सैलानी बाबा का इतिहास – सैलानी बाबा दरगाह Naeem Ahmad, August 18, 2022March 18, 2024 महाराष्ट्र राज्य के पिंपलगांव सराय में स्थित सैलानी बाबा दरगाह भारत की प्रमुख दरगाहों में से एक है। सेलानी बाबा मजार के बारे में भक्तों की मान्यता है कि यहां भूत प्रेत बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए बड़ी संख्या में यहां श्रृद्धालु और रोगियों का तांता लगा रहता है।सैलानी बाबा का इतिहासहजरत हाजी अब्दुर रहमान शाह उर्फ सैलानी शाह बाबा की दरगाह शरीफ बुलंदाना जिले के चिखली तालुका में है। इसे सैलानी शरीफ शाह भी कहा जाता है, सैलानी बाबा एक सूफी संत थे। सैलानी बाबा के बारे में कहा जाता है कि यह दिल्ली से उत्तर भारत की यात्रा पर आते हैं। पिंपलगांव सराय में आकर अपना डेरा डालते है। उन्होंने यहां दुष्ट आत्माओं से ग्रस्त कई लोगों को ठीक किया। जिससे उनकी प्रसिद्धि पड़ोसी जिलों में फैल भी गई और भक्तों और रोगियों ने बड़ी संख्या में यहां आना शुरू कर दिया।क्रिप्टो करंसी में इंवेस्ट करें और अधिक लाभ पाएं कहा जाता है कि दरगाह’ का निर्माण तब हुआ था जब संत हाजी अब्दुर रहमान शाह ने 1908 में इस भौतिक दुनिया को छोड़ दिया था। और तभी से सैलानी बाबा का उर्स भी उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए आयोजित किया जाने लगा।मसानिया शरीफ दरगाह – शाह बदर दीवान दरगाह बटालासैलानी बाबा दरगाह का मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर एक अन्य दरवाजा उत्तर की ओर है, जिसका उपयोग निकास के रूप में किया जाता है। इसमें ढलान वाली टिन शीट की छत है। दरगाह के केंद्र में ईंटों और चूने से निर्मित शरीफ शाह मिया का मकबरा है।सैलानी बाबा दरगाहसैलानी बाबा दरगाह के पूर्व में एक और मकबरा है जहां सैलानी बाबा शाह मिया की मृत्यु हुई थी। यह मकबरा भी टिन शेड से ढका हुआ है। मकबरे की दिन में दो बार लोभान जलाकर और पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक शुक्रवार को मकबरे को गुलाब जल से धोया जाता है और भक्तों के बीच पानी वितरित किया जाता है। पका हुआ भोजन ‘नयाज़’ के माध्यम से चढ़ाया जाता है, और बाकी पका हुआ भोजन भक्तों को वितरित कर दिया जाता है।चुनार शरीफ का उर्स दरगाह शाह कासिम सुलेमानीऐसा माना जाता है कि यहां मांगी गई मनौतियां पूरी हो जाती है। इसलिए भक्त प्रसाद के वादे के साथ विभिन्न उद्देश्यों के साथ मनौतियां मांगते हैं, और इच्छाओं की पूर्ति होने पर अपने वादे के अनुसार बोली गई चीजें, जैसे ‘गलफ’, मिठाई आदि की पेशकश भक्तों द्वारा की जाती है।कंतित शरीफ का उर्स व दरगाह मिर्जापुर उत्तर प्रदेशयह मुसलमानों के साथ-साथ हिंदूओं के लिए भी एक बहुत लोकप्रिय तीर्थ स्थान है। हर साल “पवित्र पूर्णिमा” पर, यहां एक महान यात्रा निकाली जाती है। करीब 5 से 6 लाख तीर्थयात्री यहां पूरे देश से इस यात्रा में भाग लेने आते हैं। यहां एक बात प्रचलित है कि यदि कोई काला जादू (करणी) से पीड़ित है, यदि वह यहां जाता है, तो निश्चित रूप से उसे उस काले जादू से राहत मिलती है। पवित्र पूर्णिमा के 5 वें या 6 वें दिन, एक जुलूस यहां पास के एक गांव पिंपलगांव से सैलानी बाबा डागरा तक आता है जो “चन्दन” के रूप में लोकप्रिय है। यहां कई भक्त तीर्थयात्रियों को मुफ्त भोजन (भंडारा) प्रदान करते हैं। श्रृद्धालु यहां अपने दिल की भावनाओं से आते है, और बाबा की दया का पात्र बनना चाहते हैं। इस दरगाह का एक दिलचस्प हिस्सा है कहा जाता है कि काला जादू के प्रभाव में आने वाले लोग यहां जाली से नहीं गुजर सकते।सैलानी शरीफ का उर्ससैलानी बाबा का वार्षिक उर्स 1908 से शुरू हुआ और जिसमें आगंतुकों की हर वर्ष वृद्धि देखी जाती है। जो सैलानी बाबा के अनुयायी हैं जो अपने पीर को श्रद्धांजलि देने आते हैं। लगभग 8-10 लाख लोग अब वार्षिक उर्स के दौरान तीर्थ यात्रा यहां जियारत करने आते हैं। सैलानी बाबा का उर्स आमतौर पर पवित्र पूर्णिमा से शुरू होकर मार्च के महीने में मनाया जाता है। उर्स उत्सव की शुरुआत होली की रस्म से होती है, जिसमें केवल नारियल चढ़ाएं जाते हैं और कुछ नहीं। ऐसा माना जाता है कि अगर नारियल से उतरा किया जाता है तो बुरी आत्माओं के प्रभाव में आने वाले लोग ठीक हो जाते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”6680″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल भारत की प्रमुख दरगाह