महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत Naeem Ahmad, December 25, 2022March 24, 2024 भरतपुर के महाराजा श्री विजेन्द्र सवाई महाराजा किशन सिंह जी बहादुर थे। आपको लेफ्टनेट कर्नल की उपाधि प्राप्त थी। आपका जन्म सन् 1899 की 4 अक्तूबर को हुआ था। आपके पिता महाराजा रामसिंह जी सन् 1900 की 27 वीं अगस्त को राज्य कार्य से अलग हुए। उस समय आपकी आयु लगभग एक वर्ष की थी। अतएवं आपके बालिग होने तक भरतपुर राज्य शासन पोलिटिकल एजेंट एवं कौसिल ऑफ रिजेन्सी के हाथों में रहा। आपने सन् 1916 तक अजमेर के मेयो कॉलेज में विद्याध्ययन किया। इसके पश्चात् डिप्लोमा की परीक्षा उत्तीर्ण कर आप भरतपुर में शासन कार्य सीखने लगे। दो वर्ष तक आप लगातार शासन व्यवस्था का अध्ययन करते रहे। सन् 1918 की 28 वीं नवंबर को आपको तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चेम्स फोर्ड द्वारा सम्पूर्ण शासनाधिकार प्राप्त हुए। महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत सन् 1913 की तीसरी मार्च को आपका विवाह फरीदकोट के स्वर्गीय महाराजा साहब की कनिष्ठ भगिनी के साथ सम्पन्न हुआ। सन् 1914 में आप इंग्लैंड पधारे तथा वेलिंगटन कालेज में भर्ती हुए। वहाँ आपने उस वर्ष के नवंबर मास तक विद्या अभ्यास किया। इसके पश्चात आप वापस लौट आये। आपके युवराज का नाम महाराज कुमार विजेन्द्र सिंह जी था। इनका जन्म सन् 1918 की 30 वीं नवंबर को हुआ था। ये ही भरतपुर राज्य के भावी महाराजा थे। श्रीमान महाराजा किशन सिंह जी भरतपुर नरेश, प्रतिभा-सम्पन्न और बुद्धिमान महानुभाव थे। आप बड़े ही सह्रदय और मिलनसार थे।उनके व्यवहार में–वार्तालाप में –उसने एक प्रकार का आकषर्ण था। महाराजा किशन सिंह भरतपुर रियासत श्रीमान भरतपुर नरेश ने अपने राज्य में घोषणा द्वारा बेगार लेने की कतई मनाही कर दी थी। राजपूताने के नरेशों में आप पहले ही हैं जिन्होंने इस सम्बन्ध में एक आदर्श उपस्थित किया। श्रीमान भरतपुर नरेश समाज सुधार के बड़े पक्षपाती थे। पुष्कर में जाट महा प्रथा के सभापति की हैसियत से आपने जो भाषण दिया था, उससे आपके प्रगतिशील विचारों का पता चलता है। उसमें आपने शुद्धि और संगठन पर भी बड़ा जोर दिया था। श्रीमान का हिन्दी साहित्य पर बड़ा प्रेम था। हिन्दी के सुविख्यात् लेखक श्रीयुत जगन्नाथ दास जी अधिकारी को आप ही ने महन्त के पद पर अधिष्ठित किया था। भरतपुर में इस साल जिस अपूर्व समारोह के साथ हिन्दी साहित्य-सम्मेलन, आर्य-सम्मेलन तथा सम्पादक-सम्मेलन आदि हुए उससे श्रीमान के उत्कृष्ट साहित्य- प्रेम की सूचना मिलती है। आप ही की कृपा का फल है कि यह साहित्य-सम्मेलन अपूर्व था और जगत विख्यात हो, रवीन्द्रनाथ, विश्व कीर्ति विज्ञानाचार्य जगदीश चन्द्र बसु, पूजनीय पं० मदन मोहन मालवीय आदि विभूतियों ने इस सम्मेलन की शोभा को बढाया था। कहने की आवश्यकता नहीं कि इस सम्मेलन का सारा खर्च श्रीमान ने दिया था। कहने का अर्थ यह है कि श्रीमान भरतपुर नरेश एक होनहार और प्रतिभा सम्पन्न महानुभाव थे। अगर आप के आस पास योग्य वायु मण्डल रहता तो आप भारतीय नृपतियों के लिये एक उच्च आदर्श उपस्थित कर सकते थे। परंतु सन् 1929 में आगरा में आपका देहान्त हो गया। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:— [post_grid id=”13251″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के महान पुरूष जाट राजवंशजाट वंशजीवनीबायोग्राफीभरतपुर राजपरिवारराजस्थान के वीर सपूतराजस्थान के शासक