मोठ की मस्जिद किसने बनवाई कहानी और इतिहास Naeem Ahmad, February 11, 2023February 17, 2023 मोठ की मस्जिद जिसे मस्जिद मोठ भी कहा जाता है, नई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन द्वितीय के मस्जिद मोठ नामक गांव में स्थित है, पहले समय में मोठ की मस्जिद दिल्ली से बाहर दूर स्थित थी इसी कारण बहुत कम लोग इसे देखने जाते थे। शीत काल में इस मस्जिद मोठ को देखना अधिक उत्तम है। उस समय मोठ की मस्जिद को जाने के लिये दो मार्ग थे। प्रथम मार्ग यह था कि यदि हम तांगा या मोटर पर बैठकर कुतुब रोड (सड़क) से होकर जाएं तो हमें सफदरजंग का मकबरा और हवाई अड्डा मिलेता था उससे एक मील आगे सड़क के बाई ओर एक मोठ की मस्जिद का चिन्ह-स्तम्भ लगा हुआ है इस चिन्ह-स्तम्भ से एक कच्ची सड़क सीधे मस्जिद को जाती है।। यह मसजिद अपने नाम के ग्राम मस्जिद मोठ में स्थित है। मोठ की मस्जिद को सिकन्दर लोदी के वज़ीर मियां बुहवा ने बनवाया था। मोठ की मस्जिद की कहानी और इतिहास कहते हैं कि एक दिन बादशाह अपने मंत्री के साथ नमाज, पढ़ने के लिये मस्जिद में गया। ठीक प्रार्थना के पूर्व एक पत्ती ने मोठ का एक बीज बादशाह के सामने गिरा दिया। बादशाह ने उसी के ऊपर सजदा किया। जब बादशाह सजदे से उठा तो वजीर ने मोठ का बीज देखा उसने उस बीज – को उठा लिया और अपने हृदय में विचारांश किया कि जिस बीज को बादशाह ने सजदा करके इतना सम्मान दिया उसे यूही न फेंक देना चाहिये। वज़ीर ने उसे बो दिया और फिर पौधे के जो बीज मिले उन्हें फिर बोया इस प्रकार धीरे धीरे इतना अधिक मोठ की उत्पत्ति वजीर ने की कि बेच कर वजीर ने बहुत सा धन एकत्रित कर लिया और फिर उसी धन से उसने मस्जिद बनवाई जिसका नाम करण वजीर ने बीज के नाम पर मोठ की मस्जिद रखा। मोठ की मस्जिद उस समय मस्जिद मोठ को जाने के लिये दूसरा पैदल मार्ग था। यह मार्ग सफदरजंग समाधि से जाता है। यह मार्ग उस समय खेतों के बीच होकर जाता है। हालांकि आजकल मस्जिद मोठ लगभग दिल्ली के मध्य में स्थित है, और उसके जाने के लिये अनेकों मार्ग है। अलीगंज के हाते के समीप है यह रास्ता कुतुब सड़क से अलग हो जाता है। उस समय यहां की भूमि बिलकुल साफ थी ओर खुले हुये मैदान में बड़े बड़े स्मारकों का समूह दिखाई पड़ता था। यह सय्यद-स्मारक कहलाते थे। मार्ग सीधा इन्हीं की ओर जाता था। इन्हीं स्मारकों से रास्ता मोठ की मस्जिद को जाता है। हालांकि वर्तमान में इन स्मारकों और मैदान रिहायशी मकान ही दिखाई देते हैं। तैमूर के आक्रमण और मुग़लकाल के मध्यवर्ती समय में जो मस्जिदें भारतवर्ष में बनी हैं उनमें से सर्वोत्तम दो मस्जिदों में से एक मोठ की मसजिद ओर दूसरी शेरशाह की मसजिद है। मस्जिद में हम गांव वाले मार्ग से होकर एक सुंदर प्रवेश द्वार से घुसते है। प्रवेश द्वार में भिन्न भिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे पत्थर लगे हुए है। यह पत्थर लाल, नीले, काले, स्वेत आदि में भाँति भाँति रंगो के हैं। यह देखने में बड़े ही सुन्दर प्रतीत होते हैं। मोठ की मस्जिद का प्रवेश द्वार के मेहराब को देखने से पता चलता है कि उसके निर्माण में हिन्दू ओर मुसलमान दोनों प्रकार के शिल्पकारों ने कार्य किया है।इस मस्जिद की छत से समस्त दिल्ली (प्राचीन तथा नवीन आठ नगर ) का अवलोकन होता था। एक ओर कुतुब मीनार, सिरी, विजयमंडल ओर चिराग दिल्ली दिखाई देते थे। नीचे आकाश ओर प्रथ्वी से मिले हुये भाग में तुगलकाबाद की दीवारें दिखाई पड़ती थी। गांव की ओर दृष्टि डालने पर हुमायूं का मक॒बरा, पुराना किला ओर खान-खाना का स्मारक दिखाई पड़ता था। नई दिल्ली की ओर देखने पर सफदरजंग का मकबरा, लोदियों के मकबरे और जामा मस्जिद आदि दिखाई पड़ते थे दिल्ली छोड़ कर कदाचित ही ओर किसी नगर में इतने स्मारक एक ही स्थान से दिखाई पड़ते हों। कई एक स्मारक वर्तमान में दिखाई पड़ते और कई आधुनिक विकास के साये में चिप गए हैं। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”7649″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल दिल्ली पर्यटनहिस्ट्री