Amer fort jaipur आमेर का किला जयपुर का इतिहास हिन्दी में

आमेर का किला

पिछली पोस्टो मे हमने अपने जयपुर टूर के अंतर्गत जल महल की सैर की थी। और उसके बारे में विस्तार से जाना था। इस पोस्ट में हम जयपुर की ही एक और राजपूताना विरासत व सांसकृतिक धरोहर आमेर दुर्ग amer fort jaipur की सैर करेगें और उसके बारे में विस्तार से जानेगें। यह सांसकृतिक धरोहर राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के उपनगर आमेर में स्थित है। जयपुर शहर से आमेर की दूरी 11 किलोमीटर के लगभग है। आमेर पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासको का शासन था। तथा उनकी राजधानी भी थी। जिसको बाद में राजा सवाई जयसिंह द्धारा स्थानांतरित कर जयपुर कर दिया गया था।

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आमेर का किला के सुंदर दृश्य

आमेर का किला अरावली पर्वत श्रृखला पर चील के टिले नामक पहाडी की चोटी पर स्थित है। पहाडी के नीचे की ओर माओटा झील है। जिसके पानी मे किले का सुंदर प्रतिबिंब दिखाई पडता है।

इस भव्य अजय आमेर का किला का निर्माण राजा मान सिंह प्रथम ने सन् 1592 ई° मे करवाया था उसके बाद राजा सवाई जय सिहं द्धारा इसमें कई योगदान व सुधार कार्य किये गये है।

जल महल जयपुर

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आमेर के किले के मुख्य प्रवेश दूार पर पहुँचने के विए जिस मार्ग का उपयोग किया जाता है उस मार्ग पर आप हाथी या ऊँट की सवारी का भी आंनद उठा सकते है। जहां पर स्थानीय लोग कुछ चार्ज कर यह सुविधा उपलब्ध कराते है।

बाहरी परिदृश्य में यह किला मुगल शैली से प्रभावित दिखाई पडता है जबकि अंदर से यह पूर्णतया राजपूत स्थापत्य शैली में है। पर्यटक आमेर किले में एक बडें ऊँचे मेहराबदार पूर्वी द्धार से प्रवेश करते है। यह द्धार सूरजपोल द्धार कहलाता है। जबकि दक्षिण में चन्द्रपोल द्धार है। इसके सामने एक बडा सा चौक स्थित है इसे जलेब चौक कहते है। जलेब चौक से सैलानी महल की ओर बढते है तो वहा दो तरफ सिढियां दिखाई पडती है। इनमें से एक तरफ की सिढियां शिला देवी मंदिर की ओर जाती है। कहा जाता है कि शिला देवी राजाओ की कुलदेवी थी। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतिमा राजा मानसिंह द्घारा 1605 में स्थापित की गई थी। इस मंदिर के द्घार पर चांदी के कलात्मक दरवाजे लगे है। इस किले की सैर करने आने वाले ज्यादातर पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने जरूर जाते है।

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मंदिर में दर्शन करने के बाद दूसरी ओर की सिढियां सिहंपोल द्घार पर जाती है। यह एक दोहरा द्घार है। जिसके द्घारा महल में प्रवेश किया जाता है। सिहंपोल द्घार से प्रवेश करते ही सामने एक विशाल आयताकार भवन है। इस भवन के चारोओर लाल बलुआ पत्थर के खंबो की दो पंक्तियां है। तीन ओर से खुले इस भवन को दीवाने-ए-आम कहा जाता है। जिसके नीचे जनता दरबार लगता था। दीवान-ए-आम में कुल चालीस खम्भे है। इनमें से कुछ संगमरमर के भी है।

आमेर का किला
आमेर का किला

(दीवाने-ए-आम)के दक्षिण की ओर गणेश पोल द्घार दिखाई पडता है। यह इस किले का सबसे सुंदर द्घार है। मेहराबनुमा इस सुंदर ओर भव्य द्घार को शानदार नक्काशी और चित्रकारी से सजाया गया है। जिसमे पितल के दरवाजे जडे है। द्घार के उपरी हिस्से में गणेश जी की छोटी सी प्रतिमा विराजमान है जिसके कारण इसे गणेश द्घार कहा जाता है।

Deevan-a-khas in amer fort jaipur

गणेश पोल से अंदर जाने पर शीश महल, दीवान-ए-खास, सुख महल जैसी भव्य इमारते देखने को मिलती है। जिनमेंं शीश महल काफी खास है। इसकी दीवारो पर शीशे की आलीशान पिच्चकारी और मनमोहक नक्काशी देखने लायक है। इसकी छत में शिशे जडे है। दीपक या मोमबत्ती का हलका सा प्रकाश भी इन शिशो की वजह से महल को जगमगा देता है। दीवाने खास और सुख निवास में भी अदभूत कलाकारी का नजारा आपको देखने को मिलेगा। सुख निवास से आगे बढने पर चारबाग शैली से निर्मित सुंदर बाग भी है जिसमे नहरे फव्वारे मखमली घास व सुंदर पौधे आपको देखने को मिलेगें।

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आमेर का किला एक सुरंग मार्ग से जयगढ दुर्ग से जुडा हुआ है। आमेर से जयगढ किले की सुरंग की लम्बाई 2 किलोमीटर के लगभग बताई जाती है। आमेर किले पर संकट की स्थिति मे शाही परिवार को सुरक्षित जयगढ दुर्ग मे पहुचाने के उद्देश्य से इस सुरंग का निर्माण कराया गया था। वर्तमान में इस सुरंग मे पर्यटको को जाने की अनुमति नही है। आमेर किले से जयगढ दुर्ग और उसके आसपास का सुंदर दृश्य दिखाई पडता है।

कैसे पहुचे:-
हवाई मार्ग-

जयपुर शहर का अपना हवाई अड्डा है। यहा से टैक्सी बस या आटो द्घारा पहुचा जा सकता है।

रेलमार्ग-

जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरो से जुडा है। यहा से भी बस टैक्सी या आटो आसानी से मिल जाती है।

Amer fort jaipur सडक मार्ग-

जयपुर सडक मार्ग से भी भलिभांति तौर से जुडा है तथा भारत के प्रमुख नजदीकी शहरो दिल्ली आगरा लखनऊ आदि से प्राइवेट व सरकारी बसे सीधी जयपुर के मिल जाती है।

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