विंध्याचल नवरात्र मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेश Naeem Ahmad, August 15, 2022February 26, 2024 विंध्याचल नवरात्र मेला यह जगत प्रसिद्ध मेला मां विंध्यवासिनी धाम मिर्जापुर जिले में लगता है। यूं तो नवरात्र के अवसर पर देश और प्रदेश भर में कई जगह मेले लगते हैं। परंतु विंध्याचल नवरात्र मेला अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विंध्याचल नवरात्र मेला पूरे नवरात्र भर बड़ी धूमधाम से चलता है।विंध्याचल नवरात्र मेला मिर्जापुरभारतीय धर्म-साधना मे दुर्गा पूजन का बडा महत्व है। इसके लिए वर्ष में दो नवरात्रों का समय सबसे शुद्ध पवित्र माना जाता है। पहला चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक बासतिक नवरात्र तथा दूसरा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्र। इन दोनो नवरात्रो में क्रमश नौ दिनो तक नव दुर्गाओ- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता बागेश्वरी, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इस अवसर पर कुमारी-पूजन का भी बहुत महत्व है। दो वर्ष की बालिका कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्तिनी, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की काली, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्ष की शाभवी, नौ वर्ष की दुर्गा तथा दस वर्ष की सुभद्रा स्वरूप होती है। इससे ऊपर की अवस्था की बालिका का पूजन शास्त्र-वर्जित है। इन वय वर्ग की कन्याओ के पूजन से क्रमशः ऐश्वर्य, भोग, मोक्ष, धर्म, अर्थ, काम, राज्य, विद्या, सिद्धि, राज्य-सम्पदा और पृथ्वी की प्राप्ति होती है। इसी कारण भारतीय संस्कृति मे बालिकाओं को बालक से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है। यह अपसस्कृति का प्रभाव है कि अब बालिकाओं के जन्मदिन पर लोग खुशिया नहीं मनाते।विंध्याचल नवरात्र मेलाविंध्याचल की मान्यता शक्तिपीठ और देवी धाम के रूप में ऐतिहासिक हो गई हैं। मां महिषासुर मर्दिनी है। पौराणिक आधार है कि महिषासुर ने एक बार सभी देवताओं को पराजित करके इन्द्रलोक पहुच कर इन्द्र को भी भयाक्रांत कर दिया। इन्द्र भगवान भाग कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश के पास गये।तब त्रिदेवो ने आदिशक्ति भगवती का ध्यान किया। तब देवताओं के अगो से तेज-पुज निकला जिसे सहन करना कठिन हो गया। इसके बाद देवताओ ने पुन प्रार्थना की जिससे एक सुन्दर, दिव्य बिनेत्र अष्टभुजी शक्ति का प्राकट्य हुआ जिसकी सभी देवताओं ने मिलकर पूजा की और विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र, शिव ने त्रिशूल, इन्द्र ने ब्रज, वरुण ने शक्ति, यमराज ने तलवार, अग्निबाण, लक्ष्मीजी ने क्षमार तथा हिमालय ने सिंह देकर मां को सुसज्जित कर दिया। मां ने इन आयुधो से पहले महिषासुर के दैत्यदल को, बाद में महिषासुर को भी कालपाश मे लपेट कर पृथ्वी पर पटक दिया और उसकी गर्दन पर पाव रखकर चमकती तलवार से उसके सिर को काट डाला और इस प्रकार देवताओं का कष्ट-निवारण करने के कारण पूज्या हो गयी।पक्का घाट का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेशनवरात्र तथा दुर्गापूजा के अवसर पर तभी से देवी की पूजा का विधान है जो अद्यावधि चल रहा है। देवी-पूजा की परपरा बंगाल से चली थी जो हिमालय, कश्मीर, मैहर, विंध्याचल तथा अन्य स्थानों तक लोकप्रिय, लोकमान्य हो गयी। विन्ध्यक्षेत्र मे विंध्याचल पहाड़ के ऊपर मां विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती के रूप में त्रिकोण यात्रा द्वारा पूजी जाती है। यहां की पहाडी पर और भी देवी-देवताओ की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। जिनमे काल भैरव, लोहंदी महादेव, अष्टभुजी, शिवपुर के शिव, नारघाट के शिव-पार्वती, गयाघाट की देवी सहित शताधिक तीर्थ तथा मदिर वर्तमान है।लोहंदी महावीर का मेला मिर्जापुर उत्तर प्रदेशदेवीधाम मे दोनो नवरात्रो पर बडा मेला लगता है जिसमे देश विदेश तक के श्रद्धालु, भक्त, पडित, तांत्रिक मां विन्ध्यवासिनी की पूजा के लिए आते और नौ दिनो तक अनुष्ठानपूर्वक दुर्गाशप्तशती का पाठ करते है। यहा नारियल, चुमरी, इलायचीदाना, मिष्ठान, जौ, चावल, धान का लावा चढ़ाया जाता है। कजली गायक कजरी के अवसर पर मां की पूजा करते है। मां का एक नाम कज्जला देवी भी है। कहते है एक मुसलमान ने मां को कजरी छंद लिखकर प्रसन्न किया था, तभी से प्रत्येक कजरी गायक अपना पहला गीत कजरी छन्द में लिखकर मां को समर्पित करता और काजल का टीका लगाता है। विंध्याचल नवरात्र मेला इसी कारण हिन्दू-मुसलिम एकता का भी प्रतीक बन गया है। विंध्याचल नवरात्र मेला पूरे नौ दिनो तक बड़ी धूमधाम से चलता है। विंध्याचल नवरात्र मेले में विभिन्न प्रकार कि दुकानें लगती है, मनोरंजन के साधन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। प्रशासन की ओर से विंध्याचल नवरात्र मेले में सुरक्षा व्यवस्था के सभी इंतजाम होते हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=’11706′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार उत्तर प्रदेश के मेलेमेले