रानी जवाहर बाई की बहादुरी जिसने बहादुरशाह की सेना से लोहा लिया Naeem Ahmad, December 2, 2018March 14, 2023 सन् 1533 की बात है। गुजरात के बादशाह बहादुरशाह जफर ने एक बहुत बड़ी सेना के साथ चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। उस समय कायर और विलासप्रिय राणा विक्रमादित्य चित्तौड़ की गददी पर था। रानी जवाहर बाई इसी कायर की राजरानी थी। विक्रमादित्य की कायरता के चलते सबको चिंता हुई की चित्तौड़ का उद्धार कैसे होगा। सिसौदिया कुल के गौरव की रक्षा कैसे होगी, किस रिति से राजपूत वीर स्वदेश की रक्षा कर सकेंगे।?। ऐसी चिंताओं से सब चिंतित थे कि देवलिया प्रतापगढ़ के रावल बाधगी अपनी राजधानी से आकर राणा के साथ मरने मारने को तैयार हुए। उनके नेतृत्व अधीनता में सब राजपूत वीरता के साथ युद्घ के लिए तैयार हो गए। मुसलमान सेना राजपूतो की अपेक्षा अधिक थी, परंतु फिर भी राजपूत विचलित न हुए। चित्तौड़ की रानी जवाहर बाई की वीरता की कहानी सबने शपथ खाई कि या तो पूर्ण पराक्रम से लड़कर विजय प्राप्त करेंगे या युद्ध में प्राण देकर वीरगति प्राप्त करेंगे। युद्ध के आरंभ होते ही बहादुरशाह ने पहले अपनी तोपों से ही काम लिया, परंतु राजपूत, तोपों की गर्जना सुनकर द्विगुणित उत्साह से उत्साहित होकर जिधर से गोला आता था, उधर बड़ी फुर्ती से अपने तीक्ष्ण बाण चलाने लगे। रानी जवाहर बाई की वीरता की कहानी उस समय तोपों से न तो बहुत दूर की मार होती थी और न वे जल्दी जल्दी चलती थी। इसलिए तोपों के साथ साथ बंदूकें भी मुसलमान सेना को चलानी पड़ीं। बंदूकों तथा तोपों के धुएं से रणस्थल में अंधकार छा गया। दोनों पक्षो के बहुत सैनिक मारे गए, परंतु बहादुरशाह किसी रिति से चित्तौड़ पर अधिकार न कर सका। अंत में बहादुरशाह ने किले की एक ओर की दीवार को बारूद की सुरंग से उडाने का विचार किया। जो भाग बारूदी सुरंग से उडाया गया था। वहां हाड़ा वीर अर्जुनराव अपने पांच सौ योद्धाओं के साथ युद्ध कर रहें थे। इसलिए वे अपने समस्त सैनिकों सहित मारे गए। शत्रुओं ने इस समय भग्न दुर्ग के भीतर घुसने के लिए धावा बोल दिया, परंतु चित्तौड़ अभी वीर शून्य न था। वीरवर चूड़ावत, रावदुर्गादास उसके मुख्य सुभट संताजी और दूदाजी तथा कितने ही अन्य सामंत और सैनिक शत्रुओं के सामने अचल और अटल रूप से डटे रहे। देह में प्राण रहते शत्रु उन्हें हरा न सके, अपने पराक्रम से वे मुसलमानों के धावे को रोकते रहें, परंतु थोडे से राजपूत कब तक प्रचंड यवन सेना का प्रतिरोध करने में समर्थ हो सकते थे। वीरता के साथ युद्ध करते रहने पर जब वे मरते मरते कम रह गए, तो बहादुरशाह की सेना किले में घुसने लगी। अचानक फिर उनकी गति रूक गई, सबने चकित हो कर देखा कि योद्धा के वेश में एक रमणी प्रचंड रण तुरंग पर चढ़ी हुई, हाथ में भाला लिए खड़ी हुई है। यह वीर महिला रानी जवाहर बाई थी। रानी जवाहर बाई ने जब हाड़ाओ के मर जाने का समाचार सुना, तो उन्होंने सोचा कि अब यदि कहीं राजपूत निराश और साहसहीन हो गए, तो चित्तौड़ का बचना कठिन है। इसलिए रानी जवाहर बाई ने कवच धारण कर, शस्त्र ले स्वयं वहां पहुंची जहां घमासान युद्ध हो रहा था। योद्धाओं को जूझने के लिए उत्साहित करती हुई, वह आप भी लडने लगी। रानी जवाहर बाई की वीरता को देखकर राजपूतो में भी साहस का संचार हुआ। उन्होंने भी ऐसा पराक्रम दिखाया कि यवनों को पिछे हटना पड़ा। रानी जवाहर बाई सब राजपूतों के आगे रंध्रपथ रोके खड़ी थी, जो यवन आगे बढ़ता था, वहवही उनके भाले से मारा जाता था। भाले के दारूण प्रहार से बहुत से यवन सैनिक मारे गए। कई यवन वीर एक साथ आगे आने लगे, परंतु फिर भी वीर क्षत्राणी निरूत्साहित न हुई। बल्कि असीम साहस के साथ यवनों से युद्ध करती रही। दूर खड़ा बहादुरशाह आश्चर्य चकित यह सब देख रहा था। क्षत्राणियों की वीरता के बारें में उसने सुना तो था, किंतु आज उन्हें रणचंडी बनकर मारकाट मचाते हुए साक्षात देख भी लिया। उसने देखा वीर महिषी रानी जवाहर बाई जहां यवन दल की प्रबलता देखती, वहीं तीव्र वेग से अपने घोडे को लाकर युद्ध करने लगती थी। राजपूतों और मुसलमानों में घोर युद्ध हो रहा था। धड व शीश कट कटकर गिर रहे थे, शव के ऊपर शव गिर रहे थे। उसी समय आकर रानी जवाहर बाई के शरीर में तोप का एक गोला आकर लगा और फट गया। रानी संसार में अपनी वीरता का अपूर्व दृष्टांत और आत्मोत्सर्ग का ज्वलंत उदाहरण छोड़ स्वर्गलोक को सिधार गई। मेवाड़ की ऐसी ही वीरांगनाओं, सतियों और पतिव्रता रानियों के कारण मेवाड़ को और भी यश प्राप्त हुआ। भारत के इतिहास की वीर नारियों की गाथाओं पर आधारित हमारें यह लेख भी जरूर पढ़ें:—- [post_grid id=”6215″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत की महान नारियां बायोग्राफीभारत की विरांगनाभारत के इतिहास की वीर नारियांसहासी नारी