मांउट आबू के पर्यटन स्थल – माउंट आबू दर्शनीय स्थल Naeem Ahmad, January 25, 2017February 18, 2023 पश्चिमी राजस्थान जहाँ रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेष कर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और निराली है । वहाँ सुंदर झीलें और प्राकति के वरदान से भरपूर नजारे हरी भरी वादियों से सजी धजी पहाड़ियों ओर वन्यजीवों जीवों से भरपूर अभयारण्य भी है । मांउटआबू ऐसा ही एक अनुपम दर्शनीय स्थल है । जो कि न केवल डेज़र्ट- स्टेट कहे जाने वाले राजस्थान का इकलौता हिल्स स्टेशन है बल्कि गुजरात के लिए भी हिल्स स्टेशन की कमी को पूरा करने वाला सांझा पर्वतीय स्थल है । दक्षिणी राजस्थान के सरोही जिले में गुजरात की सीमा से सटा यह हिल्स स्टेशन चार हज़ार फीट की उचाई पर बसा हुआ हैं मांउट आबू कभी राजस्थान की जबरदस्त गर्मी से बदहाल पूर्व राजघरानों के सदस्यों का समर रिसोर्ट हुआ करता था कलांतर में इसे हिल्स अॉफ विजडम भी कहा जाने लगा क्योंकि इससें जुड़ी कई धार्मिक और समाजिक मान्यताओं ने इसे एक धार्मिक सास्कृतिक और अध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी वख्यात हैमांउट आबू के पर्यटन स्थलअरावली पर्वत श्रृंखलाओं के दक्षिणी किनारे पर पसरा यह हिल्स स्टेशन अपने ठंडे मौसम और वनस्पति समृद्धि की वजह से देश भर के पर्यटकों का पसंदीदा सैरगाह बन गया है और मरूस्थल में हरे नखालिस्तान का आभास देता है । तीर्थयात्रियों का पसंदीदा पहाड़ी पर्यटक स्थल मांउट आबू की जो सडक यात्रियों को मांउट आबू तक पहुँचाती है वह बड़ी बड़ी चट्टानों और तेज हवाओं के बीच से होकर गुजरती है । माउंट आबू तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत खासा सुंदर है । माउंट आबू न केवल गर्मियों में सैलानियों का स्वर्ग है वरन यहाँ मौजूद ग्यारहवीं और तेहरवीं शताब्दी की अनूठी और बेजोड़ स्थापत्य कला के श्रेष्ठतम नमूने दिलवाडा के मंदिरों में देखें जा सकते है । इन मंदिरों ने इसे जैनियों का प्रमुख तीर्थ बना दिया है वही प्रजापति ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय साधना केंद्र की बदौलत माउंट आबू की शोहरत सारी दुनिया में फैल गई है । निकट ही गुजरात सीमा में अंबाजी का भी प्रसिद्ध मंदिर हैमाउंट आबू के पर्यटन स्थलराजस्थान के सिरोही जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर और झीलों की नगरी उदयपुर से करीब 185किमी दूर हरी भरी पहाड़ियों के मध्य स्थित इस पर्वतीय स्थल के ठंडे और सुहाने मौसम से मोहित होकर पर्यटक दूर दूर से यहाँ खिचें चले आते है । 1219 मीटर उंची पहाड़ी पर स्थित यहाँ की प्रसिद्ध नक्की झील 800 मीटर लम्बी और 400 मीटर चौड़ी है । ऐसी मान्यता है कि इस झील को देवताओं ने अपने नाखूनो से खोदा है । माउंट आबू का नाम यहाँ स्थित प्राचीन मंदिर अर्बूदा देवी के नाम पर ही पड़ा है । 450 सीढ़ियों वाले इस मंदिर में स्थापित अर्बुदा देवी को आबू की रक्षक देवी माना जाता है । माउंट आबू की उत्पति के संदर्भ में अनेक कथाएँ प्रचलित है । एक मान्यता के अनुसार आबू हिमालय पुत्र के प्रतीक रूप में जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति अर्बद से हुई थी जिसने भगवान शिव के पवित्र बैल नंदी को बलिष्ठ सांप के चंगुल से बचाया था । माउंट आबू अनेक साधु संतो की स्थली भी रही है । वशिष्ठ ऋषि भी उन प्रमुख संतों में से एक थे जिन्होंने पृथ्वी को दैत्यों से बचाने के लिए पवित्र मंत्रों से यज्ञ करते हुए अग्नि से चार अग्निकुल राजपूत वंशों परमार, सौलंकी, और चौहान का सृजन किया था । यह यज्ञ उन्होंने आबू की पहाड़ी के नीचे स्थित प्राकृतिक झरने के पास किया गया था । झरना गाय के सिर की आकृति वाली पहाड़ी से निकलता है । अत: इसे गोमुख भी कहते है । इसी तरह यहाँ ऋषि बाल्मीकि से जुड़े कथा प्रथंग भी है । अरावली पर्वत श्रृखलाओं की सबसे उँची चोटी कहे जाने वाला गुरू शिखर नामक पर्वत भी माउंट आबू में ही है । जिसकी उचाई 1722 मीटर है । आइए जानते है माउंट आबू के दर्शनीय स्थल के बारे मेंनक्की झील माउंट आबूराजस्थान के मांउट आबू में 3937 फुट की उचाँई पर स्थित नक्की झील लगभग ढाई किलोमीटर के दायरे में पसरी है जहाँ बोटिंग करने का लुफ्त अलग ही है । हरी भरी वादियाँ खजूर के वृक्षो की कतारें पहाड़ियों से घिरी झील के बीच आईलैंड कुल मिलाकर देखें तो सारा दृश्य बहुत ही मनमोहक है इस झील में नौका विहार की व्यवस्था है । इसके कारण माउंट आबू की सुंदरता में चार चांद लग गये है ।सनसेट प्वाइंटयहाँ से देखिये सूर्यास्त का खुबसुरत नजारा । ढलते सूर्य की सुनहरी रंगत कुछ पलों के लिए पर्वत श्रृखलाओं को कैसे स्वर्ण मुकुट पहना देती है । यहाँ डूबता सूरज बॉल की तरह लटकते हुए दिखाई देता है । हजारों लोग प्रतिदिन शाम ढलते इस मनोहारी दृश्य का आनन्द लेते है । ऐसा लगता है कि मानो सूर्य आसमान से नीचे गिर रहा है ओर पाताल में चला गया हो।हनीमून प्वाइंटसनसेट से दो किलोमीटर दूर नवविवाहित जोडों के लिए यहाँ हनीमून प्वाइंट बना है । शाम के वक्त यहाँ लोगों का हुजूम उमड पड़ता है । यह आंट्रा प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है । हनीमून प्वाइंट से हरे भरे मैदान और घाटियों के विहंगम दृश्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते है । घाटी के सुरम्य दृश्य देखकर लोग यहाँ से हिलना भी पसंद नहीं करते।टॉड रॉकनक्की झील से कुछ दूरी पर ही स्थित ट्रॉड रॉक चट्टान है जिसकी आकृति मेंढक की है जो सैलानियों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती हैदिलवाड़ा जैन मंदिर11वी से 13वी सदी के बीच बने मारवल के ये नककाशीदार जैन मंदिर स्थापत्य कला की बहतरीन मिसाल है । इनमें विमल बासाही और लणवसहि मंदिर सबसे पुराने है । यहाँ वास्तु कला की अद्भुत कारीगरी देखने योग्य है । आबू की विशेष ख्याति दिलवाडा के जैन मंदिरों के समूह के कारण है । इस समूह में पांच मंदिर है जिन पर संगमरमर की बारिक नक्काशी देखने योग्य हैगुरू शिखरयह अरावली पर्वत की सबसे उंची चोटी है । गुरू शिखर समुद्र तल से करीब 1722मीटर उँचा है । इस शिखर से नीचे और आसपास का नजारा देखना सैलानियों को एक अलग ही जहाँ में पहुँचा देता है ।अचलगढ़देलवाड़ा से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित इस प्राचीन स्थल में आबू के अघिष्ृता देव अचलेश्वर महादेव का मंदिर है । इसमें शिव के पैर के अंगूठे का चिन्ह है जिसकी पूजा होतीं है। मंदिर के सामने पीतल का विशाल नदी है । नदी से कुछ ही आगे लोहे का विशाल त्रिशूल हैजल महल जयपुर का इतिहासग्रीष्म व शरद उत्सवमांउट आबू में प्रतिवर्ष बुद्ध पूर्णिमा पर ग्रीष्मकालीन उत्सव और दिसम्बर माह में शरद उत्सव का आयोजन किया जाता है । राज्य सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित होने वाले इन उत्सवों में यहाँ की जनजातियों लोक कलाओ ओर लोक नृत्यों आदि विविधताओं से भरपूर लोक लुभावन कार्यक्रम का प्रदर्शन देखने योग्य होता हैगोमुखआबू के बाज़ार से करीब ढाई किलोमीटर दक्षिण में जाने पर हनुमानजी का मंदिर आता है । इस मंदिर से करीब 700 सीढियां नीचे उतरने पर वशिष्ठ जी का आश्रम आता है । यहाँ पत्थर के बने गोमुख से सदा जल बहता रहता है । इसलिए इस स्थान को गोमुख कहते है ।वन्यजीव अभयारण्यम माउंट आबूराज्य सरकार द्वारा 228 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य वर्ष 1960 में घोषित किया गया था । इस अभयारण्य में वनस्पतिक विविधता वन्यजीव व प्रवासी पक्षी आदि देखें जा स कते है । दिलवाड़ा के पास उचांई पर स्थित बेलनाकार निरक्षण स्थल से माउंट आबू का दृश्य ओर सालगांव निर्मित वाच टावर से वन्य प्राणी देखें जा सकते है।राजभवन माउंट आबूमाउंट आबू राजस्थान के महामहिम राज्पाल का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय भी है । प्रतिवर्ष गर्मियाँ शुरू होने के बाद कुछ समय के लिए माउंट आबू राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन कैंप बन जाता है । राजभवन में स्थित कला दीर्घा दर्शनीय है । माउंट आबू में राजस्थान के साथ ही गुजरात सरकार का गेस्ट हाउस भी है । इसके अलावा यहाँ विभिन्न पूर्व रियासतों के नाम से बने हुए गेस्टहाउस सुंदर वादियों के मध्य स्वर्ग के समान अनुभूति करवाने वाले है । माउंट आबू पर भारतीय सैना का कैंप भी है यहाँ हर समय होने वाले सैनिक आभ्यास और घुडसवारी के करतब सैलानियों के लिए अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र बनती है।माउंट आबू कैसे और कब जाएँअगर आप ट्रेन से सफ़र करने की सोच रहे है तो में आपको बता दू यही सबसे अच्छा निर्णय रहेगा । माउंट आबू का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है । जोकि मात्र 28 किमी की दूरी पर स्थित है । यह रेल्वे स्टेशन दिल्ली अहमदाबाद बड़ी लाइन पर है । जहाँ सभी प्रमुख रेलगाडियां रूकती है । मांउट आबू पर्वतीय स्थल के लिए यहाँ से टैक्सियाँ हर समय उपलब्ध रहती है । माउट आबू का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है । जो 185किमी दूर है । इसी प्रकार अहमदाबाद हवाई अड्डा 235तथा जौधपुर हवाई अड्डा 267 किमी दूरी पर स्थित है । इन प्रमुख शहरों से सीधे बस द्वारा माउंट आबू जाया जा सकता है ।मैदानों में जब गर्मी बढ जाए तो आप मांउट आबू चले जाए वैसै यहाँ पूरे साल भर जाया जा सकता है । सर्दियों में उचाँई की वजह से ठंड आसपास के बाक़ी मैदानी इलाकों से काफ़ी ज्यादा होती है । कडाके की सर्दी पडे तो निक्की झील का पानी जम जाता है । सर्दियों के अलावा जायें तो मोटे सूती कपड़ों में काम चल सकता है । हांलाकि शाम व रात में पूरे साल भर ठंड रहतीं है मांउट आबू में ठहरने के लिए सरकारी व गैरसरकारी काफ़ी अच्छे होटल व गेस्टहाउस है । भोजन के लिए यहाँ राजस्थानी और गुजराती के साथ साथ भारतीय व्यंजनों के रेस्तरां भी बहुत है।हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”11363″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to 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