भी यहाँ सैंकड़ों मंदिर देखे जा सकते हैं। इसी कारण इसे मंदिरों का शहर भी…

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कटक के पर्यटन स्थल

कटक का इतिहास और दर्शनीय स्थल

कटक उड़ीसा राज्य का एक प्रमुख शहर है। महानदी और कोठजोड़ी नदियों से घिरे कटक शहर की स्थापना 989 ई० में कलिंग राजा नृपकेशरी ने की थी। कटक से आशय छावनी है। कटक के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 15वीं-16वीं शताब्दी में यहाँ गजपति वंश का शासन था। बहमनी शासक निजामुद्दीन अहमद के काल में गजपति शासक कपिलेश्वर बहमनी साम्राज्य पर…

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उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं

उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं और इतिहास

उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं उड़ीसा में भुवनेश्वर के पास पुरी जिले में है। यह स्थान बालाजी बाजीराव और हैदराबाद के निजाम सलाबतजंग के मध्य 1759 ई० में हुए युद्ध का कारण भी प्रसिद्ध था। इस युद्ध में निजाम की हार हुई थी। फलस्वरूप उसे मराठों को 62 लाख रु सालाना आमदनी वाली भूमि तथा असीरगढ़, दौलताबाद, बीजापुर, अहमद नगर और बुरहानपुर के किले देने पड़े…

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पेनुकोंडा का किला

पेनुकोंडा का इतिहास और पेनुकोंडा का किला

पेनुकोंडा ( Penukonda )आंध्र प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक नगर है, जो यहां स्थित ऐतिहासिक पेनुकोंडा का किला के लिए जाना जाता है। पहले यह आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में था सन् 2022 में जिले का विभाजन हुआ और पेनुकोंडा नवनिर्मित जिला श्री सत्य साईं में आ गया। पर्यटकों के लिए पेनुकोंडा की स्वप्न के कम नहीं है। यहां की ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को…

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हैदराबाद

हैदराबाद का इतिहास और दर्शनीय स्थल

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद मूसी नदी पर स्थित है, यह शहर एक ऐतिहासिक और प्रचीन शहर है। हैदराबाद मौर्य काल से भी पुराना शहर है। चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ई०पू० के शीघ्र बाद इस पर विजय प्राप्त की थी। सातवाहन राजा शातकर्णी ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसके बाद उसके वंशजों गौतमी पुत्र शातकर्णी (106-30 ई०), वशिष्ठपुत्र (130-45 ई०), यज्ञश्री शातकर्णी (165-95 ई०)…

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नागार्जुनकोंडा स्तूप

नागार्जुनकोंडा का इतिहास हिन्दी में

नागार्जुनकोंडा (Nagarjunakonda ) भारत के तेलंगाना राज्य के नलगोंडा ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। हैदराबाद से 100 मील दक्षिण- पूर्व की ओर स्थित नागार्जुनकोंडा एक प्राचीन स्थान है। यह बौद्ध महायान के प्रसिद्ध आचार्य नागार्जुनसागर के नाम पर प्रसिद्ध है। नागार्जुनकोंडा जिले में कृष्णा नदी पर नागार्जुन सागर बाँध के मध्य है। इसका नामकरण प्रथम शताब्दी ई० की महायान शाखा के बौद्ध विद्वान…

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वेंगी के चालुक्य वंश और इतिहास

वेंगी के चालुक्य वंश और इतिहास

वेंगी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में कृष्णा नदी और गोदावरी नदी मध्य एल्लौर के साथ मील की दूरी पर स्थित है। वेंगी एक डेल्टा क्षेत्र है। वेंगी का इतिहास देखने से पता चलता है कि चौथी पाँचवी शताब्दी में यहाँ शालंकायन वंश के राजाओं का शासन था। इस वंश के प्रसिद्ध शासक हस्तिवर्मा ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उसने समुद्रगुप्त से एक युद्ध में…

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वारंगल के दर्शनीय स्थल

वारंगल का इतिहास और वारंगल के पर्यटन स्थल

वारंगल (warangal) तेलंगाना राज्य का एक प्रमुख शहर है, वारंगल एक जिला मुख्यालय और ऐतिहासिक शहर है। यह शहर यहां स्थित ऐतिहासिक वारंगल का किला के लिए भी जाना जाता है, बड़ी संख्या में इतिहास में रूची रखने वाले पर्यटक इसकी ओर आकर्षित होते हैं, अपने इस लेख में हम इस ऐतिहासिक शहर वारंगल का इतिहास और वारंगल के पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तार…

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बिजय मंडल किला महरौली

बिजय मंडल किला का इतिहास

कुतुब सड़क पर हौज़ खास के मोड़ के कुछ आगे एक लम्बा चौकोर स्तम्भ सा दिखाई पड़ता है। इसी स्तम्भ से मिला हुआ एक भवन है। यही बिजय मंडल है। बिजय मंडल मोहम्मद तुगलक़ का महल है। अपने पिता फीरोज़ की मृत्यु के पश्चात्‌ 1325 ई० में मोहम्मद गद्दी पर बैठा। उसे तुगलकाबाद नगर पसंद नहीं था इस कारण वह प्राचीन दिल्‍ली लौट आना…

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लालकोट का किला

लालकोट का किला – किला राय पिथौरा

लालकोट का किला दिल्ली महरौली पहाड़ी पर स्थित है। वर्तमान में इस किले मात्र भग्नावशेष ही शेष है। इस पहाड़ी के सिरे पर पहुँच कर यदि हम ध्यान पूर्वक सड़क के दोनों ओर देखें तो प्रतीत होगा कि कुछ पत्थर ओर मिट्टी खुदी हुई है। अधिक ध्यान देने पर प्रतीत होगा कि यह पत्थर किसी दीवार के भाग हैं ओर वह दीवार नगर की…

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तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला इतिहास इन हिन्दी

तुगलकाबाद किला दिल्ली स्थित तुगलकाबाद में स्थित है। शब्द तुग़लकाबाद का संकेत तुग़लक़ वंश की ओर है। हम अपने पिछले लेखों में वर्णन कर चुके है कि ग्यासुद्दीन तुगलक़ ने इसे बसाया था। यह नगर दिल्‍ली के समीप स्थित था। वर्तमान में यह नई दिल्ली के अंदर ही है। यहां पहुँचने के लिये बदरपुर बॉर्डर से जाया जा सकता है, दूसरा मार्ग दिल्‍ली से मथुरा…

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