रंग महल कहा स्थित है – बीरबल का रंगमहल Naeem Ahmad, August 25, 2022February 22, 2024 उत्तर प्रदेश राज्य के जालौन जिले के कालपी नगर के मिर्जामण्डी स्थित मुहल्ले में यह रंग महल बना हुआ है। जो आज भी बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बादशाह बीरबल की न्याय प्रियता व विनोदी स्वभाव की स्मृति दिलाता है। बीरबल का रंग महल कालपी के ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इसे बीरबल का किला या बीरबल का महल के नाम से भी जाना जाता है।रंग महल का इतिहासराजा बीरबल का पुराना नाम महेश दास था जो कि एक ब्राहमण भाट थे, जिसको परशियन लोग बादफरोश कहते है। यह एक गरीब परन्तु दिल का साफ सुथरा व्यक्ति था जिसके अन्दर अनुमान लगाने की विशेष क्षमता थी। उसकी हिन्दी कवितायें बहुत अच्छी थी जिससे बादशाह अकबर ने ‘कविराम’ की उपाधि से विभूषित किया था तथा सदैव ही उसे अपने निकट रखता था।सूर्य मंदिर कालपी – कालपी सूर्य मंदिर का इतिहासडा० राजेन्द्र कुमार के अनुसार मथा के राजा रामचन्द्र ने महेश दुबे की कविताओं से प्रभावित होकर उसे कविराय की उपाधि से सम्मानित किया था। महेश दुबे बीरबल का जन्म कालपी की एक संकरी गली में हुआ था तथा वह जंगलों से लकड़ी बीनकर अपना जीविकोपार्जन किया करता था। यह अपनी गरीब माँ की अकेली सन्तान थे। श्री रूप किशोर टण्डन के अनुसार बीरबल का पहले का नाम महेशदास था, तथा ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। ये इसी कालपी नगर के रहने वाले थे। राजा रामचन्द्र द्वारा उन्हें कविराय की उपाधि से विभूषित किया गया था।रंग महल कालपीप्रो के०डी० वाजपेयी लिखते हैं कि बीरबल का जन्म स्थान कालपी नगर में रंग महल के नाम से अब भी विद्यमान है। श्री रूप किशोर टण्डन के अनुसार अकबर के समय में बीरबल ने कुछ महल अपने रहने के लिए निर्माण कराये थे उनमें से रंग महल का कुछ भाग अभी भी बना हुआ हैं। अकबर के नवरत्नो में प्रधान बीरबल कालपी के ही निवासी थे, जिनके रंग महल के भग्नावशेष अब भी विद्यमान है।पातालेश्वर मंदिर कालपी धाम जालौन उत्तर प्रदेशज्योतिखरे के अनुसार सम्राट अकबर ने बीरबल को कालिन्जर राज्य का जागीरदार बनाकर उन्हें राजा बीरबल की पदवी दी थी। बीरबल का कालपी में जीर्ण शीर्णहालत में घर आज भी मौजूद है। कालिन्जर का जागीरदार बन जाने के पश्चात बीरबल ने कालपी में अपना निवास स्थान बनवाया।श्री बटाऊ लाल मंदिर कालपी जालौन उत्तर प्रदेशअस्तु राजा बीरबल जिनका पुराना नाम महेशदास दुबे था, जन्म कालपी में सन 1528 में एक गरीब कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था जो कि जंगलों से लकड़ी बीनकर अपनी जीविका चलाते थे। वे एक कुशल कवि थे जिनकी कविताओं से प्रभावित होकर राजा रामचन्द्र द्वारा उन्हें कविराय की उपाधि से विभूषित किया गया। अकबर की सानिध्य में आने के पश्चात बीरबल को कालिंजर का जागीरदार बनाया गया और उसके पश्चात् बीरबल ने अपनी जन्मभूमि कालपी में अपना निवास बनवाया था जिसके भग्नावशेष के रूप में रंग महल आज भी विद्यमान है।पाहूलाल मंदिर कालपी – पाहूलाल मंदिर का इतिहासराजा बीरबल ने कार्लिंजर की जागीरदारी प्राप्त करने के पश्चात कालपी में अपना निवास स्थान बनवाया। उसने सात चौक का महल बनवाया तथा हाथी खाना तथा घुड़साल का भी निर्माण कराया। रंगमहल भवन तो अब टूट गया है परन्तु उसका दीवान खाना अब भी पुराने समय की याद दिलाता है। इसके आसपास अन्य भवन छिन्न भिन्न अवस्था मे पड़े दिखते है जो प्राचीन महत्ता को दर्शाते है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”8179″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल उत्तर प्रदेश पर्यटनऐतिहासिक धरोहरेंबुंदेलखंड के किले