मिजोरम के बारे में जानकारी हिन्दी में – मिजोरम की 5 प्रमुख डिश Naeem Ahmad, January 21, 2018February 25, 2023 मिजोरम के बारे में जानकारी:– मिजोरम भारत के पूर्वोउत्तर राज्यो में सबसे नया राज्य है। पश्चिम में यह बंगलादेश, त्रिपुरा और पूर्व में म्यामांर (बर्मा) से सटा हुआ है। सन् 1972 से पहले यह असम का एक जिला था।और “लुशाई हिल” के नाम से जाना जाता था। सन् 1972 में जब जब इस प्रदेश को संघ शासित प्रदेश बनाया गया तो इसके साथ साथ इसका नाम भी “मिजोरम” कर दिया गया था। इसके प्रदेश बनाए जाने के साथ ही मिजोरम की राजधानी भी बनाई गई। “आइजॉल” को मिजोरम की राजधानी बनाया गया। मिजोरम की राजधानी आइजॉल एक किले की तरह मिजोरम घाटी के ऊपर स्थित है। यहा का वातावरण बहुत अच्छा औ सुहावना है। मिजोरम के बारे में जानकारी मिजोरम के बारे में ऐतिहासिक तथ्य मिजो लोग मंगोलियन नस्ल के है ऐसा माना जाता है कि शुरू में मिजो लोग बर्मा के शान राज्य में बसे थे। ब्रिटिश शासन काल में मिजो लोग ब्रिटिश प्रदेशो पर आक्रमण करते थे। सन् 1891 में इस इलाके को ब्ररिटिश भारत में मिला लिया गया। 19वी शताब्दी में मिजो लोग ईसाई धर्म प्रचारको के प्रभाव में आए और बहुत से मिजो लोगो ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। मिजो लोगों के अनेक कबीले है, जिनके नाम इस प्रकार है :— लुशाई, पवई, पैथ, राल्ते, पैंग, हमार, कुकी, मारा और लाखें। सन् 1954 में संसद द्वारा पास अधिनियम के आधार पर इसका नाम मिजो पहाडी के नाम पर रखा गया था। सन् 1972 में जब इसे संघ शासित प्रदेश बनाया गया तो इसका नाम मिजोरम कर दिया गया है। मिजोरम राज्य का क्षेत्रफल 21081 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार 891058 थी। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार 1097206 थी। मिजोरम की जनसंख्या में 10 साल में 206148 की वृद्धि हुई। मिजोरम की राजधानी आइजॉल है। मिजोरम की भाषा मिजोरम में अधिकतर जनजातियो के लोग मिजो भाषा बोलते है। अधिकतर वृद्ध और पुराने लोग तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तो मिजो के अलावा अन्य भाषाएं कम ही जानते है। समय के साथ साथ नवयुवक व नई पिढी के लोग अंग्रेजी और हिन्दी भी अच्छी तरह जानते है। वैसे मिजोरम की मुख्य भाषा मिजो ही है। मिजोरम के जिलेमिजोरम राज्य के जिलो की बात की जाए तो मिजोरम राज्य के राजधानी आइजॉल सहित कुल 8 जिले है। जिनके नाम इस प्रकार है:— आइजॉल (मिजोरम राज्य की राजधानी) सैहा लुंगलेई लौंगतलाई चमफाई कोलासिब मामिट सरछिप मिजोरम के दरशनीय स्थलमिजोरम एक छोटा राज्य है। इसलिए यहाआआ ज्यादा पर्यटक स्थल नही है। यहा की राजधानी आइजॉल में एक संग्रहालय यहा विशेष रूप से दर्शनीय है। इस संग्रहालय में आप मिजोरम की परम्परिक सभ्यता और संस्कृति से संबंधित दुर्लभ वस्तुओ के दर्शन कर सकते है। इसके अलावा यहा का बोरा बाजार और मिजोरम की सबसे बडी झील तामदिल भी मिजोरम के पर्यटन में काफी प्रसिद्ध है। आइए जब मिजोरम के बारे में जान रहे है तो बोरा बाजार और तामदिल झील के बारे में भी जान लेते है। और साथ ही साथ मिजोरम के अन्य पर्यटन स्थलो की भी जानकारी ले लेते है। मिजोरम के सुंदर दृश्य बोरा बाजार बोरा बाजार राजधानी आइजॉल का मुख्य बाजार है। यहा पर अनेको प्रकार की दुकाने सजी रहती है। यहा के बोरा बाजार से आप मिजोरम के पारम्परिक परिधान व अन्य सजावटी वस्तुएं खरीद सकते है। तामदिल झील राजधानी आइजॉल से तामदिल झील की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। तामदिल झील मिजोरम की सबसे बडी झील है। यह झील चारो ओर से पहाडियो से घिरी हुई है। जो बेहद खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहा आप प्राकृति के सौंदर्य का भरपूर लुफ्त उठा सकते है। चमफाईमिजोरम की अनछुई प्राकृतिक खूबसूरती ऐसी है कि आप दीवाने हो जाएंगे। मिजोरम की राधजानी आइजॉल से करीब 192 किलोमीटर की दूरी पर चमफाई है। चमफाई इंडो-म्यामार बोर्डर पर स्थित है। यहां हरे-भरे खेत और पड़ोसी देश म्यामार की पहाडि़यां मन मोह लेती हैं। यहां आने के बाद मुर्लेन नेशनल पार्क, मुरा पुक, रीह दिल लेक और थसियामा सेनो नैहना जाना न भूले। मुर्लेन नेशनल पार्क इंडो- म्यामार बार्डर पर स्थित है। यह पार्क जैव-विविधतायों से समृद्ध है। पक्षियों की करीब 150 प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। चमफाई से पांच किलोमीटर दूर रूएंतलैंग गांव जा सकते हैं। यहां मिजो लोगों के पुराने रहन-सहन को अब तक देखा जा सकता है। मुरा पुक जोटे गांव में स्थित है। यह पर्टयकों को खूब आकर्षित करता है, क्योंकि यहां पर छह गुफाएं हैं। वानतांग फाल्स यह मिजोरम राज्य का सबसे ऊंचा और सबसे खूबसूरत झरना है। वानतांग जलप्रपात थेनजोल कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है। तथाा राजधानी आइजॉल से 137 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहा पर पानी 229 मीटर की ऊचांई से गिरता है। जो एक बहुत ही खुबसूरत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मिजोरम यात्रा पर आने वाले अधिकतर पर्यटक यहा अवश्य आते है।मिजोरम का मौसम मिजोरम के बारे में जान लिया है। तो अब यहा के मौसम के बारे में भी जान लेते है। पहाडी घाटी क्षेत्र होने के कारण मिजोरम का मौसम काफी सुहावना होता है। यहा अधिक गर्मी नही पडती है। गर्मीयो के मौसम में मिजोरम का तापमान न्यूनतम 18℃ से अधिकतम 29 ℃ तक रहता है। सर्दीयो के मौसम के समय मिजोरम के तापमान की बात करे तो सर्दियो में मिजोरम का तापमान न्यूनतम 11℃ से अधिकतम 24℃ तक रहता है। जिसे हम ज्यादाआ ठंडा भी नही कह सकते है। वर्षा ऋतु की बात करे तो मिजोरम में मई से सितंबर के बीच वर्षा ऋतु का मौसम रहता है। अपने इस लेख में हमने मिजोरम के बारे में काफी कुछ जाना। आइए आगे के लेख में हम मिजोरम के त्योहारो और फेस्टिवलो के बारे में जानते है। मिजोरम के त्योहार मिजोरम के त्योहार भव्य व खुशियो से भरे होते है। और साथ में मिजो की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करते है। यहा त्योहारो को बडे उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है। इन त्यौह्रो में यहा की वेषभूषा, पारंपरिक नृत्य और समारोह इन त्यौहारो का प्रमुख हिस्सा होते है। मिजोरम के लोगो की जिंदगी में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए मिजोरम के लगभग सभी त्योहार कृषि पर केंद्रित है। जो बुवाई, कटाई और मौसमी चक्र आदि अवसरो पर मनाए जाते है। मिजोरम के त्योहार समारोह के सुंदर दृश्य मिजोरम के प्रमुख त्योहार चपचार कुटमिजोरम का चपचार कुट त्योहार बसंत ऋतु का त्योहार है। और यह बुवाई के मौसम की शुरूआत से पहले की तैयारी के समय मनाया जाता है। इस समय बांस पेड पौधे सूख जाते है। और जमीन अगली खेती के लिए खाली हो जाती है। चपचार आमतौर पर मार्च के महिने में आता है। इस त्योहार को यहा बडे उत्साह के साथ मनाया जाता है। थल्फावांग कुट थल्फावांग कुट नवंबर के महिने में मनाया जाता है। यह त्यौहार फसल कटाई के मौसम की शुरूआत का प्रतीक है। इस त्योहार में पारंपरिक खेलो, सास्कृतिक कार्यक्रमो का उत्सव के रूप में आयोजन होता है। थल्फावांग कुट एक ऐसा अवसर है जहा विभिन्न समुदाय एक साथ मिलकर अपनी संस्कृति को प्रस्तुत करते है। वास्तव में यह मिजोरम का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारो में से एक है। जो बडे ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है।मिजोरम के बारे में जानकारी के के साथ इनके बारे में भी जानेंनागालैंड का इतिहासत्रिपुरा पर्यटनशिलांग के पर्यटन स्थल मिम कुट मिमकुट भी मिजोरम का काफी महत्वपूर्ण त्योहार है। जो राज्य में मक्का की कटाई के जश्न के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर यह अगस्त और सितंबर के महिनो में आता है। मिमकुट को भी सभी समुदाय के लोग एक साथ मनाते है। और एक मंच खडा करके अपने मृत परिजनो और पूर्वजो का सम्मान करते है। यह माना जाता है कि इस त्योहिर के दौरान मृतक आतमाएं आती है। और मक्का, रोटी, कपडे और अन्य सामान जो आमतौर पर जीवित रहने के लिए आवश्यक होते है। उन्हें मृतक आत्माओ को पेश किया जाता है। पॉल कुट मिजोरम का पॉल कुट त्योहार मुख्य फसल त्योहारो में से एक है। और यह त्योहार दो दिनो के लिए मनाया जाता है। अक्सर यह दिसंबंर और जनवरी के महीनो में आता है। यह फसल के बाद का उत्सव है। यह उत्सव एक भोज के रूप में मनाया जाता है। मांस और अंडे के पकवान हर घर में तैयार किए जाते है। और एक प्रथागत अनुष्ठान के रूप में मां और बच्चे एक मंच पर इकठ्ठा होते है और एक साथ भोजन करते है। पॉल कुट जीवन का एक धन्यवाद उत्सव है। मिजोरम का खाना मिजोरम का खाना उत्तर भारतीय और चीनी तत्वो के मिश्रण के रूप में देखा जा सकता है। इन दोनो का मिश्रण यहा के खाने के स्वाद को अनोखा बनाता है। मिजोरम के लोग अपने भोजन में अधिकतर मांशाहारी इस्तेमाल करते है। इसके साथ साथ वह अपने भोजन में सब्जियो का भी उचित मात्रा में प्रयैग करते है। आमतौर पर यहा केले के पत्तो पर भोजन परोसा जाता है। जो यहा की संस्कृति है।जब हम मिजोरम के बारे में जान ही रहे है तो क्यो न मिजोरम के कुछ प्रसिद्ध व्यंजनो (पकवानो) के बारे में भी जान लेते है। मिजोरम की प्रमुख व्यंजनो के फाइल चित्र मिजोरम की 5 प्रसिद्ध डिश बाईबाई मिजोरम के सबसे लोकप्रिय व्यंजनो में से एक है। इस पकवान की मुख्य खासियत यह है कि यह स्थानीय रूप से उपलब्ध जडी बूटियो और मसालो का उपयोग करके तैयार किया जाता है। इस मिजोरम डिश को बासं की हरी कोपले, फूल गोभी के टूकडे, कटे हुए आलू, और चावल द्वारा तैयार किया जाता है। मिजोरम की यात्रा के दोरान यह आसानी से हर जगह मिल जाता है।कोत पिठाकोत पिठा एक तला हुआ पकवान है। यह चावल के आटे और केले का उपयोग करके बनाया जाता है। मिजो लोग इसके साथ मछली भी जोड देते है। क्योकि यह उनके स्टेपल में से एक माना जाता है। यह व्यंजन बाहर से कुरकुरा होता है। और अंदर से नरम होता है। यह डिश चाय के साथ नास्ते में प्रयैग किया जाता है। इसका जायका हल्का मिठा होता है। मिजो वावक्सासुअर के मीट से निर्मित यह डिश माशाहारी व्यंजनों में मिजोरम का सबसे लोकप्रिय पकवान है। इसमे सुअर के मीट के छोटे छोटे टूकडो को स्थानीय जडी बूटियो और मसालो के साथ फ्राई करके परोसा जाता है। बम्बू शूट फ्राईयह एक शाकाहारी व्यंजन है। इसमे बम्बू यानि बांस के छोटे छोटे हरे टुकडे डीप फ्राउ किए जाते है। यह काफी स्पाइसी होता है। इसका स्वाद बेहद लाजवाब होता है। मिजोरम की यह डिश स्थानीय लोगो के साथ साथ पर्यटक भी खूब पसंद करते है। पंच फॉरन तडकायह डिश मिजोरम में बहूत लोकप्रिय है। और आसानी से सभी स्थानो पर मिल जाती है। यह शाकाहारी और माशाहारी दोनो तरह से बनाया जा सकता है। शाकाहारी में यह बैंगन, कद्दू और आलू से बनाया जाता है। जबकि माशाहारी में यह ज्यादातर चिकन के साथ तैयार किया जाता है। यह काफी मसालेदार और स्वादिस्ट होता है।इन व्यंजनो के अलावा मिजोरम में आपको उनके दो लोकप्रिय पेय है। उनमें से एक जू या स्थानीय चाय है। जो वे लगभग भोजन के साथ पीना पसंद करते है। दुसरा लुब्रास्का अंगूर वाइन है। जो स्थानीय लोगो के बीच काफी पसंदीदा पेय है। हमारे इस लेख में आपने मिजोरम के बारे में काफी जानकारी हासिल की। आपको मिजोरम के बारे में यह जानकारी कैसी लगी आप हमें कमेंट करके बता सकते है।और मिजोरम के बारे में यह जानकारी आप सोशल मिडिया पर अपने दोस्तो के साथ शेयर भी कर सकते हैShare this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के पर्यटन स्थल मिजोरम पर्यटन