रेडियो का आविष्कार किसने किया था और रेडियो का इतिहास Naeem Ahmad, June 29, 2022March 5, 2024 रेडियो के आविष्कार मे इटली के गगलील्मा मार्कोनी, जर्मनी के हेनरिख हट्ज और अमेरिका के ली डे फोरेस्ट का विशेष हाथ रहा है। रेडियो में जिन अनेक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, उनका आविष्कार अनेक वैज्ञानिकों ने किया। यदि ये आविष्कार न हुए होते तो रेडियो का आविष्कार न हो पाता।रेडियो-तरंगो को कृत्रिम रूप से उत्पन्न करने का आविष्कार जर्मनी के हेनारिख हट्ज न किया। उन्होंने कुछ उपकरणों की मदद से धातु के दो गोलों के मध्य विद्युत का प्रबल तनाव उत्पन्र किया। इससे इन गोलों के मध्य चिंगारी के रूप में विद्युत एक ओर से दूसरी ओर प्रवाहित हो गयी। इस परिवर्तन के परिणाम स्वरूप उत्पन्न होने वाली तरंगों को हट्ज ने करीब दस मीटर की दूरी पर ग्रहण किया। इसके लिए उन्होंने धातु व तार का एक ऐसा गोला लिया, जिसके दोनों सिर अलग थे आर उन सिरों पर छोटे छोटे से गोले लगे थे। इन दोनों सिरों के बीच थोडा-सा अंतर था। जब इन गोलों के दोनों सिरों के बीच का अंतर थोडा कम किया गया तो गोले के बीच चिंगारी के बाद नन्हा-सा स्फुलिंग दिखायी पडा। अत यह सिद्ध हो गया कि विद्युत की ऊर्जा तरंगों के रूप में यहां तक पहुंच गयी थी। इस प्रकार रेडियो-तरंगों को उत्पन कर उन्हें दूर तक, प्रेषित करने मे हट्ज ने सफलता प्राप्त की।रेडियो का आविष्कार किसने किया थामार्कोनी ने हट्ज के इस प्रयोग का विवरण पढा और उससे प्रेरणा पाकर उन्होंने अपने रेडियो उपकरण में इनका उपयोग करने के लिए प्रयोग करने शुरू किए। तरंगो के प्रेषण में उन्होने सुधार कर उन्हे शक्तिशाली बनाया। इन तरंगों की मदद से उन्होंने तार भेजने में भी सफलता प्राप्त की। कुछ दिनों बाद इन तरंगों की मदद से टेलीफोन की तरह बात करने में भी सफलता प्राप्त की।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैसन् 1896 में उन्होने अपना रेडियो सेट तैयार किया और रेडियो प्रणाली को व्यवहार में लाने के लिए इसे पेटेंट करवा लिया। इस प्रकार हट्ज की रेडियो-तरंगों की उत्पादन प्रणाली को अपनाकर मार्कोनी ने रेडीयो का आविष्कार किया। इन दोनों के अलावा रेडीयो विज्ञान क्षेत्र में अन्य कई वैज्ञानिको का हाथ है। फ्रांस के एडवर्ड ब्रानले और दा फारस्त, रूस के पोपॉफ, एडीसन ओर भारत के जगदीश चन्द्र बसु का नाम लिया जा सकता है।रेडियोजगदीश चद्र बसु ने छोटी लम्बाई की तरंगो के ग्रहण करने के लिए एक विशेष विधि का आविष्कार किया था। मार्कोनी ने पूंजी इकट्ठी कर रेडीयो उपकरण निर्माण की एक कम्पनी स्थापित की। इस प्रकार अनेक वैज्ञानिकों की युक्तियां और आविष्कृत उपकरणों के सहयोग से मार्कोनी ने रेडियो सेट बनाने में सफलता प्राप्त की।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतरेडियो तरंगे मूल रूप से एक विशेष परिपथ मे उत्पन्न की जाती है। इन तरंगों का एरियल द्वारा रेडियो सेट में ग्रहण किया जाता है। यहां इन तरंगों को कई बार प्रवधित (एम्प्लीफाइ) करके शक्तिशाली बनाया जाता है। मेक्सवेल नामक वैज्ञानिक ने 1864 में रेडियो तरंगों के बारे मे सबसे पहले जानने का प्रयास किया था। इन तरंगों को इकट्ठा करके रेडीयो सर्किट से जोड़ने की युक्ति सर ओलिवर लाज ने निकाली।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआरेडियो संचार के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के यंत्रो की आवश्यकता होती है। ट्रांसमीटर जो रेडियो तरंगों को उत्पन कर रेडियो सेट तक भेजता है। ट्रांसमीटर ध्वनि संदेश को विद्युत-धारा में बदलकर केरियर तरंगों से मिश्रित करके भेजता है और दूसरा रिसीवर होता है, जो स्वयं रेडियो सेट ही होता है। यह रेडियो तरंगों को ध्वनि-तरंगों में बदलकर हू-ब-हू आवाज पैदा करता है। ट्रांसमीटर से चलने वाली रेडीयो-तरंगे दो तरह से गमन करती है। पहली प्रकार की तरंगे धरती से कुछ ऊंचाई पर प्रवाहित होती है। ये तरंगे निश्चित दूरी तक ही जा पाती है। अधिक दूरी के लिए तरंगों को अधिक ऊंचाई पर प्रवाहित करना पडता है। ऊंचाई जितनी अधिक होती है उतनी ही अधिक दूरी तक संदेश प्रसारित किए जा सकते हैं। जिसके उदाहरण के लिए आप वर्तमान के मोबाइल टावर को देख सकते है, जो अधिक से अधिक एरिया कवर करने के लिए ऊंचाई पर लगाया जाता है।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआरेडियो तरंगे पृथ्वी की गोलाई में मुड नहीं पाती, ये सीधी रेखा में ही गमन करती है, परंतु अंतरिक्ष में आयन-मंडल से परावर्तित होकर ये रेडियो-संदेश ले जाने के लिए उपयोगी बन जाती है। आयन-मंडल की भिन्न-भिन्न संघनता की परते होती हैं, जिनसे कुछ तरंग पहली परत से परावर्तित होती है ओर कुछ पहली को भेद कर दूसरी या तीसरी परत से परावर्तित होती है। परत की शक्ति ओर रेडियो-तरंगों की फ्रिक्वेंसी के अनुसार उनकी प्रतिक्रियाए भी भिन्न-भिन्न हो जाती हैं। यही कारण हैं कि किसी निर्धारित फ्रिक्वेंसी पर विश्व के एक सिरे से दूसरे सिरे तक रेडियो संचार व्यवस्था से संदेश प्रसारित किए जा सकते है।मिसाइल का आविष्कार किसने किया और कैसे हुआआमतोर से रेडियो-सेट मे पाच मुख्य सेक्शन होते है, जो अपना अपना कार्य करते हैं। एरियल द्वारा रेडियो-तरंगे ग्रहण की जाकर रेडीयो सेट तक पहुंचायी जाती है। ये रेडियो-तरंगे 186000 मील प्रति सेकण्ड के वेग से चलती है। रेडियो फ्रिक्वेंसी एम्प्लीफायर प्राप्त संदेशो को प्रवर्धित करके आगे के सर्किट मे भेजता है। डिटेक्टर इन प्राप्त संदेशों को जो एसी करेंट की हाई फ्रिक्वेंसी पर होते है, डी सी मे बदल देता है। अब ये सुनने योग्य स्थिति में आ जाते है। आडियो सिग्नल एम्प्लीफायर प्राप्त सदेशों की शक्ति को और बढा देता है। उसके बाद लाउड स्पीकर इन विद्युत संकेतो को आवाज मे बदलकर सुनने लायक बना देता है।क्लोरोफॉर्म का आविष्कार किसने किया और कब हुआइस तरह इलेक्ट्रॉनिक के भिन्न-भिन्न परिपथो जैसे-एम्प्लीफायर, ऑसीलेटर, डिंटेक्टर, आडियो एम्प्लीफायर, लाउडस्पीकर के प्रयोग से भिन्न-भिन्न मनोरंजक कार्यक्रम रेडीयो सेट द्वारा हम तक पहुंचते हैं। इन उपकरणों मे डायोड, ट्रायोड, रेजिस्टर चार्क, कंडेंसर, ट्रांसफार्मर आदि अनेक छोटे बडे कल-पुर्जो का इस्तेमाल होता है। अब डायोड, टायोड वाल्वो के स्थान पर सेमीकंडक्टर डायोड ओर ट्रांजिस्टर प्रयोग में आने लगे है।संसार का सबसे छोटा रेडियो सेट ताशिबा ए एम-एफ एम 302 जनवरी 1983 में बना। इसका आकार 4.9×3.5×2.2 इच है। इसका कुल भार केवल 85 ग्राम है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व के प्रमुख आविष्कार प्रमुख खोजें