हेनरी कैवेंडिश का जीवन परिचय और हाईड्रोजन गैस की खोज Naeem Ahmad, May 30, 2022March 26, 2024 हेनरी कैवेंडिश अपने ज़माने में इंग्लैंड का सबसे अमीर आदमी था। मरने पर उसकी सम्पत्ति का अन्दाजा लगाया गया तो वह 10 लाख पौंड से भी ज़्यादा निकली, हालांकि जीते-जी उसकी पोशाक इतनी घिसी-पुरानी होती थी कि देखते ही बनता, कपड़े नहीं, चीथड़े, अब गिरे कि उड़े। एक सनकी किन्तु विश्व का एक बहुत ही बड़ा वैज्ञानिक था वह।हेनरी कैवेंडिश का जीवन परिचयहेनरी कैवेंडिश का जन्म फ्रांस के नीस शहर में 1731 के अक्तूबर महीने में हुआ था। वह इंग्लैंड में प्रिंस चार्ली तथा लेडी एन० कैवेंडिश के दो पूत्रों में पहली सन्तान था। उसके पूर्वजों में, किन्तु क्या उसे स्वयं इन छोटी-छोटी चीज़ों की कुछ चिन्ता थी ? कुछ ऐसे लोग भी थे जो चौदहवीं सदी में ब्रिटिश के धनीमानी परिवारों के कर्णधार समझे जाने लगे थे। इन पूरखों में यदि एक लार्ड चीफ जस्टिस था, तो एक ओर टामस कैवेंडिश। दूसरा अंग्रेज़ था जिसने जहाज़ में दुनिया भर का चक्कर काटा था। स्वयं हेनरी कैवेंडिश का पिता लार्ड चार्ली भी एक माना हुआ वैज्ञानिक था जिसे में मैक्सीमम मिनीमम थर्मामीटर के आविष्कार की बदौलत लन्दन की रॉयल सोसाइटी की ओर से कॉप्ले मेडल भी मिला था।जेम्स क्लर्क मैक्सवेल बायोग्राफी – मैक्सवेल के आविष्कार?दुर्भाग्य से इधर उसके भाई का जन्म हुआ और उधर उसकी मां स्वर्ग सिधार गई। किन्तु हेनरी कैवेंडिश की शिक्षा-दीक्षा बाप की अमीरी के बावजूद पुरानी घिसी-पिटी लीक के मुताबिक ही हुई। 11 साल की उम्र में उसे हैकती के बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया ओर 15 साल का होने पर, तब चार साल की उसकी अगली पढ़ाई कैम्ब्रिज में हुई। धर्म शिक्षा में उसकी कतई रुचि नहीं थी, किन्तु डिग्री हासिल करने के लिए इसका अध्ययन आवश्यक था इस लिए कैवेंडिश ने स्नातक हुए बगैर ही विश्वविद्यालय छोड़ दिया।हेनरी और उसका भाई फ्रैडरिक, गणित और भौतिकी के अध्ययन के लिए लन्दन और उसके बाद पेरिस निकल गए। विद्यार्थी काल मे पिता से उसे एक बहुत ही छोटी छात्रवृत्ति मिला करती थी, लेकिन 40 तक पहुंचते-पहुंचते वह एक भारी जायदाद का उत्तराधिकारी बन गया। फिर जिन्दगी में पैसे की किल्लत उसे कभी भी नहीं आई।विलियम वेडरबर्न का जीवन परिचय हिन्दी मेंहेनरी कैवेंडिश के शिक्षा भी कम न थी, सम्पत्ति भी कम नही, किन्तु कोई भी लडकी शायद उससे शादी करने को कभी तैयार न होती। मर्दों की सोसाइटी में ही खुलना उसके लिए कुछ मुश्किल था, औरतों के सामने तो उसके होश-हवास ही जाते रहते। घर गृहस्थी चलाने के लिए जो दो-एक नौकरानी उसके यहां कभी रही, उन्हे हुक्म था कि उसकी आखों के सामने न आया करे। जो कुछ हुक्म देना होता नोटस के जरिएपहुंच जाता, उसके कमरे मे गलती से भी पहुंची नही कि नौकरी से बरखास्त।हेनरी कैवेंडिशलोग आम तौर पर बे सिर-पैर की बातों मे अपना वक्त बरबाद किया करते है, हेनरी के पास विज्ञान के बारे में ही कुछ कहने को होता और उस पर बात कुछ करनी भी ज़रूरी होती, तो वह भी कितनों से की जा सकती थी ? रुपये-पैसे की बात बह अपने महाजनों से भी नहीं कर सकता था। वे अक्सर उससे पूछते कि इतनी अधिक सम्पत्ति को व्यापार में कैसे लगाया जाए, कैवेंडिश का जवाब हमेशा वही होता-मेरा दिमाग न चाटो, जो ठीक समझ में आए खुद कर लिया करो। शब्द प्रयोग में उसने कभी फिजुल खर्ची नही की उसके पास शब्द थे ही कहा ?दुनिया से उसका कुछ नाता अब अगर रह भी गया था तो वह रॉयल सोसाइटी के माध्यम द्वारा ही। 1760 में उसे इसका फेलो मनोनीत किया गया। तब उसकी आयु केवल 29 थी और इन साथियों के क्लब मे वह बस रोटी के वक्त ही नियमित रूप से शामिल होता था।हेनरी कैवेंडिश की खोजउस युग की महान समस्या थी–आग यह आग क्या चीज़ है ? दो जर्मन वैज्ञानिकों तथा आविष्कारकों योहान बैरबर तथा उसके शिष्य जार्ज अन्सर्ट स्टाल ने अग्नि के प्रकृति के सम्बन्ध मे एक स्थापना सी रखी थी कि चीजे जलती किस तरह है। यह स्थापना ऊपर से देखने मे काफी ठीक लगती थी और विज्ञान-जगत ने इसे सिद्धान्त के रूप मे, इसकी कुछ त्रुटियों के बावजूद, स्वीकार कर भी लिया था। यहां तक कि ऑक्सीजन के आविष्कर्ता प्रीस्टले को भी ‘ज्वलन’ की इस व्याख्या को मानने मे कोई आपत्ति नही लगी। फ्लोजिस्टन का यह सिद्धान्त कुछ इस प्रकार था, जलने वाली सभी वस्तुओ मे दो तत्व होते है— एक तो राख (भस्म) और, दूसरी एक ज्वलनशील द्रव्य जिसका नाम उन्होंने रखा फ्लोजिस्टन। जब कोई चीज़ जलना शुरू करती है, यह ज्वलन-द्रव्य फ्लोजिस्टन उसमे से बाहर निकलना शुरू हो जाता है, और जब वह वस्तु जलना बन्द कर देती है तो उसका मतलब होता है कि उसमे विद्यमान फ्लोजिस्टन अब खत्म हो चुका है।गैलीलियो का जीवन परिचय – गैलीलियो का पूरा नाम क्या था?फ्लोजिस्टन को द्रव्य से पृथक अब तक किसी ने नही किया था। कैवेंडिश ने सोचा, मैं ही क्यो न यह कर देखू ? अब शुरू के कुछ दिनों तो उसने पुस्तकालय में गुजारे वहां उसे पता लगा थिओफ्रेस्टस पेरासेल्सस और यान वॉन हेल्मोण्ट कभी एक प्रकार की ज्वलनशील हवा का आविष्कार कर चुके है। गन्धक के तेजाब मे कुछ लोहा डालकर उन्होने देखा था कि यह हवा जल जाती है। किन्तु इसके अतिरिक्त ‘ज्वलन-वात’ के सम्बन्ध मे और कुछ अनुसंधान उन्होने नही किया था। कैवेंडिश को सूझा, हो सकता है, यही हवा थी शायद जिसकी खोज विज्ञान आज कर रहा है।कैवेंडिश अब अपनी निजी परीक्षणशाला मे जो उसने अपने ही घर के अन्दर रखी थी आ गया। पैरासेल्सस और वॉन हेल्मोण्ट के अनुसन्धान पर उसने परीक्षण शुरू किए और उनकी स्थापना को कुछ आगे विकसित भी किया। लोहे, जस्त, और टिन के टुकडे लेकर उसने सल्फ्यूरिक एसिड और हाइड्रोक्लोरिक एसिड मे उन्हे डालकर कुछ हवा पैदा की सल्फ्यूरिक एसिड वाले बर्तन में लोहे के टुकडे डाले तो वहा से बुलबुले उठ-उठकर ऊपर की और आने लगे। और ऊपर इन बुलबुलो को एक किस्म के गुब्बारो में भर लेने की व्यवस्था थी। ये गुब्बारे भरे गए। एक मे लोहे और गन्धक के तेजाब के दूसरे मे जस्त और गन्धक के तेजाब के, तीसरे मे टिन और गन्धक के तेजाब के बुलबुले थे। और बाकी तीन में उसी प्रकार हाइडोक्लोरिक एसिड में छोडे गए लोहे, जस्त और टिन की प्रतिक्रिया से उत्पन्न गैस के बुलबुले थे।सर हेनरी कॉटन का जीवन परिचय हिन्दी मेंकिन्तु क्या यह सचमुच फ्लोजिस्टन थी ? हेनरी कैवेंडिश ने छहो गैसो के तमूनो को जलाकर देखा। हर एक से वही नीली-पीली लपट निकली, किन्तु इसका निश्चय होना चाहिए छहो का वही भार हलकी– सभी हलकी, और सभी का वही वज़न, एक बार परीक्षण और किया गया और पता लगा कि इस तरह पैदा हुई ‘हवा’ का परिमाण प्रयुकत धातु के परिमाण पर निर्भर करता है, जिसके आधार पर एक गलत निष्कर्ष कैवेंडिश ने यह निकाल लिया कि यह हवा धातु की उपज है अम्ल की नही। उसका विचार था कि उसने फ्लोजिटनन को सचमुच उसकी निजी अवस्था मे मिश्रण से पृथक कर लिया है, और अपने इन अन्वेषणों को उसने रॉयल सोसाइटी के सदस्यो के सम्मुख घोषित भी कर दिया।आज हमे शायद हैरानी हो कि उस जमाने के वैज्ञानिको ने इस फ्लोजिस्टन तत्वको (अथवा फ्लोजिस्टन की कल्पना को ) भी स्वीकार कर कैसे लिया। परीक्षणशाला में हेनरी कैवेंडिश की दक्षता अद्भुत थी। वह इस बहुत ही लघु-भार गैस को तोल भी सकता था। उसे मालूम था कि जब कोई चीज जलती है उसकी राख का भार असल चीज से कुछ ज़्यादा होता है, और फिर भी उसे यह स्वीकार करने से कुछ मुश्किल पेश नही आई कि उसी चीज़ के जलने पर फ्लोजिस्टन उडकर उसमें से बाहर निकल जाती है। कैवेंडिश ही नही, सभी वैज्ञानिको ने इस ज्वलन द्रव्य को फ्लोजिस्टन मानने मे तब एक सी ही उत्सुकता दिखाई थी।जोसेफ हेनरी का जीवन परिचय और जोसेफ हेनरी की खोजकुछ वक्त बाद लैवायजिए ने आकर फ्लोजिस्टन के इस सिद्धान्त का उन्मूलन किया और बताया कि हेनरी कैवेंडिश की वह ज्वलन-वात हाइड्रोजन थी। फ्लोजिस्टन कह लो या हाइड्रोजन, इसके आविष्कार ने काफी तहलका मचा दिया। वैज्ञानिक अवैज्ञानिक हर कोई घर बैठा-बैठा इसे बनाने लगा। परीक्षणों मे कुछ घायल भी अवश्य हुए होगे, कुछ शायद मर भी गए हो क्योकि एक विशेष अनुपात से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अगर गलती से मिल जाएं तो बहुत ही भयावह विस्फोट की संभावना बनी रहती है। और एक कहानी में आता भी है कि एक उत्साही फ्रांसीसी ने सचमुच अपने फेफड़े हाइड्रोजन से भर लिए और मुह से गैस को बाहर फेंकते हुए उसमे आग लगाकर सबके सामने एक प्रदर्शन भी किया था।हाइड्रोजन से भरा पहला गुब्बारा 1783 में उड़ाया गया था।हाइड्रोजन विज्ञान के ज्ञात तत्त्वों में सबसे हलका तत्त्व है। 1781 में इंग्लैंड में रहते हुए एक इटेलियन ने प्रदर्शन किया कि साबुन के बुलबुले में अगर हाइड्रोजन भर दी जाए तो वह ऊपर को उड़ने लगेगा। उससे पहले भी कपड़े में कागज़ की लाइनिंग लगाकर बेलून तैयार किए जा चुके थे जो गरम हवा भरने पर आसमान की ओर उठते लगते थे। एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक जंक्वीज चार्ली ने हाइड्रोजन से भरा एक गुब्बारा तैयार किया, जो सफलता पूर्वक काफी दूर तक उड़ा भी, इसमें कोई यात्री नहीं था। किन्तु डर के मारे खेतों पर काम में लगे किसानों ने उसे तब नष्ट कर डाला जब वह पेरिस के बाहर कोई 5 मील पर जाकर उतरा। 1785 में एक हाइड्रोजन बैलून धमाके के साथ फटा और उसमें बैठे सारे यात्री मारे गए। प्राय: 150 वर्ष बाद 1937 में जर्मनी का विपुल, महलनुमा हिण्डेनबर्ग, हवा में उड़ता हुआ न्यूजर्सी के लेकहस्ट कस्बे में पहुंचकर एकाएक चूर-चूर हो गया। और 36 यात्री जो उसमें हवा खा रहे थे, जान से हाथ धो बैठे। उसमें 7,000,000 क्यूबिक हाइड्रोजन भरी थी, और कितनी ही बार वह अटलांटिक महासागर पार भी कर चुका था।हेनरिक हर्ट्ज का जीवन परिचय – हेनरिक हर्ट्ज की खोज व सिद्धांत?हाइड्रोजन से भरे इन गुब्बारों की दुर्घटनाओं के अतिरिक्त, कुछ धमाके ऐसे भी थे जिन्हें परीक्षण शालाओं के अन्दर नियन्त्रण द्वारा भी संभव किया जा सकता था, और जिनके कुछ ब्यौरे रॉयल सोसाइटी के पास पहुंचे भी कि किस प्रकार कुछ एक परीक्षण शालाओं में कहीं-कहीं हाइड्रोजन के जलने के साथ-साथ कुछ ओस सी भी पैदा हो आती है। एक ब्रिटिश परीक्षणकर्ता ने बिजली की एक चिंगारी द्वारा एक बन्द बोतल में हाइड्रोजन का विस्फोट सिद्ध कर लिया और देखा कि पानी की कुछ बंदें कहीं से बोतल की दीवारों पर आ चिपटी हैं। इसी तरह एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने चीनी की एक तश्तरी हाइड्रोजन की एक लपट पर उलटाकर रखी तो वह तश्तरी भी नीचे से गीली होने लगी। शीशे की एक मोटी बोतल में प्रीस्टले ने भी हाइड्रोजन और हवा के मिलने से पैदा हुए विस्फोट का वर्णन किया। किन्तु उसके पास कितने ही दूसरे काम अधूरे पड़े थे इसलिए जल्दी में वह इस निश्चय पर पहंचा कि इन धमाकों से बारूद का काम नहीं लिया जा सकता। सत्य का उसे कुछ संकेत था, किन्तु उसने इसकी छानबीन आगे और की नहीं।किंतु बन्द बोतलों में इन्हीं धमाकों और पानी की बूंदों की खबरों ने कैवेंडिश के मन में एक और नये विचार को जन्म दे दिया। अपनी परीक्षण शाला में लौटकर उसने शीशे की ट्यूबें हवा से और हाइड्रोजन से भरनी शुरू कर दीं। कभी ऑक्सीजन के साथ और कभी हाइड्रोजन के साथ परीक्षण पर परीक्षण किए। मिश्रण में से बिजली की चिनगारी गुजारी। 10 साल लगातार परीक्षण होते गए। माप तोलकर गेसों को टयूब में भरा जाता और गैस और पानी दूसरी ओर से बाहर निकल आते। नाप तोलकर शुद्ध ऑक्सीजन, मामूली हवा और हाइड्रोजन के विस्फोट किए गए, और परिणामों को विधिवत अंकित किया जाता रहा।विलियम वेडरबर्न का जीवन परिचय हिन्दी में1784 में कैवेंडिश ने अपने इन वायु-सम्बन्धी परीक्षणों को रॉयल सोसाइटी के सम्मुख प्रकाशित किया। इतने अध्यवस्ताय के परिणाम बहुत ही आइचर्यकारी थे। फ्लोजिस्टन– ( कैवेण्डिश का हाइड्रोजन को दिया नाम) जब फ्लोजिस्टन रहित हवा (ऑक्सीजन) के साथ मिलती है तो पानी की उत्पत्ति होती है। और परीक्षणों की गणनाओं से उसे यह सबूत भी मिल चुका था कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के 2:1 अनुपात में मिलने पर ही यह पानी पैदा होता है। कितने ही विपुल परिमाण में कैवेंडिश ने दोनों गैसों को मिलाकर दोनों के मूल परिमाणों के तुल्य परिमाण में ही पानी पैदा करके दिखाया। हेनरी कैवेंडिश ने परीक्षणों द्वारा सिद्ध कर दिया कि जल, एक तत्व न होकर, साधारण आदमी को विश्वास नहीं आए शायद, दो वर्णहीन गैसों का एक मिश्रण है।इन परीक्षणों में कैवेंडिश ने यह भी जान लिया कि जो हवा हम सांस में अन्दर ले जाते हैं उसका 20 प्रतिशत ऑक्सीजन है। हाइड्रोजन और हवा के धमाके का सूक्ष्म अध्ययन करके ही वह इस नतीजे पर पहुंचा था। कैवेंडिश ने देखा कि बजली के स्फुलिग के द्वारा हाइड्रोजन से मिली हवा जब फैलती तो कुछ अम्ल भी उससे पैदा हो आता है। विश्लेषण किया गया और पता चला यह वायु मण्डल में विद्यमान नाइट्रोजन के कारण है, विद्युत का स्फूलिंग नाइट्रोजन और ऑक्सीजन को भी मिला सकता है। प्रकृति में जो खाद बनती है वह इसी जरिए से ही पैदा होती है। आकाश से जब बिजली गिरती है तो वह वर्षा के साथ नाइट्रोजन ऑक्सीजन के साथ मिलकर, खाद के रूप में पृथ्वी को उपहार रूप में मिल जाती है। कैवेंडिश ने परीक्षण कर-करके शायद वायुमण्डल की गैसों को, बूंद-बूंद निचोड़ते हुए अलग कर लिया था। बिजली की चितगारियां पर चिनगारियां–और ऑक्सीजन पर ऑक्सीजन छोड़ते चलो कि हवा में नाइट्रोजन बाकी रह ही न जाए। किन्तु हवा का एक बुलबुला सा अब भी उसमें कहीं रह गया था। यह थी आर्गन—जिसकी गणना ‘विरल’ गैसों में होती है, और जिसकी मात्रा हमारे वातावरण में 1 प्रतिशत से भी कुछ कम ही है।अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय – अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार?हेनरी कैवेंडिश की मृत्यु भी उसी तरह हुई जिस तरह कि उसका सारा जीवन चला आता था–अकेले में। कोई देखभाल करने वाला नहीं। 1810 में और 79 साल की वायु में। डर्बी में उसकी अंत्येष्टि विधि निष्पन्त हुई, जहां चर्च वालों ने इस सनकी वैज्ञानिक के लिए एक स्मारक भी खड़ा किया हालांकि जीवन भर उसने इन धर्मों से, धार्मिक सम्प्रदायों से, कुछ वास्ता नहीं रखा था। मात्र रसायनशास्त्र के अध्ययन से ही कैवेंडिश सन्तुष्ट न था, विद्युत के क्षेत्र में भी उसके अनुसन्धान बड़े विलक्षण हैं। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्तों का उपयोग करते हुए उसने पृथ्वी की आपेक्षिक गुरुता भी, और कितनी सही परिगणित कर ली थी 5’48। सचमुच, पृथ्वी का भार भी उसने नाप-तोलकर रख दिया था।उसकी वसीयत का एक खासा हिस्सा उसके उत्तराधिकारियों ने इंग्लैंड मे कैवेंडिश लेबोरेटरीज़ की एक श्रूखला सी स्थापित करने में लगा दिया। इन्ही मे कभी 1897 में महान वैज्ञानिक जे० जे० टामसन ने इलेक्ट्रॉय की खोज की थी, और इन्ही परीक्षण शालाओ ने रसायन और भौतिकी मे कम से कम छः नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों को जन्म दिया। हाइड्रोजन तथा नाइट्रोजन की खोज वायु मण्डल का भौतिक विश्लेषण, पानी का तात्त्विक विभेदत, और परीक्षण-विज्ञान मे तथा विश्लेषण-शास्त्र मे अद्भूत प्रणालियों का प्रवतंन– यह श्रेय माला है जो हेनरी कैवेंडिश को विज्ञान के मूर्धन्य दिग्गजों में ला बिठाती है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े—-[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like 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