लौह स्तम्भ महरौली का रहस्य – लौह स्तम्भ को जंग क्यों नहीं लगता Naeem Ahmad, March 16, 2022March 27, 2024 महरौली (नई दिल्ली) में बने लौह स्तम्भ में कभी जंग नहीं लगता, जबकि उसका लोहा वैज्ञानिक दृष्टि से कई अशुद्धियों से भरा हुआ है। यह स्तम्भ अंतरिक्ष से आई कुछ अपार्थिय शक्तियों की मदद से बनवाया गया था या यह प्राचीन काल के मनुष्य की विप्तक्षण बुद्धि और ज्ञान की ही उपज है? अपने इस लेख में हम महरौली के इसी लौह स्तम्भ पर जंग क्यों नहीं लगता इसके पिछे छुपे रहस्य को जानेंगे। वैज्ञानिकों ने लौह स्तम्भ के रहस्य को जानने के लिए क्या क्या प्रयत्न किते और उन्हें कितनी सफलता मिली।लौह स्तम्भ महरौली का अनसुलझा रहस्यभारत की राजधानी नई दिल्ली के महरौली नामक स्थान पर एक ऐसा लौह स्तम्भ है जिसका रहस्य आज तक वैज्ञानिकों की समझ में नही आ सका है। यह स्तम्भ चंद्रा नामक राजा की स्मृति मे बनवाया गया था।22 फुट ऊंचे इस स्तम्भ का ओसत व्यास 4.1/2 फुट है। इस लौह स्तम्भ को देखने से ही पता चलता है कि इसे बनाने वाले कितने कुशल घातुकर्मा होंगे। ठोस पिटवा लोहे से बना यह स्तम्भ अपने अलंकृत शीर्ष के कारण अत्यंत विशिष्ट लगता है। इस आकार का स्तम्भ बनाना आधुनिक युग में भी एक कठिनाई भरा काम साबित होगा। विद्वानों का मत है कि इसका निर्माण 5वी शताब्दी के आस-पास हुआ होगा।लौह स्तम्भ महरौलीइस लौह स्तम्भ के प्रसिद्ध होने तथा उसके रहस्यमय होने की वजह दूसरी है। शताब्दियों से इस स्तम्भ को वर्षा ओर वायु का मुकाबला करना पडा है लेकिन आज तक इसमें जंग नही लगा है। इस स्तम्भ मे जंग न लगने के लिए कई तर्क जुटाए जाते रहे हैं। इनमे सबसे अधिक प्रसिद्ध है वे तर्क जो एरिक वॉन डेनिकेन (Erich von daniken) की प्रसिद्ध पुस्तक चेरियट्स ऑफ गाॉड (Chariots of gods) के आधार पर दिए गए हैं। वॉन डेनिकेन के अनुसार अंतरिक्ष के ‘सुपर इंटेलीजेंट’ वासियों की मदद के बिना न मिस्र के पिरामिड बन सकते थे और न ही पाषाण युग की व उसके बाद की सुमेरी सभ्यता विकसित हो सकती थी। डेनिकेन के सिद्धांत पर विश्वास करने वाले लोगो का कहना है कि यह स्तम्भ भी अतरिक्षवासियो के योगदान से ही निर्मित हो पाना संभव हुआ है।बुध ग्रह का रहस्य, जीवन, वायुमंडल, उपाय,खोज की जानकारी हिंदी मेंजब विज्ञान किसी रहस्य को नही खोज पाता, तो इस तरह के तीर और तुक्केनुमा सिद्धांत प्रकाश मे आते ही हैं। महरौली के लौह स्तम्भ की धातु का वैज्ञानिक अध्ययन यह बताता है कि उस लोहे में बहुत-सी अशुद्धियां हैं, जिसके कारण उसमें और भी अधिक जंग लगना चाहिए। लेकिन लौह स्तम्भ में आज तक जंग नहीं लगा है। धातु वैज्ञानियों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि इस स्तम्भ की धातु क्या इस कदर परिक्षित और प्रकृति के प्रभाव से मुक्त है कि इस पर जंग नहीं लगता।महरौली के स्थानीय निवासी इस स्तम्भ को बड़े भक्ति भाव से देखते है। अब तो उनके कानों में भी इसमें लगी अद्भुत धातु की खबर पहुंच चुकी है। अतः भविष्य में इस स्तम्भ के आस पास अंधविश्वास के ताना बाना की बुनावट प्रारंभ हो जाना स्वाभाविक है।यूरेनस ग्रह इन हिंदी, यूरेनस ग्रह की जानकारी खोज व रहस्यपृथ्वी पर अपार्थिव शक्तियों के आगमन के सिद्धांत में जिसके प्रवर्तक वान डेनिकन थे, उनके सिद्धांत में सैकड़ों कमियां निकाली गई है। परंतु किसी भी रहस्य को और भी रहस्मयी कर देने की मानव प्रकृति अभी भी उस पर भरोसा कर लेती है।यह सही है कि लौह स्तम्भ महरौली की धातु की विशिष्टता का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वैज्ञानिक विधियां और पुरातात्विक अध्ययन पर से विश्वास हटाकर कपाल कल्पित सिद्धांतों और व्याख्याओं को अपना लिया जाये। महरौली के लौह स्तम्भ के रहस्य के बारे में इसी तरह की धारणा बनने का खतरा मौजूद हैं। बहरहाल हमें आशा रानी चाहिए कि एक ना एक दिन वैज्ञानिक इस रहस्य पर पड़ा पर्दा हटाने में जरूर कामयाब होंगे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े[post_grid id=’8656′]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... अद्भुत अनसुलझे रहस्य अनसुलझे रहस्य