रानी प्रभावती एक सती स्त्री की वीरता, सूझबूझ की अनोखी कहानी Naeem Ahmad, December 4, 2018March 14, 2023 रानी प्रभावती वीर सती स्त्री गन्नौर के राजा की रानी थी, और अपने रूप, लावण्य व गुणों के कारण अत्यंत प्रसिद्ध थीं। इनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर एक यवन बादशाह ने गन्नौर पर चढाई कर दी। यह समाचार पाकर रानी प्रभावती बड़ी वीरता के साथ लडी। जब बहुत से वीर सैनिक मारे गए, और सेना थोडी रह गई, तब किला यवनों के हाथ में चला गया। रानी प्रभावती इस पर भी नहीं घबराई और बराबर लड़ती रही। जब किसी रीति से बचने का उपाय न रहा तो वह अपने नर्मदा किले में चली गई, परंतु यवन सेना उनका बराबर पीछा करती रही। बडी कठिनाई से किले में घुसकर रानी ने किले का फाटक बंद करा दिया। यहां भी बहुत से राजपूत सैनिक लडते लड़ते मारे गए। सती स्त्री रानी प्रभावती सती रानी प्रभावती की कहानी यवन बादशाह ने रानी प्रभावती के पास एक पत्र भेजा, जिसमें लिखा था— सुंदरी! मुझे तुम्हारे राज्य की इच्छा नहीं है। मै तुम्हारा राज्य तुम्हें लौटाता हूँ। और भी संपत्ति तुम्हें देता हूँ, तुम मेरे साथ विवाह कर लो। विवाह होने पर मैं तुम्हारा दास बनकर रहूंगा। रानी को यह पत्र पढ़कर क्रोध आया, परंतु क्रोध करने से क्या हो सकता था! इसलिए उसने काफी सोच विचार कर यह उत्तर लिखा— मुझे विवाह करना स्वीकार है, किंतु अभी आपके लिए विवाह योग्य पौशाक तैयार नहीं है। कल तैयार हो जाने पर विवाह होगा। बादशाह यह उत्तर सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़ें:—झांसी की रानी का जीवन परिचयरानी दुर्गावती का जीवन परिचयकालीबाई की जीवनीबेगम हजरत महल की जीवनी दूसरे दिन रानी ने बादशाह के पास एक उत्तम पौशाक भेजकर यह कहलाया, कि इसे पहनकर विवाह के लिए शीघ्र आओ। रानी की भेजी हुई पौशाक को पहनकर बादशाह बड़ी खुशी के साथ शादी की उमंग में रानी के महल में आया। रानी प्रभावती का दिव्य रूप देखकर बादशाह सोचने लगा— अहा! यह तो कोई अप्सरा है। इसके सहवास में तो जीवन बड़े आनंद से व्यतीत होगा। ऐसी बातें सोच सोचकर जो आनंद तरंगें उस समय उसके ह्रदय में उठ रही थीं। उनका कुछ ठिकाना न था, परंतु यह आनंद तरंगें शीघ्र ही शोकसागर में परिवर्तित हो गई। अचानक उसके शरीर में बहुत भयंकर दर्द उठ खडा हुआ। बादशाह दर्द से व्याकुल हो गया, उसे मूचर्छा सी आने लगी और उसकी आखों के आगे अंधेरा छा गया। पीड़ा से छटपटा कर वह चीख उठा। रानी प्रभावती ने यह सब देखकर कहा— आपकी उम्र अभी पूरी हुई जाती है, आज आपके शुभ विवाह से पहले ही आपकी मृत्यु होने को है। तुम्हारी अपवित्र इच्छा से अपने सतीत्व रूपी रत्न की रक्षा के लिए इसके सिवाय और कोई उपाय न था, कि मै तुम्हारी मृत्यु के लिए विष से रंगी हुई पौशाक भेजती। इतना कहकर सती ने ईश्वर से कुछ प्रार्थना की और किले पर से नर्मदा नदी में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। बादशाह भी तड़प तड़प कर तत्काल मर गया। इस रीति से सती प्रभावती ने सोच विचार कर अपने सतीत्व धर्म और कुल गौरव की रक्षा की। धन्य है ऐसी सतियां, जिन्होंने तरह तरह के कष्ट सहकर और प्राण देकर भी अपने सतीत्व धर्म की रक्षा की। जिससे आज तक उनके नाम भारत के इतिहास में श्रृद्धा के साथ लिए जाते है। भारत के इतिहास की वीर महिलाओं पर आधारित हमारें यह लेख भी जरूर पढ़ें:— [post_grid id=”6215″] Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत की महान नारियां बायोग्राफीभारत के इतिहास की वीर नारियांशासक नारियासती स्त्रियांसहासी नारी