रक्षाबंधन क्यों मनाते है – रक्षाबंधन पूजा विधि और रक्षा-बंधन की कथा Naeem Ahmad, August 17, 2021March 20, 2024 रक्षाबंधन:– श्रावण की पूर्णिमा के दिन दो त्योहार इकट्ठे हुआ करते है।श्रावणी और रक्षाबंधन। अनेक धर्म-ग्रंथों का मत है कि श्रावणी को ब्रह्मचारी ओर द्विजों को चाहिये कि ग्राम के समीप अच्छे तालाब या नदी के किनारे पर जाकर, उपाध्याय (गुरु) की आज्ञानुसार शास्त्राथ-विधि से श्रावणी-करम अवश्य करे। प्रारम्भ में शरीर की शुद्धि के लिये दूध, दही, घी, गोबर, और गोमूत्र इन पाँचों चीज़ों का पान करना चाहिये। पुनः शास्त्र-विधि से तैयार की हुई बेदी मे ,हविषान्न ( खीर, घी, शक्कर, जा आदि ) का विधिवत् हवन करना चाहिये। इसी के उपाकर्म कहते हैं। तदनन्तर जल-प्रवाह के सामने जल मे खड़े होकर तथा हाथ जोड़- कर सूर्य भगवान् का ध्यान और स्तुति करे। फिर अरुन्धती-समेत सप्त ऋषियों का पूजन करके दधि तथा सत्तू की आहुतियाँ दे। इसको उत्सर्जन करते है।रक्षाबंधन की धार्मिक कथाएक समय देवता और देत्यों मे लगातार बारह वर्ष तक घोर युद्ध होता रहा, जिसमे दैत्यों ने सम्पूर्ण देवताओं-समेत इन्द्र को विजय कर लिया। देत्यों से पराजित इन्द्र ने अपने गुरु बृहस्पति से कहा– इस समय न तो में यहाँ ठहरने मे समर्थ हूं और न मुझको भागने का अवसर है। अतः मुझे लड़कर प्राण देना अनिवार्य हो गया है। ऐसी बाते सुनकर इन्द्राणी बीच ही में बोल उठीं —पतिदेव ! आप निर्भय रहे मे एक ऐसा उपाय करती हूँ , जिससे अवश्य ही आपकी विजय होगी।रक्षाबंधन और श्रावणी पूर्णिमाप्रातःकाल ही श्रावणी पूर्णिमा थी। इन्द्राणी ने ब्राह्मणों के द्वारा स्वस्ति-वाचन कराकर इन्द्र के दाहिने हाथ में रक्षा की पेटली बाँध दी। रक्षाबंधन से सुरक्षित इंद्र ने जब देत्यों पर चढ़ाई की, तो दैत्यों को वह काल के समान दिखाई पड़ा, जिससे भयभीत होकर वे आप ही भाग गये।केरल के त्योहार – केरल के फेस्टिवल त्यौहार उत्सव और मेलेंबुद्धिमान मनुष्य श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के दिन प्रथम तो स्नान करे, पुनः देवता, पितर ओर सप्तर्षियों का तर्पण करे। दोपहर के बाद सूती व ऊनी वस्त्र लेकर उसमे चावल रखकर गॉठ लगावे ओर स्वर्ण के रंग के समान हल्दी या केशर मे रँगकर उसे एक पात्र मे रख दे। पुनः घर को गाबर से लिपवाकर ओर चावलों का चौक पुरवाकर उस पर घट की स्थापना करे।मणिपुर के त्योहार – मणिपुर के प्रमुख फेस्टिवलघट में अन्न भरा होना चाहिए। पीले वस्त्र मे सूत के लच्छे से लिपटी हुईं एक या अनेक चावल की पोटलियाँ रख दे। यजमान स्वयं पटा अथवा चौकी पर बैठे और शास्त्रलोक विधि से पुरोहित-द्वारा घट का पूजन कराये। पूजन के पश्चात् उस पोटली को यजमान के हाथ में बाँधे तथा परिवार के ओर लोगो के हाथों में भी बाँधे। इस प्रकार के रक्षाबंधन को वेदपाठी ब्राह्मण द्वारा ही कराना चाहिए। रक्षाबंधन के समय ब्राह्मण मंत्र बोले। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—–[post_grid id=”6671″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के प्रमुख त्यौहार