सहारा रेगिस्तान कहा पर स्थित है – सहारा रेगिस्तान का रहस्य Naeem Ahmad, March 19, 2022March 27, 2024 अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान का नाम आते ही आंखों के सामने रेत के तपते हुए टीलेदार मैदानों और प्यास से तड़पते यात्रियों की तस्वीर आ जाती है। 2 हजार साल से सहारा रेगिस्तान ऐसा ही है> मानवों के लिए अनुपयोगी और प्रकृति द्वारा दिया गया एक अशोभनीय श्राप। लेकिन सहारा रेगिस्तान हमेशा से ऐसा ही नहीं था। किसी युग में वह हरा-भरा और उपजाऊ था और वहां एक ऐसी जाति बसती थी जिसकी कलात्मक विरासत हमें आज भी गुफाओं में तथा चट्टानों पर की गई रंगीन चित्रकारी के रूप में मिलती है। यदि सहारा हरा भरा था तो यह इस शुष्क रेगिस्तान में कैसे बदल गया? सहारा पर होने वाली ये प्राणदायी मानसून वर्षाएं क्यों बंद हो गई? क्या सहारा रेगिस्तान के निवासियों ने स्वयं अपने विनाश की भूमिका तैयार की थी? ऐसे अनेक अनसुलझे प्रश्न आज भी रहस्य बने हुए हैं।सहारा रेगिस्तान की बारे में जानकारीसहारा रेगिस्तान अफ़्रीका के उत्तरी भाग में अटलांटिक महासागर से लाल सागर तक 5600 किलोमीटर की लम्बाई तक सूडान के उत्तर तथा एटलस पर्वत के दक्षिण 1300 किलोमीटर की चौड़ाई में फैला हुआ है। यह रेगिस्तान ग्यारह देशों से घिरा हुआ है। ये देश हैं अल्जीरिया, चाड, मिस्र, लिबिया, माली, मौरितानिया, मोरक्को, नाइजर, सूडान, ट्यूनिशिया एवं पश्चिमी सहारा। सहारा रेगिस्तान दुनिया का सबसे गर्म रेगिस्तान माना जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि यहां फरवरी सन् 1979, 2016, 2018, 2021 में यहां कुछ देर के लिए बर्फबारी भी हुई थी। यह मौसम विज्ञानियों के लिए एक दुर्लभ घटना है। सहारा रेगिस्तान के कई सुलझे वह कई अनसुलझे प्रश्न है जिनके बारे में अपने इस लेख में जानेंगे:—- सहारा रेगिस्तान कहा पर है? सहारा रेगिस्तान कितना बड़ा है? सहारा रेगिस्तान में बर्फबारी क्यों होती है? सहारा रेगिस्तान का इतिहास क्या है? सहारा रेगिस्तान कौनसे देश में स्थित है? सहारा रेगिस्तान कौनसे महाद्वीप में है? दुनिया का सबसे गर्म रेगिस्तान कौनसा है? सहारा किस प्रकार का रेगिस्तान है ठंडा या गर्म? सहारा रेगिस्तान का तापमान कितना होता है? सहारा रेगिस्तान का रहस्य क्या है? ईसा से 430 वर्ष पूर्व यूनानी इतिहासकार हरोडोटस (Herodotus) ने सहारा (Sahara) का जिक्र एक ऐसे रेगिस्तान के रूप में क्या है जिसमें रेत के ऊंचे ऊंचे टीले तथा दूर दूर तक फैले जलराहित रेत के मैदान हैं। हरोडोटस ने उन लोगों का जिक्र भी किया है जो इस रेगिस्तान में रहते थे तथा जिनकी परम्पराएं और रीति-रिवाज विचित्र से थे।भूल भुलैया का रहस्य – भूल भुलैया का निर्माण किसने करवायाआज 2 हजार से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। सहारा रेगिस्तान की तस्वीर वैसी की वैसी ही है। 33 लाख वर्ग मील में फैला हुआ दुनिया का यह सबसे बड़ा रेगिस्तान लगातार बढ़ता जा रहा है क्योंकि उसमें रहने वाले 20 लाख लोगों ने कुछ एक हरे-भरे इलाकों को सीमा से अधिक प्रयोग किया है तथा लगातार गहरे और गहरे कुएं खोदने के कारण पानी का स्तर ओर नीचे चला गया है। आधुनिक तकनीकी योजनाएं भी इस रेगिस्तान को मानव ऊपयोगी बनाने में असफल हैं। सहारा की एक चौथाई सतह रेत से ढंकी हुई है बाकी हिस्से में पहाड़ियां ज्वालामुखी व मरुद्यान(Oasis) इत्यादि है।सहारा रेगिस्तानऐसा नही कि सहारा हमेशा से ही बंजर ओर अमानवीय रहा हो। भूविज्ञानियों तथा पुरातत्व शास्त्रियों को इस बात के निश्चित प्रमाण मिले है कि यह प्रदेश कभी हरा-भरा उपजाऊ खेती व शिकार करने वाले नीग्रोइड (Negroid) नस्ल के लोगों से भरा हुआ था जो हाथी हिप्पापोटामस, मछलियां मोलस्क भैंसे तथा जंगली सांड इत्यादि पालते थे। सहारा में तास्सिली एन अज्जेर (Tassili N Ajjer) नामक जगह पर मिली गुफाओं की दीवारों तथा चट्टानों पर शानदार चित्रकारी मिली है।वैज्ञानिक इस प्रश्न का उत्तर खोजने की कोशिश कर रहे है कि सहारा हरे-भरे इलाके से आखिर एक रेगिस्तान में कैसे बदल गया। सहारा रेगिस्तान की हरियाली की एक मात्र वजह थी मानसून वर्षाओं का उत्तर की ओर बढ़ना। ईसा से 10000 वर्ष पूर्व उत्तरी ओर मध्य अफ्रीका से नमी लाने वाली इन हवाओं से सहारा की जलवायु काफी आद्र हो गई थी। 7000 से 2000 ईसा पूर्व तक सहारा की झीलें अपने सर्वोच्च बिंदू पर पहुंच गई थी। किन्ही अज्ञात कारणों से मानसून वर्षा मे कमी आने लगी आर वाष्पीकरण की दर बढ गई। सूर्य ज्यादा तेजी से नमी सोखने लगा।Nazca Lines information in Hindi – नाजका लाइन्स कहा है और उनका रहस्यईसा से 750 वर्ष पूर्व तथा बाद में 500 ईस्वी में कुछ नमी की अवस्था रही लेकिन झील सुखने लगी तथा धीर-धीरे सहारा रेगिस्तान मे बदलने लगा। सहारा वासियों के पशुओं के चरने भूमध्य सागर वनस्पतियों की जगह उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों के उगने, पहाड़ी जंगलों के कटने की कई सौ वर्ष तक चली प्रक्रिया ने सहारा को वर्तमान हालत में पहुंचा दिया। आज हमारे सामने सहारा की हरियाली के सबूत के रूप मे केवल भित्तिचित्र (Wall Painting) तथा उस जमाने के कुछ औजार ही बच रहे है। सहारा रेगिस्तान की नदियां किसी समुद्र में न गिर कर वही के प्राकृतिक जलाशयों मे गिरती थी। जब नदियों में पानी कम हुआ तो उनकी कमजोर धाराएं अपने ही रास्तों मे रुक कर दलदल बन गई। सूर्य ने दलदल का पानी सोख लिया। इसका सबूत अभी भी सहारा की एमाडार (Amadror), तेगाजा (Teghaza) तथा ताओयुदेन्नी (Taoudenni) जैसी जगहों पर पाए जाने वाले सोडियम क्लोराइड (नमक) से मिल सकता है। रेत के टीले ओर विस्तृत क्षेत्रों के निर्माण की प्रक्रिया को भी इसी से समझा जा सकता है।सन 1822 में डिक्सन डनहाम (Dixon Denham) हग क्लेपर टन (Hugh Clapper ton) तथा वाल्टर ओडनी (Walter Oudney) नामक अंग्रेज अन्वेषकों ने चाड (Chad)झील खोजी। यह सहारा रेगिस्तान के अनुसंधान की शुरूआत थी। मेजर अलेग्जेंडर गार्डन लेंग (Major Alenander Gorden Laing) ने टिम्बकटू (Timbaktu) जैसा पौराणिक शहर खोज निकाला। सन् 1828 में रने काइली (Rena Caillie ) नामक फ्रांसीसी ने एक अरब का वंश बना कर टिम्बकटू से तमाम कठिनाइयां को झेलते हुए मारक्को तक की पैदल यात्रा की। रने को रास्ते में कई जगह रेगिस्तानी मृगतृष्णा (Mirage) का भी शिकार होना पडा।बुध ग्रह का रहस्य, जीवन, वायुमंडल, उपाय,खोज की जानकारी हिंदी मेंसन् 1830 में अल्जीयर्स (Algiers) पर कब्ज़ा करने के बाद फ्रांसीसियों ने ट्रांसहारा रेलवे के लिए सर्वेक्षण शुरू किया? इस गतिविधि के दौरान सन् 1855 में जर्मन अन्वेषक वैज्ञानिक हाइनरिष बाथ (Hainrich Barth) ने पूरे सहारा रेगिस्तान की यात्रा की ओर उसका पहला अधिकारिक मानचित्र तैयार किया, जिससे उन पहाड़ियों का पता लगा, जहा आज भी यहां-वहां जैतून (Olive) ओर सुरू के वृक्ष मिलते है। बाथ के इस कारनामे से ही सहारा की पुरातात्विक शोध की शुरूआत हुई।बाथ के अध्ययन ने सहारा रेगिस्तान के इतिहास को ऊंट-युग तथा पूर्व-ऊंट-युग में बाट दिया क्योंकि फिज्जान (Fezzan) तथा एयर (Air) क्षेत्र में मिलने वाली चित्रकारी में ऊंट का चित्र मौजूद नही है। 19वी शताब्दी की समाप्ति के समय फ्रांसीसी भू-विज्ञानी जी बी एम फलेमेण्ड (G B M Flamand) ने अल्जीरिया में दक्षिणी औरान (Oran) की गुफाओं की नक्काशी का अध्ययन करके सहारा रेगिस्तान का इतिहास की और बारीकी से खोज की उन्होने नक्काशियों मे बने मवेशियों के चित्रों से अनुमान लगाया कि मवेशियों के युग व ऊंट के युग के बीच मे सहारा वासी अरब अश्वपालन युग से भी गुजरे थे। बाद के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ कि अफ्रीका में 2000 वर्ष पूर्व ही ऊंट का प्रयोग होना प्रारम्भ हुआ ओर ईसाई युग के बाद इसका प्रयोग लोकप्रिय हुआ।चीन की दीवार कितनी चौड़ी है, चीन की दीवार का रहस्यमध्य सहारा मे बिखरे हुए पत्थर के औजारों की रिपोर्ट भी फ्रांसीसी भू-विज्ञानियों द्वारा मिली और सन् 1933-34 आते आते उनके प्रमाण भी मिल गए। पूरा पाषाण युग तथा नव पाषाण युग के अवशेष मिलने से अब यह स्पष्ट हो गया है कि हाथी और बारहसिंगा जैसे जानवर भी कभी सहारा में अपना जीवनयापन करते थे तथा मनुष्य भी जल-जीवो को पालता व उनका शिकार करता था।तास्सिली एन अज्जेर (Tassili N Ajjer) नामक पठार की खूबसूरत चट्टानों के बीच ऐसी-ऐसी चित्रकारी पाई गई है, जिनके चित्र 26-26 फुट ऊंचे हैं। शताब्दियों पुरानी यह अद्भुत कला कई पीढ़ियों के योगदान से ही अस्तित्व मे आई होगी। इनमे शामिल महिलाओं के चित्रों से जाहिर होता है कि चित्रों को सबसे पहले नीग्रो नस्ल के लागो ने बनाया होगा। भित्ति चित्रों और नक्काशियों से मिली जानकारी के अलावा होमोइरेक्टस (Homoerectus) तथा होमो वंश के सबसे प्राचीन जीवाश्मों के मिलने से यह सिद्ध हो गया है कि सहारा तथा अफ्रीका ही मानव जाति का प्रथम निवास स्थान था। चट्टानों के चित्र बताते हैं कि पुराने युग मे सहारा वासी बहुपत्नी प्रथा मे विश्वास करते थे। इन चित्रों की वैज्ञानिक जांच से इनमे आयरन ऑक्साइड मिला है। स्वाभाविक ही है कि आयरन ऑक्साइड की विभिन्न रंग छायाओं से ही ये चित्र बनाए गए होगे। पहले किसी नुकीली डण्डी से रेखाएं खींची गई होगी तथा बाद मे ब्रुशों के प्रयोग से चित्रों में रंग भरे गए होगे। सहारा की मिट्टी तथा वनस्पतियों के जीवाश्मों की वैज्ञानिक जांच-पड़ताल से इस भ्रम का खंडन हो गया है कि सहारा वासी कृषि-कार्य मे सलग्न रहे होंगे।मंगल ग्रह पर जीवन संभव है या नहीं खोज व मंगल ग्रह के रहस्यसहारा रेगिस्तान के इतिहास की परते खुलने के बाद यह पता चला कि क्या पश्चिमी अफ्रीका के काले आदिवासी एक समय गुलामों के बाजार की सबसे कीमती वस्तु थे। भयानक अकालों ने सहारा वासियो में परस्पर संघर्ष के बीज बोए और उसका लाभ उठाया अरबों ने। वे उनकी कमजोरी का लाभ उठा कर उन्हे पकड़-पकड़ कर गुलामों के रूप में बेचने लगे। आज भी सहारा के विभिन्न क्षेत्र इन अकालों व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के निर्मम हमले से पीड़ित है। सन् 1913 में प्लेग तथा काल का मिला-जुला हमला हुआ जिसमे 10 लाख लोग मौत का शिकार हो गए। सन् 1972-74 में इन्फ़्लुएन्ज़ा महामारी व अकाल की संयुक्त विपत्ति ने सहारा में मनुष्य को मनुष्य का दुश्मन बना दिया। यद्यपि अंतराष्ट्रीय सहायता ने सन् 1913 के अकाल के बराबर का हादसा नही होने दिया, फिर भी अभी तक अकाल के शिकारों की संख्या का ठीक-ठीक पता नही चल पाया है।आधुनिक युग की खोजों ने सहारा रेगिस्तान के भविष्य को थोडा-बहुत संभावना मय बनाने की कोशिश की है। सहारा रेगिस्तान के गर्भ मे तेल, गैस, लोह-अयस्क तथा अन्य कीमती धातुओं के भण्डार मिले है लेकिन अभी भी इस प्राकृतिक सम्पदा का सदुपयोग सहारा के निवासियों के हित में नही हो पा रहा है। वहा के घुमक्कड़ मवेशी पालक आज भी बचे-खुचे हरे-भरे क्षेत्रों पर अपने मवेशी चरा रहे हैं, जो आत्महत्या के समान है क्योंकि इससे रेगिस्तान का विकास होता है और उपजाऊ़ जमीन कम होती है।अपोलो की मूर्ति का रहस्य क्या आप जानते हैं? वे आश्चर्यसन् 1965 मे हुई जनगणना से पता चला है कि सहारा रेगिस्तान की जनसंख्या में थोडी सी वृद्धि हुई है। साथ ही साथ क्या इससे यह आशका उत्पन्न नही हो गई कि भावी अकालों में ओर ज्यादा मौत होगी? सहारा आज भी पुरातत्व शास्त्रियों भूविज्ञानियों तथा मौसम विज्ञानियों के लिए रहस्य बना हुआ हैं। वह कौन-सा कारण था कि मानसून वर्षाओं ने सहारा रेगिस्तान की जमीन को हरा-भरा बनाना बंद कर दिया? क्या उस कारण को जानकर आज के सहारा वासियों के जीवन को पुनः हरा-भरा नहीं बनाया जा सकता?। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े[post_grid id=”8656″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... अद्भुत अनसुलझे रहस्य अनसुलझे रहस्य