माइन क्या होता है और लैंड माइन का आविष्कार किसने किया Naeem Ahmad, July 12, 2022March 1, 2024 सुरंग विस्फोटक या लैंड माइन (Mine) का आविष्कार 1919 से 1939 के मध्य हुआ। इसका आविष्कार भी गुप्त रूप से हुआ। कुछ लोगों का अनुमान है कि लैंड माइन का विकास विशेष तौर पर टैंक-दस्तों की गतिविधि पर रोक लगाने के लिए हुआ। माइन का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिका , ब्रिटेन और रूस में आरम्भ हुआ। सामान्य रूप से माइन में 5-6 पौंड टी एन टी शक्ति की बारूद भरी होती थी। आरम्भ में एक टैंक को नष्ट करने के लिए कई सुरंग विस्फोटक का एक साथ इस्तमाल किया जाता था।माइन क्या है और यह कैसे काम करता हैअब सुरंग थल पर ही नही, समुंद्र में भी जहाजों पनडुब्बीयों आदि को नष्ट करने के लिए बिछायी जाती है। सामान्य तौर पर सुरंग विस्फोटक का घात्विक अथवा अधात्विक खोल एक शक्तिशाली विस्फोटक पदार्थ से भरा होता है। इसका विस्फोटक पदार्थ जरा से धक्के के साथ ही धमाके के साथ फटकर तीव्र बल उत्पन्न करता है और बडे-बडे टेंकों युद्धपोतों को पलक झपकते ही नष्ट कर देता है। लैंड माइन कई प्रकार की होती हैं। उनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं –थल माइन:- थल-युद्ध में इसका इस्तेमाल एक महत्त्वपूर्ण अस्त्र के रूप में किया जाता है। शत्रु सेना के संभावित मार्ग में ये माइन जमीन मे कुछ गहराई पर बिछा दी जाती हैं। इन्हे बडी सावधानी ओर होशियारी से बिछाया जाता है। इन पर से जब सैनिक या मोटर-गाडी या कोई अन्य वाहन गुजरता है, तो उसके दबाव से ये धमाके के साथ फटकर उसे नष्ट कर देती हैं।ट्रांसफार्मर का आविष्कार किसने किया और यह कैसे काम करता हैसामान्य तोर पर थल माइनें दो प्रकार की होती है – एक टैंक-भेदी, दूसरी मानव घाती। टैंक भेदी माइन:— टैंक भेदी सुरंग विस्फोटक मानव घाती सुरंग विस्फोटक से अधिक शक्तिशाली होती है, क्योंकि इनसे टैंक, ट्रक आदि भारी युद्ध-वाहनो को नष्ट किया जाता हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और अमेरिका में एक बहुत हल्की टैंकभेदी सुरंग सबसे पहले विकसित की गयी थी। यह चपटे क्वार्ट डिब्बे (चोथाई गलन मापन का पात्र) के आकार की थी। इसमे टैट्रिटॉल नामक विस्फोटक पदार्थ का मिश्रण भरा गया था। सैनिक इसे आसानी से अपनी जेब मे रख सकते थे। इसे जमीन में छोटा-सा गड्ढा खोदकर अथवा घास-फूस से ढककर छिपा दिया जाता था। उसके बाद इसमें कुछ सुधार किया गया। इसमे एक अतिरिक्त सेकेण्डरी फ्यूज की व्यवस्था की गयी जिससे यह जरा से धक्के या वजन से भी विस्फोटित हो जाती थी। इसी कारण इसका नाम ‘हेस्टी माइन’ यानी ‘जल्दबाज सुरंग विस्फोटक रखा गया।माइन2 मानवघाती माइन:– मानवघाती सुरंग विस्फोटक में एक पौंड से अधिक विस्फोटक पदार्थ नही भरा जाता। ये सुरंग विस्फोटक मनुष्य के हाथ-पैर उडान अथवा उन्हे जान से मारने के लिए काफी हैं। मानवघाती सुरंग विस्फोटक भी दो प्रकार की होती है- एक सीमित सुरंग (वाउंडिग माइन), दूसरी स्थिर सुरंग (स्टेबल माइन)।डायनेमो का आविष्कार किसने किया और डायनेमो का सिद्धांतसीमित माइन विस्फोटित होने से पहले हवा में उछलतीहैं, फिर धमाके के साथ फटती है जबकि स्थिर सुरंग जमीन के अंदर बिछाए गए स्थान पर ही फटती हैं। सीमित सुरंग का विकास सन 1939 में जर्मनी में किया गया था। स्थिर सुरंग विस्फोटक को सबसे पहले रूस में विकसित किया गया।रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किसने किया और कब हुआसमुंद्री माइन:– समद्री सुरंग विस्फोटक का इस्तमाल अंतजलीय आयुध की तरह किया जाता है। ये सुरंग विस्फोटक उन समुद्री मार्गों पर जल के अंदर बिछा दी जाती हैं जहां से शत्रुओं के यद्ध-पोतो के आने की आंशका होती हैं। समुद्री सुरंग विस्फोटक आमतौर से दो प्रकार के होते हें- एक मुक्त माइन और दूसरी नियंत्रित माइन।बिजली का आविष्कार किसने किया और कब हुआमुक्त सुरंग विस्फोटक के दो प्रकार होते हैं। पहला मर सुरंग और दूसरा तल पर बिछायी जाने वाली सुरंग। ये सुरंग समुंद्र तल में बिछायी जाती है। जब कोई युद्ध-पोत इनके ऊपर से गुजरता है ता ये प्रभावित होकर फट पडती हैं। मर सुरंग विस्फोटक सम्पर्क या प्रभावी गण की हाती है। युद्ध-पोत के सम्पर्क में आने या टकरा जान पर ही फटती है जबकि प्रभावी सुरंग यद्ध-पोतो से प्रभावित या आकर्षित होकर फटती है। नियंत्रित सुरंग विस्फोटक जरूरत के मुताबिक उसके तटीय नियंत्रण तथा प्रक्षेप-केन्द्रो से अंतजलीय विद्युत तथा नियंत्रण केबल प्रणाली द्वारा नियंत्रित होती है आर उन्हें निर्देश देकर विस्फोटित किया जाता है।बैटरी का आविष्कार किसने किया और कब हुआचुम्बकीय माइन:– चुम्बकीय (मैग्नेटिक) सुरंग विस्फोटक का उपयोग लोहे के ढांचे वाले युद्ध-पोतो के लिए किया जाता है। चम्बकीय सुरंगों का विस्फोटक होना युद्ध-पोतो के चुम्बकीय क्षेत्र (मैग्नेटिक फील्ड) पर निर्भर करता है। इन सुरंगों से यद्ध-पोत की रक्षा करने के लिए उसके चुम्बकीय क्षेत्र को कम कर दिया जाता है। चुम्बकीय सुरंग चुम्बकीय शक्ति से खिंचकर युद्ध-पोत से टकराती है जिसके फलस्वरूप उनका विस्फोट हो जाता है।पेनिसिलिन का आविष्कार किसने किया और कब हुआध्वानिक माइन:– ध्वानिक सुरंग विस्फोटक माइक्राफोन के सिद्धांत पर कार्य करती है। ध्वानिक सुरंग विस्फोटक में लगे माइक्राफोन युद्ध-पोतो के प्रोपेलर और इंजनो की ध्वनि का ग्रहण करत हैं और इसे एम्प्लीफाई (बंधित) कर सुरंग को विस्फोटित करने में सहायता करते हैं। समुंद्र में बिछी इस प्रकार की सुरंग विस्फोटक पर आमतौर पर कीचड, कचरा और समुद्री घास-फूस आदि की परते चढ जाती है, जिस कारण इन्हे विस्फोटित होने के लिए उच्च आवृत्ति की आवश्यकता पडती है।स्टेथोस्कोप का आविष्कार किसने किया और कब हुआसमुद्री माइनों की सफाई के लिए लंगरयुक्त दो नावों के मध्य कुछ अंतर रखकर उन्हें आरेदार रस्सों से सम्बद्ध किया जाता है। सुरंगों की मूरिग लाइनो को जब इस रस्से की रगड से काटा जाता है तो ये अलग होकर समुंद्र की सतह पर आ जाती हैं। तब इन्हे दूर से राइफल से निशाना बनाकर नष्ट कर दिया जाता हैं।हमारे यह लेख भी जरुर पढ़े:—[post_grid id=”11378″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... विश्व के प्रमुख आविष्कार प्रमुख खोजें