महाराजा अभय सिंह का इतिहास और जीवन परिचय Naeem Ahmad, December 14, 2022March 24, 2024 सन् 1724 में अभय सिंह जी जोधपुर राज्य की गद्दी पर बिराजे। गद्दी पर बैठते समय आपको बादशाह महमदशाह की ओर से राज राजेश्वर की पदवी मिली। नागोर की जागीर इस समय अमर सिंह जी के पौत्र इन्द्र सिंह जी के अधिकार में थी। पर इस समय से वह भी बादशाह ने अभय सिंह जी को दे दी। महाराजा अभय सिंह जी ने नागोर बखत सिंह जी को दे दी और इन्द्र सिंह जी को भी एक दूसरी जागीर दे दी। सिरोही के राव जी और आपके बीच अनबन हो गई थी। अतएवं आपने युद्ध करके उन्हें हराया। महाराजा अभय सिंह जोधपुर का इतिहास और जीवन परिचय सन् 1726 में दिल्ली के पास मराठों और मुगलों के बीच जो लड़ाई हुई थी उसमें मुगलों की ओर से आप सम्मिलित थे। इस युद्ध में मराठों को हारना पड़ा। इस समय मुगल बादशाहत बड़ी कमजोर हालत में थी, अतएवं सन् 1730 में अवध और दक्षिण के सूबेदार स्वतंत्र बन बेठे। गुजरात के सूबेदार सर बुलन्द खाँ ने भी इसका अनुकरण किया। महमदशाह ने अभय सिंह जी को गुजरात का सूबेदार नियुक्त कर दिया। अतएवं आपने अपने भाई बखत सिंह के साथ गुजरात पर चढ़ाई कर दी। अहमदाबाद के पास सरबुलंद खाँ के साथ आपका मुकाबला हुआ। पाँच दिन तक लड़ाई जारी रही। महाराजा अभय सिंह जोधपुर अन्त में सर बुलंद खां को हार माननी पड़ी। जब उसने हार मंजूर कर ली तो अभय सिंह जी ने उसे सकुशल दिल्ली लौट जाने दिया । वहां जाकर उसने फिर से झूठी सच्ची बातें बनाकर महमदशाह का विश्वास प्राप्त कर लिया। महमदशाह ने उसे फिर काश्मीर का सूबेदार बना दिया। इस युद्ध में अभय सिंह जी को खूब लूट का सामान मिला। इस लूट का कुछ सामान अभी तक जोधपुर के किले में मौजूद है। इसके एक साल बाद बाजीराव पेशवा गुजरात पर चढ आये। वे बड़ोदा तक आ गये थे पर अभय सिंह जी ने उन्हें वहाँ ही से वापस लौट जाने को बाध्य किया। अभय सिंह जी एक दीर्घकाल तक गुजरात में रहे। हम ऊपर कह आये हैं कि अभय सिंह जी को आनंद सिंह जी नामक एक छोटे भाई थे। पहले इन्हें कोई जागीर नहीं मिली हुई थी अतएव अभय सिंह जी की अनुपस्थिति में इन्होंने मारवाड़ में लूट-खसोट शुरू कर दी थी। अभय सिंह जी बुद्धिमान थे अतएवं आपने उन्हें ईडर का शासक नियुक्त कर झगड़े का फैसला कर दिया। इसी बीच बखत सिंह जी और बीकानेर के तत्कालीन महाराजा जोरावर सिंह जी के बीच खरबूजी नामक जिले के लिये झगड़ा उत्पन्न हो गया। इस में बखत सिंह जी सफल हुए और उन्होंने खरबूजी जिले को अपने राज्य में मिला लिया। अपने भाई का पक्ष लेकर अभय सिंह जी ने भी बीकानेर पर चढ़ाई कर दी। जोरावर सिंह जी ने इसका प्रतिकार किया और कहा कि जिस खरबूजी जिले के लिये यह झगड़ा हुआ है वह तो में पहले ही बखतसिंहजी को दे चुका हूँ। जब किसी प्रकार अभय सिंह जी युद्ध बन्द करने को तैयार नहीं हुए तब जोरावर सिंह जी ने जयपुर नरेश जयसिंह जी को अपनी सहायतार्थ बुला लिया। जयसिंह जी ने तुरन्त जोधपुर पर चढ़ाई कर दी। अभय सिंह जी बीकानेर छोड़ जोधपुर लौटने को बाध्य हुए। अब अभय सिंह जी ने अपने भाई बखत सिंह जी को अपनी सहायता के लिये बुलाया। बखत सिंह जी ने जयपुर पर चढ़ाई कर दी। वे अजमेर के पास गगवाना नामक स्थान तक आ पहुँचे। इस स्थान पर जयपुर वालों से इनका मुकाबला हुआ। पहले तो जयपुर वाले भूखे शेर की तरह बखत सिंह जी की सेना पर टूट पड़े। उन्होंने बखत सिंह जी की तमाम सेना को करीब करीब घास-मूली की तरह काट डाला। बखत सिंह जी के पास सिर्फ 60 आदमी मुश्किल से रह गये थे। इन्ही 60 आदमियों को लेकर बखत सिंह जी अब जयपुर के निशान की तरफ झपटे। उन्होंने अपनी सारी शक्ति इस ओर लगा दी।जयपुरियों के पाँव उखड़ गये। बखत सिंह जी के गले में विजय माला पड़ी। इस प्रकार केवल मुट्ठी भर आदमियों की सहायता से बखत सिंह जी ने जयपुर की विशाल सेना को परास्त कर दिया। अभय सिंह जी ने इस सहायता के बदले अनेकानेक धन्यवाद दिये और साथ ही इस प्रकार की अदूरदर्शिता के लिये भी बहुत कुछ भला बुरा कहा। गगवाना के युद्ध के बाद राणाजी ने बीच में पड़कर जयपुर और जोधपुर वालों के बीच शांति स्थापित करवा दी। इसी साल अर्थात 1738 में नादिरशाह ने हिन्दुस्थान पर हमला किया था। सन् 1747 में सम्राट् महमदशाह का देहान्त हो गया। महमदशाह के बाद अहमद शाह दिल्ली का सम्राट हुआ। इस नवीन सम्राट ने बखत सिंह जी को गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया। सन् 1748 में 24 वर्ष राज्य कर अभय सिंह जी ने अपनी इहलोक यात्रा संचरण की। आप बड़े पराक्रमी एवं युद्ध-विद्या में पारंगत थे। जिस युद्ध में आप सम्मिलित हो जाते थे उसमें आपकी विजय निश्चित थी। आपके रामसिंह नामक एक मात्र पुत्र थे। हमारे यह लेख भी जरूर पढ़े:—- [post_grid id=”13251″]Share this:ShareClick to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on X (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Reddit (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on Pocket (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Like this:Like Loading... भारत के महान पुरूष जोधपुर का राजवंशराजपूत शासकराजस्थान के वीर सपूतराजस्थान के शासकराठौड़ राजवंश