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शकुंतला दुष्यंत का चित्रण

शकुंतला दुष्यंत की प्रेम कथा – शकुंतला दुष्यंत की अमर प्रेम कहानी

शकुंतला दुष्यंत की प्रेम कहानी की शुरुआत-- एक बार राजा दुष्यन्त शिकार को निकले। मृग का पिछा करते हुए वे बहुत दूर निकल गए। मृगया के उद्देश्य से वह एक आश्रम में प्रविष्ट हुए। राजा दुष्यंत का एक आश्रम वासी ब्रह्मचारी ने अभिवादन करते हुए निवेदन किया -- राजन ! यह महात्मा कण्व का आश्रम है। मृगया यहां वर्जित है। इस तपोभूमि में सभी…

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Read more about the article नल और दमयंती की कहानी – नल और दमयंती का विवाह स्वयंवर व प्रेम कथा
नल और दमयंती की कहानी

नल और दमयंती की कहानी – नल और दमयंती का विवाह स्वयंवर व प्रेम कथा

दमयंती विदर्भ देश की भीष्मक नाम राजा की पुत्री थी। राजा भीष्मक ने संतान प्राप्ति हेतु दमन ऋषि की सेवा की और उन्ही के आशीर्वाद से भीष्मक के चार संतानें हुई --- दम, दान्त, और दमन नामक तीन पुत्र और दमयन्ती नामक कन्या। दमयन्ती अत्यंत रूपवती थी। उन्हीं दिनों निषध देश पर नल नामक राजा राज्य करता था। वीरसेन का पुत्र नल गुणवान और…

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तारामती हरिश्चंद्र की कहानी

तारामती की कथा – तारामती की कहानी, राजा हरिश्चंद्र की कहानी

शिवि नरेश की कन्या का नाम तारा था। शिवि देश और वहां के राजा की पुत्री होने के कारण लोग इसे शैव्या नाम से भी पुकारते थे। शैव्या जब विवाह योग्य हुई तो उसका विवाह सत्यवादी महाराजा हरिश्चंद्र से हुआ और वह शैव्या (तारा) से महारानी तारामती बनी। उसकी कोख से रोहित नाम का राजकुमार उत्पन्न हुआ। तारा पतिव्रत धर्म का पालन करने वाली…

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सावित्री सत्यवान

सावित्री सत्यवान की कथा – सावित्री यमराज की कहानी

मद्रदेश के धर्मनिष्ठ राजा अश्वपति पर उनकी प्रजा बहुत प्रेम रखती थी। अश्वपति भी सत्यवादी और प्रजापालक राजा थे। उनके राज्य में हर प्रकार का अमन चैन था। सभी प्रकार की सुख सुविधा होने के बावजूद भी अश्वपति के कोई संतान नहीं थी। इस बात का उन्हें बडा दुख था। इस दुख की निवृत्ति और संतान प्राप्ति हेतु राजा अश्वपति ने अठारह वर्ष तक…

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सुनीति और सुरूचि तथा ध्रुव की कथा

सुनीति की कथा – सुनीति और सुरूचि की कहानी – भक्त ध्रुव की कथा

राजा उत्तानपाद के दो रानियां थी। बड़ी रानी सुनीति एवं छोटी रानी सुरूचि। सुनीति पटरानी थी किंतु राजा उत्तानपाद का दूसरा विवाह सुरूचि के सौंदर्य पर मुग्ध होकर किया था। सुरूचि जितनी सुंदर थी उतनी ही चतुर और कपटी भी थी। उसने अपने रूप के मोह जाल से राजा उत्तानपाद को शीघ्र ही अपने वश में कर लिया। सुनीति राजमहिर्षी थी, यज्ञादि कार्यों एवं…

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देवी देवहूति व कर्दम ऋषि

देवहूति महर्षि कर्दम की पत्नी, व महाराज मनु की पुत्री – देवहूति की कथा।

ब्रह्मावर्त देश के अधिपति महाराज स्वायम्भुव मनू की लावण्यमयी पुत्री देवहूति बड़ी गुणशील थी। देवहूति की माता का नाम शतरूपा था। भारतवर्ष के सम्राट महाराज मनु की पुत्री देवहूति का बचपन राजवैभव और ऐश्वर्य के वातावरण में बीता। फिर भी राजकुमारी देवहूति इसके प्रति आसक्त नहीं थी। राजकुमारी को त्याग, तपस्या और सादगीपूर्ण जीवन बहुत प्रिय था। धर्मज्ञ मनु की पुत्री का धर्म के…

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