सवाई जगत सिंह का इतिहास और परिचय Naeem Ahmad, December 4, 2022March 10, 2023 सवाई प्रताप सिंह जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र जगत सिंह जी जयपुर राज्य की गद्दी पर गद्दी नशीन हुए। आपने 16 वर्ष राज्य किया। आपका चरित्र बड़ा निर्बल था, आपका सारा जीवन दुर्गुणों से भरा हुआ था। विषय-वासना के फेर में पड़कर आपने कई कुकृत्य किये। मेवाड़ के राणा भीम सिंह जी के कृष्णा कुमारी नामक एक अत्यन्त सुन्दर कन्या थी। इस कन्या का पाणिग्रहण संस्कार मारवाड नरेश भीमसिंह जी के साथ होना निश्चित हो चुका था पर बीच ही में उनका स्वर्गवास हो गया। सवाई जगत सिंह का इतिहास और जीवन परिचय अतएव महाराज जगतसिंह जी ने उसके साथ विवाह करने की इच्छा प्रदर्शित की। इधर भीमसिंह जी के बाद मारवाड़ की गद्दी पर मान सिंह जी बिराजे और उन्होंने कृष्णाकुमारी पर अपना हक बतलाया। वे कहने लगे कि कृष्णा कुमारी की माँग मारवाड़ गद्दी की ओर से हो चुकी है अतएव मारवाड़ नरेश ही के साथ उसका पाणिग्रहण होना चाहिये। बात यहाँ तक बढ़ गई कि जगतसिंह जी और मानसिंह जी दोनों ही युद्ध करने पर उतारू हो गये। जगत सिंह जी ने अमीर खाँ पिंडारी को अपनी सहायता के लिये बुला लिया। महाराजा सवाई जगत सिंह जी गींगोली नामक स्थान पर युद्ध शुरू हो गया। जब यह बात कृष्णा कुमारी तक पहुँची तो उसने इस युद्ध का अन्त करने के लिये जहर खाकर अपने प्राण विसर्जन कर दिये। इतना हो जाने पर भी उक्त लड़ाई बन्द नहीं हुई। अन्त में जोधपुर नरेश मानसिंह जी हार गये। पिंडारी तथा मराठी सेना ने उनका मुल्क लूटना शुरू किया। अमीर खाँ बड़ा चालाक था। पीछे जाकर उसने मानसिंह जी से मिलकर जयपुर को भी लूट लिया। इस प्रकार इस आपसी फूट से तीनों राज्यों का नुक्सान हुआ। सन् 1803 में अंग्रेज सरकार और महाराज जगतसिंह जी के बीच एक तहनामा हुआ। इस तहनामे के अनुसार जयपुर-राज्य अंग्रेज सरकार के संरक्षण में आ गया। परन्तु महाराजा साहब इस तहनामे की शर्तों का पालन न कर सके अतएव लार्ड कार्नवालिस ने इस सम्बन्ध को तोड़ दिया। यह सम्बन्ध तोड़ने के मामले में होम गवर्मेन्ट को कुछ शक हुआ। अतएव उसने सन् 1813 में जयपुर राज्य को पुनः अपने संरक्षण में ले लेने के लिये गवर्नर जनरल को लिखा। पर इस समय नेपाल युद्ध छिड़ा हुआ होने के कारण यह कार्य नहीं हो सका। अन्त में सन् 1817 में गवर्नर जनरल ने इस बारे में जयपुर सरकार को लिखा। कुछ आनाकानी के बाद उन्होंने भी यह बात स्वीकार कर ली। सन् 1818 के अप्रैल मास की दूसरी तारीख के दिन फिर नवीन तहनामा हुआ। जयपुर-राज्य अंग्रेज सरकार के संरक्षण में आ गया। उक्त सन्धि के अनुसार महाराज जगतसिंह जी ने अंग्रेज सरकार को प्रतिवर्ष 8 लाख रुपया देना स्वीकार किया। यह भी तय हुआ कि जयपुर-राज्य आवश्यकता पढ़ने पर ब्रिटिश सरकार को सैनिक सहायता दिया करेगा। इस संधि के कुछ ही मास बाद अर्थात् सन् 1818 की 21 वीं दिसम्बर को महाराज सवाई जगत सिंह जी इस संसार से चल बसे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”13251″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के महान पुरूष आमेर का राजवंशजयपुर का राजवंशराजपूत शासकराजस्थान के वीर सपूतराजस्थान के शासक