मैक्स प्लांक की जीवनी – मैक्स प्लांक का क्वांटम सिद्धांत क्या है? Naeem Ahmad, June 10, 2022March 26, 2024 दोस्तो आप ने सचमुच जादू से खुलने वाले दरवाज़े कहीं न कहीं देखे होंगे। जरा सोचिए दरवाज़े की सिल पर वह प्रकाश की एक किरण फैली हुई है। इस किरण के रास्ते में कोई रुकावट आ पड़े तो एक मोटर चालू हो जाती है और दरवाजा खुल जाता है। इलेक्ट्रिक आई, अथवा विद्युत-नेत्र के अन्यान्य प्रयोगों में एक यह भी है। विद्युत-नेत्र में तथा टेली विज्ञान कैमरे में एक बहुत ही अद्भुत तथा महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त का प्रयोग होता है, जिसका नाम है फोटो-इलेक्ट्रिसिटी। प्रकाश जब धातु के किसी टुकड़े पर पड़ता है तो इलेक्ट्रॉन फूट निकलते हैं, अर्थात् प्रकाश द्वारा विद्युत् की उत्पत्ति,फोटो इलेक्ट्रिसिटी, प्रकाशीय-विद्युत। फोटो-इलेक्ट्रिसिटी के आविष्कार से वैज्ञानिक जगत में कुछ-न-कुछ विप्लव आना ही था, क्योंकि इससे एक पुराना प्रश्न फिर से नया हो आया जिसका समाधान, अब तक प्रतीत होता था, मैक्सवेल और हर्ट्ज कभी का कर जा चुके हैं। इन दोनों वैज्ञानिकों का विचार था कि प्रकाश भी प्रकृत्या विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता, क्योंकि प्रकाश के सभी नियम प्रायः वही थे जो कि इन तरंगों में प्रत्यक्षित होते हैं। 1879 में हेनरिक हर्ट्ज ने घोषणा भी यही की थी कि प्रकाश का यह तरंग सिद्धान्त जहां तक हम मनुष्यों का इससे सम्बन्ध है अब एक अप्रत्याख्येय सत्य के रूप में ही मान लिया जाना चाहिए। और यह सत्य सर्वेविदित था भी, किन्तु क्या यह सचमुच एक सत्य था ? अभी 11 वर्ष ही बीते होंगे कि मैक्स प्लांक ने एक नया विचार प्रकाश की प्रकृति के सम्बन्ध में यह रखा कि वह शक्ति के कणों का एक झुरमुट है। दो सौ वर्ष पहले न्यूटन ने भी कहा था कि प्रकाश एक कण-पुंज के अतिरिक्त और कुछ नहीं। विज्ञान न्यूटन के सिद्धान्त को प्राय भुला चुका था। अब प्रोफेसर मैक्स प्लांक ने आकर कुछ गणनाएं की जिनसे स्पष्ट था कि शक्ति सचमुच ‘अशुओ’ मे अवतरित होती है। यह ठीक है कि ये अंशु बहुत छोटे-छोटे होते हैं, किन्तु इससे उनकी अजशुता तो नही जा सकती। विज्ञान मे उनकी परिभाषा है— फोटोन, प्रकाशिका। प्लांक का इसको दिया हुआ नाम है–क्वाटा (पुंज )। क्वाण्टम सिद्धान्त का प्रतिपादन प्लांक ने अकेले ही किया था, और उसके सिद्धान्त का भौतिकी की वर्तमान गतिविधि में महत्त्व भी बहुत अधिक है।मैक्स प्लांक का जीवन परिचयमैक्स प्लांक का जन्म बाल्टिक समुद्र तट पर स्थित कील बन्दरगाह मे 23 अप्रैल 1858 को हुआ था। माता-पिता दोनों जर्मन थे, और कील पर उन दिनों डेनमार्क का कब्जा था। 1947 में जर्मनी मे ही उसकी मृत्यु हुई और उसके जीवन के अन्तिम वर्षों में व्यक्तिगत कटुता एवं व्यथा बहुत अधिक भर आई थी। प्लांक का पिता एक विश्वविद्यालय का प्रोफेसर था, और ‘न्याय-विधान” का विशेषज्ञ था। परिवार सुशिक्षित था और सभी सदस्यो ने अपने अपने क्षेत्र मे प्रतिष्ठा अर्जित की हुई थी। इनमे हाईकोर्ट के जज भी थे, सार्वजनिक कार्यों के अधिकारी भी थे, और धर्मोपदेशक भी। प्लांक अभी नौ वर्ष का ही था कि विश्वविद्यालय मे उसके पिता को प्रोफेसरी करने मे सुविधा हो, सारे का सारा परिवार उठकर म्यूनिख आ गया। म्यूनिख में मैक्स प्लांक की शिक्षा एक हाईस्कूल, मैक्समिलियन जिम्नेजियम मे आरम्भ हुई। यही पर एक विचारशील तथा वैज्ञानिक प्रकृति के भौतिकी-प्राध्यापक के सम्पर्क में वह आया। और इस सम्पर्क ने उसके जीवन की दिशा भी निर्धारित कर दी। परिवार वालो ने उसे संगीत के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया। वह पियानो अच्छा बजाता था। जीवन मे काम-धाम से थककर आराम करते समय वह कुछ क्षण सुख के अनुभव करने के लिए पियानो बजा लिया करता था।अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय – अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार?म्यूनिख तथा बर्लिन में स्वाध्याय करते हुए वह प्रसिद्ध भौतिकी विशारद हेल्महोल्त्श तथा किचेहॉफ के सम्पर्क में आया पेलेडियम में से गुजरती हुई हाइड्रोजन किस प्रकार अभिव्याप्त हो जाती है, इस सम्बन्ध में एक परीक्षण के आधार पर जो एक निबन्ध उसने लिखा उसी की बदौलत मैक्स प्लांक को डॉक्टरेट मिल गई। कहा जाता है कि यही एकमात्र परीक्षण था, जो उसने अपनी लम्बी जिन्दगी से किया। उसकी वैज्ञानिक रुचि, परीक्षणों मे न होकर प्रश्नो की समीक्षा में ही अधिक थी। मैक्स प्लांक को पहचानने में लोगो को बहुत देर नही लगी। वह बहुत जल्दी ही म्यूनिख में एक असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर अ बर्लिन विश्वविद्यालय मे भौतिकी के प्रोफेसर के तौर पर हो गई।मैक्स प्लांकप्लैक का विषय था थर्मो-डाइनेमिक्स या ताप-विज्ञान। प्रकाश और ताप का परस्पर सम्बन्ध है। यह हम मे कोई भी एक जलते बल्ब को छूकर ही बता सकता है, और ऐसे उच्च तापो को जिन्हे कि सामान्य थर्मामीटर दर्ज नही कर सकते, मापने का प्रसिद्ध वैज्ञानिक ढंग प्रकाश के रंगो की तुलना करने का है। एक दहकती भट्टी में आग किस रंग से चमकती है, इसकी तुलना किसी ज्ञात मापदण्ड के साथ करके हम बता सकते है कि भट्टी के अन्दर ताप कितना है। इस कार्य में जो उपकरण उपयोग मे लाया जाता है, उसका नाम है, ऑप्टिकल पाईरोमीटर। गर्मी का रंग सफेद रोशनी के जितना निकट होगा, उसका तापमान उतना ही अधिक होगा। निम्न तापमानों पर ताप का विकिरण इन्फारेड नाम की अदृश्य किरणों में होता है। 1000° फारनहाइट तापमान पहुंचने पर लाल रंग दिखाई देने लगता है। 2,500° फारनहाइट पर उसमे अच्छी-खासी चमक आ जाएगी। 5,000° पर विद्युत के प्रकाश-तन्तु चमक उठते है। अर्थात प्रकाश तथा ताप दोनों परस्पर सम्बद्ध है, और दोनो अलग-अलग प्रकार की शक्तिया है। इस प्रकार प्लांक ने अपने ताप-सम्बन्धी अध्ययनों को प्रकाश के क्षेत्र में भी अवतरित होते देखा।अल्बर्ट अब्राहम मिशेलसन का जीवन परिचय और खोजप्रकाश का विकिरण किस प्रकार से होता है? इस समस्या का समाधान करते हुए मैक्स प्लांक के सम्मुख एक सैद्धान्तिक मुश्किल उठ खडी हुई। सभी ज्ञात सिद्धान्तो के आधार पर उसने यह गणना करने की कोशिश की कि कितने प्रकाश से कितनी गर्मी पैदा होती है, या कितनी गर्मी से कितना प्रकाश पैदा होता है। और यह तो साफ ही था कि जरा-सी गर्मी ही कितनी ज्यादा चमक पैदा कर जाती है। और, यह गर्मी किस चीज़ में नही होती ? प्लांक की गणनाओं के अनुसार हम सबको इस गर्मी से चमक उठना चाहिए, किन्तु होता ऐसा नही है। गणनाओं में कही गलती नही थी, अर्थात प्रकाश विषयक ये पुराने सिद्धान्त कही न कही गलत थे, और प्लांक में ऐसा कहने का साहस था।साथ ही उसमे इतनी प्रतिभा भी थी कि एक नई स्थापना भी प्रस्तुत कर सके।उसे सूझा कि यह प्रकाश एक शक्ति-पूज है, क्वांटम है। भिन्न-भिन्न पूंजो में यह शक्ति भिन्न-भिन्न अवसरो पर फूट निकलती है। प्रकाश की हाई फ्रीक्वेंसी के शक्ति-स्तर को बढाने के लिए एक बडे परिभाण का शक्ति-पुज अपेक्षित होता है, तो छोटी-छोटी फ्रीक्वेसियों के स्तर को उठाने के लिए एक छोटा पूंज ही पर्याप्त होता है। प्लांक ने क्वांटम का यह नया सिद्धान्त जर्मन एकेडमी ऑफ साइंस के सम्मुख उपस्थित कर दिया। आपको को यदि प्रस्तुत स्थापना के समझने मे कुछ मुश्किल पेश आ रही हो, तो उससे उसे हतोत्साह नही होना चाहिए। उन दिनो, 1900 के दिसम्बर महीने में कुछ ऐसी ही मुश्किल, प्रतिष्ठित वैज्ञानिको के सामने भी आई थी। एक काम इस क्वांटम सिद्धान्त ने और भी किया, और वह यह कि प्रकाश सम्बन्धी पुराने कापेस्कुलर सिद्धान्त को पुन प्रतिष्ठित कर दिया। लेकिन वैज्ञानिक लोग इस बात के लिए तैयार नही थे। तरंग-सिद्धान्त से प्राय सभी काम बखूबी चल ही रहे थे।गैलीलियो का जीवन परिचय – गैलीलियो का पूरा नाम क्या था?स्वीटजरलैंड मे अपने आपेक्षिकता-वाद सिद्धान्त पर कार्य करते हुए आइन्स्टाइन ने अनुभव किया कि प्रकाश सम्बन्धी प्लांक की इस नई स्थापना द्वारा प्रकाशीय विद्युत के कुछ रहस्यो का उद्घाटन बडे सुन्दर ढंग से हो सकता है। प्रकाश के ये शक्ति-पुंज जब किसी धातु के एक टुकडे पर जाकर टकराते है तो उस धातु से कुछ इलेक्ट्रॉन उछल-उछल कर बाहर आने लगते है। जितना ही ज्यादा प्रकाश धातु से टकराता है, उतने ही ज्यादा इलेक्ट्रॉन उसमें से निकलकर बाहर आ जाते है। यदि तरंग-सिद्धांत सही हो तो प्रकाश के बढने से इन इलेक्ट्रॉनों की गति में ही वृद्धि आनी चाहिए, उनकी सख्या में नही। धीरे-धीरे वैज्ञानिकों का ध्यान मैक्स प्लांक की इस नई स्थापना की ओर आकृष्ट होने लगा। मूल गवेषणा के 18 वर्ष पश्चात् विश्व ने भी मैक्स प्लांक को नोबल पुरस्कार देकर एक प्रकार से उसके सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया है। 1913 में आइन्स्टाइन बर्लिन पंहुचा। क्वांटम के सिद्धान्त की पुष्टि मे आइंस्टाइन का योग भी कुछ कम नही था। दोनो वैज्ञानिक मिले और मिलते ही परम मित्र बन गए। दोनो की रुचियां भी एक थी, गणित, भौतिकी तथा संगीत। इस प्रकार प्लांक तथा आइन्स्टाइन के संयोग से बर्लिन भौतिकी के अध्ययन के लिए एक विश्व-केन्द्र ही बन गया।सन् 1909 में मैक्स प्लांक की पहली पत्नी के देहान्त पर प्लांक ने फिर से शादी कर ली और इससे उसके तीन संतान हुई। चार बच्चे उसकी पहली शादी से थे। किन्तु सभी पिता से पहले ही चल बसे। बडे बेटे कार्ल की प्रथम महायुद्ध में 1916 मे मृत्यु हुई थी। उसकी दो यमज पुृत्रिया एक ही साल के अन्दर-अन्दर मर गई और दोनो ही प्रसव-पीडा मे मरी। उन दिनो जर्मनी में सभी कही नात्सियो का आंतक था। प्लांक के मित्र आइन्स्टाइन और श्रोडिंगर को जर्मनी छोडने के लिए मजबूर कर दिया गया। प्लांक स्वयः हिटलर की पराजयों में एक है कितनी ही बार नात्सी पार्टी ने उसके सम्मुख अपना घोषणापत्र रखा, किन्तु प्लांक ने हर बार उसकी शपथ पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। रगो मे प्रशियन खून और प्राकृतिक स्वाभिमान, वह हिटलर, गोबेल्स और उनके साथियों की पशुता को भला कैसे स्वीकार कर सकता था। 1944 में ये ही नात्सी 86 वर्ष के इस बूढ़े वैज्ञानिक के पास पहुंचे, इस बार एक बन्धक साथ मे लिए हुए कि यदि प्लांक उनके प्रतिज्ञा-पत्र पर हस्ताक्षर कर दे, तो हिटलर के प्रति किए गए उसके पुत्र के देशद्रोह को क्षमा किया जा सकता है। प्लांक ने साफ मना कर दिया और उसकी उस एकमात्र जीवित संतान, एविन प्लांक को गोली से उड़ा दिया गया। इस धक्के के पश्चात् अब उसका घर और उसका पुस्तकालय भी जर्मनी की बमबारी में बचा रहता है या नही बचा रहता इस सबसे उसे क्या फर्क पडता था ? युद्ध के पश्चात् नये जर्मनी ने मैक्स प्लांक के जन्म की नवति मानने के लिए एक विज्ञान समारोह की आयोजना की, किन्तु विधि को यह स्वीकार न था। नब्बे वर्ष का होने से कुछ ही मास पूर्व, 4 अक्तूबर 1947 को मैक्स प्लांक की मृत्यु हो गई। किन्तु महान वैज्ञानिक की स्मृति में कैंसर विल्हेम एकेडमी का नया नामकरण ‘मैक्स प्लांक एकेडमी” कर दिया गया, और जर्मनी में विज्ञान-सम्बन्धी श्रेष्ठ पुरस्कार भी मैक्स प्लांक मेडल ही निश्चित कर दिया गया।हम्फ्री डेवी इंफोर्मेशन – हम्फ्री डेवी की जीवनी और आविष्कार?मैक्स प्लांक की विज्ञान को देन क्या है ? प्रसिद्ध डच वैज्ञानिक हेण्डिक ए० लॉरेन्त्स ने कभी कहा था। आज हम इतना आगे बढ आए है कि प्लांक के कास्स्टेंट में हमारे लिए न केवल तापादि के विकिरण बाहुल्य की व्यवस्था का भौतिक आधार ही सनिविष्ट है अपितु शक्ति-तरगिमा की पराकाष्ठा की व्याख्या भी तो अन्यथा असंभव है, और इस सबके अतिरिक्त, स्थल तत्त्वो के आपेक्षिक ताप, प्रकाश के फोटो-केमिकल प्रभाव, अणु के अन्दर इलेक्ट्रॉनो के वत्त, स्पेक्ट्रम की व्याहृतियों की तरग्रिमाएं, किसी ज्ञात गति के इलेक्टॉनों के अभ्याक्रम द्वारा उत्पन्न रॉटजन किरणों की फ्रीक्वेन्सी, गेंस के कणों की संभव परितक्रमा-गति, स्फटिक निर्माण में दो कणों के बीच के अन्तराल इत्यादि क्षेत्रो में सक्रिय विशिष्ट सम्बन्धों की व्याख्या के लिए भी तो हमारे पास और आधार ही क्या है। अर्थात मैक्स प्लांक का एक नियम अणु सम्बन्धी आधुनिक सारी ‘कण-भौतिकी’ की पाटिकल फीजिक्स की आधार भूमि है। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े——[post_grid id=”9237″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक जीवनी