सिकंदर लोदी का मकबरा किसने बनवाया था Naeem Ahmad, February 11, 2023February 17, 2023 सफदरजंग के मकबरे के समीप सिकंदर लोदी का मकबरा स्थित है। यह आज कल नई दिल्ली में विलिंगटन पार्क में पृथ्वीराज सड़क के समीप स्थित है। यहां मोटर मार्ग अजमेर द्वार से सफदरगंज होकर जाता है ओर दूसरा मार्ग दिल्ली द्वार से हार्डिज अवेन्यू ओर प्रथ्वी राज सड़क होता हुआ साउथ एंड सड़क पर जाता है। इसी सड़क से सिकंदर लोदी का मकबरा के प्रधान द्वार को मार्ग है। प्रधान द्वार राटेडन सड़क पर है। सिकंदर लोदी का मकबरा का इतिहास यदि हम विलिंगटन पार्क में प्रधान द्वार से प्रवेश करें तो सब से पहले हमें सिकन्दर लोदी का मकबरा मिलेगा। यह स्मारक एक दीवार द्वार घिरे अहाते में स्थित है। इसकी मरम्मत सरकार ने अभी हाल ही में कराई है। सिकन्दर शाह लोदी अपने वंश का दूसरा राजा था। वह एक अच्छा ओर वीर राजा था। वह अधिकांश आगरा में रहा करता था वहां उसने अपने नाम पर सिकंदराबाद नगर बसाया था। सिकन्द्राबाद अब केवल एक गांव के रूप में रह गया है। यहां पर अकबर का स्मारक है। सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली सिकंदर लोदी का मकबरा के बाद एक मस्जिद है। मस्जिद के समीप बड़ा वर्गाकार भवन है जिसके ऊपर एक बड़ा स्मारक की भांति गुम्बद है पर सचमुच यह मस्जिद में जाने का मार्ग है। बड़े होने के कारण इसे बड़ा गुम्बद कहते हैं। इसे सिकंदर लोदी के मुगल सरदार अबू अमजद ने 1494 ई० में बनवाया था। यह गुम्बद पूर्ण-रूपेण गुम्बद है। अर्थात् पूरा अर्ध-वृताकार है। सिकंदर के स्मारक की भांति बड़ा गुम्बद के पास एक ओर स्मारक है। कुछ लोग इसे बहलोल लोदी का मकबरा कहते हैं पर पत्थर पर कुछ नाम अंकित न होने के कारण निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता कि यह किसका स्मारक है। चिराग दिल्ली में एक स्मारक है जिसे विद्वान लोग बहलोल लोदी का मकबरा कहते हैं। कुछ दूरी पर सड़क के समीप सिकंदर लोदी के स्मारक की भांति मुबारक शाह सय्यद का मकबरा है। वह प्रथम सय्यद सम्राट था, ओर लोदी स्मारकों में यह स्मारक सब से अधिक पुराना है। यह सभी स्मारक एक ही ढंग के हैं। कुछ इनकी बनावट तथा कला निराली है। कुछ लोग इसे पठान कला के नाम से पुकारते हैं। पर इसके लिये उपयुक्त नाम लोदी-कला है क्योंकि लोदी लोग सीमावर्ती पठान नहीं वरन अफगान थे। लोदी शिल्प कला का उत्थान तैमूर के आक्रमण के पश्चात् पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ था और वह कला मुग़ल समय तक चलती रही। यहां पर हम कुछ चिन्ह बताते हैं जिससे लोदी समय के भवनों की पहचान मुग़ल कालीन भवनों से की जा सकती है। मक़बरे ( स्मारक):–लोदी कला के स्मारक वर्गाकार नहीं होते वह अष्टभुजाकार होते हैं। स्मारकों के चारों ओर बरामदे होते हैं जिनमें बड़े मज़बूत वर्गाकार स्तम्भ लगे रहते हैं। गुम्बद निचले या आधे होते हैं। गुम्बद के चारों ओर छोटी छोटी छतरियां होती है। प्रत्येक छतरी में एक छोटा गुम्बद होता है। इस तरह छोटे-छोटे गुम्बद बड़े के चारों ओर उसी प्रकार फैले होते हैं जैसे कि मुर्गी के चारों और उसके बच्चे फैले रहते हैं। मस्जिद:–इस काल की मस्जिदों का रूप ही निराला होता है। इस कला वाली मस्ज़िदों के पीछे ( पश्चिम ) वाली दीवार के कोणों पर गोले मीनार अथवा स्तम्भ होते हैं। यह स्तम्भ नीचे मोटे ओर ऊपर की ओर पतले होते हैं। यह स्तम्भ या मीनार पांच भागों में या कोठों में बंटे होते हैं यह कला कुतुबमीनार की नकल है। कारीगरों ने इन मीनारों को बनाते समय कुतुबमीनार को अपना माडल समझ रखा था। भारत वर्ष में शिल्पकारों ने ओर कहीं ऐसा नहीं किया है। अब इन भवनों के गुम्बद भूरे ओर गंदे है पर जब यह नये थे तो यह सफेदी से पुते थे और इन पर स्वेत प्लास्टर किया हुआ था। यह उसी भांति धूप में चमकते थे जैसे कि आज हुमायूं का स्मारक चमकता है। सरकारी पोधे वाली वाटिका के आगे कुतुब की ओर इस काल के कुछ ओर स्मारक हैं। मोठ की मस्जिद जाते समय यह देखे जा सकते थे। यह विश्वास किया जाता है कि उन्हें दिल्ली के सय्यद राजाओं ने बनवाया होगा पर निश्चय रूप से नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनमें शिला-लेख नहीं हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”7649″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहरेंदिल्ली पर्यटनहिस्ट्री