सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुर राजस्थान Naeem Ahmad, September 12, 2022February 20, 2024 जयपुर के मध्यकालीन सभा भवन, दीवाने- आम, मे अब जयपुर नरेश सवाई मानसिंह संग्रहालय की आर्ट गैलरी या कला दीर्घा है। राजस्थान बन जाने और उसमे जयपुर रियासत के विलय के दस बरस बाद, 1959 मे महाराजा सवाई मानसिह ने पोथीखाना और सिलेहखाना से कुछ चीजे चुनकर यह संग्रहालय स्थापित किया था। यह चीजे पहिले भी महाराजा के मोअज्जिज मेहमानों को दिखाने के लिए कुछ कमरो मे प्रदर्शित थी लेकिन इनका फिर से चुनाव कर और अपने पूर्वजो के संग्रह से अन्य कलात्मक वस्तुए, चित्र, प्राचीन वेशभूषा के नमूने, हस्तलिखित ग्रन्थों आदि को छांटकर सवाई मानसिंह म्यूजियम बनाया गया ताकि लोग जयपुर के इस सांस्कृतिक वैभव को देखे, प्रेरणा ले और लाभ उठावे। महाराजा मानसिंह चाहते थे कि जयपुर के राजाओ के प्राचीन पाण्डलिपियो के विशाल संग्रह पोथीखाना के समूचे ग्रन्थो की सूची तैयार की जाय और उसे प्रकाशित भी करा दिया जाये जिससे विद्वानो और इच्छुक शोधकर्ताओ को सहायता मिले और जिसकी जैसी दिलचस्पी हो, वैसा अध्ययन-मनन करे। महाराजा की जिदगी के अंतिम वर्ष मे ही यह जगी काम पडित गोपाल नारायण बहरा ने अपने हाथ मे लिया, लेकिन पहिला सूची-पत्र महाराजा के देहान्त के बाद ही 1971में प्रकाशित हो सका।सवाई मानसिंह संग्रहालय जयपुरसवाई मानसिंह संग्रहालय मे पोथीखाना की कुल 93 पांडुलिपियां प्रदर्शित की गयी है और इनके अलावा बीस पांडुलिपिया ऐसी है जिन्हे कलात्मक वस्तुओं मे गिना गया है, क्योकि हस्तलेख और चित्रो, दोनो ही दृष्टियों से, ये महत्त्वपर्ण और मूल्यवान है। सवाई मानसिंह संग्रहालय के अपने बजट से भी 79 पांडुलिपियां खरीदकर इस संग्रह मे जोडी गई है। यह सब सिर्फ एक बानगी है उस खजाने की जो पोथीखाने मे भरा है और जिसके सामने सोना-चांदी, रुपया-पैसा, सब कुछ तृच्छ है।सवाई मानसिंह संग्रहालयसवाई मानसिंह संग्रहालय की इस कला दीर्घा यानि आर्ट गैलरी मे आमेर-जयपुर शैली के लघु चित्रों के कछ उत्कृष्ट नमूने प्रदर्शित किए गये है जो रागमाला, भागवतम, देवी महात्म्य आदि ग्रन्थों की सचित्र बनाने के लिये तैयार किये गये थे। आरंम्भिक और बाद की मुगल शैली के चित्रों के अलावा दक्खिनी कलम और मालवा , बीकानेर, बदी , कोटा जोधपुर और किशनगढ शैली के चित्र भी खूब है। किशनगढ का अठारहवी सदी का राधा और कृष्ण का बडा चित्र तो इस शैली का एक बेजोड नमूना है।जयपुर राज्य का इतिहास – History of Jaipur stateसवाई जयसिंह ने खगोल विद्या के अध्ययन-अन्वेषण के लिये दुनिया भर से अरबी , फारसी, लेटिन और संस्कृत के जो ग्रन्थ एकत्रित किये थे, वे भी इस दीर्घा मे देखे जा सकते है। आइने अकबरी की एक पुरानी प्रति के साथ इसका वह हिन्दी अनुवाद भी है जो महाराजा प्रतापसिंह की आज्ञा से 1775 ई मे जयपुर के ही गुमानीराम कायस्थ ने किया था। शालिग्राम के 146 स्वरूपो का दिग्दर्शन कराने वाली एक अलभ्य पांडुलिपि यहां है। उबेद के फारसी ग्रन्थ ‘मशन्वा-गोरवेह’ मे सत्रहवी सदी के मुगल चित्र हैं और यह भी एक दर्शनीय पांडुलिपि है।ईसरलाट जयपुर – मीनार ईसरलाट का इतिहासकला दीर्घा मे मुगल और उत्तर- मुगलकाल के बेहतरीन कालीन भी है। सत्रहवी सदी के पूर्वार्द्ध मे मिर्जा राजा जयसिंह हीरात, लाहौर, आगरा और दूसरी जगहों से जो कालीन-गलीचे लाये थे, यहां इस तरह, प्रदर्शित किये गये है कि उनके फूलो के डिजाइन और रंगो की आव देखते ही बनती है। चित्रों, हस्तलिखित ग्रन्थों और कालीनों के साथ यहां राजा की सवारी की कुछ कलात्मक वस्तुएं भी रखी गई है। इनमे सोने-चांदी का हाथी का होदा, तख्ते-रवा, अम्बाबाडी, पालकी ओर रानियो के बैठने की छोटी गाडी है, मखमल की पोशिश वाली, जिस पर बडी खूबसरत कामदाकारी हैं।गोपीजन वल्लभ जी मंदिर जयपुर राजस्थानअसलेहखाने के अस्त्र-शस्त्र सवाई मानसिंह संग्रहालय का दूसरा विभाग है जो दीवाने-आम मे नही, आगे चलकर मुबारक महल के चौक में एक दूसरे हिस्से मे प्रदर्शित किये है। यहां तरह-तरह के आकार की तलवारे है जयपुर और राजस्थान के दूसरे हिस्सो की ही नही, फारस ओर मध्य पूर्व में बनी हुई भी। किसी की मूठ मीनाकारी की है तो किसी मे जवाहरात जडे़ है और कइयों की तो म्याने ही ऐसी कला और कारीगरी से बनी है कि बडी कीमती है। हाथी दांत, सोने और चांदी की मठियो वाले खमवा, चाक, छगे और कटारे है, सींग और शंखो से बने हुए बारूद रखने के बर्तन (कुप्पिया) है, जिन पर हाथी दांत और सीप की सजावट है। तरह-तरह की बन्द के, राइफले और पिस्तौले है, देशी ओर यूरोपियन भी, धनुष और बाणों का भी सवाई मानसिंह संग्रहालय में खासा संग्रह है। ओर है ढाल, गुर्ज, बाघनख, जिरेह बख्तर और न जाने क्या-क्या और कैसे- कैसे हथियार लडाई के साज-सामान की कई सदियां असलेह खाने मे आंखो के सामने आ जाती है। लाठियो और बैतों-छडियों को भी यहां देखने लगे तो देखते ही रहे। अकबर के सेनापति राजा मानसिंह का खाडा देखकर यह मान लेना पडता है कि जिस योद्धा के हाथ में यह भारी-भरकम हथियार शोभा पाता होगा, उसी ने उस महान मुगल सम्राट को इतने बडे साम्राज्य का स्वामी बनाया होगा।ब्रजराज बिहारी जी मन्दिर जयपुर राजस्थानजयपुर का सवाई मानसिंह संग्रहालय का तीसरा विभाग एक प्रकार से वस्त्र प्रदर्शनी है। यह मुबारक महल में ऊपर है और इसमे कश्मीर की नायाब बनाई और कसीदाकारी के शाल,बनारस और औरंगाबाद के किन्खाव असली रेशम के दुपट्टे और ढाका की वह लाजवाब मलमल भी है, जिसकी अब कहानियां ही शेष रही है। सागानेर मे कपडों की छपाई का उद्योग अब भी बडे जोर-शोर से चलता है, लेकिन सागानेरी कपडो के जो पुराने नमूने यहां है, वैसी बूटिया और रंग अब कहा बैठते है।गोवर्धन नाथ जी मंदिर जयपुर राजस्थानपुराने राजाओं की पोशाके और रानियो के जरी और गोटा-किनारी के काम से लडालम, जर्क-बर्क बेस भी यहां दिखाये गये है। बीच-बीच में कागज की कटाई के नमूने है, चौखटों मे जडे हए। यह देखकर हैरत होती है कि सवाई जयसिंह के बेटे ईश्वरी सिंह के हाथ मे कैसा कमाल था जो कागज को काट-छाट कर सीता-राम और हनुमान, राधाकृष्ण और वह भी कदम्ब की छाव तले गैया के साथ इस तरह बना देता था जैसे किसी ‘परफोरेटिग” मशीन से बनाये गये चित्र हो। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”6053″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल जयपुर के दर्शनीय स्थलराजस्थान ऐतिहासिक इमारतेंराजस्थान पर्यटन