हमारे मस्तिष्क में यादें कहा और कैसे सुरक्षित रहती है तथा इसकी खोज किसने की Naeem Ahmad, March 6, 2022March 12, 2022 सन् 1952-53 में अमेरिका के मांट्रियल न्यूरॉलॉजिकल इंस्टीट्यूट में एक 43 वर्षीय महिला के मस्तिष्क का आपरेशन चल रहा था। उसके सिर का भाग आपरेशन द्वार खोला गया था और उसके अंदर मस्तिष्क का कुछ भाग दिखाई दे रहा था। वह स्त्री पूर्ण रूप से होश में थी। उसके केवल सिर वाले भाग को ही चेतना-शून्य किया गया था। अतः पीड़ा का उसे तनिक भी अहसास नही था। उसका आपरेशन करने वाले थे, डाक्टर पेनफील्ड। इस समय उनके हाथ में एक विशेष यंत्र था, जिसके तारो का सबंध वे उस महिला के खुले मस्तिष्क के एक विशेष स्थान पर करने जा रहे थे। मस्तिष्क के उस विशेष स्थान पर तारों को जोड़ कर जैसे ही उन्होंने करंट पास किया, महिला गृस्से से अनाप-शनाप बकने लगी। जैसे वह किसी बच्चे को डांट रही हो। विद्युत करंट बंद करते ही उस महिला ने बोलना बंद कर दिया। डाक्टर पेनफील्ड ने जब दोबारा उसी स्थान पर तारों को संबंधित कर विद्युत करंट पास किया, तो किसी रिकार्ड की तरह वह महिला गुस्से में फिर उन्ही शब्दों को दोहराने लगी। उसके बाद डा. पेनफील्ड ने उस महिला के मस्तिष्क का आपरेशन किया और पूरा करने के बाद जब वह महिला अपनी सामान्य स्थिति में आ गई, तो उन्होंने पूछा, “आपरेशन के दौरान तुमने जो शब्द बोले थे, वे कब और किसने बोले थे, क्या तुम्हे याद हैं?” उस महिला ने कुछ सोचते हुए कहा कि वे शब्द उसने स्वयं नहीं बोले थे, वल्कि सुने थे। डा. पेनफील्ड के यह पूछने पर कि वे शब्द किसने बोले थे, उस महिला ने बताया कि वे शब्द मेरी मां ने एक बार मुझे डांटते हुए बोले थे। “‘तुम्हारी मां जीवित हैं?” डाक्टर के पूछने पर महिला ने बताया कि उन्हें मरे तो लगभग दस वर्ष हो चुके हैं। डाक्टर पेनफील्ड आश्चर्यचकित रह गए। उन्होने महिला से पूछा-”तो क्या तुम्हे इस घटना का स्वप्न दिखाई दिया था?” नहीं, मैं विचार कर रही थी। विचारों मे मैंने कल्पना की कि मैं फिर से छोटी हो गई हूं। छोटी होने का अहसास होते ही मुझे लगा जैसे मेरी मां मुझे डाट रही है। मेरी मां अक्सर मुझे डांटा करती थी।” मस्तिष्क मे स्थित यादों को संजोने के रहस्यों की खोज की दिशा में डा पेनफील्ड ने ऐसे अनेक प्रयोग किए। उन्होने अपने प्रयोगों से यह पता लगाया कि मस्तिष्क मे यादों का केंद्र कहां होता है और यादों के केन्द्र में यादें अंकित कैसे रहती हैं? इन दोनों प्रश्नों के उत्तर के लिए ही उन्होंने मस्तिष्क संबंधी अनेक परीक्षण किए, जिसमें उन्हें बहुत-सी नयी जानकारियां भी प्राप्त हुईं। ये जानकारियां अपने आप में बड़ी विचित्र और महत्वपूर्ण थीं। पेनफील्ड ने विशेष तौर से मस्तिष्क में स्थित यादों के केन्द्र का अध्ययन किया। मस्तिष्क में यादों को सुरक्षित रखने वाले जीन की खोज डा. पेनफील्ड मिर्गी के रोगियों का आपरेशन करते समय अक्सर मस्तिष्क संबंधी प्रयोग किया करते थे। मस्तिष्क के किसी विशेष भाग में खराबी होने पर मिर्गी रोग होता है। यदि मस्तिष्क का वह भाग काट कर अलग कर दिया जाए, तो मिर्गी का रोग दूर हो जाता है, ऐसा पेनफील्ड का विचार था। अत: आपरेशन कर वे मस्तिष्क के उस खराब हुए भाग को ढूंढ़ कर आपरेशन द्वारा निकाल देते थे और इसी दौरान मनुष्य की यादें कैसे सुरक्षित रहती है इस से संबंधित प्रयोग भी करते रहते थे। मस्तिष्क मस्तिष्क में स्थित स्मृति केन्द्र के भाग में किसी विशिष्ट बिन्दु पर विद्युत का प्रवाह करने से वहां अंकित स्मृति शब्दों के रूप में मुंह से निकल पड़ती है। इस प्रकार स्मृति क्षेत्र में ऐसे बिन्दु होते हैं, जहां जीवन में घटने वाली भिन्न-भिन्न घटनाएं उसी रूप में अंकित होती हैं। हर बिन्दु पर भिन्न यादें (स्मृति) अंकित रहती है। स्मृति केन्द्र की तुलना ग्रामोफोन के रिकार्ड से की जा सकती है। ग्रामोफोन की सुई रिकार्ड की जिस लाइन के बिन्दु पर रख देंगे, वहां अकित शब्दों या गानों की धुन सुनाई देगी। ठीक वैसा ही केन्द्र के साथ होता है। उसके जिस बिन्दु पर विद्युत प्रवाह करेंगे, वहां अंकित वही विशेष शब्द उत्तेजना पाकर मुंह से निकलेंगें। मस्तिष्क के स्मृति केन्द्र में मनुष्य के जीवन में घटने वाली हर घटना अंकित होती रहती है, चाहे वह घटना विशेष हो या साधारण। हम कभी-कभी अपने जीवन में घटने वाली घटना पर विशेष ध्यान न देकर, उसे व्यर्थ मानकर भूल जाते हैं। इसके विपरीत कोई अन्य घटित घटना पर विशेष ध्यान देकर उसे महत्व देते हुए वर्षों याद रखते हैं। परंतु हमारा मस्तिष्क यह अंतर नहीं रखता। वह अपने यादों के पटल पर दोनों ही घटनाओं को समान रूप से अंकित करता है और उन्हे जीवन भर सुरक्षित रखता है। स्मृति केन्द्र मे अंकित स्मृतियों मे से कोई विशेष स्मृति उस समय याद आती है, जब उससे मेल खाती कोई बात चल रही हो या घटना घटित हो रही हो। याद दिलाने का यह कार्य हमारे शरीर के अदर उत्पन्न प्राकृतिक संवेदन (Impulses) तरंगें मस्तिष्क के स्मृति केन्द्र मे उस विशेष बिन्दु को तरंगित करके करती हैं। परीक्षण के दौरान डा. पेनफील्ड ने यह कार्य विद्युत तरंगो से लिया था। विचार करते समय भी सवेदन तरंगें उस खास विषय से संबंधित स्मृतियां जिन-जिन बिन्दुओं पर अंकित होती हैं, उन्हीं बिन्दुओ को तरंगित कर विशेष विषय का तारतम्य बनाए रखती हैं। इन्हीं में से कभी कोई तरंग किसी अनचाहे स्मृति केन्द्र को तरंगित कर बैठती है और विषय से हटकर कोई दूसरी ही बात याद आ जाती है। इससे कभी-कभी विचार तंद्रा टूट जाती है या फिर तरह-तरह की अन्य बाते याद आने लगती हैं। मस्तिप्क मे जिस स्थान पर दृष्टि, श्वण, बातचीत आदि के केन्द्र होते हैं, उन्हीं के पास स्मृति केन्द्र होता हैं। हमारी रोज की दिनचर्या से स्मृति केन्द्र का गहरा संबंध होता है। जब हम कोई घटना या वस्तु को देखते या कोई आवाज सुनते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में जैव रासायनिक संकेत अंकित हो जाते हैं। इस प्रकार अंकित संकेत कभी भी मिटाएं नहीं जा सकते। जैसे-जैसे हमारा जीवन आगे बढता है, स्मृतियों का भंडार भी बढ़ता जाता है। जब हमें अपने जीवन में कोई नया अनुभव होता है, तब उससे संबंधित स्मृतियां बाहर आती हैं। तब नयी और पुरानी स्मृतियों का आपस में तादात्म्य और संबंध जुड़ता है और नए अनुभव का विकास होता है। एक रोचक उदाहरण लें! एक शिशु पहली ही बार एक बड़े क॒त्ते को देखता है। इससे पहले क॒त्ते के विषय मे उसे कोई पूर्व अनुभव न होने के कारण उसके मन में कत्ते की बाबत कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। अचानक वह कुत्ता भौकते हुए उस शिशु पर झपटता है। शिशु बुरी तरह डर जाता है और रोने लगता है। कुछ देर बाद वह बच्चा इस घटना को भूल कर सामान्य हो जाता है। कुछ दिनों केबाद शिशु को फिर एक क॒त्ता दिखाई पडता है। यह कुत्ता हालांकि शिशु पर झपटता नहीं और चुपचाप खडा है, लेकिन शिशु को उसे देखते ही पहले वाले क॒त्ते के व्यवहार की याद आ जाती है और वह डर कर बुरी तरह रोने लगता है। यह स्थिति शिशु के मस्तिष्क में अंकित पूर्व स्मृति के जागृत होने पर उत्पन्न होती है। डा. पेनफील्ड की इस अदभुत खोज ने मानसिक रोगो के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जीवन में घटी किसी घटना से दुर्घटनावश मस्तिष्क को आघात लगता है या बचपन में किन्ही कड़वे अनुभवों से वास्ता पड़ता है, तो ऐसे अनुभव स्मृति केन्द्र में छिपकर रहते हैं और धीरे-धीरे मानसिक प्रक्रिया विर्कुत होती रहती है, जो आगे चलकर किसी मानसिक रोग का कारण बनती है। ऐसे रोगियो का इलाज उनके मस्तिष्क मे स्थित स्मृति केन्द्र में अंकित स्मृतियों को रिकार्ड कर उसका अध्ययन करके किया जाता है। इस विधि से विभिन्न मानसिक रोगो का इलाज सफलतापूर्वक करने की दिशा में काफी बड़े पैमाने पर कार्य हो रहा है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े [post_grid id=’8586′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व की महत्वपूर्ण खोजें प्रमुख खोजें