शाकुम्भरी देवी सहारनपुर – शाकुम्भरी देवी का इतिहास – शाकुम्भरी माता मंदिर Naeem Ahmad, July 12, 2017February 24, 2023 प्रिय पाठको पिछली पोस्टो मे हमने भारत के अनेक धार्मिक स्थलो मंदिरो के बारे में विस्तार से जाना और उनकी यात्रा की। इस पोस्ट मे हम भारत के सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ शाकुम्भरी देवी देवी की यात्रा करेगे और उसके बारे में जानेगें कि शाकुम्भरी देवी की कहानी शाकुम्भरी देवी का इतिहास, शाकुम्भरी देवी कैसे पहुँचे, शाकुम्भरी देवी का महत्व, (शाकुम्भरी देवी मंदिर) आदि की जानकारी हिन्दी मे जानेगें।शाकुम्भरी देवी मंदिरउत्तर प्रदेश के सहारनपुर नगर से लगभग 25 मील की दूरी पर शिवालिक की पर्वतमालाओ में स्थित यह शांकुम्भरी देवी का मंदिर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठो मे गिना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहा पर सती का शीश गिरा था। इस मंदिर की प्रतिमा के दाई ओर भीमा एंव भ्रामरी तथा बाई ओर शीताक्षी देवी प्रतिष्ठित है। शीताक्षी देवी को शीतला देवी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। नवरात्रो मे तथा दुर्गाष्टमी पर यहा मेले भरते है। जिनमें हजारो श्रद्धालुओ की भारी भीड रहती है। शाकुम्भरी देवी मंदिरशाकुम्भरी देवी की कहानीशांकुम्भरी देवी की कथाधार्मिक पृष्ठभूमि और प्रचलित कथाओ के अनुसार एक पराक्रमी गुरू हुए जिनका नाम दुर्गम था। उन्नहोने ब्रहम्माजी से वरदान में चारों वेदो की प्राप्ति कि और वरदान भी लिया कि युद्ध में मुझे कोई देवता भी न जीत सके। इसके बाद वह मनुष्यो और देवताओ पर अत्याचार करने लगा। इतना ही नही उसने युद्ध करके इंद्र को भी परास्त कर दिया। तदंतर पृथ्वी पर सौ वर्षो तक वर्षा नही हुई क्योकि इंद्र देवता दुर्गम के अाधिन हो गए। किसी प्राणी को जल नही मिला पेड पौधे खेत खलिहान सब सुख गये चारों ओर हाहाकार मच गया। वेदो के ना रहने से सब क्रियाए जाती रही और ब्राहाम्ण अपना धर्म त्याग ने लगे।नैना देवी बिलासपुरज्वाला देवी मंदिर कांगडाकालिका देवी मंदिर पंचकुलावज्रेश्वरी देवी कांगडा हिमाचल प्रदेश की यात्रामनसा देवी पंचकुलाप्रजा के संकट को देखकर देवतागण महादेवी की शरण में आए और प्राथना करने लगे हे देवी जिस प्रकार आपने शुम्भ और निशुम्भ का वध किया उसी तरह आप इस दुष्ट का भी वध करें। इस प्रकार प्रजा को दुखी देखकर देवी ने अपने नेत्रो को दया के जल से भर लिया और सौ नेत्रो द्धारा देवताओ तथा मुनियो की ओर देखा। उन नेत्रो से हजारो जल धाराए बहने लगी जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि वृक्ष औषधियां, नदी तालाब,समुन्द्र आदि जल से परिपूर्ण हो गए। इस प्रकार तब जाकर देवताओ का कष्ट दूर हुआ और उन्नहोने ने राहत की सांस ली। एक सौ नेत्रो द्धारा प्रजा की ओर दयापूर्ण दृष्टि से देखने के कारण के काऱण देवताओ ने ” शीताक्षी ” नाम से देवी का पूजन किया। जब तक सारे संसार में वर्षा नही हुई थी। उस समय शीताक्षी देवी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक ( साग- सब्जी) द्धारा संसार का पालन किया। इसी प्रकार से वह पृथ्वी पर शांकुम्भरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गई।फिर देवताओ और मुनियो ने देवी से प्राथना कर दुर्गम द्धारा प्राप्त किये गए चारो वेदो को वापस देवताओ को दिलाने का आग्रह किया। तब देवी ने घोर संग्राम करके दुष्ट दुर्गम का वध करके वेदो को प्राप्त किया। दुर्गम का वध करने के कारण उनका नाम दुर्गा देवी भी प्रसिद्ध हो गया । वास्तव मे लोक प्रसिद्ध शीताक्षी, शांकुम्भरी तथा दुर्गा देवी ये एक ही देवी के नाम है।शाकुम्भरी देवी कैसे पहुँचेसहारनपुर रेलवे स्टेशन भारत के सभी प्रमुख शहरो से जुडा है। जिससे यहा पहुचना बहुत आसान व सरल है। सहारनपुर से शांकुम्भरी मंदिर तक भी अनेको साधन है। जिनके द्धारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहां ठहरने के लिए अनेक धर्मशालाए है। जिनमे ठहरने की व्यवस्था आसानी से हो जाती है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:– [post_grid id=”7745″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटन