रनगढ़ दुर्ग – रनगढ़ का किला या जल दुर्ग या जलीय दुर्ग के गुप्त मार्ग Naeem Ahmad, July 6, 2021March 11, 2023 रनगढ़ दुर्ग ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यद्यपि किसी भी ऐतिहासिक ग्रन्थ में इस दुर्ग के सन्दर्भ में यह उल्लेख प्राप्त नही होता कि रनगढ़ दुर्ग का निर्माता कौन था। तथा किस शासन काल में इस दुर्ग का निर्माण हुआ। रनगढ़ का किला बांदा जनपद की नरैनी तहसील से मऊ रिसौरा गाँव की सीमा से काफी चलकर केन नदी के मध्य एक ऊँची पहाडी पर बना हुआ है। इसके चारों ओर केन नदी की धाराये प्रवाहित होती है। इसलिये दुर्ग की स्थिति एक टापू जैसी है। इसलिए इसे जलीय दुर्ग या जल दुर्ग के नाम से भी पुकारा जाता है। यह दुर्ग उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा भी तय करता है इस दुर्ग में पहुँचने के लिए कोई निश्चित मार्ग नही है दुर्ग के समीप घनघोर जंगल है तथा दुर्ग की निर्माण शैली झाँसी के दुर्ग जैसी है। इस दुर्ग को बनाने वाले कारीगरों ने इसे कुछ ऐसे बिंदु पर बनाया है कि वर्ष 1992 और 2005 की बाढ़ में जब पूरा क्षेत्र डूब गया था, तब भी यह दुर्ग पानी के प्रकोप से बचा रहा। रनगढ़ दुर्ग के एक तरफ़ छतरपुर है, तो दूसरी तरफ़ बांदा। छतरपुर का बारीखेरा और बांदा का मउगिरवाँ इस दुर्ग की सीमा रेखा का निर्धारण करते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि रनगढ़ किले के निर्माण से संबंधित अभिलेखीय साक्ष्य तो नहीं मिलते लेकिन कुछ जानकार बताते हैं कि इसे चरखारी नरेश ने रिसौरा रियासत की रखवाली के लिए सैनिकों की सुरक्षा चौकी के रूप में बनवाया था। बाद में यह किला पन्ना नरेश महराजा छत्रसाल के कब्जे में हो गया। करीब 4 एकड़ क्षेत्रफल में यह किला काफी ऊंचाई पर चट्टानों में बना हुआ है। कुछ वर्ष पूर्व किले के पास जलधारा से अष्टधातु की तोप बरामद हुई थी। इसे मध्य प्रदेश शासन ने अपने कब्जे में ले लिया था। रनगढ़ दुर्ग या जल दुर्ग इस दुर्ग में निम्नलिखित स्थल दर्शनीय है। रनगढ़ दुर्ग के भग्नावशेषयह दुर्ग एक पहाडी पर निर्मित हैं तथा चारो तरफ प्राचीरों से घिरा हुआ है। तथा पहाडी के नीचे चारो तरफ केन नदी प्रवाहित होती है। इस दुर्ग में पहुँचने के लिये दो मुख्य द्वार है और दुश्मन से सुरक्षा के लिये चार गुप्त दरवाजे भी है जब कोई सबल आक्रमणकारी दुर्ग पर आक्रमण करता था और दुर्ग की सेना कमजोर पड जाती थी उस समय सैनिक चोर अथवा गुप्त दरवाजे से भागकर अपने प्राणों की रक्षा करते थे। सुरक्षा चौकीजलीय दुर्ग के समीप एक सुरक्षा चौकी थी इस सुरक्षा चौकी से सैनिक दूर से आने वाले शत्रुओं को देख लिया करते थे। और किलेदार को इसकी सूचना दे देते थे। ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन युग में इस क्षेत्र में नावों द्वारा व्यापार होता था। नाव द्वारा ही कर वसूलने का कार्य भी सुरक्षा चौकी के लोग किया करते थे। बारादरी अथवा राजा की बैठक रनगढ़ दुर्ग के समीप एक ऐसा स्थल है जिसमें 12 दरवाजे है ऐसा मालूम होता है कि रनगढ़ दुर्ग का शासक इस महत्वपूर्ण स्थल पर समस्याओं को हल करने के लिये दुर्ग के अन्य अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया करता था। यहाँ समय पर दरबार लगा करता था। गौरइया दाई मंदिर रनगढ़ दुर्ग में ही एक विशालकाय देवी मन्दिर प्राप्त होता है। वास्तुशिल्प की दृष्टि से यह मन्दिर अति प्राचीन मालुम होता है। इस मन्दिर की मूर्ति को मूर्ति चोरों ने गायब कर दी है। यह भी सम्भावना है कि जब इस क्षेत्र में सुल्तानों एवं मुगलों का शासन स्थापित हुआ हो तब मन्दिर की मूर्ति इन्ही मुसलमान शासकों द्वारा खण्डित कर दी गई हो। इस दुर्ग में सन् 1727 में मुगल सूबेदार मुहम्मद बंगस ने अधिकार कर लिया था। सम्भवतः है कि यह मूर्ति शायद उसी के द्वारा गायब की गई हो। रंग महल रनगढ़ दुर्ग के ऊपर रंग महल के अवशेष मिलते हुए है। यह रंग महल मध्यकाल का प्रतीत होता है इस महल में कई एक आवासीय कक्ष स्नान घर, रसोई घर, श्रंगार घर, शयन कक्ष, और दीप जलाने के लिये अनेक आले बने हुए है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—– [post_grid id=”8089″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले